[16] - पुष्यमित्र शुंग और उनके उत्तराधिकारियों का इतिहास | शुंग वंश का सम्पूर्ण इतिहास |
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इस वीडियो में शुंग वंश का सम्पूर्ण इतिहास विस्तार से बताया गया है वैसे तो शुंग वंश इतिहास ज्यादा ग्रंथों में नहीं मिलता है परन्तु कुछ ग्रंथों में शुंग वंश का इतिहास मिलता है जैसे - बौद्ध ग्रन्थ दिव्यावदान, कालिदास के मालविकाग्निमित्र ग्रन्थ, बाणभट्ट के हर्षचरित्र ग्रन्थ आदि | शुंग वंश के पहले राजा पुष्यमित्र शुंग थे जिन्होंने 185 ई. पू. में मौर्य वंश के अंतिम राजा वृहद्रथ की हत्या कर मगध का सिंहासन हासिल किया था परन्तु 73 ई. पू. में शुंग वंश के अंतिम राजा भवभूति की हत्या उनके ही मंत्री वासुदेव के द्वारा कर दी गई थी यानि जिस तरह शुंग वंश की शुरुआत हुई थी ठीक उसी तरह शुंग वंश का अंत हुआ था |
शुंग वंश के राजा और उनका शासनकाल
1.पुष्यमित्र शुंग [185 - 149 ई. पू.]
2.अग्निमित्र [149 - 141 ई. पू.]
3.सुज्येष्ठ [141 - 133 ई. पू.]
4.वसुमित्र [133 - 123 ई. पू.]
5.अन्ध्रक [123 - 121 ई. पू.]
6.पुलिन्दक [121 - 118 ई. पू.]
7.घोष [118 - 116 ई. पू.]
8.वज्रमित्र [116 - 114 ई. पू.]
9.भागभद्र [114 - 82 ई. पू.]
10.भवभूति [82 - 73 ई. पू.]
In this video, the entire history of the Sunga dynasty is explained in detail, although the history of the Sunga dynasty is not found in many texts in some texts, the history of the Sunga dynasty is found such as - Buddhist text Divyavadaan, Malavikagnimitra book of Kalidasa, Harshacharitra book of Banabhatta, etc. | The first king of the Sunga dynasty was Pushyamitra Sunga who ruled in 185 BC. In the last king of the Maurya dynasty, Vrhadrath was killed and achieved the throne of Magadha, but in 73 BC. In the last king of the Sunga dynasty, Bhavabhuti was killed by his own minister Vasudeva, that is, the way the Sunga dynasty started, just as the Sunga dynasty came to an end.
King of Sunga dynasty and his reign
1. Pushyamitra Sunga [185 - 149 BC]
2. Agnimitra [149 - 141 BC]
3.Sujyeshtha [141 - 133 BC]
4. Vasumitra [133 - 123 BC]
5. Andhra [123 - 121 BC]
6. Pulindak [121 - 118 BC]
7. Ghosh [118 - 116 BC]
8. Vajramitra [116 - 114 BC]
9. Bhagabhadra [114 - 82 BC]
10. Bhavabhuti [82 - 73 BC]
#शुंगवंशकाइतिहास #पुष्यमित्रशुंगकाइतिहास
#Sungadynasty #Sungadynastyhistory
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जब अयोध्या को पहली बार पुष्यमित्र शुंग ने ही बसाया था तब तो यह पुख्ता सबूत है कि अयोध्या के राजा राम और उनकी रामायण की रचना पुष्यमित्र शुंग के बहुत बाद में हुई।
अगर साकेत का नाम बदल कर ही पुष्यमित्र शुंग अयोध्या रखा था..तो दशरथ और राम अयोध्या के राजा कैसे हुये जिसका प्रचार दिन रात कीया जाता है? क्या इसका अर्थ यह है कि राम ही पुष्यमित्र शुंग थे?
रामायण एक किस्सा कहानी है, फिर इसको एक काल्पनिक कथा मे गढ़ कर रामायण में तब्दील कर दिया गया है।न राम पैदा हुआ है, और न सतयुग, त्रेता, द्रापर आदि है।।।
पुष्यमित्र बौद्धओ का दुश्मन था जो बाद में डर के कारण अपना नाम राम रखलिया और अयोध्या का मतलब ओर सरयू का नाम का अर्थ क्या है जब पुष्यमित्र ने बौद्ध क सर काट देने का घोषणा की ओर उशी सरयू में डाला गया और अयोध्या में खुदाई के वख्त राम की नही बौद्ध के अवसेस मिले जिसे सरकार ने उसे दबा दिया
सारे प्रश्न स्वयं ही उत्तर बन जाएंगे जब बौद्ध धम्म को सनातन की ही एक धम्म मान लेते हैं तो,और सबसे अच्छी बात ये लगी की शुंग वंश को कंड वंश ने ठीक वैसे ही खत्म किया जैसे कि शुंग वंश ने मौर्य वंश और मौर्य वंश ने भी किसी को ऐसे ही ख़त्म किया था तो ये उस समय तख्ता पलट का एक तरीका था बस ,जो कि आज भी कुछ कट्टर पंथी देशों में दिखता है...✍️
Video में जब जम्बू द्वीप का जिक्र कर ही दिया तो सुंग वन्स को विदेसी आर्य भी बता देना था और यह भी बता देना था कि जम्बूद्वीप के मूलनिवासी sc st obc के लोग है
विदेशी आर्य शुंग वंश था या नहीं यह तो पता नहीं है लेकिन इतना पता है कि जो यु ची जनजाति मध्य एशिया से इंडिया में आई थी वह आज चेची गुर्जर है और जो कुषाण जनजाति आई थी वह आज कसाना गुर्जर है इससे ज्यादा सबूत मैं भी नहीं दे सकता भाई साहब बड़ी रिसर्च की थी इसके लिए
सर , मेरा प्रश्न : मै समजता हूं उन दिनो वेदिक धर्म, बौद्ध धम्म, और जैन धर्म प्रचलित धर्म थे! हिंदू धर्म ऐसी संज्ञा बिलकुल नही थी!
वेदिक धर्म आगे चलके ब्राम्हण धर्म कहलाया, और, फिर मोगल काल में हिंदू धर्म ऐसी व्यख्या प्रचलित हुई!
क्या आप इस विषय पर कुछ कभी चर्चा कर सकते हो! मुझे जाणणे की उत्सुकता है!
आपने बहोत अच्छे से इस विषय को रखा, आपका धन्यवाद!🙏
जब साकेत का नाम बदल कर अयोध्या, पुष्यमित्र शुंग रखा तो राम का जन्म स्थान कहा है
क्या पुष्यमित्र शुंग मित्र ही राम है
बौद्धमय भारत में और उससे पहले भारत में कभी भी जाति व्यवस्था और वर्ण व्यवस्था नहीं रही थी। पिता और पुत्र भी अलग अलग पेशे से हो सकते थे तो भाई भाई भी अलग अलग पेशे से हो सकते थे। सबको शिक्षा व समानता का अधिकार था। शिक्षित होकर लोग अपनी काबिलियत के आधार पर पेशे का चयन करते थे। इसलिए बौद्धमय भारत के मूलनिवासी राजाओं के , व्यापारियों के, कारीगरों के, किसानों के वंशज आज के एससी, ओबीसी की लगभग सभी जातियों में पाए जाते हैं। जैन लोग ज्यादातर वैश्य बनकर हिन्दू बन गये। लेकिन जिन बौद्धों ने ब्राह्मणवाद का विरोध किया, ब्राह्मणवादी सामाजिक व्यवस्था का विरोध किया उनको अछूत बनाकर समाज से बाहर कर दिया गया और गंदगी भरे काम करने को मजबूर किया गया। बौद्ध जीव हींसा नहीं करते थे और जो काम इनको दिया गया वो सब बहुत सस्ते में कराए जाते थे जिसकी वजह से जिंदा रहने के लिए मृत पशुओं का मांस खाना शुरू किया अगर ये लोग बौद्ध धर्मी नहीं होते तो जीव हींसा की रोक नहीं होती तो मछली पकड़कर या शिकार करके ताजा मांस खाते लेकिन बौद्ध धम्म में केवल मृत जानवर का मांस खाने की ही आज्ञा है। जब तक इन बौद्धों ने चमड़े का काम किया तब तक चमड़े की वस्तुएं बहुत ही ज्यादा सस्ती होती थी लेकिन आज जब चमड़े का काम सवर्ण जातियां कर रही है तो चमड़े की वस्तुएं बहुत ही ज्यादा मंहगी हो गई है। चमार जाति को अगर वाजिब दाम दिया जाता तो चमार अमीर होते।
लोग आठवीं सदी ईस्वी के बाद शंकराचार्य व उसके अनुयायियों द्वारा स्थापित की गई जातिवादी, वर्णवादी सामाजिक व्यवस्था को ध्यान में रखते बौद्धमय भारत का इतिहास समझते हैं इसलिए गलत समझते हैं। आज की किसी भी जाति विशेष के लोग केवल खुद की जाति को शाक्य या मौर्य वंशी कहते हैं तो वो सरासर असत्य है। एससी, ओबीसी की लगभग समस्त जातियों में नंद, शाक्य, मौर्य, भग, मल्ल आदि सभी वंशजों वंशज पाए जाते हैं।
You are right.
सनातन धर्म बौद्ध धम्म है न कि हिंदू धर्म .किसी भी हिंदू ग्रंथ मे हिंदू शब्द का उल्लेख नहीं मिलता.
नमाे रत्न त्रयाय!
नमाे शाक्य मुनि बुद्धाय!
जय भीम!
जय भारतीय भुमि पुत्र मुलनिवासी!
जय ज्ञानमय बुद्ध भुमि पबित्र भारत!
जय सर्व श्रेष्ठ भारतीय संविधान!
सांची का स्तूप और भरहूत के स्तूप का जिर्णोद्धार नागवंशी सातवाहन वंश के राजाओं ने किया था।
पुष्यमित्र शुंग है आज राम है जो सम्राट अशोक के पोत्र का सेनापति था और उसने मौर्य राजा को मार कर प्रति क्रांति की थी जिसमें बहुत से बौधों को मारा गया था और अपनी राजधानी साकेत का नाम बदलकर अयोध्या रखा
पुष्य मित्र सुंग ने साकेत का नाम बदल कर अयोध्या रखा ।रामायण की अयोध्या कोन सी है ।कृपा आप जरूर बताने का कष्ट करें। कहां सतयुग और कहां 150 ईसवी पूर्व ।क्या रामायण थी या कोई नाटक लिखा गया है।
साक+खेत =कृषि कार्य हेतु स्थान
अपभ्रंश साकेत (पाली भाषा में)
इतिहास की सबसे प्रमाणिक जानकारी वाले श्रोत उत्खनन से प्राप्त होते हैं।शिलालेख,यात्रावृतांत भी सहायक होते हैं।
भवभूति अंतिम मौर्य राजा था।७३ इस्वी इसा पूर्व से नया पंचांग शुरू हुआ है। गौतमबुद्ध तथा तथा मौर्य इस साम्राज्य के पतन तक के समय को दरकिनार कर नया विक्रम संवत बनाया गया।और देश जनपद में बदल गया। ऐसे नरसंहारी लोग जिस समाज में होंगे वह अमानवीयता ही देंगे।
पुष्यमित्र शुंग का साक्ष्य भरहूत स्तुप में मिलता है उसने उसका मरम्मत करवाया था और पुनर्निर्माण करवाया था पर कोई मंदिर का निर्माण क्यों नही करवाया
84 हजार से ज्यादा बुद्ध स्तूप थे कहां गए। उल्टी-सीधी जानकारी देना बंद करो 84000 बुद्ध स्तूप के बारे में जानकारी स्पष्ट करो
पुष्यमित्र शृंग ब्राम्हण नही थे, फिर प्रती क्रांती वादी तो थे ..इतिहास बोल रहा है की बौध्द धम्म शुंग ने खतमम किया, बौध्द बिखु समता प्रस्थापित करनेवाले थे,ओर अप बता रहे हो की राज्ये स्थापित कर रहे थे,इसमे कोई तथ्य नही..
शुंग क्या भारतीय नाम ? वे किसके पुत्र थे ? मेरी समझ में वे बाहर से आए थे ।
पुष्य मित्र नाम संस्कृत है
मंदिर का निर्माण करने की क्या जरूरत है जितनी बौद्ध स्तूप बौद्ध बिहार थे उन पर कब्जा कर लिया वहां मंदिर बना दिए
थोड़ा सुधार की आवश्यकता है,
1. ये शुंग साकेत के आसपास के ही निवासी थे चुकि सम्राट असोक ने साकेत और आसपास जैसे कुशीनारा काशी में भी बौद्ध विहारों और स्तूपों का निर्माण कराया, जिस कारण सनातन धर्म को मनाने वालों की संख्या लगातार कम हो रही थी, इसके बदले के स्वरूप नियोजित तरह से मौर्य शासन के अंत का षडयंत्र रचा गया।
2. इतिहास और पुरातत्व के अवसेष से ये कहीं भी पता नही चलता कि साकेत के आसपास कही किसी प्राचीन धार्मिक स्थल थे सिवाय बौद्ध स्तूपों के, मतलब इस तरफ अन्य धर्म तो थे लेकिन उनकी इमारतों का निर्माण नही हो पाया था जैसा बौद्ध भिक्षु सक्षम थे,
वे जहाँ जाते थे वहीं चट्टानों को काटकर विहारों का निर्माण करते थे, और वृद्ध भिक्षुओ की मृत्यु के उपरांत वहीं उन्हे आन्तिम् संस्कार कर स्तूप का निर्माण करते थे।
नाम बदलने की परंपरा तो इनके खून में है
*******। पुष्यमित्र शुंग ही राम था ,। यह सत्य है ।
जो इतिहास आपने समझाया वो,,,अभ्यासपूर्ण है,,,, मानता हू इसबातको सभी लोग ये जानकारी से सहमत नहीं होगे। साकेत का नाम अयोध्या होना, ये तो बहोतही आश्चर्य की बात है। इसका मतलब ये है की रामायण बादमे लिखा है।
साकेत अयोध्या का दूसरा उपनाम है जैसे आज भी इलाहाबाद को प्रयाग कहते हैं।
भाई मुझे तो आप मनुवादी मानसिकता हे ग्रसित दिखते है,इसिलिए तो आप पुष्यमित्र शुंग को बौद्ध विरोधी ना होने कि बार बार बात कर रहे हो...!!!
मतलब पूषयमीत्र सूगके आने बाद
अखंड भारत खंड खंड हूवा
बन्धुवर, आपसे आग्रह है कि थोड़ा ज्ञानार्जन और कीजिये, क्योंकि आप पंजाब, पाकिस्तान और अफगानिस्तान नाम का कोई राज्य था ही नहीं।
वीडियो अत्याधिक महत्व पूर्ण एवं ज्ञान वर्धक लगा। प्रणाम
तथ्य पूर्ण जानकारी refrence के साथ ❤
शृंग वंशी पुष्यमित्र वैश्य वर्गसे संबंधित थे और धर्म कौणसा भी हो प्राचीन राज्यकर्ता एक दुसरे के रिश्तेदार थे !
SABKO NAVJIVAN MILE DUST SETAANSE BACHAAYE SVARGME ANANTJIVAN MILE UPARVAALE JIVIT ISVAR PRABHU YESHUNAATH SATGURUDEV
अपने राजा को पीछे से छुरा घोप कर हत्या कर दी , यही उनकी वीरता है । पुष्यमित्र शुंग को लज्जा भी नेहिं आया होगा । आखिर राज्य संभाल नहीं पाया और 2 या 3 साल में लकीर का फकीर हो गया ।
पुष्यमित्र शुंग जब शासन में थे राम नाम की कोई कथा प्रचलित प्रचलित नहीं थी ना किसी न किसी हिंदू मंदिर की छठी शताब्दी के बाद ही हिंदू मंदिरों का निर्माण शुरू हुआ तो पुष्यमित्र शुंग किस देवी देवता का मंदिर बनवाते उसके बाद काल्पनिक लोगों ने कल्पना करके
****###### ब्रह्मा , विष्णु , महेश , राम , कृष्ण इन सभी राजाओं / चमत्कारी देवो ने कितने महल / किले , बड़े- बड़े स्मारक
Agar kisi ne toda nahi to 84000 sutup kaha gaye
लेकिन सर भरहुत के किले से पंच बुद्धा की मूर्तियां मिली है
सर जी मैं तो एक जानकारी चाहता हूं क्या क्या पुष्यमित्र शुंग ही राम है
टिचर जी , क्या आपने भारहूत स्तूप पर लिखी धम्मलिपी , प्राक्रूत भाषा पढी .
१४९ BC का क्या सबूत मिला
फिर रामायण वाली अयोध्या कहा थी
दिव्यावदान श्रीलंका का ग्रंथ है जो पुश्यमित्र के १००० साल के बाद लिखा गया
ये धना का अभिलेख है जो पुश्यमित्र के म्रुत्यू के बाद ३५० साल बाद लिखा है . जहा सुंग शब्द आना जरूरी था . क्योकी सभी शुंगोने अपने आप को भारहूत स्तूप पर सुंग कहा है , मित्र शब्द नही . जैसे की पुश्यमित्र, अग्नीमित्र etc.. त्र अक्षर का अविस्कार नही हूआ था १८५ BC मे प्राक्रूत मे . उनकी राजभाषा प्राक्रूत थी ,संस्क्रूत नही .
कालिदास की किताब संस्करूत मे है , जब की classical संस्करूत भाषा बहूत ही बाद निर्माण हूई .
हमे वह सबूत चाहीये .जो पुश्यमित्र के समय है . ना की धना का अभिलेख या दिव्यावदान या कालिदास की किताब.
श्वाश्वत क्या है तो भारहूत का शुंग का स्तूप है जो उन्ही के समकालिन है , उन्होने खुद बनाया और लिखा है . बुद्ध की जिवनी है .भगवतो शब्द लिखा है जो बुद्ध को कहा है . बस उतना ही इतिहास सत्य है .
इतिहास प्राक्रूत और धम्मलिपी से भी लेना होगा . तब पढ नही सकते थे आज पढ सकते है प्राक्रूत सिखना होगा फिर सच्चा इतिहास लिखना होगा . इतिहास केवल देवनागरी किताबे पढ के पूरा नही होगा .
Pushymitra sung hi Ram hi example ....mourya bansh ke. Antim sasak ko markar satta hathyayi thi
Bahut....sunder jankari.aap ka preyas sarahneeye hae.
नमाे शाक्य मुनि बुद्धाय!
पुष्यमित्र शुंग ही राम था जिसने अपना नाम बदल कर पुष्यमित्र शुंग से राम रख लिया और संकेत का नाम बदल कर अयोध्या रख दिया अयोध्या का मतलब आयुध जहाँ युद्ध नही हुआ हो इसी ने ही अश्वमेघ यज्ञ किया राम के बाद ओर पहले किसी ने नही क्या था
To phir hnuman ji koun the Kuch bhi
Hanuman kalpnik patr tha.
++++++ रामायण एक काल्पनिक उपन्यास है ।
Jay bhim mamo budhay Jai moolnivasi Jay bharat Jay sambhidhan Jay bharat Jay vigyan.
Thank you sir 👍
Apne sir bilkul sahi jankari di h. Unbelievable knowledge sir
बेहद महत्त्वपूर्ण जानकारी
Science journey channel on utube
Episode 134 and 135
About pushyamitara shung
Unbelievable
बहुत बहुत साधुवाद..
Good morning, nice historical information, regarding killing of bhrahdradat king & moñks
Pushya mitra sung brahmin he the...maine kuch books mai pada hai
सर GK में लिखा है कि पुष्यमित्र शुंग ने ब्राह्मण साम्राज्य की स्थापना की थी इसमें क्या सच्चाई है
राम ही पुष्पमित्र सुंग थे
100%सत्य
Is there any single vedik temple created by the pushyamitara shung
अच्छा,,,,बहुत अच्छा व्हिडियो
चीन कोरिया
सुंग सीन की सब नाम आज भी है
No one is Brahmin no one sudra.our behaviour makes our real cast .
लगता है शुंग राजवंश के राजा विदेशी थे नाम के आगे जाति न लिखना
शुंग नाम भी विदेशी है
राज़ के दौरान किसी जाति विशेष को महत्व न देना
दरसाता है कि ये लोग
चीन या कोरिया के हो सकते हैं
क्यों कि
उस समय बोध धर्म इन देशों में फैला हुआ था
जब यही नही पता पुष्प मित्र शुअंग किस सम्प्रदाय का है तो क्या हिस्ट्री बताओगे
केवल क्षत्रिय राजा कोही अश्वमेध यज्ञ का अधिकार था
Nice content, nice presentation,
Thank you
Thanks sirji .,Important ye nahin ki Pushyamitra shung Raja Brahman the ki bauddh the?,ye important hain ki Hindu dharm ( sanatan/Vaidik) pushyamitra shung kaal se hi start hua hain / 8 th sentuary ke Aadi Shankaracharya se start hua hain sir ji?q ki Varna& jaatiya shung kaal ke bahot baad me milte hain unka proof 7 th se 8th,9th sentury ke baad hi bataya Jaa Raha hain to inke baare me jara inform kijie ji🙏🙏💐
Pushyamitra shrung hee RAM hai..... Usnee saket kee vihar girakar mandir bandhee thee.
बौद्ध मय भारत के बाम्हन या बमण आज के ब्राह्मणों के पूरखे नहीं दलित, पिछड़े, आदिवासी वर्गों के ही पूरखे थे। पुष्य मित्र शुंग चीनी या तिब्बती हो सकता है क्योंकि शुंग, कुंग, पुंग, तुंग ऐसे नाम चीन और तिब्बत में होते हैं।
नमाे बुद्धाय 🙏जय भिम🙏जय मुलबासी
भारत का नाम पहले जम्बूद्वीप था उस समय तो पाकिस्तान ोअस्तित्व में ही नही था। पाकिस्तान अस्तित्व में 1947 में आया था।
Tnq sir
Pushmitr sungh hi ram hai aur ram hi pushmitr sungh hai
पुष्यमित्र शुंग ही अयोध्या में पाया गया जिसके प्रमाण मिलते हैं
Congrats ! A beautiful history and period golden , you have described , appears you have taken viewers t
o that age
Ye bahut accha laga.
राजा दशरथ की अयोध्या कहाँ थी
सुंग के शिलालेख ही पढ लेना ...जो पाली मे लिखा हैं
Thanks!
He killed Ashok's Son.
Honest and balanced lecture
Nice information sir
It's almost impossible to pay 100 gold coins or mudras for one head of Buddhists
Due to the huge population of the Buddhists
Very good sir .... Bahut bahut धन्यवाद .....
Thank you sir
Nice.
Basically there is not a single word like Hindu in any authentic vedik texts like Vedas upnishadas puranas manusmruti ramayana Mahabharata Geeta etc
Muslim invaders could pronounce sikander shikanja shiddat siraj simran samundar shamsher shamshan Suleman sultan salman salma salim shabir shabbir etc etc including Sindhu
It's a Vedik religion or culture of those who believes in Vedas and manusmriti etc means it's a Bramhin religion or culture only
Very nicely explained Thanks Sir
History Ki jankari aisi hoti hai
साकेत नाम बदलकर अयोध्या क्यों रखा ? नाम रखने का कोई कारण हो न हो पर नाम बदलने का कारण और अर्थ जरूर होता है ।
Fine
Who was the sung i does not know
Ho sakta hai ki ye koi dhokewaj dagabaj ya koi gaddar hi hoga
Shung brahmin aaj kahan hai?
भरहूत स्तुप का निर्माण पुष्यमित्र शुंग ने किया था ॽ
Thanks Guruji
Very good
Sir apne shayad Ache se padha nhi hai jake phir se padhiye Pusyamitre sung ko Sab Brahman mante hai or Or bhu such me the, Ha ye baat jarur conform nhi hai ke bhu budh dharm ke virodhi the ke nhi..
नमो नमः बुद्धाय
।।ओड़िशा।। गुरु जी आपका जानकारी बहुत अच्छा है
मोर्यकाल और शुंगकाल में जाति और वर्ण व्यवस्था ही नहीं थी तब पुष्यमित्र शुंग को किसी जाति में नहीं बांधा जा सकता है।
अगर पुंशमित्रशुंग ने स्तुप का निर्माण किया तो अशोक काल में 84000 स्तुप थे वो कहा गऐ कृपया उसके बारे मे बताइऐ
Aapne satya ko pratisthit kiya hai
Unko bodh or bhagwat done he
Sanskrit ka prem tha
So vo dono he the
Jay hind
Patanjali ne Kaun si Bhasha main tika likhi
ये बिल्कुल सही बात है ,कि पुष्यमित्र शुंग शुद्र थे।क्योंकि ये गोंडवाना का सांस्कृतिक इतिहास में लिखा है।पुष्यमित्र शुंग ने अपने शासन काल में वैदिक धर्म से प्रभावित होकर ब्राम्हणों को अपने राज्य में मिला लिया था ।और बौध्द धम्म का पतन हो गया।❤