Radical Feminism से कमजोर होती हैं स्त्रियां! | Dr Santwana Shrikant की 'भारतीय नारी: स्थिति और गति'

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  • เผยแพร่เมื่อ 11 มิ.ย. 2024
  • भारतीय नारी अपने स्वतंत्र विचार, चिंतन और सामाजिक स्थितियों में विश्व-स्त्री के समक्ष कहां खड़ी है? इस विषय पर विद्वानों और नारीवादियों के अपने तर्क हो सकते हैं, लेकिन सांत्वना श्रीकांत ने अपनी नई पुस्तक में बहुत मनोयोग से जहां प्राचीन भारत में नारियों की स्थिति और उसकी महत्ता को संदर्भ सहित स्पष्ट किया है, वहीं नारी और नारीवाद के तहत आधुनिक विमर्श से उपजे नारीवाद को उसके विभिन्न स्तरों के साथ समझाया है. कह सकते हैं कि पश्चिमी नारीवाद के समांतर भारतीय चिंतन को सामने रखते हुए लेखिका ने जीवन के शाश्वत और सनातन मूल्यों को प्रतिष्ठित कर एक बड़े अभाव की पूर्ति की है.
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    आज की किताबः 'भारतीय नारी: स्थिति और गति'
    लेखक: डाॅ. सांत्वना श्रीकांत
    भाषा: हिंदी
    विधा: नारी विमर्श
    प्रकाशक: सर्व भाषा ट्रस्ट
    पृष्ठ संख्या: 128
    मूल्य: अजिल्द- 199 | सजिल्द- 299
    साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.
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ความคิดเห็น • 3

  • @Poet_Manjula_ji
    @Poet_Manjula_ji 8 วันที่ผ่านมา +1

    आपको सुनकर अच्छा लगा. मध्यम मार्ग श्रेष्ठ मार्ग है. सभी लोगो से निवेदन है कि नारी को कृपया जीने का अधिकार दे.वह comfortable कपडे पहेने इस का ध्यान रखें.. यहाँcomfortable का मतलब western पोशाक से नही . वह व्यक्तिगत निर्णय है. हो सके मेरी लिखी हुई रीतिरिवाज कविता जरूर पढ़े.

  • @chandankumarshaw2670
    @chandankumarshaw2670 14 วันที่ผ่านมา +1

    So good so so so nice ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤

  • @ArtiHindiWriter
    @ArtiHindiWriter 13 วันที่ผ่านมา +1

    Thank you sir