.. जय भीम ही सबसे लोकतंत्र और सविधान के हक अधिकार बहनजी की सरकार जिबोन चलाय 100% लोकतंत्र और सावधान 100% चलन का प्रयोग 2006/2007 में आज तक किसी नेता किसी पार्टी ने नहीं चलाय्या ये सा
शरीरातील चार घटक कदापी एकत्र येऊन पुन्हा जन्म घेऊ शकत नाही कारण मणुष्य मृत झाल्या नंतर स्वाभाविक रुप से चार ही घटक नैसर्गिक वातावराना मधी प्रस्तापित होतात . म्हणजे बकेट भर जर का पाणी समुद्रा मधी टाकल तर तेच पाणी आपल्या ला कदापी मिळनार नाही . तसेच आपले घटक हे नैसर्गिक घटकात समाविष्ट झाले तर ते सुध्दा कदामी एकत्र येऊ शकत नाही. त्या मुळे त्याच चार घटकाचा पुनरजन्म हा नाकारला आहे. आणि धम्म ग्रंथा मधी योग्य असे उदा. ते म्हणजे आंब्या च्या झाडा चे कृपया सविस्तर वाचुन घ्यावे
The water molecules in the water absorb that energy individually. Due to this absorption of energy the hydrogen bonds connecting water molecules to one another will break. The molecules are now in the gaseous state; this is called water vapour. The phase change from liquid to vapour is called evaporation.
मान्यवर, नमस्कार 🙏 बाबा साहब ने पुनर्जन्म की एक फार्मूले के तहत बात रखी थी कि जिसका जिक्र वॉल्यूम-35 पेज-487 में दर्ज़ है और यह बात उन्होंने 5, फरवरी 1956 को बौद्ध जयंती के अवसर पर ही कही थी “मनुष्य नहीं बदलता तत्व बदल जाते है” इसका अभिप्राय यह निकलता है कि हृदय परिवर्तन, जैसे कि सम्राट अशोक का हुआ था..अशोक वही था लेकिन सोच बदल गई थी..जैसे की एक जातक कथा में डाकू उंगलिमाल का जिक्र आता है जब तथागत बुद्ध द्वारा दिए सन्देश में पश्चात उस डाकू का हृदय परिवर्तन हो गया था..तत्वों का बदलना यानी सोच का बदलना..! आप यहाँ मनुष्य के शरीर के खत्म होने की बात कर रहे है और तत्वों को आकाशिए भौतिकी के नियम पर ला रहे हैं जबकि जल-अग्नि-वायु-पृथ्वी का सिद्धांत अध्यात्म से जुड़ा है और हिन्दू धर्म में भी इसका जिक्र है..और विज्ञान केवल न्यूट्रॉन-प्रोटोन-इलेक्ट्रॉन यानी तीन रासायनिक तत्वों की बात करता है...आप ही ने शुरू में कहा कि शब्दों का हेर-फेर वाक्यों का अर्थ बदल देते हैं और बाबा साहब ने भी इसके दो सवालों पर बात रखी है..एक प्राचीन आधार जब अध्यात्म का महत्व अधिक था दूसरा वैज्ञानिक आधार जिसपर बाबा साहब भी बल देते रहे..बौद्ध धर्म का पवित्र ग्रन्थ तिपिटक की सभी बातों को मानने से ही बाबा साहब ने बुद्धा-धम्मा को लिखा था..जब बाबा साहब हिन्दू धर्म के पाखण्ड के खिलाफ थे तो जाहिर है वह बौद्ध धर्म के आडम्बरों का भी विरोध करते थे..वर्ना बुद्धा-धम्मा क्यों अस्तित्व में आता..! कृपया मेरी बातों को अन्यथा ना लेते हुए, मेरी जिज्ञासा का निवारण करें ! में आपके यू- ट्यूब चैनल को सब्स्क्राइब कर रहा हूँ, घंटी बजाकर 🙏
त्रिपिट अलग कहता है अट्ठकथा अलग कहता है धम्मपद क्या कहता है और बाबा साहब तो बिलकुल ही अलग कहते है जो अपने स्पष्टीकरण दिया वह त्रिपटक के अनुसार नही अट्ठकथा क्या कहते है वह सब क्या हे इतने सारे पंथ सब के अपने अपने विचार कोई भी अपने मन के अनुसार बुद्ध नाम देकर बताते है इतनी सारी असंगतिया है की अब मेरा तो किसी पे भी विश्वास नहीं रहा। कोई सत्य नही सब ढोंग पाखंड है
बुद्ध ने कहा है: “तुम किसी बात को इसलिए मत स्वीकार करो क्योंकि ये पहले कभी नहीं सुनी, इसलिए मत स्वीकार करो क्योंकि ये सदियों से चली आ रही हैं, किसी चीज को इस लिए मत मानो की ये हमारे बुजुर्गो ने कही हैं, किसी चीज को इसलिए मत मानो की ये किसी धर्मग्रन्थ के अनुकूल है। किसी चीज को इस लिए मत स्वीकार करो क्योंकि कहने वाले का व्यक्तित्व आकर्षक है। किसी चीज को इसलिए मत स्वीकार करो क्योंकि ये स्वयं मैंने कही है। किसी चीज को मानने से पहले यह सोचो की क्या ये सही हैं, किसी चीज को मानने से पहले ये सोचो की क्या इससे आप का विकास संभव है, किसी चीज को मानने से पहले उसको बुद्धि की कसोटी पर कसो और स्वानुभव से हितकर जानो तो ही मानो नहीं तो मत मानो।”
@@mcdanny04 वो भाई बात ही निराली है अब क्या कहूं हर समय आपकी बाइबल बदलती रहती है जो बाते घटित हो गई उसको उसमे दर्ज कर लेते है और कहते ही को यह तो हजारों साल पहले ही हमारे गुरुओ ने बताई थी और बस सब काल्पिक बाते दुनिया कैसे बनी आदम कैसे बना सब ढकोसला😂
इन्सान का दूसरा जन्म दुनियां में हरगिज़ नही होता है एक बार दुनियां में इन्सान आया है दोबारा जन्म नहीं होता है इस्लाम धर्म का यही है पैग़ाम हर इन्सान के लिए मुझे गर्व है कि मैं मुसलमान हूं
सर यहा पर जो दिया है वो, जीवन के मूल तत्व के बारे मे है. जैसे अग्नी, जल, हवा, पृथ्वी (इलेमेंट) ये मूल तत्व विशिष्ट अनुपाद मे आने से चेतना, वासना, भावना, संवेदना (जीव) निर्मिती होती है. जैसे इलेक्ट्रिक फिल्ड के साथ मॉर्ग्नेटिक फिल्ड तयार होती है..और किसी की एक भी कमी से वे नष्ट होते है. पर मूल तत्व वैसे ही रहते है लाखो करोड साल, फिर वैसे सिचवेशन से निर्मिती होती है... इसी से इस जीवचक्र उत्त्पन्न हुई है...
बुद्ध ने कहा है: “तुम किसी बात को इसलिए मत स्वीकार करो क्योंकि ये पहले कभी नहीं सुनी, इसलिए मत स्वीकार करो क्योंकि ये सदियों से चली आ रही हैं, किसी चीज को इस लिए मत मानो की ये हमारे बुजुर्गो ने कही हैं, किसी चीज को इसलिए मत मानो की ये किसी धर्मग्रन्थ के अनुकूल है। किसी चीज को इस लिए मत स्वीकार करो क्योंकि कहने वाले का व्यक्तित्व आकर्षक है। किसी चीज को इसलिए मत स्वीकार करो क्योंकि ये स्वयं मैंने कही है। किसी चीज को मानने से पहले यह सोचो की क्या ये सही हैं, किसी चीज को मानने से पहले ये सोचो की क्या इससे आप का विकास संभव है, किसी चीज को मानने से पहले उसको बुद्धि की कसोटी पर कसो और स्वानुभव से हितकर जानो तो ही मानो नहीं तो मत मानो।”
भाई आप लुगदी देवी के बारे में पढ़ लो यूट्यूब पर बहुत सारे वीडियो इस पर बना है और ये वास्तविक घटना कई सौ ,कई हजार लाख साल की बात नही है ये घटना महात्मा गांधी के समय की है जो की गांधी जी इसकी जांच के लिए एक बड़ी कमेटी भी बनाए थे जो सच घटना थी
Not in the sense of another life,but moment to moment we die and born again .shanikwad se samja ja sakta hai..in ultimate sense nobody is born and nobody dies its a bhram (illusion)
क्या वनस्पतियों मे जीव है एवं कितने तत्वों से बना है। और उसका पुनर्जन्म होता है या नहीं एवं किस प्रकार से होता है। क्या बाबा साहब भी तथाकथित के बातों से सहमति रखते थे।
सर, ये चार माहभुत आकाश में समा जाता है,तो मन और चित आकाश में कहा समता है, और ये चार महाभूत अपनेआप जुड़ शरीर बनता है, जुड़ कर मन और चित किस तरह इसमें जुड़ जाता है, कृपया इसे समझाए.
मरते समय हमारे चित्त मे जो या जैसी भावना होती है हमारा चित्त उसी प्रकार की भावना की खोज करता है और जब स्त्री पुरुष का संगम होते समय उन दोनो के चित्त की भी वैसी ही भावना उत्पन्न होती है तब हमारा चित्त उसमे समा जाता है और एक नये बीज की उत्पत्ती होती है
It is a very good initiative. But the explanation is very very slow and very much repetitive, at least in this video. I request you to kindly speed up a bit and avoid the repetition.
आप कहे रहे के सरिर मुत्यु के बाद उन तव मे मिल जाते हे परतु आप ने ऐक कडिमे कहाता कि सलिपुत ने कहा की अब मेरि पुन उतपति की संभावना नहि है तोन त्वका कया हुआ
Sir jai bhim, aap ne punarjanm ke bare me jo vaigyanik tarikese vishleshan kiya hai vah prashansa niya hai par iske liye jo aap ne udahaaran diya hai vah sahi nahi hai hai kyon ki vashpikaran hone ke baad hydrogen aur oxygen yeh elements alag nahin hote hai. Yeh kisi aur vaigyanik prakriya dwara alag hote hai.
Baba saheb.na to.mahatma.the oar.na.hi.sant.ek.budhijivi.person.h.adhyatmik.gyan.se.unka.koi.vAsta.hI.nhi.fir.vo.alokik.gYan.ke.bare.me.kya.jaan.skte.the.
ऐसे में तो हर व्यक्ति का शरीर rebirth हुआ H2़O मे चले जाना और नयी गैस बनकर नया चीज़ बन जाना पुनर्जन्म हुआ तो हम जिसे पुनर्जन्म कहते हैं उसका तात्पर्य तो यह नहीं है एक तरह से Ra-one movie में पुनः बन जाने जैसा बता रहे हैं
अब 5 तत्व है कोनसी दुनिया में आये बड़े ज्ञानी बाबा साहेब कोई धार्मिक व्यक्ति नही थे राजनीतिक थे ओशो को जाकर पढो चेतना हमेशा विधमान है वही आत्मा है तुम लोग कितना जुठ फैलाओ इससे तुम वंचित रहोगें बाकी असली बौद्ध नही
Kya aapne Bhut ko dekha hai. Maine dekha hamare jaisehi usake awayay Rahate hai. Magar O yek electrical ke charged particle hotel hai aor o but transparent dikhta hai. Uski photo CCTV cameremebhi kai logone li. O atma nahi hota kyonki atma vibhakt nahi ho sakti. Ex. Ham kisikabhi CLONE banasakte.
Buddho ki punorjonom hone ke philosophy me to punorjonom hata hai lekin wo sirf sorir ki 4 totwo ki apas me milne ki punorjonmo, wo sorir puno jibito kaise hota hai? Pran kaise ata hai us sorir me? Hai koi uttor? Sorir jibito hone ke liye pran shakti iyani atma ki jorurat hoti hai samjhe?
Sir aapka batana ka jo way hai wo sahi nhi he boring lagta he sunne me... because aap pehle he aaram se baat kar rhe he..aur bhi wahi sentance repeat kar rhe hai..so please batane ka way thoda improve kre
पुनर्जन्म अगर होता है तो इसका कोई वैज्ञानिक आधार होना चाहिए । किसी महापुरुष का पुनर्जन्म हुआ है तो बताया जाए । तुलसीदास भी लिखते हैं khiti जल पावक गगन समीरा पञ्च तत्व से बना शरीरा ।दलाई लामा भी अपने को बुद्ध का शिष्य बताते हैं
तुम क्या पाढा रहे हो,,तुम्ही खुद पता नहीं,,अरे thermodynamics Physics ka Law hai ki energy Cant be Created nor be Destroyed......kuch bhi khatam nahi hota,,Sirf form change Hota hai,,,But the Counsiousness Will be same And it stays...Forever Its Only Resultant Which is Remaining........ok........
Purnjanam 4 tatwo se mil k bnata hai or wo humesha 1 nahi hota.. to sir kuch tatwo ko apna pichla janam kyu yaad rhe jata hai?? Or kuch logo ko past life janni hoti hai apni to wo life hypnosis process kyu krte hai or kis base pe krte hai??
Wo hamare chitt ki avastha Hoti hai chitt ko jitna shuddh banao ge utana hi aap apna agala ya picchala jaan payenge. Buddha ki Vipassana ki taknik ke aadhar par aap kar sakte hai aur usame aapka man saaf aur nek hona bhi bahut jaruri hai aapke karm hamesha acche hone chahiye. Buddha ko bhi apna sab kucch agala aur picchla pata tha.
@@human_human_human_ भाई आप लुगदी देवी के बारे में पढ़ लो यूट्यूब पर बहुत सारे वीडियो इस पर बना है और ये वास्तविक घटना कई सौ ,कई हजार लाख साल की बात नही है ये घटना महात्मा गांधी के समय की है जो की गांधी जी इसकी जांच के लिए एक बड़ी कमेटी भी बनाए थे जो सच घटना थी
सच्चाई से रुबारू कराने के लिए बहोत hi धन्यवाद 🙏🙏🙏
बहुत ही शानदार ढंग से तथागत के पूनरजम के सिद्धांत को समझने के लिए आपका आभार।जय भीम जय भारत
☸️👌बहोत ही सरलता युक्त वैज्ञानिक आधारपर पुनर्जन्म का सिध्दांत समझाने के लिए आपका बहोत बहोत धन्यवाद !
जयभिम ! नमो बुध्दाय !!🇮🇳🙏
Namo buddhay bahut bahut achha he thanks for your kind consideration Sir.
Jay bhim Namo Buddhas
❤️❤️❤️🌹🌹🌹Namo bhudhay ❤️❤️❤️🌹🌹🌹 Jay Bhim ❤️❤️❤️🌹🌹🌹
Namo buddhay. Jay bhim
Namo buddhay Jay Bheem Jay savidhan
Jay bhim Sir jee,🙏🙏🙏🌹🌹🌹
Bahut hi karantikari vichar and interesting information ji..thanks..namo budhaye ji
धन्यवाद !! सरल तरिकेसे समझाने केलिये..अपेक्षा हे जीस तरह भौतिक तत्व के बारेमे समझाया हे उसी तरह मन या फिर भव को भी समझाये
सही व्याख्या की गई। सर, बहुत-बहुत साधुवाद ।
बहुत ही सरलता और सहजता से व वैज्ञानिक तरीके से समझाया है बहुत बहुत धन्यवाद 🙏
नमो बुद्धाय 💐
Namo Budhay 🙏
धन्यवाद,कई दिनों से मेरे मन में चल रहे सवाल की गाठे खुल गई। प्लीज नेक्स्ट वीडियो लेकर आए।
Namo buddhay
कितने scientific ढंग से तथागत बुद्ध पुनर्जन्म को मानते थे ! नमो बुध्दाय ! जय भीम ! 🙏🙏🙏
Good information... Fule ji
Bahot accha prayas kiya apane punarjanma batane ka Buddha aur unka Dhamma dwara
𝓝𝓪𝓶𝓸 𝓫𝓾𝓭𝓭𝓱𝓪𝔂 🙏🙏🙏
Amithofo 🙏🙏🙏
🌷❤️ :: Mettacettana.
Sadhu ,,, 🛐 🙏
Sadhu ,,, 🛐 🙏
Sadhu ... 🛐 🙏
Bahot achchha sir ji jay vigyan jay bhim jay nastikbaad jay periyar
Tum nastik ho kya
अती सुंदर , आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Namo Buddhay💐
Jai Bhim💐💐💐💐
Scientific research it is correct information the boodha. Thanks
Namo buddhay krantikari jay bhim 🙏 sir
namo buddhay❤shadhu shadhu shadhu❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
🙏
Namo Buddhay 🙏.
Jai Bhim
Namo buddhaya 🌷 namo dhammaya 🌷namo shanghaya 🌷👍
🙏🏽🌹 namo buddhaya 🌹🙏🏽 Jai bheem 🌹🙏🏽 Jai buddist 🌹🙏🏽 Jai RRA 🌹🙏🏽🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🙏🏽
Namo Buddhay
V nice sir, thanks
..
जय भीम ही सबसे लोकतंत्र और सविधान के हक अधिकार बहनजी की सरकार जिबोन चलाय 100% लोकतंत्र और सावधान 100% चलन का प्रयोग 2006/2007 में आज तक किसी नेता किसी पार्टी ने नहीं चलाय्या ये सा
Jay Bhim namo buddhay
Right
Namo buddhay jai bhim
नमो बुद्धाय जय भीम
Jay bhim sir
🙏🙏🙏
Jai Bheem.
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
जन्म के लिए प्राण कैसे आता है
Jay Bhim.....Namo Budhay 🙏
🙇🙏🙏🙏
शरीरातील चार घटक कदापी एकत्र येऊन पुन्हा जन्म घेऊ शकत नाही कारण
मणुष्य मृत झाल्या नंतर स्वाभाविक रुप से चार ही घटक नैसर्गिक वातावराना मधी प्रस्तापित होतात . म्हणजे बकेट भर जर का पाणी समुद्रा मधी टाकल तर तेच पाणी आपल्या ला कदापी मिळनार नाही . तसेच आपले घटक हे नैसर्गिक घटकात समाविष्ट झाले तर ते सुध्दा कदामी एकत्र येऊ शकत नाही. त्या मुळे त्याच चार घटकाचा पुनरजन्म हा नाकारला आहे. आणि धम्म ग्रंथा मधी योग्य असे उदा. ते म्हणजे आंब्या च्या झाडा चे कृपया सविस्तर वाचुन घ्यावे
पानी से वाष्प बनने पर oxygen और hydrogen अलग अलग नहीं होते l आत्मा और परमात्मा बुद्धी से परे हैं l
The water molecules in the water absorb that energy individually. Due to this absorption of energy the hydrogen bonds connecting water molecules to one another will break. The molecules are now in the gaseous state; this is called water vapour. The phase change from liquid to vapour is called evaporation.
कोन बोल्तहै अलग नैहोती
जिस्को विज्ञयन के बरेमे कुच पतनैहै होहि गुफ मर रैहै
When knowledge end Religion begins.
@@sanjayshindalkar4892 😢😮😅😮😮😮 in l
😂😂😂😂😂
तो तुम्को क्यसे पतचला
Love
👍👌🙏👏👏👏👏
मान्यवर, नमस्कार 🙏
बाबा साहब ने पुनर्जन्म की एक फार्मूले के तहत बात रखी थी कि जिसका जिक्र वॉल्यूम-35 पेज-487 में दर्ज़ है और यह बात उन्होंने 5, फरवरी 1956 को बौद्ध जयंती के अवसर पर ही कही थी “मनुष्य नहीं बदलता तत्व बदल जाते है” इसका अभिप्राय यह निकलता है कि हृदय परिवर्तन, जैसे कि सम्राट अशोक का हुआ था..अशोक वही था लेकिन सोच बदल गई थी..जैसे की एक जातक कथा में डाकू उंगलिमाल का जिक्र आता है जब तथागत बुद्ध द्वारा दिए सन्देश में पश्चात उस डाकू का हृदय परिवर्तन हो गया था..तत्वों का बदलना यानी सोच का बदलना..!
आप यहाँ मनुष्य के शरीर के खत्म होने की बात कर रहे है और तत्वों को आकाशिए भौतिकी के नियम पर ला रहे हैं जबकि जल-अग्नि-वायु-पृथ्वी का सिद्धांत अध्यात्म से जुड़ा है और हिन्दू धर्म में भी इसका जिक्र है..और विज्ञान केवल न्यूट्रॉन-प्रोटोन-इलेक्ट्रॉन यानी तीन रासायनिक तत्वों की बात करता है...आप ही ने शुरू में कहा कि शब्दों का हेर-फेर वाक्यों का अर्थ बदल देते हैं और बाबा साहब ने भी इसके दो सवालों पर बात रखी है..एक प्राचीन आधार जब अध्यात्म का महत्व अधिक था दूसरा वैज्ञानिक आधार जिसपर बाबा साहब भी बल देते रहे..बौद्ध धर्म का पवित्र ग्रन्थ तिपिटक की सभी बातों को मानने से ही बाबा साहब ने बुद्धा-धम्मा को लिखा था..जब बाबा साहब हिन्दू धर्म के पाखण्ड के खिलाफ थे तो जाहिर है वह बौद्ध धर्म के आडम्बरों का भी विरोध करते थे..वर्ना बुद्धा-धम्मा क्यों अस्तित्व में आता..!
कृपया मेरी बातों को अन्यथा ना लेते हुए, मेरी जिज्ञासा का निवारण करें !
में आपके यू- ट्यूब चैनल को सब्स्क्राइब कर रहा हूँ, घंटी बजाकर 🙏
इसपर अध्ययन करने के लिए आप को अपनी पूर्व मान्यताओं से बाहर निकलना होगा तभी आप को सही अर्थ का पता चलेगा.
Best
Very nice👌👌👌
Book kaha se milega Sir please guide karna
jee han buddh punarjanm ko mante the.
Muze hai book leni mgr kaha milegi &kitne part hai isake
शरीर जन्म क्यों लेता है ? मर क्यों जाता है । और पुनर्जन्म क्यों लेता है ।
त्रिपिट अलग कहता है अट्ठकथा अलग कहता है
धम्मपद क्या कहता है
और बाबा साहब तो बिलकुल ही अलग कहते है
जो अपने स्पष्टीकरण दिया
वह त्रिपटक के अनुसार नही अट्ठकथा क्या कहते है वह सब क्या हे
इतने सारे पंथ सब के अपने अपने विचार
कोई भी अपने मन के अनुसार बुद्ध नाम देकर बताते है
इतनी सारी असंगतिया है की अब मेरा तो
किसी पे भी विश्वास नहीं रहा।
कोई सत्य नही सब ढोंग पाखंड है
M b bhut pda but sab m alag alag likha h how aur vo aam k ped ka example hi nhi aya smj
बुद्ध ने कहा है:
“तुम किसी बात को इसलिए मत स्वीकार करो क्योंकि ये पहले कभी नहीं सुनी, इसलिए मत स्वीकार करो क्योंकि ये सदियों से चली आ रही हैं, किसी चीज को इस लिए मत मानो की ये हमारे बुजुर्गो ने कही हैं, किसी चीज को इसलिए मत मानो की ये किसी धर्मग्रन्थ के अनुकूल है।
किसी चीज को इस लिए मत स्वीकार करो क्योंकि कहने वाले का व्यक्तित्व आकर्षक है। किसी चीज को इसलिए मत स्वीकार करो क्योंकि ये स्वयं मैंने कही है। किसी चीज को मानने से पहले यह सोचो की क्या ये सही हैं, किसी चीज को मानने से पहले ये सोचो की क्या इससे आप का विकास संभव है, किसी चीज को मानने से पहले उसको बुद्धि की कसोटी पर कसो और स्वानुभव से हितकर जानो तो ही मानो नहीं तो मत मानो।”
Brother bibel iska sahi jawab deta hai ..... Pls read the bibel ..... Sare sawalo ke jawab usmai hai
@@mcdanny04 वो भाई बात ही निराली है
अब क्या कहूं
हर समय आपकी बाइबल बदलती रहती है
जो बाते घटित हो गई उसको
उसमे दर्ज कर लेते है और कहते ही को यह तो हजारों साल पहले ही हमारे गुरुओ ने बताई थी
और बस सब काल्पिक बाते
दुनिया कैसे बनी आदम कैसे बना सब ढकोसला😂
Maha gyani maha vaidhyanika bhudha he.
🙏🌹🌼
Jai bhim
इन्सान का दूसरा जन्म दुनियां में हरगिज़ नही होता है एक बार दुनियां में इन्सान आया है दोबारा जन्म नहीं होता है इस्लाम धर्म का यही है पैग़ाम हर इन्सान के लिए मुझे गर्व है कि मैं मुसलमान हूं
Shayd humari consciousness hi next body ke enter karti hogi
Sir or aage bataye
सर यहा पर जो दिया है वो, जीवन के मूल तत्व के बारे मे है. जैसे अग्नी, जल, हवा, पृथ्वी (इलेमेंट) ये मूल तत्व विशिष्ट अनुपाद मे आने से चेतना, वासना, भावना, संवेदना (जीव) निर्मिती होती है. जैसे इलेक्ट्रिक फिल्ड के साथ मॉर्ग्नेटिक फिल्ड तयार होती है..और किसी की एक भी कमी से वे नष्ट होते है. पर मूल तत्व वैसे ही रहते है लाखो करोड साल, फिर वैसे सिचवेशन से निर्मिती होती है... इसी से इस जीवचक्र उत्त्पन्न हुई है...
बुद्ध ने कहा है:
“तुम किसी बात को इसलिए मत स्वीकार करो क्योंकि ये पहले कभी नहीं सुनी, इसलिए मत स्वीकार करो क्योंकि ये सदियों से चली आ रही हैं, किसी चीज को इस लिए मत मानो की ये हमारे बुजुर्गो ने कही हैं, किसी चीज को इसलिए मत मानो की ये किसी धर्मग्रन्थ के अनुकूल है।
किसी चीज को इस लिए मत स्वीकार करो क्योंकि कहने वाले का व्यक्तित्व आकर्षक है। किसी चीज को इसलिए मत स्वीकार करो क्योंकि ये स्वयं मैंने कही है। किसी चीज को मानने से पहले यह सोचो की क्या ये सही हैं, किसी चीज को मानने से पहले ये सोचो की क्या इससे आप का विकास संभव है, किसी चीज को मानने से पहले उसको बुद्धि की कसोटी पर कसो और स्वानुभव से हितकर जानो तो ही मानो नहीं तो मत मानो।”
भाई आप लुगदी देवी के बारे में पढ़ लो यूट्यूब पर बहुत सारे वीडियो इस पर बना है और ये वास्तविक घटना कई सौ ,कई हजार लाख साल की बात नही है ये घटना महात्मा गांधी के समय की है जो की गांधी जी इसकी जांच के लिए एक बड़ी कमेटी भी बनाए थे जो सच घटना थी
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Not in the sense of another life,but moment to moment we die and born again .shanikwad se samja ja sakta hai..in ultimate sense nobody is born and nobody dies its a bhram (illusion)
Jai bhim sir can i get pdf book about buddh dham
Baba saheb.ek.budhiman.sudh.vichark.the.kisi.adhyarmik.prusht.bhumi.se nhi.h.parmatma.se.sambndhit unke.vichar.agyanpuran.h
Sir ye kitab kahan milengi kripya batayen please .
बुध और उसका धर्म ग्रंथ है ये कहीं पर भी बाबा साहेब तथागत का प्रोग्राम होगा वहीं पर मिल जाएगी लेखक बाबा साहब
Milind prshn men Nagsen ke punar jnm ka vrnn hai to vh kaunsa punar jnm tha ? Please explain.
Ha jaaa raha hoo khush ho jao.
Jindigi agar dar ka jina hai tho maniye hum nahi mante hai nahi kabhi manege marna tho ak din sabko hai
क्या वनस्पतियों मे जीव है एवं कितने तत्वों से बना है। और उसका पुनर्जन्म होता है या नहीं एवं किस प्रकार से होता है। क्या बाबा साहब भी तथाकथित के बातों से सहमति रखते थे।
सर, ये चार माहभुत आकाश में समा जाता है,तो मन और चित आकाश में कहा समता है,
और ये चार महाभूत अपनेआप जुड़ शरीर बनता है,
जुड़ कर मन और चित किस तरह इसमें जुड़ जाता है,
कृपया इसे समझाए.
मरते समय हमारे चित्त मे जो या जैसी भावना होती है हमारा चित्त उसी प्रकार की भावना की खोज करता है और जब स्त्री पुरुष का संगम होते समय उन दोनो के चित्त की भी वैसी ही भावना उत्पन्न होती है तब हमारा चित्त उसमे समा जाता है और एक नये बीज की उत्पत्ती होती है
Not convincing..
After someone dies ...how ,when, where than punarjanm happens..who decides punarjanm..
It is a very good initiative. But the explanation is very very slow and very much repetitive, at least in this video. I request you to kindly speed up a bit and avoid the repetition.
इन्ही बातो से साफ है कि बुद्ध आत्मा को भी मानते थे।
आप कहे रहे के सरिर मुत्यु के बाद उन तव मे मिल जाते हे परतु आप ने ऐक कडिमे कहाता कि सलिपुत ने कहा की अब मेरि पुन उतपति की संभावना नहि है तोन त्वका कया हुआ
Sir jai bhim, aap ne punarjanm ke bare me jo vaigyanik tarikese vishleshan kiya hai vah prashansa niya hai par iske liye jo aap ne udahaaran diya hai vah sahi nahi hai hai kyon ki vashpikaran hone ke baad hydrogen aur oxygen yeh elements alag nahin hote hai. Yeh kisi aur vaigyanik prakriya dwara alag hote hai.
Baba saheb.na to.mahatma.the oar.na.hi.sant.ek.budhijivi.person.h.adhyatmik.gyan.se.unka.koi.vAsta.hI.nhi.fir.vo.alokik.gYan.ke.bare.me.kya.jaan.skte.the.
Bodh dharm main milavat ho gai hai
Sir ye kitab kahan milegi.
Chacha. Or man kaha gya
neo buddhist ko batao ki buddha believe in rebirth..
Konasa logic he ye to fir hum in maha bhuto ko aaj ki tech. Ke sath ikathha kar
naya sarir kyu nahi bana sakte he kyu bramit kar rahe ho
ऐसे में तो हर व्यक्ति का शरीर rebirth हुआ
H2़O
मे चले जाना और नयी गैस बनकर नया चीज़ बन जाना पुनर्जन्म हुआ तो हम जिसे पुनर्जन्म कहते हैं उसका तात्पर्य तो यह नहीं है
एक तरह से Ra-one movie में पुनः बन जाने जैसा बता रहे हैं
अब 5 तत्व है कोनसी दुनिया में आये बड़े ज्ञानी बाबा साहेब कोई धार्मिक व्यक्ति नही थे राजनीतिक थे ओशो को जाकर पढो चेतना हमेशा विधमान है वही आत्मा है तुम लोग कितना जुठ फैलाओ इससे तुम वंचित रहोगें बाकी असली बौद्ध नही
to phir wo kya hai jo punarjanm leta hai?
Kya aapne Bhut ko dekha hai. Maine dekha hamare jaisehi usake awayay Rahate hai. Magar O yek electrical ke charged particle hotel hai aor o but transparent dikhta hai. Uski photo CCTV cameremebhi kai logone li. O atma nahi hota kyonki atma vibhakt nahi ho sakti. Ex. Ham kisikabhi CLONE banasakte.
तो फ़िर पूर्व जन्म का कर्म सिद्धांत क्या है फ़िर बुद्ध ने क्यों कहा कि कर्म का फल अगले जन्म۔ मे भुगतना पड़ता है ؟
शरीर का जल तत्व जल मे मिल जाना हड्डी का मिटटी मे मिल जाना पुनर्जम नहीं पुनर्मिलन है शब्द सही प्रयोग नहीं किया बुद्ध जी ने
Bhai aap bilkul sahi pakde hain 👍
Punarjanm ki jo kahaaniyan tv maine dikhate hain kya wo sach hai yaa jhoot
Buddho ki punorjonom hone ke philosophy me to punorjonom hata hai lekin wo sirf sorir ki 4 totwo ki apas me milne ki punorjonmo, wo sorir puno jibito kaise hota hai? Pran kaise ata hai us sorir me? Hai koi uttor? Sorir jibito hone ke liye pran shakti iyani atma ki jorurat hoti hai samjhe?
Sir aapka batana ka jo way hai wo sahi nhi he boring lagta he sunne me... because aap pehle he aaram se baat kar rhe he..aur bhi wahi sentance repeat kar rhe hai..so please batane ka way thoda improve kre
पुनर्जन्म अगर होता है तो इसका कोई वैज्ञानिक आधार होना चाहिए । किसी महापुरुष का पुनर्जन्म हुआ है तो बताया जाए । तुलसीदास भी लिखते हैं khiti जल पावक गगन समीरा पञ्च तत्व से बना शरीरा ।दलाई लामा भी अपने को बुद्ध का शिष्य बताते हैं
तुम क्या पाढा रहे हो,,तुम्ही खुद पता नहीं,,अरे thermodynamics Physics ka Law hai ki energy Cant be Created nor be Destroyed......kuch bhi khatam nahi hota,,Sirf form change Hota hai,,,But the Counsiousness Will be same And it stays...Forever Its Only Resultant Which is Remaining........ok........
Purnjanam 4 tatwo se mil k bnata hai or wo humesha 1 nahi hota.. to sir kuch tatwo ko apna pichla janam kyu yaad rhe jata hai?? Or kuch logo ko past life janni hoti hai apni to wo life hypnosis process kyu krte hai or kis base pe krte hai??
Wo hamare chitt ki avastha Hoti hai chitt ko jitna shuddh banao ge utana hi aap apna agala ya picchala jaan payenge. Buddha ki Vipassana ki taknik ke aadhar par aap kar sakte hai aur usame aapka man saaf aur nek hona bhi bahut jaruri hai aapke karm hamesha acche hone chahiye. Buddha ko bhi apna sab kucch agala aur picchla pata tha.
Ved padho
ईस पुनर्जन्म का कोई अर्थ नहीं है जी
पुनर्जन्म तो तब कहा जायेगा जब चरित्र या रंग रुप दोबारा आ जाये
Budhist punarjanm nhi mante bat khatm baba kya bol rhe iska koi matlab nhi
पुनर्जन्म तो वैज्ञानिक भी मानते है लेकिन क्यो मानते है
Konsa vaigyanik Manta hai ? Ye to batao ? Ramchalajawarna 🤬🤬😂🤣🤣🤣
@@human_human_human_ भाई आप लुगदी देवी के बारे में पढ़ लो यूट्यूब पर बहुत सारे वीडियो इस पर बना है और ये वास्तविक घटना कई सौ ,कई हजार लाख साल की बात नही है ये घटना महात्मा गांधी के समय की है जो की गांधी जी इसकी जांच के लिए एक बड़ी कमेटी भी बनाए थे जो सच घटना थी