कथा संस्कृति KAMLESHWAR UNIT 1 कथा विचार CHAPTER 3 ग्रीक पुराण कथाओं की भूमिका UGC/NET

แชร์
ฝัง
  • เผยแพร่เมื่อ 20 ต.ค. 2024
  • KATHA SANSKRITI BY KAMLESHWAR UNIT 1 कथा विचार CHAPTER 3 ग्रीक पुराण कथाओं की भूमिका UGC/NET
    FOLLOW US ON INSTAGRAM
    ...
    FOLLOW US ON FACEBOOK
    / chunindaakahaniya
    कमलेश्वर (६ जनवरी१९३२-२७ जनवरी २००७) हिन्दी लेखक कमलेश्वर बीसवीं शती के सबसे सशक्त लेखकों में से एक समझे जाते हैं। कहानी, उपन्यास, पत्रकारिता, स्तंभ लेखन, फिल्म पटकथा जैसी अनेक विधाओं में उन्होंने अपनी लेखन प्रतिभा का परिचय दिया। कमलेश्वर का लेखन केवल गंभीर साहित्य से ही जुड़ा नहीं रहा बल्कि उनके लेखन के कई तरह के रंग देखने को मिलते हैं। उनका उपन्यास 'कितने पाकिस्तान' हो या फिर भारतीय राजनीति का एक चेहरा दिखाती फ़िल्म 'आंधी' हो, कमलेश्वर का काम एक मानक के तौर पर देखा जाता रहा है। उन्होंने मुंबई में जो टीवी पत्रकारिता की, वो बेहद मायने रखती है। 'कामगार विश्व’ नाम के कार्यक्रम में उन्होंने ग़रीबों, मज़दूरों की पीड़ा-उनकी दुनिया को अपनी आवाज़ दी। कमलेश्वर की अनेक कहानियों का उर्दू में भी अनुवाद हुआ है।
    कमलेश्वर का जन्म ६ जनवरी १९३२ को उत्तरप्रदेश के मैनपुरी जिले में हुआ। उन्होंने १९५४ में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य में एम.ए. किया। उन्होंने फिल्मों के लिए पटकथाएँ तो लिखी ही, उनके उपन्यासों पर फिल्में भी बनी। 'आंधी', 'मौसम (फिल्म)', 'सारा आकाश', 'रजनीगंधा', 'मिस्टर नटवरलाल', 'सौतन', 'लैला', 'रामबलराम' की पटकथाएँ उनकी कलम से ही लिखी गईं थीं। लोकप्रिय टीवी सीरियल 'चन्द्रकांता' के अलावा 'दर्पण' और 'एक कहानी' जैसे धारावाहिकों की पटकथा लिखने वाले भी कमलेश्वर ही थे। उन्होंने कई वृतचित्रों और कार्यक्रमों का निर्देशन भी किया।
    १९९५ में कमलेश्वर को 'पद्मभूषण' से नवाज़ा गया और २००३ में उन्हें 'कितने पाकिस्तान'(उपन्यास) के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वे 'सारिका' 'धर्मयुग', 'जागरण' और 'दैनिक भास्कर' जैसे प्रसिद्ध पत्र-पत्रिकाओं के संपादक भी रहे। उन्होंने दूरदर्शन के अतिरिक्त महानिदेशक जैसा महत्वपूर्ण दायित्व भी निभाया। कमलेश्वर ने अपने ७५ साल के जीवन में १२ उपन्यास, १७ कहानी संग्रह और क़रीब १०० फ़िल्मों की पटकथाएँ लिखीं।
    कमलेश्वर की अंतिम अधूरी रचना अंतिम सफर उपन्यास है, जिसे कमलेश्वर की पत्नी गायत्री कमलेश्वर के अनुरोध पर तेजपाल सिंह धामा ने पूरा किया और हिन्द पाकेट बुक्स ने उसे प्रकाशित किया और बेस्ट सेलर रहा।[1] २७ जनवरी २००७ को उनका निधन हो गया।
    Munshi premchand ki kahani - gharjamai
    • gharjamai kahani munsh...
    Yashpal ki kahani - parda
    • HINDI KAHANI : PARDA (...
    Jaishankar Prasad ki kahani - CHUDIWALI
    • chudiwali kahani ( जय...
    Jaishankar Prasad ki kahani - bhikharin
    • HINDI KAHANIYA : भिखार...
    Munshi premchand ki kahani - samasya
    • HINDI KAHANI : कहानी :...
    Munshi premchand ki kahani - thakur ka kuan
    • thakur ka kuan premcha...
    Jaishankar Prasad ki kahani - gram
    • HINDI KAHANI : कहानी :...
    Munshi premchand ki kahani - jaadu
    • HINDI KAHANI : कहानी :...
    Munshi premchand ki kahani - kaushal
    • kaushal by munshi prem...
    Amrita pritam ki kahani - shah ki kanjri
    • shah ki kanjari #amri...
    Amrita pritam ki kahani - jangli booti
    • Video
    Phanishwar nath renu ki kahani - thes
    • #hindikahani : thes ka...
    Subhadra kumari chauhan ki kahani - tangewala
    • HINDI KAHANI ; तांगेवा...
    Mohan Rakesh ki kahani - aparichit part 2
    • HINDI KAHANI (अपरिचित)...
    Mohan Rakesh ki kahani - aparichit part 1
    • HINDI KAHANI : अपरिचित...
    GULZAR ki kahani - dhuan
    • HINDI KAHANI : धुआँ ( ...
    Phanishwar nath renu ki kahani - PANCHLIGHT
    • HINDI KAHANI : पंचलाईट...
    Phanishwar nath renu ki kahani - jaiv
    • HINDI KAHANI : जैव फणी...
    Yashpal ki kahani - phoolo ka kurta
    • HINDI KAHANI : फूलो का...
    Amrita pritam ki kahani - Pancho kunwariya
    • HINDI KAHANI : पाँचो क...
    Amrita pritam ki kahani - ek andhera Kona
    • HINDI KAHANI : (एक अंध...
    #kamleshwar #upsc #net #kathasanskriti

ความคิดเห็น • 10