आदरणीय महोदय जी, सादर प्रणाम, आपका कहना बिल्कुल सही है , सरकारी कर्मचारियों के प्रतिनिधि भी केवल कामचोरी को ही बढ़ावा देते हैं। किसी भी कार्यालय में जाओ तो शुक्रवार को दोपहर के बाद से लेकर सोमवार को दोपहर बाद तक कोई भी अधिकारी अपनी कुर्सी पर मिलते ही नहीं । भूपेश बघेल जी का 5 दिनों का सप्ताह वाला निर्णय केवल वाहवाही लूटने का तरीका था , आज छत्तीसगढ़ या भारत इतना समृद्ध या विकसित नहीं हुआ है कि यहां 5 दिनों का सप्ताह लागू किया जावे। विकसित देशों में भारत जितनी छुटियां मिलती है उससे तीन चार गुना छुटिया भारत में मिलती हैं उसके बावजूद 5 दिनों का सप्ताह लागू करना प्रदेश के हित में बिल्कुल भी नहीं है। छत्तीसगढ़ की उम्र अभी केवल 24 वर्ष है , विकास की अपार संभावनाएं हैं आम जनता और कर्मचारियों को आलसी और कामचोर बनाना उचित नहीं।
आपकी बातें , और बातों को बोलने का तरीका एकदम शानदार है सुनील सर , अगर मेरे पास समय की पाबंदी न होती तो मैं दिनभर आपको सुन देता...........मेरे को इतना बढ़िया लगता है आपका बोलना और बोलने का तरीका......................
ईमानदारी आ जाए किसी तरह , सभी राजनीतिक लोगों में , शासकीय कर्मचारियों , अधिकारियों में...............देश बहुत आगे निकल जाएगा , पर ईमानदारी होनी ही चाहिए सभी में
ये बातें पत्रकारों पर भी लागू होता है, लोकतंत्र के चौथे स्तंभ होते है , स्वतंत्रता आंदोलन में इनकी अहम योगदान था पर वर्तमान में सरकार के दल्ले,पैसा उगाही का माध्यम हो गए है रोड देश के खराब , गढ़ों पर पत्रकारिता नहीं, शिक्षा, अस्पताल व्यस्था ठप्प इस तरह सभी विभागों का हाल है इन पर न्यूज नहीं हफ्ते में एक नहीं तो महीने में एक बार तो एक बार दिखाते बस सरकार के चमचे हो गए है,जिसको लोग देखेंगे वो उसको दिखाना है ऊंचे लोगों के लिए है पत्रकारिता करना जमीन स्तर कब राज्य स्तर का न्यूज बनेगा सच्ची पत्रकारिता कब होगी स्थिति बहुत दुखद है
150 करोड़ जनसंख्या के हिसाब से बहुत कम सरकारी नौकर है,इतना लोड संभालना मुश्किल है,कामचोरी होगी ही।। अमेरिका में 1000 लोगों के पीछे 92 सरकारी कर्मचारी है और भारत में सिर्फ 3।।।।
बहुत उचित बात कही है आपने सर मै भी प्राइवेट जॉब करता हु पच्चीस वर्किंग डे में सिर्फ दस मिनट लेट माफ किया जाता है सोलह मिनट होने पर हॉफ डे सैलरी काट ली जाती है । ऐसा नियम सरकार लागू कर दे तो सरकारी कर्मियों को आधी वेतन भी नहीं मिलेगी।
pahle ki vyavastha thik thi.Mahine me do shainiwar ki chhutti .jo log samay se nahi aane ke aadi hai we hafte me tin din ki chhutti hone par bhi samay par nahi aayenge.I think so
Tumari patrakarita ki pole koun khole ga godi midia ka nam suns hai? Paisa kha ker pure desh ko galat khane dikha rha hai. Inko jar sudar.inka photo bheju kya.
BJP valo se sagrah kriye ki dhnivar ki chhuttiya rdd kr de ye log bhut kamchor ho gye hairajsv vibhag me ptwari croro ke malik hote hai adhikariyo ki bat to puchho mt
सुनील जी आपके सारे सवालों के जवाब जायज़ हैं । पर आपको यह सवाल करना चाहिये की जैसे ऑफिस आने का समय निर्धारित है वैसे ही ऑफिस से जाने का समय भी निर्धारित है । आप पता करियेगा कि इंद्रावती भवन के कई विभाग के कई employee शाम तो छोड़िए रात को कितने बजे तक बैठकर काम करने को लाचार हैं । सरकार को ऑफिस ने निकालने के समय पर कड़ाई करनी चाहिये । कोई भी शाम को पाँच बजकर एककत्तीस मिनट पर ऑफिस में निकलता बने इसकी भी तो व्यवस्था करनी चाहिये । और आप जो यह कह रहे हैं ना की लोग बारह बजे ऑफिस आते हैं तो अफसरों से यह भी पूछिये की वे चार लाइन के लेटर के व्याकरण में कितनी पर संशोधन करवाते हैं । मेरे ख्याल से जितने समय एक लेटर को संशोधित करने में समय लगता है उससे के बहुत कम समय के लिए कोई ऐसा होगा जो एक घंटे विलंब से ऑफिस पहुंचता है ।
आप का कहना सही है, कर्मचारियों कि ऐसी मानसिकता के लिए कौन-कौन जिम्मेदारहै, ठेकेदारी प्रथा,कि ओर हमारा सिस्टम जा रहा है,
सुनील साहब बिल्कुल सही बोल रहे है।
Bahut hi shandar vivechana sir ji
Bahut sundar vichar ❤
आदरणीय महोदय जी, सादर प्रणाम, आपका कहना बिल्कुल सही है , सरकारी कर्मचारियों के प्रतिनिधि भी केवल कामचोरी को ही बढ़ावा देते हैं। किसी भी कार्यालय में जाओ तो शुक्रवार को दोपहर के बाद से लेकर सोमवार को दोपहर बाद तक कोई भी अधिकारी अपनी कुर्सी पर मिलते ही नहीं । भूपेश बघेल जी का 5 दिनों का सप्ताह वाला निर्णय केवल वाहवाही लूटने का तरीका था , आज छत्तीसगढ़ या भारत इतना समृद्ध या विकसित नहीं हुआ है कि यहां 5 दिनों का सप्ताह लागू किया जावे। विकसित देशों में भारत जितनी छुटियां मिलती है उससे तीन चार गुना छुटिया भारत में मिलती हैं उसके बावजूद 5 दिनों का सप्ताह लागू करना प्रदेश के हित में बिल्कुल भी नहीं है। छत्तीसगढ़ की उम्र अभी केवल 24 वर्ष है , विकास की अपार संभावनाएं हैं आम जनता और कर्मचारियों को आलसी और कामचोर बनाना उचित नहीं।
कलेक्टर का काम सिर्फ उगाही कर के मंत्री तक पहुंचाना ही है??
Sahmt
भ्रष्टाचार का मुख्य कारण यही है🙃
आपकी बातें , और बातों को बोलने का तरीका एकदम शानदार है सुनील सर , अगर मेरे पास समय की पाबंदी न होती तो मैं दिनभर आपको सुन देता...........मेरे को इतना बढ़िया लगता है आपका बोलना और बोलने का तरीका......................
जाँच सिर्फ दिखावा सभी विभाग को प्राईवेटकरण कर दिया जाना चाहिए क्योंकि हर विभाग में कामचोर एवं घूसखोरी भरे है
ईमानदारी आ जाए किसी तरह , सभी राजनीतिक लोगों में , शासकीय कर्मचारियों , अधिकारियों में...............देश बहुत आगे निकल जाएगा , पर ईमानदारी होनी ही चाहिए सभी में
ये बातें पत्रकारों पर भी लागू होता है,
लोकतंत्र के चौथे स्तंभ होते है , स्वतंत्रता आंदोलन में इनकी अहम योगदान था
पर वर्तमान में सरकार के दल्ले,पैसा उगाही का माध्यम हो गए है रोड देश के खराब , गढ़ों पर पत्रकारिता नहीं, शिक्षा, अस्पताल व्यस्था ठप्प इस तरह सभी विभागों का हाल है इन पर न्यूज नहीं हफ्ते में एक नहीं तो महीने में एक बार तो एक बार दिखाते
बस सरकार के चमचे हो गए है,जिसको लोग देखेंगे वो उसको दिखाना है ऊंचे लोगों के लिए है पत्रकारिता करना
जमीन स्तर कब राज्य स्तर का न्यूज बनेगा
सच्ची पत्रकारिता कब होगी
स्थिति बहुत दुखद है
बहुत बढ़िया सर जी अधिकांश टीचर्स तो लेट आते हैं जल्दी भागने के प्रयास भी रहते हैं
150 करोड़ जनसंख्या के हिसाब से बहुत कम सरकारी नौकर है,इतना लोड संभालना मुश्किल है,कामचोरी होगी ही।।
अमेरिका में 1000 लोगों के पीछे 92 सरकारी कर्मचारी है और भारत में सिर्फ 3।।।।
औपचारिक रूप से भले ही सरकारी कार्यालयों में पांच दिन का सप्ताह हो मगर कमाऊ विभाग के
कर्मचारी /अधिकारी यूँ भी..सप्ताह में 90 घंटे काम करते हैं😊😊
शानदार रिपोर्ट
बहुत उचित बात कही है आपने सर मै भी प्राइवेट जॉब करता हु पच्चीस वर्किंग डे में सिर्फ दस मिनट लेट माफ किया जाता है सोलह मिनट होने पर हॉफ डे सैलरी काट ली जाती है ।
ऐसा नियम सरकार लागू कर दे तो सरकारी कर्मियों को आधी वेतन भी नहीं मिलेगी।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति .सरकारी कर्मचारी तो ऑफिस आने के लिए वेतन कमाते हैं लेकिन रिश्वत देना पड़ेगा
बायोमेट्रिक अनिवार्य करे
Cgpsc ghotale pr v ek detailed video bnaye again.
Demanding cancellation of all psc recruitment by sonwani by proper inquiry
Sir koi portal hai kya jisme time pr n aane ki shikayat ki jaa sake
शानदार और जोरदार
Samay per koi nahi pahuch payenge officer apne office me
प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारी कर्मचारि कम बंधुआ मजदूर ज्यादा है
pahle ki vyavastha thik thi.Mahine me do shainiwar ki chhutti .jo log samay se nahi aane ke aadi hai we hafte me tin din ki chhutti hone par bhi samay par nahi aayenge.I think so
Office office achha seriyal hai
हर कोई नही होते इस टाइप के
Hr kisi ke liye thodi bola jo baiman hai uske liye hai
Sunil ji aapka title bilkul stik hai
Sunil ji sadar pranam
Naukari hai kaha sir ji
BJP valo se sagrah kriye ki dhnivar ki chhuttiya rdd kr de ye log bhut kamchor ho gye hai
Ye log chor hote hai
Tumari patrakarita ki pole koun khole ga godi midia ka nam suns hai? Paisa kha ker pure desh ko galat khane dikha rha hai. Inko jar sudar.inka photo bheju kya.
Vetan ghatao naya rojgar banao
BJP valo se sagrah kriye ki dhnivar ki chhuttiya rdd kr de ye log bhut kamchor ho gye hairajsv vibhag me ptwari croro ke malik hote hai adhikariyo ki bat to puchho mt
सुनील जी आपके सारे सवालों के जवाब जायज़ हैं । पर आपको यह सवाल करना चाहिये की जैसे ऑफिस आने का समय निर्धारित है वैसे ही ऑफिस से जाने का समय भी निर्धारित है । आप पता करियेगा कि इंद्रावती भवन के कई विभाग के कई employee शाम तो छोड़िए रात को कितने बजे तक बैठकर काम करने को लाचार हैं । सरकार को ऑफिस ने निकालने के समय पर कड़ाई करनी चाहिये । कोई भी शाम को पाँच बजकर एककत्तीस मिनट पर ऑफिस में निकलता बने इसकी भी तो व्यवस्था करनी चाहिये । और आप जो यह कह रहे हैं ना की लोग बारह बजे ऑफिस आते हैं तो अफसरों से यह भी पूछिये की वे चार लाइन के लेटर के व्याकरण में कितनी पर संशोधन करवाते हैं । मेरे ख्याल से जितने समय एक लेटर को संशोधित करने में समय लगता है उससे के बहुत कम समय के लिए कोई ऐसा होगा जो एक घंटे विलंब से ऑफिस पहुंचता है ।