क्या देवता और भगवान एक ही होते हैं या अलग?
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- เผยแพร่เมื่อ 13 ก.ย. 2024
- प्रश्न - वेद में ईश्वर अनेक हैं, इस बात को तुम मानते हो वा नहीं ?
उत्तर- नहीं मानते। क्योंकि चारों वेदों में कहीं यह नहीं लिखा जिससे अनेक ईश्वर सिद्ध हों। किन्तु यह तो लिखा है कि ईश्वर एक है।
प्रश्न- वेद में जो अनेक देवता लिखे हैं, उसका क्या अभिप्राय है?
उत्तर- 'देवता' दिव्य गुणों से युक्त होने के कारण कहाते हैं जैसी कि पृथिवी, परन्तु कहीं इसको ईश्वर वा उपासनीय नहीं माना है। देखो ! इसी मन्त्र में कि 'जिसमें सब देवता स्थित हैं, वह जानने और उपासना करने योग्य ईश्वर है।' यह उनकी भूल है जो देवता शब्द से ईश्वर का ग्रहण करते हैं। परमेश्वर देवों का देव होने से 'महादेव' इसीलिये कहाता है कि वही सब जगत् की उत्पत्ति-स्थिति- प्रलयकर्त्ता, न्यायाधीश, अधिष्ठाता है। जो 'त्रयस्त्रिंशत्त्रिंशता ० ' [तु० - यजुः १४ । ३१] इत्यादि वेद में प्रमाण है, इसकी व्याख्या शतपथ [कां० १४ प्रपा० ५ ब्रा० ७ कं ० ४] में की है कि तेंतीस देव अर्थात् पृथिवी, जल, अग्नि, वायु, आकाश, चन्द्रमा, सूर्य्य और नक्षत्र सब सृष्टि के निवासस्थान होने से आठ 'वसु' । प्राण, अपान, व्यान, [उदान ], समान, नाग, कूर्म्म, कृकल, देवदत्त, धनञ्जय और जीवात्मा ये ग्यारह 'रुद्र' इसलिये कहाते हैं कि जब शरीर को छोड़ते हैं तब रोदन करानेवाले होते हैं। संवत्सर के बारह महीने बारह 'आदित्य' इसलिये हैं कि ये सब के आयु को लेते जाते हैं। बिजुली का नाम 'इन्द्र' इस ���ेतु से है कि जो परम ऐश्वर्य्य का हेतु है। यज्ञ को 'प्रजापति' कहने का कारण यह है कि जिससे वायु, वृष्टि, जल, ओषधी की शुद्धि, विद्वानों का सत्कार और नाना प्रकार की शिल्पविद्या से प्रजा का पालन होता है। ये तेंतीस पूर्वोक्त गुणों के योग से 'देव' कहाते हैं। इनका स्वामी और सब से बड़ा होने से परमात्मा चौंतीसवां उपास्यदेव शतपथ के चौदहवें काण्ड में स्पष्ट लिखा है। इसी प्रकार अन्यत्र भी लिखा है। जो ये इन शास्त्रों को देखते तो वेदों में अनेक ईश्वर माननेरूप भ्रमजाल में गिरकर झूठा क्यों बकते ?
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नमस्ते गुरुवर
Satya sanatan dharma ki jay
हे ऋषि पुत्र प्रभाकर जी आपको नमन है।
जय सनातन।
ओम शांति
Bahut sunder vyakhyan
सादर नमस्ते आचार्य जी
Bahut sunder 🙏🙏
❤
Sat Sat naman amrit tulya bani
Om om
आचार्य जी सादर नमस्ते मै भी वैदिक धर्म का अनुयाई हूं
👌👍😇🙏🏼
Aap ko pahli baar suna. Main khudh to Vedic Dharm ko manti hoon, lekin Jo nahin jante unko samjha ne ka bahut accha
Tq
🚩जय भारत।
🙏 nameste aacharya ji
🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Apko pranam
Bahut hi sunder guru ji
बहुत बहुत सुन्दर प्रस्तुति दी आप ने जारी रखें जय हो आचार्य जी सादर प्रणाम बहुत ही अच्छी जानकारी दी आप ने समझाया हर हर महादेव ॐ नमः शिवाय 🚩🔱🌞🔱🚩🙏🙏🙏
😢
ओम् नमस्ते आचार्य जीं जय सनातन
અતમાઓરપરમબેજહ જયગુરુદેવ
Aacharya ji aapki Vani
Good work Lge rho Hoge kamyab ek din ❤✅️🕉💯🙏
Ram
भगवान के दैवीय गुण इंसानों को देवता बना देते हैं। लेकिन भगवान नहीं।😊
ओ३म्
अपने जीवन का उत्थान करना चाहते हैं तो प्रतिदिन स्वयं का अवलोकन करते रहना चाहिए ताकि अपने अवगुणों व दोषों को दूर करके सद्गुणों की वृद्धि की जा सके ! आत्मावलोकन करते रहना ही श्रेयस्कर होता है..!
Nakshastra hamare liye kya karte hain? Please aap se sampark karne ka way batayen.
आचार्य जी जो कोई ना समझा सका वो आपने समझाया आपको नमन है शत शत
જયગુરુદેવ
O...m Namskar hawan ka video dal dijiyega
Jai daya nand Sarasvati ji Maharaj ki Jai 🙏🙏🙏🙏
आचार्य जी क्या मनुष्य देवता या भगवान बन सकता है?
भगवान तो एक ही है आदमी भगवान कैसे बन जायेगा
एक विनम्र सूचना है, बहुत ज्यादा स्पष्टीकरण देने की वजेसे व्हिडिओ लंबा हो रहा है.. पॉइंट पॉइंट से बात होगी तो कम समय में जादा ज्ञान मिलेगा
Yes I felt the same 😂
Bhai sahab TH-cam wale aapka video Achcha hai lekin bahut lamba hai Ham to sirf ek hi mante Hain Ki Bhagwan Shiv parampita Parmatma Parmeshwar hai
Vedome to bahot rushione devtaoki stutiya kahi hai likhi hai
Bhai sahab aapke Dayanand Saraswati Mane Ya Na Mane Ishwar Ek Bhagwan Shiv Parmatma Parmeshwar
आचार्य प्रमोद कृष्णम सच न बोलने का दण्ड युधिष्ठिर को भी मिला था----कुतर्क अस्वीकार हैं😂🕉️🚩🇮🇳
Tulsi das ki chaupai sahi hai agar samchha jaay tab
☪️hut
Guru ji bahot log kahte hai ki agar 33 karor devta the to bhart gulam kyo ho gaya tha
33 करोड़ देवी देवता नही होते है आर्ष ग्रंथों में दिए गए शब्दो का अर्थ पता होना चाहिए कौन सा कहा प्रयोग करना चाहिए इसके लिए वेदादि शास्त्रो को पढ़ने के लिए होते है उन्हें पड़े बिना शास्त्रो को समझ नही सकते है और केवल वैदिक गुरुकुल के आचार्य के सानिध्य में ही शास्त्रो को का अध्ययन करना चाहिए
दस प्रकार गुण होनेसे कोईभी भगवान बन सकता है । सबमे ईश्वर अर शेतान रहता है । तुम्हारे अन्दर घमंड रहेगा तो, तुम्हारे ईश्वर बेहोश हो जाएगा । सीमा पार करनेसे सत्य अर सत्य नेही रहते। बेदको कितना जाना है ? दयानन्द जी थोड़ासा हि जान पायाथा।
तेरे जैसे महा मूर्खों की जरूरत नहीं है
Agar tada nahi jayega to surasti me gadar much jayga banduo
जब अंबेडकर ने बौद्ध मत अपनाया तब आर्य समाजी लोगो ने उन्हें समझाया क्यौ नही
Donkey ko koi nhi samja skta. Jo akal mand hoote hain jaise swami shraddhanad jo pehle atheist the phir arya samaji bn gye unko samjaya jaa skte hain
Ram