ज़िंदगी जीने के, काबिल ही नही, अब “फाकिर” -

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  • เผยแพร่เมื่อ 8 ก.ย. 2024
  • बहुत ही सीधे सरल शब्दों में जज़्बातों को बयां करने का हुनर सुदर्शन फ़ाकिर को एक विशिष्ट शायर का दर्जा देता है। उनकी ग़ज़लों को सुनकर हर शख़्स को लगता है कि ये उसका ख़ुद का एहसास-ए-बयां है भले ही उसे उर्दू भाषा न आती हो। वे पूर्वी पंजाब के चुनिंदा उर्दू शायरों में शुमार हैं। दुनियाभर के करोड़ों ग़ज़ल प्रेमियों को अपनी रचनाओं से दीवाना बनाने वाले सुदर्शन फ़ाकिर ने मोहब्बत, ज़िंदगी और उदासी को नए मायने दिए। सुदर्शन फाक़िर पूर्वी पंजाब के फिरोजपुर में 1934 में पैदा हुए। जालंधर के डीएवी कॉलेज से बीए करने के बाद राजनीति शास्त्र तथा अंग्रेजी में एमए किया। उन्हें कॉलेज के दिनों से ही ड्रामा और कविता का शौक़ था।________________________________________________________
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