कैसे लिखी गई हनुमान चालीसा? - Kaise likhi gayi Hanuman Chalisa?
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- เผยแพร่เมื่อ 4 ก.พ. 2025
- गोस्वामी तुलसीदास जी, जो मुगलकालीन भारत के महान कवि और संत थे, ने न केवल हिंदी साहित्य में रामचरितमानस जैसी कालजयी रचना की, बल्कि हनुमान चालीसा की भी रचना की। उनके समय में भारत पर अकबर का शासन था, जो धार्मिक संघर्ष और नैतिक पतन का दौर था। तुलसीदास जी ने हिंदू समाज को वैदिक ज्ञान से पुनः परिचित कराने का प्रयास किया। उन्होंने समाज के सभी वर्गों को एकत्रित करने और धर्म का प्रचार करने के लिए रामचरितमानस की रचना की। यह ग्रंथ विशेष रूप से उत्तरी भारत में काफी लोकप्रिय हुआ और लोगों के दिलों-दिमाग को जोड़ने का माध्यम बना।
तुलसीदास जी की राम भक्ति इतनी गहरी थी कि लोग उनकी चमत्कारिक शक्तियों की अफवाहें फैलाने लगे। उनके व्यक्तित्व और भक्ति के प्रभाव से लोग यह मानने लगे कि उनके पास दिव्य शक्तियाँ हैं। जब यह बात अकबर के दरबार तक पहुंची, तो उसने तुलसीदास जी को बुलाकर चमत्कार दिखाने का आदेश दिया। तुलसीदास जी ने स्वयं को मात्र भगवान राम का भक्त बताते हुए चमत्कार करने से इंकार कर दिया। इससे क्रोधित होकर अकबर ने उन्हें कैद करवा लिया।
कैद के दौरान तुलसीदास जी ने अपनी भक्ति में लीन होकर हनुमान चालीसा की रचना की। यह चालीसा चालीस छंदों में विभाजित है, और इसकी रचना भगवान हनुमान के दिव्य गुणों और पराक्रम की स्तुति करते हुए की गई। तुलसीदास जी ने इन छंदों में हनुमान जी के चरित्र और उनकी सेवाभावना का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने हनुमान जी के बल, बुद्धि, विद्या और भक्ति को सराहा और उनके गुणों का गुणगान किया।
कहा जाता है कि तुलसीदास जी ने चालीस दिनों तक जेल में रहते हुए एक-एक दिन में चालीसा की एक-एक छंद लिखी। चालीसवें दिन, जब हनुमान चालीसा पूरी हुई, तब एक अद्भुत घटना घटी। बंदरों की एक विशाल सेना ने अकबर के दरबार और पूरे शहर पर हमला कर दिया और उत्पात मचाने लगे। बंदर रुकने का नाम नहीं ले रहे थे और हर कोई इस समस्या का समाधान करने में असमर्थ था। तब किसी ने अकबर को बताया कि यह सब तुलसीदास जी की भक्ति और प्रार्थनाओं का परिणाम है।
अकबर ने समझा कि यह घटना उनके द्वारा तुलसीदास जी को कैद करने के कारण हुई है। फिर वह तुरन्त जेल गया और तुलसीदास जी से अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी। इसके बाद, हनुमान जी की कृपा से, बंदरों का उत्पात रुक गया और वे वहां से चले गए।
तुलसीदास जी की भक्ति और हनुमान चालीसा की शक्ति ने कलियुग में भी असंख्य लोगों को प्रेरित किया है। हनुमान चालीसा को एक शक्तिशाली आध्यात्मिक साधन माना गया, जिससे मानसिक शांति और ईश्वरीय कृपा प्राप्त होती है। जब भक्त पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ इसका जाप करते हैं, तो उन्हें मानसिक शांति और आंतरिक शक्ति मिलती है।
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What a nonsense.
Akbar ke empire par Bandaro ka attack.
Kon se history ke book me hai..
Fake narrative narrated by brahmins for making strong hold in economy as well as in society.😅
Saying that it is made up is fair to some extent because it’s a folklore but why unnecessarily drag brahmins into it. You might not believe in such tales, but many of us do. These stories serve as a source of strength and determination for us. Bolo Siyavar Ramchandra Ki Jai! Pawan Sut Hanuman Ki Jai! 🙏🙏🙏
@TheSanatanaStories It's our fundamental duty to develop a scientific temperament as mention in 51A in our constitution.
But there is also a freedom of belief& faith in our constitution and this is a fundamental right of yours.So u can follow ur blind faith constitutionally.
Bolo samvidhan ki jai.
Chalo channel chamkane ke liye log krte hai creative liberty ke nam pr