राव बिदा कि संपूर्ण कथा भाग-2 !! यह कथा सुनकर धर्म के प्रति निष्ठा और गहरी हो जाएगी!! शुक्ल हंस शब्द

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  • เผยแพร่เมื่อ 22 ส.ค. 2024
  • राव बिदा कि संपूर्ण कथा भाग-2 !! यह कथा सुनकर धर्म के प्रति निष्ठा और गहरी हो जाएगी!! शुक्ल हंस शब्द-67
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    जोधपुर नरेश जोधा जी का पुत्र बिदा राठौर दूणपुरी का राज्य करता था । उसे नगरी में मोती मेघवाल नाम का एक व्यक्ति रहता था । वह जांभोजी का शिष्य बन गया था और नियम धर्म को स्वीकार कर लिया था । आचार हिन ब्राह्मण क्षत्रियों से भी छुआछूत करने लगा था । यह बात वीदे के पास पहुंची विदा बहुत ही क्रोधित हुआ तथा उसे बुलाकर प्राण जन्म देने के लिए तैयार हुआ, परंतु किसी दयावान ने उसका कुछ समय के लिये दण्ड रुकवा दिया था ।
    मोती मेघवाल जेल में पड़ा हुआ गुरु जांभोजी का स्मरण करने लगा । अपने भक्त की करुणामय पुकार सुनकर जम्भेश्वर भगवान वहां दूणपुर के पास ही रेत के टीले पर आकर विराजमान हुए । प्रातः काल बिदा यह जानकर कि जंभेश्वर जी आ गई है । उनसे मिलने के लिये अभियान सहित आया और मार्ग में आते हुए विचार किया कि इसे पुरुष को सिर नही झुकाउंगा किंतु लात अवश्य ही मारूंगा । जब वे समीप आ गया और गुरु जांभोजी के दर्शन किए तो बुद्धि बदल गई और बिना प्रणाम तथा लत लग ही पास में बैठ गया और कहने लगा-
    दुनिया में बड़े-बड़े योगी हुए हैं किंतु किसी ने भी अपने आप स्वयं को भगवान नहीं कहा किंतु तुम तो अपने आप को स्वयं ही भगवान कृष्ण कहते हो, अब मैं आपकी परीक्षा लूंगा यदि भगवान का अवतार हो तो मानूंगा नहीं तो यहां से भगा दूंगा । गुरु जंभेश्वर भगवान ने कहा- आप क्या चाहते हो । तब बिदे कहा- कि इस समय यहां पर आकों के आम और नींबो के नारियल तथा जल से दूध करके दिखाओ तब मैंने सच्चा मानूंगा । गुरु जांभोजी ने वैसा ही करके दिखाया और सभी को खिलाकर स्वाद से परिचित भी करवाया और कहा-यह कोई बाजीगर या अन्य सिद्ध नहीं कर सकता । यह तो कृष्णचारित से संभव हुआ है । इससे प्रभावित होक बिदे ने मोती का मुक्त कर दिया ।
    बिदे ने गुरु जांभोजी से सिद्धि का मंत्र जानना चाहिए जिससे वह भी ऐसे चमत्कार कर सके, तब गुरु जी ने कहा कि यह तुम्हारे लिए संभव है । बीदा कहने लगा- कि आप यदि सत्य परमेश्वरी कृष्णा हो तो हमें भी कृष्ण की भांति सहस्त्ररूप दिखाइए । गुरु जंम्भोजी ने यह स्वीकार किया । तब 40 व्यक्तियों को अलग-अलग स्थान पर भेजा गया और उन्हें उने ही स्थान पर उसी प्रकार से हवन करते हुए दिखाई दिए । इस बात से बिदा अवगत हुआ और विश्वास प्राप्त किया किंतु संतुष्ट नहीं हो सका और कहने लगा-
    कि आप पुरुष हो या स्त्री मुझे आपने बारे में बताओ । तब बिदे को शुक्ल हंस शब्द सुनाया यह शब्द अपवित्र जीव को पवित्र करके हंस सदृश बना देता है । ऐसा बिदे के प्रति किया था । इसलिए हम नित्य प्रति इसका अंतिम पाठ अवश्य करते हैं । जिससे हमारे पापों की निवृत्ति हो सके तथा संपूर्ण शब्दों के पाठ एवं ज्ञान का फल मिल सके । दूसरे शब्दों से इस शब्द की ध्वनि लय विशेष है । वेद मन्त्रों की भांति शब्द लय भी ध्वनि प्रदूषण को समाप्त करती है तथा हृदय पर विशेष प्रभाव डालती है । इसलिए समवेत स्वर में धीमी गति से तथा प्रेम से बोलना चाहिए । तभी फल दायक है ।
    प्रसिद्ध जाम्भाणी कथा
    Swami Sachidanand Aacharya
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    Bishnoi katha
    शब्दवाणी
    राव बिदा कि संपूर्ण कथा भाग-1 !! यह कथा सुनकर धर्म के प्रति निष्ठा और गहरी हो जाएगी!! शुक्ल हंस शब्द-67:-
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