श्री कृष्ण लीला !! श्री कृष्ण ने किया कंस का वध !! Swami Sachidanand Acharya

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  • เผยแพร่เมื่อ 1 ก.ค. 2024
  • श्री कृष्ण लीला !! श्री कृष्ण ने किया कंस का वध !! Swami Sachidanand Acharya
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    कंस के अत्याचारों से सभी लोग बहुत दुःखी थे उसके अंत का समय निश्चित हो चुका था और श्री हरि का श्री कृष्ण के रूप में अवतार भी कंस की बहन के गर्भ से ही लेने वाले थे। दूसरी और कंस अपनी चचेरी बहन देवकी का विवाह वासुदेव के साथ करवा रहा था। विवाह के पश्चात कंस देवकी और वासुदेव का सारथी बन उन्हें उनके राज्य में छोड़ने के लिये निकलता है। तभी रास्ते में आकाशवाणी होती है की कंस का मृत्यु देवकी के आठवें पुत्र द्वारा ही होगी। यह सुन कंस क्रोधित होकर देवकी को ही मारने की कोशिश करता है ताकि ना देवकी रहेगी और ना ही उसका पुत्र जन्म लेगा।
    कंस एक एक करके देवकी के सातों पुत्रों का वध कर देता है और जब श्री कृष्ण का जन्म होता है तो रात्रि में वासुदेव श्री कृष्ण को नंदराय की पुत्री के साथ बदल आते हैं। कंस उस कन्या को मारने लगता है तो देवी माँ प्रकट होकर उसे उसके मृत्यु करने वाले देवकी के आठवें पुत्र के बारे में बताती हैं। यशोदा नंदराय के घर में श्री कृष्ण जनम की ख़ुशियाँ मनायी जाती हैं। कंस कृष्ण को मारने के लिए अपने बहुत से राक्षसों को भेजता है लेकिन हर बार असफल रहता है। जब श्री कृष्ण बड़े हो जाते हैं और अपनी बाल लीला को करते हुए सबका मन मोह लेते हैं। कंस कृष्ण को मारने के लिए मथुरा में बुलाता है और उसके लिए वह देवकी और वासुदेव को प्रताड़ित करता है और उनसे अक्रूर को ये कहने के लिए मना लेता है की वह श्री कृष्ण को मथुरा ले आए ॰। अक्रूर श्री कृष्ण के लेने के लिए नंदराय के घर जाता है और उन्हें बताता। है की कृष्ण देवकी वासुदेव का पुत्र है जिसे सुन नंदराय और यशोदा को दुःख होता है। अक्रूर श्री कृष्ण को मथुरा ले आता है।
    कसं श्री कृष्ण को मारने की साज़िश चाणुर के साथ मिल कर करता है। कंस श्री कृष्ण पर मदिरा से ग्रस्त हाथी से मारने की सलाह देता है, यदि वह हाथी से भी बच जाता है तो उसे मुषठी पहलवान से कुश्ती के लिए चुनौती देंगे और यदि वह पहलवानों से लड़ने के लिए तैयार हो गया तो उसे मुषठी पहलवान ही मार देगा। मथुरा वासी श्री कृष्ण के आगमन पर उनके दर्शन के लिए एकत्रित हो जाते हैं। सभी श्री कृष्ण के स्वागत की तैयारी करने लगते हैं। श्री कृष्ण और बलराम के आगमन पर सभी मथुरा के नगर वासी उनका स्वागत करते हैं। देवकी वासुदेव श्री कृष्ण के आने से बहुत खुश होते हैं। अक्रूर श्री कृष्ण की सुरक्षा करने की तैयारी करता है। श्री कृष्ण और बलराम शिव धनुष देखने के लिए जाते हैं। रस्ते में श्री कृष्ण को एक कुरूप कूबड़ी औरत मिलती हैं जिसका नाम कुब्जा मिलती है तो श्री कृष्ण उसे रूपवान स्त्री बना देते हैं। श्री कृष्ण शिव धनुष देखने के लिए शिव मंदिर पहुँच जाते हैं। श्री कृष्ण शिव धनुष को उठा कर उसे तोड़ देते हैं। और जब सिपाही उन पर हमला करते हैं तो वो सभी सैनिकों को उसी टूटे हुए शिव धनुष से मार देते हैं।
    कंस को जब ये पता चलता है कृष्ण ने शिव धनुष तोड़ दिया है तो वो अधिक क्रोधित हो जाता है। गोकुल वासी और नंद कृष्ण की रक्षा हेतु मथुरा की ओर निकल पड़ते हैं। श्री कृष्ण से मिलने ऋषि गर्ग आते हैं और उनके चरण गंगा से धोते हैं। कंस को रात्रि में फिर से भयानक सपने आते हैं जिसमें उसे काल के दूत देखते हैं। फिर उसे अपने सारे जीवन भर के क्रम याद आने लगते हैं। श्री कृष्ण जब अगले दिन कंस के उत्सव में भाग लेने जाते हैं तो रस्ते में कंस की योजना के तहत मदिरा से ग्रसित हाथी उनपर हमला कर देता है जिसे श्री कृष्ण ज़मीन पर पटक कर मार देते हैं। नंद राय और उनके गाँव के सभी लोग भी वह पहुँच जाते हैं और श्री कृष्ण से मिलते हैं। उसके बाद श्री कृष्ण कंस के सामने आते हैं। कंस श्री कृष्ण का सम्मान करने के बहाने से उन्हें अपने पहलवानों से श्री कृष्ण के साथ मल्ल युद्ध करने की चुनौती देता है।
    जिसे श्री कृष्ण स्वीकार कर लेते हैं। श्री कृष्ण और बलराम मिल कर दोनों उन पहलवानों से मल्ल युद्ध शुरू कर देते हैं। श्री कृष्ण कसं के पहलवानों को मल्ल युद्ध में हारा देते हैं और उन्हें मौत के घाट उतार देते हैं। जिसे देख कंस अपने सैनिकों को कृष्ण पर हमला करने की आज्ञा देता है जिसे देख अक्रूर के साथी और गोकुल वासी कंस की सेना से भिड़ पड़ते हैं। कंस और श्री कृष्ण के बीच युद्ध होता है। श्री कृष्ण कसं को मार देते हैं। कंस के मरने के बाद श्री कृष्ण और बलराम देवकी और वसुदेव से मिलने कारागार में जाते हैं और उन्हें आज़ाद कर देते हैं।
    Krishna Lila
    प्रसिद्ध जाम्भाणी कथा
    Swami Sachidanand Aacharya
    जाम्भाणी कथा
    गुरु जम्भेश्वर भगवान
    Guru Jambhshwer Bhagwan
    Bishnoi katha
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