स्वप्न सुषुप्ति का साक्षी दृष्टा मन है। स्वप्न सुषुप्ति का साक्षी दृष्टा "मन" का अधिष्ठान प्रकाशक आत्मा है। आत्मा व्यष्टि है ब्रह्म समष्टि है। एक ही सर्वगत आकाश घट और मठ इन दो उपाधियों से अवच्छिन्न होकर घटाकाश और मठाकाश के रूप में प्रतीत होता है। यहाँ यह स्पष्ट है कि यह कोई तीन आकाश घटाकाश? मठाकाश और महाकाश नहीं बन गये हैं। घट और मठ की उपाधियों से ध्यान दूर कर लें तो ज्ञात होता कि वस्तुत आकाश एक ही है।इसी प्रकार? उत्तम पुरुष ही दृश्य और दृष्टा के रूप में क्षर और अक्षर पुरुष कहलाता है। परन्तु उपाधियों से विवर्जित हुआ वह परमात्मा ही है।
Param pujay gurudev ji ke pawan charno mai koti koti naman 🌹🙏
ॐ परम पूज्यनीय श्रद्धेय श्री सद्गुरु देव भगवान जी के पावन श्री चरणों में सादर कोटि - कोटि नमन
श्री राम ज य राम ज य ज य राम गुर देव। सुण्ड
धन्यवाद सतगुरु कटिकटिपरणाम
Gurudev ji ka charno me koti koti pranam
Pujya Gurudev bhagwan ko naman
Swami ji namo narayan.Sashtaang.dandawat pranam 🙏🙏🙏
श्री सद्गुरू देव भगवान की जय श्री चरणों में साष्टांग दंडवत प्रणाम।🙏🌷🌷❤️🙏
Gurudev Bhagwan ke Charanon mein कोटि-कोटि PranamRadhe Radhe Guruji
Shatat shatat Naman guru dev maharaj 🥳🎂🎉🎂🎉🎂🎉🎂🎂🎈🎂🎈🎈👏
Swami ji ko maine 1974 ke kumbh mele men suna tha mahan vedanti hain ab to you tube per sun labh leta hun naman hai. From canada balbir singh virk
DaduRam SatRam 🙏
જય માતાજી
Gurudev Bhagwan key charano may koti koti pranam
Gurudev ji ke charno mai koti koti pranam ❤
Swami ji naman naman naman hai ji balbir singh virk from canada
❤आत्म निवेदन भगवन 🙏 🕉 🙏
Satguru ji ke charno me pranam
Dandvat Pranam Guruji 🙏
JAI GURUDEV...
जय गुरु देव
ओम शान्ति: :
नमन ! गुरूदेव
Shri sadguru dev bhagwan ki jai 🙏🙏
जय गरुदेव
❤️❤️❤️JGD❤️❤️❤️
परम् पूज्य श्रद्धेय सदगुरु श्री युग पुरूष स्वामी परमानंद गिरी महाराज जी के पावन चरणों में कोटि कोटि प्रणाम
🌺🌺🙏🙏🌺🌺
जय गुरुदेव
सादर प्रणाम ❤
Jay Siyaram Gurudev 🙏
Jai Guru Dev ji ki 🎉🎉🎉
🙏🙏🙏🙏🙏
🙏
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30 november 2023
स्वप्न सुषुप्ति का साक्षी दृष्टा मन है। स्वप्न सुषुप्ति का साक्षी दृष्टा "मन" का अधिष्ठान प्रकाशक आत्मा है। आत्मा व्यष्टि है ब्रह्म समष्टि है।
एक ही सर्वगत आकाश घट और मठ इन दो उपाधियों से अवच्छिन्न होकर घटाकाश और मठाकाश के रूप में प्रतीत होता है। यहाँ यह स्पष्ट है कि यह कोई तीन आकाश घटाकाश? मठाकाश और महाकाश नहीं बन गये हैं। घट और मठ की उपाधियों से ध्यान दूर कर लें तो ज्ञात होता कि वस्तुत आकाश एक ही है।इसी प्रकार? उत्तम पुरुष ही दृश्य और दृष्टा के रूप में क्षर और अक्षर पुरुष कहलाता है। परन्तु उपाधियों से विवर्जित हुआ वह परमात्मा ही है।
जय गुरुदेव जी
Sree guru ji ke charno me koti koti pranam