नमोस्तु गुरुदेव आचार्य विद्यासागर जी समयसागरजी महाराज जी विरसागरजी महाराज जी अशोक वर्षा रोहित जैन सुस पुणे सुरज स्वाती वर्धन काव्या दुर्गे जैन निरा अपने बंड और दुर्गे परीवार के सभी 🎉🎉🎉🎉
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बुद्धस्त्वमेव विबुधार्चित-बुद्धि-बोधात्,
त्वं शंकरोऽसि भुवन-त्रय-शंकरत्वात् |
धातासि धीर! शिवमार्ग-विधेर्विधानात्,
व्यक्तं त्वमेव भगवन्! पुरुषोत्तमोऽसि ||२५||
तुभ्यं नमस्त्रिभुवनार्ति-हराय नाथ!
तुभ्यं नम: क्षिति-तलामल-भूषणाय |
तुभ्यं नमस्त्रिजगत: परमेश्वराय,
तुभ्यं नमो जिन! भवोदधि-शोषणाय ||२६||
को विस्मयोऽत्र यदि नाम गुणैरशेषै-
स्त्वं संश्रितो निरवकाशतया मुनीश !
दोषैरुपात्त-विविधाश्रय - जात - गर्वैः
स्वप्नान्तरेऽपि न कदाचिदपीक्षितोऽसि ||२७||
उच्चैरशोक - तरु - संश्रितमुन्मयूख-
माभाति रूपममलं भवतो नितान्तम् |
स्पष्टोल्लसत्किरणमस्त-तमो-वितानम्,
बिम्बं रवेरिव पयोधर-पाश्र्ववर्ति ||२८||
सिंहासने मणि-मयूख-शिखा-विचित्रे,
विभ्राजते तव वपु: कनकावदातम् |
बिम्बं वियद्विलसदंशुलता-वितानम्,
तुंगोदयाद्रि-शिरसीव सहस्र-रश्मे: ||२९||
कुन्दावदात-चल-चामर-चारु-शोभम्,
विभ्राजते तव वपु: कलधौत-कान्तम् |
उद्यच्छ्शांक शुचि-निर्झर-वारि-धार-
मुच्चैस्तटं सुरगिरेरिव शातकौम्भम् ||३०||
छत्र-त्रयं तव विभाति शशांककान्त-
मुच्चै: स्थितं स्थगित-भानु-कर-प्रतापम् |
मुक्ता-फल-प्रकर-जाल-विवृद्ध-शोभम्,
प्रख्यापयत्त्रिजगत: परमेश्वरत्वम् ||३१||
गम्भीर-तार-रव-पूरित-दिग्विभाग-
स्त्रैलोक्य-लोक-शुभ-संगमभूतिदक्ष: |
सद्धर्मराज-जय-घोषण-घोषक: सन्,
खे दुन्दुभिर्व्-नति ते यशस: प्रवादी ||३२||
मन्दार - सुन्दर - नमेरु - सुपारिजात-
सन्तानकादि-कुसुमोत्कर-वृष्टिरुद्धा |
गन्धोद-बिन्दु-शुभ-मन्द-मरुत्प्रयाता,
दिव्या दिव: पतति ते वचसां ततिर्वा ||३३||
शुम्भत्प्रभा-वलय-भूरि-विभाविभोस्ते,
लोकत्रये द्युतिमतां द्युतिमाक्षिपन्ति |
प्रोद्यद्दिवाकर-निरन्तर-भूरि - संख्या,
दीप्त्या जयत्यपि निशामपि सोम-सौम्याम् ||३४||
स्वर्गापवर्ग-गम-मार्ग-विमार्गणेष्ट:,
सद्धर्म-तत्त्व-कथनैक-पटुस्त्रिलोक्या: |
दिव्य-ध्वनिर्भवति ते विशदार्थ-सर्व-
भाषा-स्वभाव-परिणाम-गुणै: प्रयोज्य: ||३५||
उन्निद्र-हेम-नव-पंकज-पुञ्ज-कान्ती,
पर्युल्लसन्नख-मयूख-शिखाभिरामौ |
पादौ पदानि तव यत्र जिनेन्द्र! धत्त:,
पद्मानि तत्र विबुधा: परिकल्पयन्ति ||३६||
इत्थं यथा तव विभूतिरभूज्जिनेन्द्र!
धर्मोपदेशन - विधौ न तथा परस्य |
यादृक्प्रभा दिनकृत: प्रहतान्धकारा,
तादृक्कुतो ग्रह-गणस्य विकाशिनोऽपि ||३७||
श्च्योतन्मदाविल-विलोल-कपोल-मूल-
मत्त-भ्रमद्-भ्रमर-नाद-विवृद्ध-कोपम् |
ऐरावताभमिभ मुद्धतमापतन्तम्,
दृष्ट्वा भयं भवति नो भवदाश्रितानाम् ||३८||
भिन्नेभ-कुम्भ-गलदुज्ज्वल-शोणिताक्त-
मुक्ता-फल-प्रकर-भूषित-भूमि-भाग: |
बद्ध-क्रम: क्रम-गतं हरिणाधिपोऽपि,
नाक्रामति क्रम-युगाचल-संश्रितं ते ||३९||
कल्पान्त-काल-पवनोद्धत-वह्नि-कल्पम्,
दावानलं ज्वलितमुज्ज्वलमुत्स्फुलिंगम् |
विश्वं जिघत्सुमिव सम्मुखमापतन्तम्,
त्वन्नाम-कीर्तन-जलं शमयत्यशेषम् ||४०||
रक्तेक्षणं समद-कोकिल-कण्ठ-नीलम्,
क्रोधोद्धतं फणिनमुत्फणमापतन्तम् |
आक्रामति क्रम-युगेण निरस्त-शंक-
स्त्वन्नाम-नागदमनी हृदि यस्य पुंस: ||४१||
वल्गत्तुरंगगज-गर्जित-भीमनाद-
माजौ बलं बलवतामपि भूपतीनाम् |
उद्यद्दिवाकर-मयूख-शिखापविद्धम्,
त्वत्कीर्तनात्तम इवाशु भिदामुपैति ||४२||
कुन्ताग्र-भिन्न-गज-शोणित-वारिवाह-
वेगावतार - तरणातुर - योध-भीमे |
युद्धे जयं विजित-दुर्जय-जेय-पक्षा-
स्त्वत्पाद-पंकज-वनाश्रयिणो लभन्ते ||४३||
अम्भोनिधौक्षुभित-भीषण-नक्र-चक्र-
पाठीन-पीठ-भय-दोल्वण - वाड़वाग्नौ |
रंगत्तरंग-शिखर-स्थित-यान-पात्रास्-
त्रासं विहाय भवत: स्मरणाद् व्रजन्ति ||४४||
उद्भूत-भीषण-जलोदर-भार-भुग्ना:,
शोच्यां दशामुपगताश्च्युत-जीविताशा: |
त्वत्पाद-पंकज-रजोऽमृत-दिग्ध-देहा,
मर्त्या भवन्ति मकरध्वज-तुल्यरूपा: ||४५||
आपाद-कण्ठमुरु-श्रृंखल-वेष्टितांगा:,
गाढं वृहन्निगड-कोटि-निघृष्ट-जंघा: |
त्वन्नाम-मन्त्रमनिशं मनुजा: स्मरन्त:,
सद्य: स्वयं विगत-बन्ध-भया भवन्ति ||४६||
मत्तद्विपेन्द्र - मृगराज-दवानलाहि-
संग्राम-वारिधि-महोदर-बन्धनोत्थम् |
तस्याशु नाशमुपयाति भयं भियेव,
यस्तावकं स्तवमिमं मतिमान धी ते ||४७||
स्तोत्र-स्रजं तव जिनेन्द्र! गुणैर्निबद्धाम्,
भक्त्या मया रुचिर-वर्ण-विचित्र-पुष्पाम् |
धत्ते जनो य इह कण्ठ-गतामजस्रम्,
तं ‘मानतुंग’मवशा समुपैति लक्ष्मी: ||४८||
।। इति श्रीमानतुङ्गाचार्य-विरचितं आदिनाथ-स्तोत्रं समाप्तम् ।।
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गुरु मां के चरणों में कोटि कोटि वंदामि वंदामि वंदामि 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
जय दादा आदि नाथ जी को प्रणाम करते हैं वंदे गुरु देव वंदे पूर्णमति माता दी ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
नमोस्तु गुरुदेव आचार्य विद्यासागर जी समयसागरजी महाराज जी विरसागरजी महाराज जी अशोक वर्षा रोहित जैन सुस पुणे सुरज स्वाती वर्धन काव्या दुर्गे जैन निरा अपने बंड और दुर्गे परीवार के सभी 🎉🎉🎉🎉
Vandaji mataji manko bahot shanti milti hay
Koti koti Vandan mataji
Vandami Mataji. Aapka bhut bhut aabhar.
Dr Shreyansh Jammu
Vandami Mataji 🙏🙏🙏
Trivaar Vandami Mataji...bahut madhur aavaj...shudh uccharan apratim🎉
Vandami Mataji. Aabhar aapka.
Dr Shreyansh Jammu
Adhyaram Gyan se bharpur pravachan gyata bhakto ko tirane Wale Jagat ko moksh ka marg dikane wali guru maa ke charno me àannant bar vandami Mataji 🙏🙏🙏🎉
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❤❤❤❤Aa@@aroshjain3970
माता जी की जय हो बहुत सुन्दर वाचन।
This is prayer to god's word somuch power
Vandami Mataji. N
Vndami mataji vndami kanwad Jaysigpur
Bahot hi sundar koti koti vandan naman
वन्दामि 🙏वन्दामि 🙏वन्दामि🙏 माताजी।
સાંભળવામાં ઘણો આનંદ અને શાંતિ મળે છે
वन्दामि पूज्य माता जी
Vandami Mataji.
Dr Shreyansh Jammu
माताजी की आवाज मे जादू है, जय जिनेन्द्र सभी को
Jai Mata Ji❤❤🎉
Vandami mataji
वन्दामि माताजी
Vandami Mataji
Dr Shreyansh Jammu
Vandami Mataji Dhanyvaad aapka.
वन्दामि माता जी बहुत सुंदर वाचन।
Vandanami mataji🙏🙏🙏
Vandami Mataji. Dhanyvaad aapka.
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