Tecnical Ahmad 01
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วีดีโอ

शाहदाना वली के कुल में दिखा रूहानियत का नज़ारा
มุมมอง 22719 ชั่วโมงที่ผ่านมา
हज़रत शाहदाना वली अलैहिर्रहमा - एक परिचय मरकज़े अहलेसुन्नत बरेली शरीफ़ बहुत ही ख़ूबियों का हामिल शहर है इस शहर में जहाँ इमामे अहलेसुन्नत आलाहज़रत फ़ाज़िले बरेलवी अलैहर्रहमा आराम फ़रमा हैं वहीं एक बहुत ही अज़ीम शख़्सियत हज़रत शाहदाना वली अलैहिर्रहमा भी आराम फ़रमा हैं जिन्होंने हक़ की हिमायत का फ़रीज़ा अन्जाम देते हुये बातिल ताक़तों का मुक़ाबला करते हुये उन्का क़िला क़मअ़ कर दिया था। हज़रत शाहदाना वली अलैहिर्रहमा क...
क़ुतुब मीनार का वो इतिहास जो आप को नहीं होगा पता #qutubminar #trevel #delhi #mughal
มุมมอง 8814 วันที่ผ่านมา
यह मीनार भारत में ही नहीं बल्कि विश्‍व की बेहतरीन स्‍मारक है। दिल्‍ली के पहले मुस्लिम शासक कुतुबुद्धीन ऐबक ने 1200 ई. में इसके निर्माण कार्य शुरु कराया किन्‍तु वे केवल इसका आधार ही पूरा कर पाए थे। इनके उत्‍तराधिकारी अल्तमश ने इसकी तीन मंजिलें बनाई और 1368 में फिरोजशाह तुगलक ने पांचवीं और अंतिम मंजिल बनवाई थी।
बरेली शरीफ में निकला जुलूस ए मोहम्मदी Bareilly Sharif me nikla juloose mohaammadi
มุมมอง 49หลายเดือนก่อน
बरेली शरीफ में निकला जुलूस ए मोहम्मदी Bareilly Sharif me nikla juloose mohaammadi
टीले वाली मस्जिद में 40 मुस्लिम क्रांतिकारियों ने अपने वतन के खातिर दीं थीं शहादत
มุมมอง 71หลายเดือนก่อน
देश की आजादी में लखनऊ ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। रेजीडेंसी हो, दिलकुशा कोठी या फिर मोती महल। न जाने शहर की कितनी ही ऐतिहासिक इमारतों में क्रांतिकारियों ने अंग्रेजी हुकूमत से मोर्चा लिया और उनको करारी शिकस्त दी। शहर की इन्हीं इमारतों में एक है पक्का पुल के पास गोमती नदी के किनारे बनी टीले वाली मस्जिद, जो आज भी स्वतंत्रता संग्राम की गवाह है। मस्जिद परिसर में लगे इमली के पेड़ पर करीब 40 क्रांतिक...
Lucknow to Delhi trevel VILOG लखनऊ से दिल्ली यात्रा VILOG(2)
มุมมอง 43หลายเดือนก่อน
Lucknow to Delhi trevel VILOG लखनऊ से दिल्ली यात्रा VILOG(2)
अंग्रेजों ने कि थी इस मस्जिद मे बेहुरमती आसिफी मस्जिद #lucknowलखनऊ
มุมมอง 104หลายเดือนก่อน
असाफी मस्जिद का निर्माण सन 1783 में असफ-उद-दौला ने करवाया। इसके निर्माण के लिए काफी सामग्री यूरोप से मंगवाई गई थी। मस्जिद के निर्माण में लोहे का इस्तेमाल नहीं किया गया है और ना ही इसमें कोई बीम है। क्यों बनी यह मस्जिद माना जाता है कि एक दशक से भी ज्यादा समय तक अवध के लोग अकाल की चपेट में थे। इसी अकाल और भुखमरी से जनता को निजात दिलाने के लिए नवाब ने असाफी मस्जिद का निमार्ण करवाना शुरू किया जिससे...
नवाब ने अपनी विलायती बेगम के लिए बनवा डाली एक शानदार कोठी विलायती बाग लखनऊ #lucknow_india
มุมมอง 298หลายเดือนก่อน
लखनऊ जिले में नवाबों के मोहब्बत का गवाह रहा विलायती बाग कई इतिहास को समेटे है. यह बाग अवध के नवाब गाजी उद्दीन हैदर ने 1814 में अपनी प्रिय यूरोपिय पत्नी के लिए बनवाया था. 1857 की क्रांति में यह क्षतिग्रस्त हो गया.
1858 की क्रांति से पहले कुछ इस तरह दिखाई देती थी दिलकुशा कोठी #dilkhushakothi #lucknow_india
มุมมอง 81หลายเดือนก่อน
अवध में स्वतंत्रता क्रांति में दिलकुशा कोठी का भी अपना इतिहास रहा है। नवाब सआदत अली खां ने 1789 से 1814 के बीच इसका निर्माण कराया था। पेड़ पौधों से घिरी यह कोठी अंग्रेजों की आरामगाह के रूप में इस्तेमाल होती थी। अवध में क्रांति का बिगुल बज चुका था और चार मार्च 1858 में दिलकुशा कोठी में अंग्रेजों के साथ क्रांतिकारियों ने युद्ध किया था। युद्ध के दौरान यह कोठी तहस-नहस हो गई थी। वर्तमान समय में यह क...
रूमी दरवाज़ा #rumidarwaza #husenabad #nawabokashahar #lucknow_india
มุมมอง 99หลายเดือนก่อน
लखनऊ में बड़ा इमामबाड़ा की तर्ज पर ही रूमी दरवाजे का निर्माण भी अकाल राहत प्रोजेक्ट के अन्तर्गत किया गया है। नवाब आसफउद्दौला ने यह दरवाजा 1784-86 ई. में अकाल के दौरान बनवाया था ताकि लोगों को रोजगार मिल सके। अवध वास्तुकला के प्रतीक इस दरवाजे को तुर्किश गेटवे कहा जाता है।
छोटा इमामबाड़ा: लखनऊ की नवाबी विरासत का एक रत्न
มุมมอง 129หลายเดือนก่อน
छोटा इमामबाड़ा 1838 में अवध के तीसरे नवाब मुहम्मद अली शाह ने अपने मकबरे के रूप में बनवाया था। वह एक ऐसा स्मारक बनाना चाहते थे जो बड़े इमामबाड़े की भव्यता और वैभव से मुकाबला कर सके, जिसे उनके दादा, अवध के चौथे नवाब आसफ-उद-दौला ने बनवाया था। मुहम्मद अली शाह का इरादा लखनऊ के लोगों को रोजगार और राहत प्रदान करना भी था, जो उस समय अकाल से पीड़ित थे। उन्होंने छोटा इमामबाड़ा बनवाने के लिए हज़ारों कारीगर...
लखनऊ में छिपी है‘भूल भुलैया जिसकी दीवारों के भी हैं कान बिन गाइड के गए तो वापस लौट पाना होगा मुश्किल
มุมมอง 96หลายเดือนก่อน
नवाबों का शहर लखनऊ जितना खूबसूरत है, उतनी ही मजेदार यहां की जगहें हैं, जो विश्वभर के लोगों को हर साल और हर महीने आकर्षित करती हैं। एक ऐसी ही जगह यहां स्थित है, जो 200 साल पुरानी है, जिसे दुनियाभर में काफी लोकप्रियता मिली हुई है। जी हां, हम बात कर रहे हैं, यहां की भूल भुलैया की, जो पर्यटकों से हमेशा भरी रहती है। ये भूल भुलैया बड़ा इमामबाड़ा के अंदर बनी हुई है। आपको बता दें, ये जगह अपने में इतनी अन...
लखनऊ की शान कहे जाने वाले इमामबाड़े का जानिए इतिहास और रोचक कहानी
มุมมอง 138หลายเดือนก่อน
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित बड़ा इमामबाड़ा यहां के प्रमु ऐतिहासिक स्थलों में से एक है.इसका निर्माण 1784 ई. में अवध के नवाब आसफ-उद-दौला द्वारा कराया गया था ताकि लोगों को रोजगार मिल सके क्योंकि लखनऊ में अकाल पड़ गया था. सुबह इसका निर्माण कार्य शुरू होता था और रात में इसको गिरा दिया जाता था.इसे नवाब की कब्र के लिए आसफी इमामबाड़ा और भ्रामक रास्‍तों के कारण भूल-भुलैया भी कहा जाता है.गोमती न...
मजलिसे चेहल्लुम बाड़ा इमामबाड़ा लखनऊ
มุมมอง 252 หลายเดือนก่อน
मजलिसे चेहल्लुम बाड़ा इमामबाड़ा लखनऊ #mjlis #lucknow #husenabad #hazratganj_lucknow #islamicstatus
Ashra e majlis 1446 hijri 2024 काला इमाम बाड़ा बरेली
มุมมอง 393 หลายเดือนก่อน
बरेली: अजादारी और इमाम हुसैन की याद का गवाह शहर में छीपी टोला का बेहद कदीमी इमामबाड़ा फतेह अली शाह मारूफ उर्फ काला इमामबाड़ा के नाम से जाना जाता है, जिसे दो सौ अठारह साल पहले अवध के नवाब आसिफउद्दौला ने तामीर कराया था। इमामबाड़े की खासियत यह है कि यहां इराक में कर्बला से आयी जरी मौजूद है। उस पर कुरआन की आयत लिखी हैं। इमामबाड़े का गेट तीस फीट ऊंचा है। इमामबाड़े में तीन हिस्से हैं। जिसमें सबसे अंदर इमा...
Bareilly News: अकीदत के साथ निकला आठवीं मुहर्रम का जुलूस
มุมมอง 5873 หลายเดือนก่อน
Bareilly News: अकीदत के साथ निकला आठवीं मुहर्रम का जुलूस
बरेली: खानकाह-ए-नियाज़िया से हुसैनी नारों के साथ निकला ऐतिहासिक जुलूस
มุมมอง 2883 หลายเดือนก่อน
बरेली: खानकाह-ए-नियाज़िया से हुसैनी नारों के साथ निकला ऐतिहासिक जुलूस