मुझे कुछ नहीं चाहिये,प्रभु मेरा अपना है,सबकुछ प्रभु का है। 39(ब) - Swami Sri Sharnanand Ji Maharaj

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  • เผยแพร่เมื่อ 7 ก.พ. 2025
  • Swami Sri Sharnanand Ji Maharaj's Discourse in Hindi
    स्वामी श्रीशरणानन्दजी महाराज जी का प्रवचन।
    सत्य को स्वीकार करने से समाज में क्रान्ति आती है, आन्दोलन से नहीं। इसलिए मानव-सेवा-संघ में क्रान्ति का स्थान है, आन्दोलन का नहीं। अरे भाई, हम मानव हैं। हमें मानव होने के नाते किसी का बुरा नहीं चाहना चाहिए। कोई क्यों अपराध करता है? इस पर सोचो। कर्म से कर्त्ता बनता है कि कर्त्ता में से कर्म निकलता है? जरा गम्भीरता से सोचो। कर्त्ता में से कर्म निकलता है। तो जब तक कर्त्ता ने अपने को बुरा नहीं बना लिया, तब तक वह बुराई कर सकेगा क्या? पहले वह अपने को बुरा बनाता है, तब बुराई करता है। वह बुरा न रहे, यह करुणा आपके हृदय में जगे और बुराई के बदले में भलाई करें, तब उसका सुधार होगा। बुराई के बदले में दण्ड देने से सुधार नहीं होगा। दण्ड देना राष्ट्रगत काम है, व्यक्तिगत नहीं है।

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