बौद्ध धर्मात सर्व आहे:- पुनर्जन्म,स्वर्ग - नर्क, कर्म आणि कर्मफळ,पुजा -वंदना ,देवी देवता,ब्रह्मा और बहुत से सत्व और लगभग ३१ प्रकार के लोक बताए ग ए हैं! और सबसे बडी बात बाबासाहेब आंबेडकर जी खुद भी इस बात पर विश्वास करते थे!
The water molecules in the water absorb that energy individually. Due to this absorption of energy the hydrogen bonds connecting water molecules to one another will break. The molecules are now in the gaseous state; this is called water vapour. The phase change from liquid to vapour is called evaporation.
मान्यवर, नमस्कार 🙏 बाबा साहब ने पुनर्जन्म की एक फार्मूले के तहत बात रखी थी कि जिसका जिक्र वॉल्यूम-35 पेज-487 में दर्ज़ है और यह बात उन्होंने 5, फरवरी 1956 को बौद्ध जयंती के अवसर पर ही कही थी “मनुष्य नहीं बदलता तत्व बदल जाते है” इसका अभिप्राय यह निकलता है कि हृदय परिवर्तन, जैसे कि सम्राट अशोक का हुआ था..अशोक वही था लेकिन सोच बदल गई थी..जैसे की एक जातक कथा में डाकू उंगलिमाल का जिक्र आता है जब तथागत बुद्ध द्वारा दिए सन्देश में पश्चात उस डाकू का हृदय परिवर्तन हो गया था..तत्वों का बदलना यानी सोच का बदलना..! आप यहाँ मनुष्य के शरीर के खत्म होने की बात कर रहे है और तत्वों को आकाशिए भौतिकी के नियम पर ला रहे हैं जबकि जल-अग्नि-वायु-पृथ्वी का सिद्धांत अध्यात्म से जुड़ा है और हिन्दू धर्म में भी इसका जिक्र है..और विज्ञान केवल न्यूट्रॉन-प्रोटोन-इलेक्ट्रॉन यानी तीन रासायनिक तत्वों की बात करता है...आप ही ने शुरू में कहा कि शब्दों का हेर-फेर वाक्यों का अर्थ बदल देते हैं और बाबा साहब ने भी इसके दो सवालों पर बात रखी है..एक प्राचीन आधार जब अध्यात्म का महत्व अधिक था दूसरा वैज्ञानिक आधार जिसपर बाबा साहब भी बल देते रहे..बौद्ध धर्म का पवित्र ग्रन्थ तिपिटक की सभी बातों को मानने से ही बाबा साहब ने बुद्धा-धम्मा को लिखा था..जब बाबा साहब हिन्दू धर्म के पाखण्ड के खिलाफ थे तो जाहिर है वह बौद्ध धर्म के आडम्बरों का भी विरोध करते थे..वर्ना बुद्धा-धम्मा क्यों अस्तित्व में आता..! कृपया मेरी बातों को अन्यथा ना लेते हुए, मेरी जिज्ञासा का निवारण करें ! में आपके यू- ट्यूब चैनल को सब्स्क्राइब कर रहा हूँ, घंटी बजाकर 🙏
शरीरातील चार घटक कदापी एकत्र येऊन पुन्हा जन्म घेऊ शकत नाही कारण मणुष्य मृत झाल्या नंतर स्वाभाविक रुप से चार ही घटक नैसर्गिक वातावराना मधी प्रस्तापित होतात . म्हणजे बकेट भर जर का पाणी समुद्रा मधी टाकल तर तेच पाणी आपल्या ला कदापी मिळनार नाही . तसेच आपले घटक हे नैसर्गिक घटकात समाविष्ट झाले तर ते सुध्दा कदामी एकत्र येऊ शकत नाही. त्या मुळे त्याच चार घटकाचा पुनरजन्म हा नाकारला आहे. आणि धम्म ग्रंथा मधी योग्य असे उदा. ते म्हणजे आंब्या च्या झाडा चे कृपया सविस्तर वाचुन घ्यावे
बुद्ध ने कहा है: “तुम किसी बात को इसलिए मत स्वीकार करो क्योंकि ये पहले कभी नहीं सुनी, इसलिए मत स्वीकार करो क्योंकि ये सदियों से चली आ रही हैं, किसी चीज को इस लिए मत मानो की ये हमारे बुजुर्गो ने कही हैं, किसी चीज को इसलिए मत मानो की ये किसी धर्मग्रन्थ के अनुकूल है। किसी चीज को इस लिए मत स्वीकार करो क्योंकि कहने वाले का व्यक्तित्व आकर्षक है। किसी चीज को इसलिए मत स्वीकार करो क्योंकि ये स्वयं मैंने कही है। किसी चीज को मानने से पहले यह सोचो की क्या ये सही हैं, किसी चीज को मानने से पहले ये सोचो की क्या इससे आप का विकास संभव है, किसी चीज को मानने से पहले उसको बुद्धि की कसोटी पर कसो और स्वानुभव से हितकर जानो तो ही मानो नहीं तो मत मानो।”
भाई आप लुगदी देवी के बारे में पढ़ लो यूट्यूब पर बहुत सारे वीडियो इस पर बना है और ये वास्तविक घटना कई सौ ,कई हजार लाख साल की बात नही है ये घटना महात्मा गांधी के समय की है जो की गांधी जी इसकी जांच के लिए एक बड़ी कमेटी भी बनाए थे जो सच घटना थी
त्रिपिट अलग कहता है अट्ठकथा अलग कहता है धम्मपद क्या कहता है और बाबा साहब तो बिलकुल ही अलग कहते है जो अपने स्पष्टीकरण दिया वह त्रिपटक के अनुसार नही अट्ठकथा क्या कहते है वह सब क्या हे इतने सारे पंथ सब के अपने अपने विचार कोई भी अपने मन के अनुसार बुद्ध नाम देकर बताते है इतनी सारी असंगतिया है की अब मेरा तो किसी पे भी विश्वास नहीं रहा। कोई सत्य नही सब ढोंग पाखंड है
बुद्ध ने कहा है: “तुम किसी बात को इसलिए मत स्वीकार करो क्योंकि ये पहले कभी नहीं सुनी, इसलिए मत स्वीकार करो क्योंकि ये सदियों से चली आ रही हैं, किसी चीज को इस लिए मत मानो की ये हमारे बुजुर्गो ने कही हैं, किसी चीज को इसलिए मत मानो की ये किसी धर्मग्रन्थ के अनुकूल है। किसी चीज को इस लिए मत स्वीकार करो क्योंकि कहने वाले का व्यक्तित्व आकर्षक है। किसी चीज को इसलिए मत स्वीकार करो क्योंकि ये स्वयं मैंने कही है। किसी चीज को मानने से पहले यह सोचो की क्या ये सही हैं, किसी चीज को मानने से पहले ये सोचो की क्या इससे आप का विकास संभव है, किसी चीज को मानने से पहले उसको बुद्धि की कसोटी पर कसो और स्वानुभव से हितकर जानो तो ही मानो नहीं तो मत मानो।”
@@mcdanny04 वो भाई बात ही निराली है अब क्या कहूं हर समय आपकी बाइबल बदलती रहती है जो बाते घटित हो गई उसको उसमे दर्ज कर लेते है और कहते ही को यह तो हजारों साल पहले ही हमारे गुरुओ ने बताई थी और बस सब काल्पिक बाते दुनिया कैसे बनी आदम कैसे बना सब ढकोसला😂
क्या वनस्पतियों मे जीव है एवं कितने तत्वों से बना है। और उसका पुनर्जन्म होता है या नहीं एवं किस प्रकार से होता है। क्या बाबा साहब भी तथाकथित के बातों से सहमति रखते थे।
सर यहा पर जो दिया है वो, जीवन के मूल तत्व के बारे मे है. जैसे अग्नी, जल, हवा, पृथ्वी (इलेमेंट) ये मूल तत्व विशिष्ट अनुपाद मे आने से चेतना, वासना, भावना, संवेदना (जीव) निर्मिती होती है. जैसे इलेक्ट्रिक फिल्ड के साथ मॉर्ग्नेटिक फिल्ड तयार होती है..और किसी की एक भी कमी से वे नष्ट होते है. पर मूल तत्व वैसे ही रहते है लाखो करोड साल, फिर वैसे सिचवेशन से निर्मिती होती है... इसी से इस जीवचक्र उत्त्पन्न हुई है...
सर, ये चार माहभुत आकाश में समा जाता है,तो मन और चित आकाश में कहा समता है, और ये चार महाभूत अपनेआप जुड़ शरीर बनता है, जुड़ कर मन और चित किस तरह इसमें जुड़ जाता है, कृपया इसे समझाए.
मरते समय हमारे चित्त मे जो या जैसी भावना होती है हमारा चित्त उसी प्रकार की भावना की खोज करता है और जब स्त्री पुरुष का संगम होते समय उन दोनो के चित्त की भी वैसी ही भावना उत्पन्न होती है तब हमारा चित्त उसमे समा जाता है और एक नये बीज की उत्पत्ती होती है
मेरा आवाज इंडिया चैनल से निवेदन है कि बुद्ध रश्मि चैनल पर एक भंते जी बहुत सी कुछ इस तरह की बातें बताते है जैसे स्वर्ग नरक, यमराज यमदूत आदि आदि जो कि ब्रह्म धर्म से मेल खाती है , पूछने पर कहते है आप सूत पीटक पढ़िए, ऐसे बहुत ही कन्फ्यूजन हो जाता है अतः निवेदन है कि इस विषय पर वास्तविक जानकारी से अवगत कराएं
इन्सान का दूसरा जन्म दुनियां में हरगिज़ नही होता है एक बार दुनियां में इन्सान आया है दोबारा जन्म नहीं होता है इस्लाम धर्म का यही है पैग़ाम हर इन्सान के लिए मुझे गर्व है कि मैं मुसलमान हूं
वह क्या है जिसके निकल जाने पर शरीर निर्जीव हो जाता है। इसे रुह आत्मा कहते हैं। शरीर की मृत्यु होती है शरीर को खाक सुपूर्द किया जाता है इसलिए शरीर का जन्म नहीं होता है लेकिन रुह आत्मा अपनी संसारिक राग-द्वेष को अंजाम देने के लिए पुनर्जन्म लेते हैं। एक बालक बादशाह के घर पैदा होता है एक बालक भिखारी के घर पैदा होता है ऐसा क्यों ? जाहिर है अपना अपना कर्म अपना अपना प्रारब्ध के आधीन पुनर्जन्म होता है।
अब 5 तत्व है कोनसी दुनिया में आये बड़े ज्ञानी बाबा साहेब कोई धार्मिक व्यक्ति नही थे राजनीतिक थे ओशो को जाकर पढो चेतना हमेशा विधमान है वही आत्मा है तुम लोग कितना जुठ फैलाओ इससे तुम वंचित रहोगें बाकी असली बौद्ध नही
It is a very good initiative. But the explanation is very very slow and very much repetitive, at least in this video. I request you to kindly speed up a bit and avoid the repetition.
.. जय भीम ही सबसे लोकतंत्र और सविधान के हक अधिकार बहनजी की सरकार जिबोन चलाय 100% लोकतंत्र और सावधान 100% चलन का प्रयोग 2006/2007 में आज तक किसी नेता किसी पार्टी ने नहीं चलाय्या ये सा
पुनर्जन्म अगर होता है तो इसका कोई वैज्ञानिक आधार होना चाहिए । किसी महापुरुष का पुनर्जन्म हुआ है तो बताया जाए । तुलसीदास भी लिखते हैं khiti जल पावक गगन समीरा पञ्च तत्व से बना शरीरा ।दलाई लामा भी अपने को बुद्ध का शिष्य बताते हैं
लेकिन धम्मपद में बुद्ध खुद कहते हैं कि उन्होंने कई जन्म लिए, तो बाबा साहेब की व्याख्या पर बुद्ध गलत हो जाते हैं। 👇 अनेकजातिसंसारं / जरावग्गो / धम्मपद / पालि अनेकजातिसंसारं, सन्धाविस्सं अनिब्बिसं। गहकारं गवेसन्तो, दुक्खा जाति पुनप्पुनं॥१५३॥ गहकारक दिट्ठोसि, पुन गेहं न काहसि। सब्बा ते फासुका भग्गा, गहकूटं विसङ्खतं। विसङ्खारगतं चित्तं, तण्हानं खयमज्झगा॥१५४॥ उपरोक्त पंक्तियाँ धम्मपद के जरावग्गो अध्याय से ली गई हैं। जिस क्षण भगवान बुद्ध को निर्वाण की प्राप्ति हुई थी, तभी उन्होनें इन पंक्तियों को कहा था। बुद्ध कहते हैं: अनेकजातिसंसारं, सन्धाविस्सं अनिब्बिसं। मैंने इस संसार में अनेक बार जन्म लिया और बिना कुछ प्राप्त किए यूं ही दौड़ता रहा। गहकारं गवेसन्तो, दुक्खा जाति पुनप्पुनं घर बनाने वाले की खोज करते हुए बार-बार दु:खमय जन्म लेता रहा। गहकारक दिट्ठोसि, पुन गेहं न काहसि। हे घर बनाने वाले! अब तू देख लिया गया है। अब तू फिर से मेरे लिए घर नहीं बना सकेगा। सब्बा ते फासुका भग्गा, गहकूटं विसङ्खतं। क्योंकि तेरी सारी कड़ियाँ टूट गई हैं और घर का कूटस्थ स्तंभ भी टूट चुका है। विसङ्खारगतं चित्तं, तण्हानं खयमज्झगा नए जन्म देने वाले सभी संस्कारों से मेरा चित्त पूरी तरह रिक्त हो चुका है। और मुझे ऐसी अवस्था प्राप्त हो गई है जहाँ सारी तृष्णाओं का क्षय हो गया है।
From my experience point of view, the meditation called "Dhyanadhiraj Vipassana" and discourse by Vipassanacharya Shri S.N.Goenkaji : Quoting as Khinam puranam, natthi navam and you may enter in the past from the present....!.
Not in the sense of another life,but moment to moment we die and born again .shanikwad se samja ja sakta hai..in ultimate sense nobody is born and nobody dies its a bhram (illusion)
बहुत ही शानदार ढंग से तथागत के पूनरजम के सिद्धांत को समझने के लिए आपका आभार।जय भीम जय भारत
☸️👌बहोत ही सरलता युक्त वैज्ञानिक आधारपर पुनर्जन्म का सिध्दांत समझाने के लिए आपका बहोत बहोत धन्यवाद !
जयभिम ! नमो बुध्दाय !!🇮🇳🙏
सच्चाई से रुबारू कराने के लिए बहोत hi धन्यवाद 🙏🙏🙏
बहुत ही सरलता और सहजता से व वैज्ञानिक तरीके से समझाया है बहुत बहुत धन्यवाद 🙏
नमो बुद्धाय 💐
सही व्याख्या की गई। सर, बहुत-बहुत साधुवाद ।
Namo buddhay bahut bahut achha he thanks for your kind consideration Sir.
Namo buddhay. Jay bhim
❤️❤️❤️🌹🌹🌹Namo bhudhay ❤️❤️❤️🌹🌹🌹 Jay Bhim ❤️❤️❤️🌹🌹🌹
कितने scientific ढंग से तथागत बुद्ध पुनर्जन्म को मानते थे ! नमो बुध्दाय ! जय भीम ! 🙏🙏🙏
धन्यवाद !! सरल तरिकेसे समझाने केलिये..अपेक्षा हे जीस तरह भौतिक तत्व के बारेमे समझाया हे उसी तरह मन या फिर भव को भी समझाये
नमो बुद्धाय 👏👏👏❤️🙏
Namo Buddhay💐
Jai Bhim💐💐💐💐
Jay bhim Sir jee,🙏🙏🙏🌹🌹🌹
Bahut hi karantikari vichar and interesting information ji..thanks..namo budhaye ji
अती सुंदर , आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Namo buddhay Jay Bheem Jay savidhan
Thanks you! My brother.
धन्यवाद,कई दिनों से मेरे मन में चल रहे सवाल की गाठे खुल गई। प्लीज नेक्स्ट वीडियो लेकर आए।
नमो बुद्धाय
namo buddhay❤shadhu shadhu shadhu❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Good information... Fule ji
Bahut achha samjaya he sir
Bahot accha prayas kiya apane punarjanma batane ka Buddha aur unka Dhamma dwara
बौद्ध धर्मात सर्व आहे:- पुनर्जन्म,स्वर्ग - नर्क, कर्म आणि कर्मफळ,पुजा -वंदना ,देवी देवता,ब्रह्मा और बहुत से सत्व और लगभग ३१ प्रकार के लोक बताए ग ए हैं! और सबसे बडी बात बाबासाहेब आंबेडकर जी खुद भी इस बात पर विश्वास करते थे!
बहोत अच्छा बहोत सुंदर यही सचाई दुनिया समझे तो दुनिया कैसी लगेगी जात भेद सम मिटेगा सच को समजो और मानो दुसरा कुछ भी नहीं
Bahot achchha sir ji jay vigyan jay bhim jay nastikbaad jay periyar
Tum nastik ho kya
Total amount of mass and energy in this universe is constant .
बहुत सुंदर जवाब पुनर्जन्म पर ,भौतिक तत्वों (पदार्थो)की नष्टीकरण नही हुआ है
𝓝𝓪𝓶𝓸 𝓫𝓾𝓭𝓭𝓱𝓪𝔂 🙏🙏🙏
Amithofo 🙏🙏🙏
🌷❤️ :: Mettacettana.
Sadhu ,,, 🛐 🙏
Sadhu ,,, 🛐 🙏
Sadhu ... 🛐 🙏
Pure land Buddhist 😮
JaybhimnamobuddhayRampurUP
Jay bhim namo buddhaya 🙏
Namo buddhaya 🌷 namo dhammaya 🌷namo shanghaya 🌷👍
पानी से वाष्प बनने पर oxygen और hydrogen अलग अलग नहीं होते l आत्मा और परमात्मा बुद्धी से परे हैं l
The water molecules in the water absorb that energy individually. Due to this absorption of energy the hydrogen bonds connecting water molecules to one another will break. The molecules are now in the gaseous state; this is called water vapour. The phase change from liquid to vapour is called evaporation.
कोन बोल्तहै अलग नैहोती
जिस्को विज्ञयन के बरेमे कुच पतनैहै होहि गुफ मर रैहै
When knowledge end Religion begins.
@@sanjayshindalkar4892 😢😮😅😮😮😮 in l
😂😂😂😂😂
तो तुम्को क्यसे पतचला
❤❤❤❤❤
Namo Budhay 🙏
मान्यवर, नमस्कार 🙏
बाबा साहब ने पुनर्जन्म की एक फार्मूले के तहत बात रखी थी कि जिसका जिक्र वॉल्यूम-35 पेज-487 में दर्ज़ है और यह बात उन्होंने 5, फरवरी 1956 को बौद्ध जयंती के अवसर पर ही कही थी “मनुष्य नहीं बदलता तत्व बदल जाते है” इसका अभिप्राय यह निकलता है कि हृदय परिवर्तन, जैसे कि सम्राट अशोक का हुआ था..अशोक वही था लेकिन सोच बदल गई थी..जैसे की एक जातक कथा में डाकू उंगलिमाल का जिक्र आता है जब तथागत बुद्ध द्वारा दिए सन्देश में पश्चात उस डाकू का हृदय परिवर्तन हो गया था..तत्वों का बदलना यानी सोच का बदलना..!
आप यहाँ मनुष्य के शरीर के खत्म होने की बात कर रहे है और तत्वों को आकाशिए भौतिकी के नियम पर ला रहे हैं जबकि जल-अग्नि-वायु-पृथ्वी का सिद्धांत अध्यात्म से जुड़ा है और हिन्दू धर्म में भी इसका जिक्र है..और विज्ञान केवल न्यूट्रॉन-प्रोटोन-इलेक्ट्रॉन यानी तीन रासायनिक तत्वों की बात करता है...आप ही ने शुरू में कहा कि शब्दों का हेर-फेर वाक्यों का अर्थ बदल देते हैं और बाबा साहब ने भी इसके दो सवालों पर बात रखी है..एक प्राचीन आधार जब अध्यात्म का महत्व अधिक था दूसरा वैज्ञानिक आधार जिसपर बाबा साहब भी बल देते रहे..बौद्ध धर्म का पवित्र ग्रन्थ तिपिटक की सभी बातों को मानने से ही बाबा साहब ने बुद्धा-धम्मा को लिखा था..जब बाबा साहब हिन्दू धर्म के पाखण्ड के खिलाफ थे तो जाहिर है वह बौद्ध धर्म के आडम्बरों का भी विरोध करते थे..वर्ना बुद्धा-धम्मा क्यों अस्तित्व में आता..!
कृपया मेरी बातों को अन्यथा ना लेते हुए, मेरी जिज्ञासा का निवारण करें !
में आपके यू- ट्यूब चैनल को सब्स्क्राइब कर रहा हूँ, घंटी बजाकर 🙏
इसपर अध्ययन करने के लिए आप को अपनी पूर्व मान्यताओं से बाहर निकलना होगा तभी आप को सही अर्थ का पता चलेगा.
Namo buddhay krantikari jay bhim 🙏 sir
नमो बुद्धाय जय भीम
🙏🏽🌹 namo buddhaya 🌹🙏🏽 Jai bheem 🌹🙏🏽 Jai buddist 🌹🙏🏽 Jai RRA 🌹🙏🏽🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🙏🏽
Scientific research it is correct information the boodha. Thanks
Jai Bhim
शरीरातील चार घटक कदापी एकत्र येऊन पुन्हा जन्म घेऊ शकत नाही कारण
मणुष्य मृत झाल्या नंतर स्वाभाविक रुप से चार ही घटक नैसर्गिक वातावराना मधी प्रस्तापित होतात . म्हणजे बकेट भर जर का पाणी समुद्रा मधी टाकल तर तेच पाणी आपल्या ला कदापी मिळनार नाही . तसेच आपले घटक हे नैसर्गिक घटकात समाविष्ट झाले तर ते सुध्दा कदामी एकत्र येऊ शकत नाही. त्या मुळे त्याच चार घटकाचा पुनरजन्म हा नाकारला आहे. आणि धम्म ग्रंथा मधी योग्य असे उदा. ते म्हणजे आंब्या च्या झाडा चे कृपया सविस्तर वाचुन घ्यावे
Right
Namo buddhay
Namo Buddhay 🙏.
Namo Buddhay
बुद्ध ने कहा है:
“तुम किसी बात को इसलिए मत स्वीकार करो क्योंकि ये पहले कभी नहीं सुनी, इसलिए मत स्वीकार करो क्योंकि ये सदियों से चली आ रही हैं, किसी चीज को इस लिए मत मानो की ये हमारे बुजुर्गो ने कही हैं, किसी चीज को इसलिए मत मानो की ये किसी धर्मग्रन्थ के अनुकूल है।
किसी चीज को इस लिए मत स्वीकार करो क्योंकि कहने वाले का व्यक्तित्व आकर्षक है। किसी चीज को इसलिए मत स्वीकार करो क्योंकि ये स्वयं मैंने कही है। किसी चीज को मानने से पहले यह सोचो की क्या ये सही हैं, किसी चीज को मानने से पहले ये सोचो की क्या इससे आप का विकास संभव है, किसी चीज को मानने से पहले उसको बुद्धि की कसोटी पर कसो और स्वानुभव से हितकर जानो तो ही मानो नहीं तो मत मानो।”
भाई आप लुगदी देवी के बारे में पढ़ लो यूट्यूब पर बहुत सारे वीडियो इस पर बना है और ये वास्तविक घटना कई सौ ,कई हजार लाख साल की बात नही है ये घटना महात्मा गांधी के समय की है जो की गांधी जी इसकी जांच के लिए एक बड़ी कमेटी भी बनाए थे जो सच घटना थी
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🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Jay Bhim namo buddhay
Jay Bhim.....Namo Budhay 🙏
V nice sir, thanks
Very nice👌👌👌
🙇🙏🙏🙏
Good luck
Jai Bheem.
🙏🙏🙏
Best
Jay bhim sir
👍👌🙏👏👏👏👏
त्रिपिट अलग कहता है अट्ठकथा अलग कहता है
धम्मपद क्या कहता है
और बाबा साहब तो बिलकुल ही अलग कहते है
जो अपने स्पष्टीकरण दिया
वह त्रिपटक के अनुसार नही अट्ठकथा क्या कहते है वह सब क्या हे
इतने सारे पंथ सब के अपने अपने विचार
कोई भी अपने मन के अनुसार बुद्ध नाम देकर बताते है
इतनी सारी असंगतिया है की अब मेरा तो
किसी पे भी विश्वास नहीं रहा।
कोई सत्य नही सब ढोंग पाखंड है
M b bhut pda but sab m alag alag likha h how aur vo aam k ped ka example hi nhi aya smj
बुद्ध ने कहा है:
“तुम किसी बात को इसलिए मत स्वीकार करो क्योंकि ये पहले कभी नहीं सुनी, इसलिए मत स्वीकार करो क्योंकि ये सदियों से चली आ रही हैं, किसी चीज को इस लिए मत मानो की ये हमारे बुजुर्गो ने कही हैं, किसी चीज को इसलिए मत मानो की ये किसी धर्मग्रन्थ के अनुकूल है।
किसी चीज को इस लिए मत स्वीकार करो क्योंकि कहने वाले का व्यक्तित्व आकर्षक है। किसी चीज को इसलिए मत स्वीकार करो क्योंकि ये स्वयं मैंने कही है। किसी चीज को मानने से पहले यह सोचो की क्या ये सही हैं, किसी चीज को मानने से पहले ये सोचो की क्या इससे आप का विकास संभव है, किसी चीज को मानने से पहले उसको बुद्धि की कसोटी पर कसो और स्वानुभव से हितकर जानो तो ही मानो नहीं तो मत मानो।”
Brother bibel iska sahi jawab deta hai ..... Pls read the bibel ..... Sare sawalo ke jawab usmai hai
@@mcdanny04 वो भाई बात ही निराली है
अब क्या कहूं
हर समय आपकी बाइबल बदलती रहती है
जो बाते घटित हो गई उसको
उसमे दर्ज कर लेते है और कहते ही को यह तो हजारों साल पहले ही हमारे गुरुओ ने बताई थी
और बस सब काल्पिक बाते
दुनिया कैसे बनी आदम कैसे बना सब ढकोसला😂
Sahi kaha sab dhong hai, abb toh Buddha bhi muze dhong lag raha hai
Love
शरीर जन्म क्यों लेता है ? मर क्यों जाता है । और पुनर्जन्म क्यों लेता है ।
लखनऊ मे बुद्ध और उनका धम्म,book की प्राप्ति कहा से होगी, कृपया पता देवें, मै S.G.P.G.I.लखनऊ मे हूँ,
Jay bhim Namo Buddhas
😂😂
क्या वनस्पतियों मे जीव है एवं कितने तत्वों से बना है। और उसका पुनर्जन्म होता है या नहीं एवं किस प्रकार से होता है। क्या बाबा साहब भी तथाकथित के बातों से सहमति रखते थे।
सर यहा पर जो दिया है वो, जीवन के मूल तत्व के बारे मे है. जैसे अग्नी, जल, हवा, पृथ्वी (इलेमेंट) ये मूल तत्व विशिष्ट अनुपाद मे आने से चेतना, वासना, भावना, संवेदना (जीव) निर्मिती होती है. जैसे इलेक्ट्रिक फिल्ड के साथ मॉर्ग्नेटिक फिल्ड तयार होती है..और किसी की एक भी कमी से वे नष्ट होते है. पर मूल तत्व वैसे ही रहते है लाखो करोड साल, फिर वैसे सिचवेशन से निर्मिती होती है... इसी से इस जीवचक्र उत्त्पन्न हुई है...
सर, ये चार माहभुत आकाश में समा जाता है,तो मन और चित आकाश में कहा समता है,
और ये चार महाभूत अपनेआप जुड़ शरीर बनता है,
जुड़ कर मन और चित किस तरह इसमें जुड़ जाता है,
कृपया इसे समझाए.
मरते समय हमारे चित्त मे जो या जैसी भावना होती है हमारा चित्त उसी प्रकार की भावना की खोज करता है और जब स्त्री पुरुष का संगम होते समय उन दोनो के चित्त की भी वैसी ही भावना उत्पन्न होती है तब हमारा चित्त उसमे समा जाता है और एक नये बीज की उत्पत्ती होती है
Namo.budha
Maha gyani maha vaidhyanika bhudha he.
मेरा आवाज इंडिया चैनल से निवेदन है कि बुद्ध रश्मि चैनल पर एक भंते जी बहुत सी कुछ इस तरह की बातें बताते है जैसे स्वर्ग नरक, यमराज यमदूत आदि आदि जो कि ब्रह्म धर्म से मेल खाती है , पूछने पर कहते है आप सूत पीटक पढ़िए, ऐसे बहुत ही कन्फ्यूजन हो जाता है अतः निवेदन है कि इस विषय पर वास्तविक जानकारी से अवगत कराएं
इन्सान का दूसरा जन्म दुनियां में हरगिज़ नही होता है एक बार दुनियां में इन्सान आया है दोबारा जन्म नहीं होता है इस्लाम धर्म का यही है पैग़ाम हर इन्सान के लिए मुझे गर्व है कि मैं मुसलमान हूं
वह क्या है जिसके निकल जाने पर शरीर निर्जीव हो जाता है। इसे रुह आत्मा कहते हैं। शरीर की मृत्यु होती है शरीर को खाक सुपूर्द किया जाता है इसलिए शरीर का जन्म नहीं होता है लेकिन रुह आत्मा अपनी संसारिक राग-द्वेष को अंजाम देने के लिए पुनर्जन्म लेते हैं। एक बालक बादशाह के घर पैदा होता है एक बालक भिखारी के घर पैदा होता है ऐसा क्यों ? जाहिर है अपना अपना कर्म अपना अपना प्रारब्ध के आधीन पुनर्जन्म होता है।
Buddhism mein koi 6 saal ki bachi koi shadi nahi karta
इन्ही बातो से साफ है कि बुद्ध आत्मा को भी मानते थे।
सब ब्राह्मण ग्रंथों का फोटो कॉपी है
अब 5 तत्व है कोनसी दुनिया में आये बड़े ज्ञानी बाबा साहेब कोई धार्मिक व्यक्ति नही थे राजनीतिक थे ओशो को जाकर पढो चेतना हमेशा विधमान है वही आत्मा है तुम लोग कितना जुठ फैलाओ इससे तुम वंचित रहोगें बाकी असली बौद्ध नही
Jai bhim
It is a very good initiative. But the explanation is very very slow and very much repetitive, at least in this video. I request you to kindly speed up a bit and avoid the repetition.
Muze hai book leni mgr kaha milegi &kitne part hai isake
🙏🌹🌼
जन्म के लिए प्राण कैसे आता है
तो फ़िर पूर्व जन्म का कर्म सिद्धांत क्या है फ़िर बुद्ध ने क्यों कहा कि कर्म का फल अगले जन्म۔ मे भुगतना पड़ता है ؟
शरीर का जल तत्व जल मे मिल जाना हड्डी का मिटटी मे मिल जाना पुनर्जम नहीं पुनर्मिलन है शब्द सही प्रयोग नहीं किया बुद्ध जी ने
Bhai aap bilkul sahi pakde hain 👍
jee han buddh punarjanm ko mante the.
Awaz India chanal pe sab khabare batao tab ap market me tikoge sadake liye
..
जय भीम ही सबसे लोकतंत्र और सविधान के हक अधिकार बहनजी की सरकार जिबोन चलाय 100% लोकतंत्र और सावधान 100% चलन का प्रयोग 2006/2007 में आज तक किसी नेता किसी पार्टी ने नहीं चलाय्या ये सा
Jai bhim sir can i get pdf book about buddh dham
Book kaha se milega Sir please guide karna
पुनर्जन्म अगर होता है तो इसका कोई वैज्ञानिक आधार होना चाहिए । किसी महापुरुष का पुनर्जन्म हुआ है तो बताया जाए । तुलसीदास भी लिखते हैं khiti जल पावक गगन समीरा पञ्च तत्व से बना शरीरा ।दलाई लामा भी अपने को बुद्ध का शिष्य बताते हैं
लेकिन धम्मपद में बुद्ध खुद कहते हैं कि उन्होंने कई जन्म लिए, तो बाबा साहेब की व्याख्या पर बुद्ध गलत हो जाते हैं। 👇
अनेकजातिसंसारं / जरावग्गो / धम्मपद / पालि
अनेकजातिसंसारं, सन्धाविस्सं अनिब्बिसं।
गहकारं गवेसन्तो, दुक्खा जाति पुनप्पुनं॥१५३॥
गहकारक दिट्ठोसि, पुन गेहं न काहसि।
सब्बा ते फासुका भग्गा, गहकूटं विसङ्खतं।
विसङ्खारगतं चित्तं, तण्हानं खयमज्झगा॥१५४॥
उपरोक्त पंक्तियाँ धम्मपद के जरावग्गो अध्याय से ली गई हैं। जिस क्षण भगवान बुद्ध को निर्वाण की प्राप्ति हुई थी, तभी उन्होनें इन पंक्तियों को कहा था। बुद्ध कहते हैं:
अनेकजातिसंसारं, सन्धाविस्सं अनिब्बिसं।
मैंने इस संसार में अनेक बार जन्म लिया और बिना कुछ प्राप्त किए यूं ही दौड़ता रहा।
गहकारं गवेसन्तो, दुक्खा जाति पुनप्पुनं
घर बनाने वाले की खोज करते हुए बार-बार दु:खमय जन्म लेता रहा।
गहकारक दिट्ठोसि, पुन गेहं न काहसि।
हे घर बनाने वाले! अब तू देख लिया गया है। अब तू फिर से मेरे लिए घर नहीं बना सकेगा।
सब्बा ते फासुका भग्गा, गहकूटं विसङ्खतं।
क्योंकि तेरी सारी कड़ियाँ टूट गई हैं और घर का कूटस्थ स्तंभ भी टूट चुका है।
विसङ्खारगतं चित्तं, तण्हानं खयमज्झगा
नए जन्म देने वाले सभी संस्कारों से मेरा चित्त पूरी तरह रिक्त हो चुका है। और मुझे ऐसी अवस्था प्राप्त हो गई है जहाँ सारी तृष्णाओं का क्षय हो गया है।
From my experience point of view, the meditation called "Dhyanadhiraj Vipassana" and discourse by Vipassanacharya Shri S.N.Goenkaji : Quoting as Khinam puranam, natthi navam and you may enter in the past from the present....!.
Sir or aage bataye
Pali sahity ka bmn ka hindi anuvad kya hoga ? Please reply .
Bodh dharm main milavat ho gai hai
M D. Ian Stevenson, a professor of Virginia University has studied several reincarnation cases round the world and proved that reincarnation is true.
Baba saheb.ek.budhiman.sudh.vichark.the.kisi.adhyarmik.prusht.bhumi.se nhi.h.parmatma.se.sambndhit unke.vichar.agyanpuran.h
Shayd humari consciousness hi next body ke enter karti hogi
ईस पुनर्जन्म का कोई अर्थ नहीं है जी
पुनर्जन्म तो तब कहा जायेगा जब चरित्र या रंग रुप दोबारा आ जाये
Buddha ke anusar buddh ko v ankh band kar nhi manna chahiye
Sir ye kitab kahan milengi kripya batayen please .
बुध और उसका धर्म ग्रंथ है ये कहीं पर भी बाबा साहेब तथागत का प्रोग्राम होगा वहीं पर मिल जाएगी लेखक बाबा साहब
Ambedkar apne hisab इंटरप्रेट कर रहा है गौतम बुध ने अपने बुक में आत्म का जिक्र किया है कुछ भी
Not in the sense of another life,but moment to moment we die and born again .shanikwad se samja ja sakta hai..in ultimate sense nobody is born and nobody dies its a bhram (illusion)
तो फिर तुम्हारे भांति और मोन क क्यों अपना यह जीवन बर्बाद करते हैं और यदि भगवान या कोई शक्ति नहीं होतीं तो बौद्ध को यह ज्ञान किस तरह प्राप्त हुआ
Punarjanm ki jo kahaaniyan tv maine dikhate hain kya wo sach hai yaa jhoot