Bahut kuch.. sbse pehle to ye.. ki hum jo छंद seekh rahe the ye kuch kuch similar hai.. Aur doosra jo humko darata tha wo falaytun aur baki ke arbi shabd the.. jisse humko lgta tha seekhna mushkil hoga.. Lekin ab lag raha hai ki agar chhand Ki basic knowledge hai to ye bhi seekha jaa skta hai..!!
Confused us when he said matl'a means where from a Ghazal gets started and Maqt'a means where it ends. Then he adds Ghazals can be without matl'a and Maqt'a. Every Ghazal has a starting point and an end point. How can a Ghazal be without a starting (matl'a) and an ending (Maqt'a). Can anyone explain.
मैंने आज से पहले कभी इतनी मीठी ज़बान में कानों में चाशनी घोलते हुए ग़ज़ल के बारे में और शायरी के बारे में नहीं सुना, आपने जिस अंदाज में ये सब बताया यक़ीन मानिये कि आज फिर से ये साबित हो गया कि उर्दू से बेहतरीन कोई और ज़बान नहीं है। आपका बहुत बहुत शुक्रिया 🙏
Maine To Rap Writing Se Shuru Kiya To Phir Love Mein Pad Ke Poetry Writing Bhi Karne Laga Apni Feelings Ko Express Karne Ke Liye.... Aur Yahi Sach Hai !
ڈاکٹر صاحب میں پاکستان ضلع گوجرانوالہ (پنجاب) سے ہوں ۔ انجمن ترقی پسند مصنفین کا رکن ہوں ۔ آپ کا لیکچر بہت پر مغز تھا ۔ انداز بیاں بہت شائیستہ اور پرکشش تھا ۔ بہت ہی اچھا لگا آپ کو گفتگو کرتے ہوئے دیکھا ۔ آپ سلامت رہیں ۔ میں آج سے آپ کی تمام ویڈیوز دیکھا کروں گا اور ضرور کچھ نیا سیکھا کروں گا۔ بھلا ہو اس یو ٹیوب کا جس نے ہمیں آپ جیسے گوہروں سے ملوا دیا ورنہ ہم اس تقسیم کی آگ ہی میں جلتے رہتے ۔ سلامت رہیں جناب
App ka andaaz bahut umda hai, baaten beshkimti hen. Is ka sboot yeh hai k itni sundr ladies bhi itne itminan se sun rahi hen, albta kb kisee ki sunti hen.
Discard 122 221 and all mathematics and simply stick to mastering the language and original thought. What is the tense, adjective, noun, verb, pronoun in the sentence i wrote - is anyone need to be bothered. None.. All you need is command of language and deep reflection in whatever language you write
अपने शागिर्दों को ये आम हिदायत है मिरी कि समझ लें तह-ए-दिल से वो बजा-ओ-बेजा शेर-गोई में रहें मद्द-ए-नज़र ये बातें कि बग़ैर इन के फ़साहत नहीं होती पैदा चुस्त बंदिश हो न हो सुस्त यही ख़ूबी है वो फ़साहत से गिरा शेर में जो हर्फ़ दबा अरबी फ़ारसी अल्फ़ाज़ जो उर्दू में कहें हर्फ़-ए-इल्लत का बुरा इन में है गिरना दबना अलिफ़-ए-वस्ल अगर आए तो कुछ ऐब नहीं लेकिन अल्फ़ाज़ में उर्दू के ये गिरना है रवा जिस में गुंजलक न हो थोड़ी भी सराहत है वही वो किनाया है जो तसरीह से भी हो औला ऐब-ओ-ख़ूबी का समझना है इक अम्र-ए-नाज़ुक पहले कुछ और था अब रंग-ए-ज़बाँ और हुआ यही उर्दू है जो पहले से चली आती है अहल-ए-देहली ने इसे और से अब और किया मुस्तनद अहल-ए-ज़बाँ ख़ास हैं दिल्ली वाले इस में ग़ैरों का तसर्रुफ़ नहीं माना जाता जौहरी नक़्द-ए-सुख़न के हैं परखने वाले है वो टिकसाल से बाहर जो कसौटी न चढ़ा बाज़ अल्फ़ाज़ जो दो आए हैं इक मा'ना में एक को तर्क किया एक को क़ाएम रक्खा तर्क जो लफ़्ज़ किया अब वो नहीं मुस्ता'मल अगले लोगों की ज़बाँ पर वही देता था मज़ा गरचे ता'क़ीद बुरी है मगर अच्छी है कहीं हो जो बंदिश में मुनासिब तो नहीं ऐब ज़रा शे'र में हश्व-ओ-ज़वाएद भी बुरे होते हैं ऐसी भरती को समझते नहीं शाइ'र अच्छा गर किसी शेर में ईता-ए-जली आता है वो बड़ा ऐब है कहते हैं उसे बे-मअ'ना
*Is ghazal writing masterclass se aapko kya seekhne mila?*
Bahut kuch.. sbse pehle to ye.. ki hum jo छंद seekh rahe the ye kuch kuch similar hai..
Aur doosra jo humko darata tha wo falaytun aur baki ke arbi shabd the.. jisse humko lgta tha seekhna mushkil hoga..
Lekin ab lag raha hai ki agar chhand Ki basic knowledge hai to ye bhi seekha jaa skta hai..!!
Sehaz rehna hai, padhte rehna, pr khuda ka baksha ilm hona zaruri hai pr
जितनी भी प्रसंशा की जाए कम है, रेखता के कर्जदार हैं हम।।
Thoda waqt zarf krna padega thodi indepth arooz le liye... Hame lagta tha hum shayar ban chuke hain par ab khayal thode se badle hain...
Confused us when he said matl'a means where from a Ghazal gets started and Maqt'a means where it ends. Then he adds Ghazals can be without matl'a and Maqt'a. Every Ghazal has a starting point and an end point. How can a Ghazal be without a starting (matl'a) and an ending (Maqt'a). Can anyone explain.
मैंने आज से पहले कभी इतनी मीठी ज़बान में कानों में चाशनी घोलते हुए ग़ज़ल के बारे में और शायरी के बारे में नहीं सुना, आपने जिस अंदाज में ये सब बताया यक़ीन मानिये कि आज फिर से ये साबित हो गया कि उर्दू से बेहतरीन कोई और ज़बान नहीं है।
आपका बहुत बहुत शुक्रिया 🙏
ماشاء اللہ بہت خوبصورت انداز سے آپ نے سمجھایا ۔شکریہ🎉🎉
استاذ محترم
My gf fav song ghazal for this I learn this song and write for her and also sing
We proud of you. Congrats
डॉक्टर साहब की किताब आसान अरूज़ नये सीखने वालों के लिए बहुत मुफ़ीद होगी
Kya ye book hindi main bhi available hai ?
Maine To Rap Writing Se Shuru Kiya To Phir Love Mein Pad Ke Poetry Writing Bhi Karne Laga Apni Feelings Ko Express Karne Ke Liye.... Aur Yahi Sach Hai !
Dr साहेब का लहज़ा बहुत उम्दा है। उनको बहुत मालूमात है। मैने जितना सोचा था उससे ज्यादा सीखने मिला
Tahe dil se shukriya ,jasne a rekhta aor dr sahab,bahut seekhne ko mila .
ماشا بہترین بیان آپکا لیکچر کا پیشکش بھی ایک غزل تھا۔❤❤❤
ज़िंदाबाद 🙏💐 बहुत बेहतरीन और नितांत आवश्यक जानकारी साझा 🙏🙏
Bahut khoob Dr. Sahab..bahut achhi guftgu ki hai aap ne...ilm wali ...mze wali..
ڈاکٹر صاحب میں پاکستان ضلع گوجرانوالہ (پنجاب) سے ہوں ۔ انجمن ترقی پسند مصنفین کا رکن ہوں ۔ آپ کا لیکچر بہت پر مغز تھا ۔ انداز بیاں بہت شائیستہ اور پرکشش تھا ۔ بہت ہی اچھا لگا آپ کو گفتگو کرتے ہوئے دیکھا ۔ آپ سلامت رہیں ۔ میں آج سے آپ کی تمام ویڈیوز دیکھا کروں گا اور ضرور کچھ نیا سیکھا کروں گا۔ بھلا ہو اس یو ٹیوب کا جس نے ہمیں آپ جیسے گوہروں سے ملوا دیا ورنہ ہم اس تقسیم کی آگ ہی میں جلتے رہتے ۔ سلامت رہیں جناب
Bahut khoobsurat class dr.azam Sb.
Ne zabardast maloomat faraham ki hai andaaz munfarid aur kaan men ras gholti huyi aawaz ....bahut shukriya Rekhta
है नालायक़ मगर सरदार का है
बनेगा बेटा ही सरदार तय है
डॉ.आज़म जी की ये शेर कमाल की है |
One of the greatest literary lectures indeed....
One of the best session..
🙏🙏💐🌹🌹 Wah sir salute hai aap ko, Kasam Khuda ki maza aa gaya, shukariya janab 🙏🙏
Jo aap bol rahe ho men yeh sab janta hon, mgr aapka andaz itna pyara hai k sunna achha lagta hai.
Bilkul asa hi hai
App ka andaaz bahut umda hai, baaten beshkimti hen. Is ka sboot yeh hai k itni sundr ladies bhi itne itminan se sun rahi hen, albta kb kisee ki sunti hen.
बहुत बढ़िया,सर मुझे लगता है मैंने आपको सुना है,आपकी आवाज भी,प्रभात साहित्य परिषद में 😮
शानदार! शुक्रिया रेख़्ता!
Very nice Dr. Azam
Thanks sir bahut kuchh naya sikhane ki liye
Wow! A lot of things to grasp and a very good learning session. Thank you Rakhta 🌹🙏
بہت عمدہ
बहुत अच्छी जानकारी ।
Thanks 😊❤
जश्न-ए-रेख्ता कभी हम नये शायरों को भी एक मौका दे दीजिए
नए लोगों को कौन मौका देता है साहेब
आप मांग कर उन्हें शर्मिंदा ना करे ||
Very informative.
Mubarak ho
Very useful.
Discard 122 221 and all mathematics and simply stick to mastering the language and original thought. What is the tense, adjective, noun, verb, pronoun in the sentence i wrote - is anyone need to be bothered. None.. All you need is command of language and deep reflection in whatever language you write
Very nice sir
Start @15:00
Bahut shandaar..Mera bhi dekhen 💐
guys pls abb maithali ya mamta ji kei songs aur upload kar do
ghazal shayri seekhne ke liye konsi books lien
ग़ज़ल की बाबत ya आसान अरूज़ m s koi 1आसान अरूज़ ye jyada best h
First comment
kya koi jaankaar mujhe online class dega beher me likhne ki
हमे कोई भी शेर किस बेहर में कहना ये तय केसे की जाती है।
Band e dagh wala qitha ka book link bej de k
अपने शागिर्दों को ये आम हिदायत है मिरी
कि समझ लें तह-ए-दिल से वो बजा-ओ-बेजा
शेर-गोई में रहें मद्द-ए-नज़र ये बातें
कि बग़ैर इन के फ़साहत नहीं होती पैदा
चुस्त बंदिश हो न हो सुस्त यही ख़ूबी है
वो फ़साहत से गिरा शेर में जो हर्फ़ दबा
अरबी फ़ारसी अल्फ़ाज़ जो उर्दू में कहें
हर्फ़-ए-इल्लत का बुरा इन में है गिरना दबना
अलिफ़-ए-वस्ल अगर आए तो कुछ ऐब नहीं
लेकिन अल्फ़ाज़ में उर्दू के ये गिरना है रवा
जिस में गुंजलक न हो थोड़ी भी सराहत है वही
वो किनाया है जो तसरीह से भी हो औला
ऐब-ओ-ख़ूबी का समझना है इक अम्र-ए-नाज़ुक
पहले कुछ और था अब रंग-ए-ज़बाँ और हुआ
यही उर्दू है जो पहले से चली आती है
अहल-ए-देहली ने इसे और से अब और किया
मुस्तनद अहल-ए-ज़बाँ ख़ास हैं दिल्ली वाले
इस में ग़ैरों का तसर्रुफ़ नहीं माना जाता
जौहरी नक़्द-ए-सुख़न के हैं परखने वाले
है वो टिकसाल से बाहर जो कसौटी न चढ़ा
बाज़ अल्फ़ाज़ जो दो आए हैं इक मा'ना में
एक को तर्क किया एक को क़ाएम रक्खा
तर्क जो लफ़्ज़ किया अब वो नहीं मुस्ता'मल
अगले लोगों की ज़बाँ पर वही देता था मज़ा
गरचे ता'क़ीद बुरी है मगर अच्छी है कहीं
हो जो बंदिश में मुनासिब तो नहीं ऐब ज़रा
शे'र में हश्व-ओ-ज़वाएद भी बुरे होते हैं
ऐसी भरती को समझते नहीं शाइ'र अच्छा
गर किसी शेर में ईता-ए-जली आता है
वो बड़ा ऐब है कहते हैं उसे बे-मअ'ना
Aap ka kaha mustanad hai.
Ghustakhi maaf, camera aaisi aaisi Surat ko qaid kar rahi hai, ke bina sikhe ghazal ban jaye....m
That was worst session of rekhta
after session i felt that i have wasted my time .
iski jagah main kuch aur sunta
he is not coming to point 🥲