यूट्यूब चैनल साइंस जर्नी ने आर्य समाज वालों को चुनौती दिया था अपने वेद पुराण को सही साबित करो कोई भी आर्य समाज इस चुनौती को स्वीकार नहीं कर सका भाग गए चैनल छोड़कर सारे आर्य समाज के लोग
@@pinaklaul9116स्वयं अम्बेदकर महामूर्ख अविद्वान् व्यक्ति थ अन्यथा मूर्खतापूर्ण व्यर्थ विदेशी अंग्रैजी कुशिक्षा को थूक कर के स्वदेशी भारतीय हिन्दु गुरुकुलीय शिक्षा करतै तो अंग्रैजी षड्यन्त्र के रोगी अम्बेदकर न होतै।
महर्षि दयानंद जी ने मनुस्मृति के 2 विभाग बताए। एक मूल भाग। दूसरा प्रक्षेपित ( मिलावटी)। जो मूल भाग है वो वेद अनुकूल है, जो प्रक्षेपित है वह वेद विरोधी है। भगवत गीता और मनुस्मृति के बहुत से श्लोक समान है। जबकि मनु स्मृति पहले लिखी गई,जबकि भगवत गीता बाद में लिखी गई।
@@virendramistri7302 देखो मेरे भोले भाईयो केवल वेद ग्रंथ ही स्वत: प्रमाण है। उसमे प्रक्षेप ( मिलावट) संभव नही है। यह मानव के सामर्थ के बस में नहीं है। बाकि मानव कृत ग्रंथों में प्रक्षेप ( मिलावट) संभव है। इसलिए बाकि ग्रंथों में जो जो वेद अनुकूल है केवल वही सत्य है। वेदों के अध्यन के लिए कठोर अनुशासन, पुरुषार्थ और तप चाहिए। वेदों में एक ही शब्द की प्रकरण के अनुसार ही व्याख्या होनी चाहिए। कारण कि एक ही शब्द के लाखों अर्थ है। यह भी जान लो कि वर्ण व्यवस्था मानव के गुण कर्म और स्वभाव के अनुसार है,जन्म के अनुसार नही। और वर्ण को वेद में तपे हुए आचार्य गुरुकुल में प्रदान करते थे। जैसे यज्ञ से गणित और विज्ञान उत्पत्ति हुई है,वैसे वेद भी पूर्णतः गणित, विज्ञान और युक्ति पर आधारित है। वेद के एक मंत्र का पूर्ण भाष्य भी मानव के लिए संभव नहीं है,कारण कि उसको नेति नेति में जाना होगा। इसलिए वेदों की युक्ति, गणित और विज्ञान के अनुसार श्रेष्ठ व्याख्या जो है,उसको ही जानना, चिंतन और कर्म में लाना श्रेष्ठ है।
@@steelcross628 मनुस्मृति का कुछ भाग मिलावटी है,जो वेद विरुद्ध है। और जो भाग वेद के अनुकूल है वह सत्य है। ये मिलावट इस ग्रंथ में एक लंबे काल अंतर्गत की गई है।मेरे भाई परमात्मा तुम्हारा और सभी का सदा कल्याण करे। तुम्हारा और सभी का चिंतन और कर्म सुंदर हो। तुम और सभी उस सुंदर ऐश्वर्य ज्ञान और आनंद को प्राप्त करें जिसकी विद्वान जन कामना करते है।
@@yugaditya4768"Are Chacha ji jisko milawat Bol rahe ho Uss Par Apke Brahman Pitaji ke Bhasya yani Sanskrit Slok ke Sanskrit mein Mool Arth aur Vyakhya Maujood hai Sare Vedanti Ne bhi Manu Smriti Padi thi Brahmsutra mein Reference Diye hain Uss se Unko Milawat samjh mein nahi aayi agar woh Slok Ved Viruddh ya Janam/Jaat Varna /Jaati ke Concept Ke Viruddh maane Jate toh Uss Par Brahaman ke Bhashya kaise aa Gaye Medatithi Kullukbhatt Govindraj Raghav Nandan Nandan Ramchandra inko Milawat Nahi dikhi Vedanti- Adi Shankaracharya, Ramanujacharya, Nimbarkacharya, Madhvacharya, Vallabhacharya ne Manusmriti Padi inko milawat samjh mein nahi aayi inn Sab Logon ko Toh Aaj ke Kisi Bhi B.A, M.A, PhD Gold Medalist in Sanskrit se Jada Sanskrit Aati thi, Original Manuscript thi Sara Kaam Sanskrit Mein hota tha Yeh 150 Saal Pehle Apko Hi Milawat Samjh mein aayi uss par Bhasya kaise Ho Gaye Prachin are Jayiye Bhaiya"
Yah baat to satyau hai ki Dr. Bheemrao Ambedkar Jee ko jab yah baat zaehaen mein aayi ki 'Hindu Dharam' ko tyaag kar kis Dharam ko dhaaranrn kiya jaaye to unhone Buddhism ko hee ttheek samjha jo Bhaaratvarsh kee hee paavan bhumi se nikla tha. Unhone Christianity, Islam aur anyau ko uchit nahin samjha dhaaranrn karne ke liye. Boaddh Dharam ke pravartak ek praacheen 'Sanaatani' hee the jinhein 'Hindu' maana jaa sakta hai agar hum 'Hindu' ko 'Sindhu' shabd hee maan lein to.
जब 1873 में महात्मा ज्योति राव फुले जी ने सत्यशोधक समाज की स्थापना की और उन्होंने लोगों को पाखंड से मुक्ति की बात कही तो ब्राह्मणों में खलबली मच गई और दयानंद सरस्वती ने 1875 में आर्य समाज नाम की स्थापना की उसने सनातन समाज की स्थापना नहीं कि उसने हिंदू समाज की स्थापना नहीं की इससे आवाज साबित होती है कि महात्मा ज्योतिबा फुले की सत्यशोधक समाज की जानकारी लोगों को ना हो उसका प्रचार प्रसार ना हो इसके लिए ब्राह्मणों ने संगठित तरीके से 1975 में आर्य समाज की स्थापना की
Ye woh log Hain Jo dalit samaj ko Shiksha Dene jati hue shikshak ke upar keechad uchaalke unka kapada kharaab Kiya taaki school na pahuch sake. Ye saare jaatiwaddi hain. Channel ka naam dekh Arya samaaji. Ye anchor bhi manuwaadi hai.
अंग्रेजो की भाषा इंगलीश और धर्म ग्रंथो की भाषा संस्कृत ये बात हजम नही हुयी अंग्रेजो ने धर्मग्रंथ चेंज किये😂😂😂 वर्णव्यवस्था क्या अंग्रेजो के आने बाद बनी क्या?
Bhai inki baaton mein mat aao. Inki pol khul gyi toh ab ye nayi nayi theory larae hain or safai pesh karrae hain k kaise brahman upper caste log dalit ko hiteshi hain or kaise sirf essai or musalman dushman hain. Inki daily pol khol Rahi hai toh ab bachao toh karengay hi. Tensan mat lo. Har cheej ka hisaab hoga. Jaatiwaadiyon ki khall udehdi jayegi. Inse har baat ka hisaab liya jayega. Bahujan samaaj ka pradhanmantri bannedo. Phir inko jhuthi history bhi banane ka mauka diya jaayega.
madam why do not you suggest that parliament should enact a law abolishing four varnas and caste system , roti beti system be adopted , and another reformative system be introduced for equality.we are indians and we are proud of our nation; and we are one. jaybhim namobuddhay jaybharat.
Jo Hamare Vikramshila Takshila Vishwavidyalay Jo Gurukul Sab Tod sakte hain Har Mandir Tod sakte hain to kya Shastra mein milavat nahin kar sakte pahle bhojpatra Mein Likha jata tha Hamare Sath guruon dwara bataya jata tha Jab angrejon Ne kitab likhane ka time Aaya to Sabhi likhane wala Kaun Angrej hi tha na to Tyag Nahin galat Dal Sakta
Farzi story kaha se li hai baba sahab ki jara ek bar refrance to dedi je barna gapprdiyo main samil ho jayo ge. Bese arye samaji ke mhu se dr. Br Ambedkar ji ka name acha nahi lagta dekho bhaiyo arye samaj ke kya din aa gye ke aaj ine dr. BR Ambedkar ji ki baat kar ni pad rahi hai
Apne bhi tod k tod k is kahani ko pesh kiya h mam 😂 kyu jalai gai thi manusmrti koi bhi ata h social media pe apne hisab se kahani rachta h post kar deta h mera ambedkar ji k manne wale logo s apeel h ki pls 🙏 baba sahab ko khud se padhe kisi k kahne pe na aye
@@Maharishi-vm3in"Tera Arya Samaj Farji hai Tere Dyanand ne apni Satyarth Prakash mein kya likha hai सत्यार्थप्रकाश: वेदादिविविधसच्छास्त्रप्रंभाणसमन्वितः अ्रीमत्परमहंसपरिब्राजकाचार्यश्रीमदयानन्दसरस्वतीस्वामिविरचितः: सम्पादंक: पं० भगदहद्धत्त (रिसर्च स्कॉलर) संस्करण: 2008 प्रकाशक: चिजयककुमार गोविन््दराम हास्रानन्द 4408, नई सड़क, दिल्ली-110 006 सत्यार्थप्रकाश: दशम सम्मुल्लास [१५] प्रश्न- द्विज अपने हाथ से रसोई बनाके खावें वा शूद्र के हाथ की बनाई खावें ? ऊत्तर-शूद्र के हाथ की बनाई खावें, क्योंकि ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य वर्णस्थ स्त्री-पुरुष विद्या पढ़ाने, राज्यपालन, खेती और पशुपालन, और व्यापार के काम में तत्पर रहें और *शूद्र के पात्र तथा उसके घर का 'पका हुआ अन्न आपत्काल के विना न खावें। सुनो प्रमाण* - *आर्याधिष्ठिता वा शूद्रा: संस्कर्तार: स्य॒ुः।* -*[ आपस्तम्ब धर्मसूत्र प्रपाठक २। पटल २ । खण्ड २। सूत्र ४] [१६] बह आपस्तम्ब का सूत्र है। आर्यों के घर में शुद्र अर्थात् मूर्ख स्त्री-पुरुष पाकादि सेवा करें, परन्तु वे शरीर, वस्त्र आदि से पवित्र रहें। आर्यों के घर में जब रसोई बनावें तब मुख बाँध के बनावें, क्योंकि उनके मुख से उच्छिष्ट और निकला हुआ श्नास भी अन्न में न पड़े। आठवें दिन क्षौर नखच्छेदन करायें। स्नान करके पाक बनाया करें। आर्यों को खिलाके आप खावें।* [३५] प्रश्न-कहो जी ! मनुष्यमात्र के हाथ की की हुई रसोई उस" अन्न के खाने में क्या दोष है? क्योंकि ब्राह्मण से लेके चाण्डाल पर्यन्त के शरीर हाड़, मांस, चमड़े के हैं। और जैसा रुधिर ब्राह्मण के शरीर में है जैसा चाण्डाल आदि के। पुनः मनुष्यमात्र के हाथ की पकी हुई रसोई के खाने में क्या दोष है? उत्तर-दोष है। क्योंकि जिन उत्तम पदार्थों के खाने-पीने से ब्राह्मण और ब्राह्मणी के शरीर में दुर्गन््धादि दोषरहित रज-वीर्य उत्पन्न होता है वैसा चाण्डाल और चाण्डाली के शरीर में नहीं। क्योंकि चाण्डाल का शरीर दुर्गन््ध के परमाणुओं से भरा हुआ होता है वैसा ब्राह्मणादि वर्णों का नहीं | इसलिए ब्राह्मणादि उत्तम वर्णों के हाथ का खाना और *चाण्डालादि नीच भंगी-चमार आदि का न खाना।* भला, जब कोई तुमसे पूछेगा कि जैसा चमड़े का शरीर माता, सास, बहिन, कन्या, पुत्रवधू का है जैसा ही अपनी स्त्री का भी है तो क्या माता आदि स्त्रियों के साथ भी स्वस्त्री के समान वर्तोगे ? तब तुमको संकुचित होकर चुप ही रहना पड़ेगा। जैसे उत्तम अन्न हाथ और मुख से खाया जाता है वैसे दुर्गन्न्ध भी खाया जा सकता है तो क्या मलादि भी खाओगे? क्या ऐसा भी कोई हो सकता है? *चाण्डालादि नीच भंगी-चमार आदि का न खाना।* Jaa be Frod"
बहुत बहुत धन्यवाद देवी जी
बहुत सुंदर
ॐ
अतिसुंदर 🌹🌹🌹
Jai arya samaj jai baba saheb
यूट्यूब चैनल साइंस जर्नी ने आर्य समाज वालों को चुनौती दिया था अपने वेद पुराण को सही साबित करो कोई भी आर्य समाज इस चुनौती को स्वीकार नहीं कर सका भाग गए चैनल छोड़कर सारे आर्य समाज के लोग
Bahut bahut sundar
................🙏🙏
जय हो
अंबेडकर जी की पुस्तको का संदर्भ देकर बताया गया है, बहुत अच्छा विवेचन धन्यवाद।
Arya samaj amar rhe ❤❤❤
बात नहीं इस राष्ट्र का कब सुधार होगा
Jai shri🙏 ram🙏❤
Jai shri krishna
☆वंदे बाबासाहेब, भीमराव जगद्भुषणं
भारतार्थे कृतं एनं,संविधानं महाद्भुतं
मनुस्मृती शाप विमोचनाय/अन्याय्य वैशम्य विनाशकाय,
धम्मचक्र प्रवर्तनाय/संघर्ष भीमाय नमो नमस्ते👏
निर्मितं नवचैतन्यं/नष्टा दालित्य भावना
यत्कृपा तमहं वन्दे👏
बौध्दीसत्वाय नमो नमो▪🙏🙏🙏
नमो बुद्धाय/जय सम्राट अशोक/जय भीम
🌊☁🌊☁🌊☁🌊☁🌊☁🌊☁
Kitanee...कठोर..वर्ण.
Satya mev jayate 🙏🙏🙏🚩🚩🚩🙏🙏🙏🙏
बाबासाहेब की नजर में हिंदू धर्म और उससे जुड़े आर्य समाज जैसे संगठनों बेकार और किसी काम के नहीं थे , बाबासाहेब के नाम पर लोगों को बेवकूफ ना बनाएं,
Bilkul sahi
Bhai tu vidwaan h kya
@@pinaklaul9116स्वयं अम्बेदकर महामूर्ख अविद्वान् व्यक्ति थ अन्यथा मूर्खतापूर्ण व्यर्थ विदेशी अंग्रैजी कुशिक्षा को थूक कर के स्वदेशी भारतीय हिन्दु गुरुकुलीय शिक्षा करतै तो अंग्रैजी षड्यन्त्र के रोगी अम्बेदकर न होतै।
महर्षि दयानंद जी ने मनुस्मृति के 2 विभाग बताए। एक मूल भाग। दूसरा प्रक्षेपित ( मिलावटी)। जो मूल भाग है वो वेद अनुकूल है, जो प्रक्षेपित है वह वेद विरोधी है। भगवत गीता और मनुस्मृति के बहुत से श्लोक समान है। जबकि मनु स्मृति पहले लिखी गई,जबकि भगवत गीता बाद में लिखी गई।
Bhagbat Geeta kal aur manusmriti kal
Kya hai ?
Ya fir bus bhi satyug
@@virendramistri7302 देखो मेरे भोले भाईयो केवल वेद ग्रंथ ही स्वत: प्रमाण है। उसमे प्रक्षेप ( मिलावट) संभव नही है। यह मानव के सामर्थ के बस में नहीं है। बाकि मानव कृत ग्रंथों में प्रक्षेप ( मिलावट) संभव है। इसलिए बाकि ग्रंथों में जो जो वेद अनुकूल है केवल वही सत्य है। वेदों के अध्यन के लिए कठोर अनुशासन, पुरुषार्थ और तप चाहिए। वेदों में एक ही शब्द की प्रकरण के अनुसार ही व्याख्या होनी चाहिए। कारण कि एक ही शब्द के लाखों अर्थ है। यह भी जान लो कि वर्ण व्यवस्था मानव के गुण कर्म और स्वभाव के अनुसार है,जन्म के अनुसार नही। और वर्ण को वेद में तपे हुए आचार्य गुरुकुल में प्रदान करते थे। जैसे यज्ञ से गणित और विज्ञान उत्पत्ति हुई है,वैसे वेद भी पूर्णतः गणित, विज्ञान और युक्ति पर आधारित है। वेद के एक मंत्र का पूर्ण भाष्य भी मानव के लिए संभव नहीं है,कारण कि उसको नेति नेति में जाना होगा। इसलिए वेदों की युक्ति, गणित और विज्ञान के अनुसार श्रेष्ठ व्याख्या जो है,उसको ही जानना, चिंतन और कर्म में लाना श्रेष्ठ है।
@@yugaditya4768"Tumhari Farji Vishudh Manusmriti ka Farjiwada Already Exposed hai
@@steelcross628 मनुस्मृति का कुछ भाग मिलावटी है,जो वेद विरुद्ध है। और जो भाग वेद के अनुकूल है वह सत्य है। ये मिलावट इस ग्रंथ में एक लंबे काल अंतर्गत की गई है।मेरे भाई परमात्मा तुम्हारा और सभी का सदा कल्याण करे। तुम्हारा और सभी का चिंतन और कर्म सुंदर हो। तुम और सभी उस सुंदर ऐश्वर्य ज्ञान और आनंद को प्राप्त करें जिसकी विद्वान जन कामना करते है।
@@yugaditya4768"Are Chacha ji jisko milawat Bol rahe ho Uss Par Apke Brahman Pitaji ke Bhasya yani Sanskrit Slok ke Sanskrit mein Mool Arth aur Vyakhya Maujood hai
Sare Vedanti Ne bhi Manu Smriti Padi thi Brahmsutra mein Reference Diye hain Uss se Unko Milawat samjh mein nahi aayi agar woh Slok Ved Viruddh ya Janam/Jaat Varna /Jaati ke Concept Ke Viruddh maane Jate toh Uss Par Brahaman ke Bhashya kaise aa Gaye Medatithi Kullukbhatt Govindraj Raghav Nandan Nandan Ramchandra inko Milawat Nahi dikhi
Vedanti- Adi Shankaracharya, Ramanujacharya, Nimbarkacharya, Madhvacharya, Vallabhacharya ne Manusmriti Padi inko milawat samjh mein nahi aayi inn Sab Logon ko Toh Aaj ke Kisi Bhi B.A, M.A, PhD Gold Medalist in Sanskrit se Jada Sanskrit Aati thi, Original Manuscript thi Sara Kaam Sanskrit Mein hota tha
Yeh 150 Saal Pehle Apko Hi Milawat Samjh mein aayi uss par Bhasya kaise Ho Gaye Prachin are Jayiye Bhaiya"
Yah baat to satyau hai ki Dr. Bheemrao Ambedkar Jee ko jab yah baat zaehaen mein aayi ki 'Hindu Dharam' ko tyaag kar kis Dharam ko dhaaranrn kiya jaaye to unhone Buddhism ko hee ttheek samjha jo Bhaaratvarsh kee hee paavan bhumi se nikla tha. Unhone Christianity, Islam aur anyau ko uchit nahin samjha dhaaranrn karne ke liye. Boaddh Dharam ke pravartak ek praacheen 'Sanaatani' hee the jinhein 'Hindu' maana jaa sakta hai agar hum 'Hindu' ko 'Sindhu' shabd hee maan lein to.
Jai 🙏krishna nagar
आर्य समाज अमर रहे जय महर्षि दयानन्द सरस्वती 🙏जय अम्बेडकर जी नमन
Usne hindu dharm ke upar kya bola vah to dekh pahle
Jai shri ram🙏🙏🙏
Aap bhi galat paros rahi hai koi aasmani kitab nahi hai
जब 1873 में महात्मा ज्योति राव फुले जी ने सत्यशोधक समाज की स्थापना की और उन्होंने लोगों को पाखंड से मुक्ति की बात कही तो ब्राह्मणों में खलबली मच गई और दयानंद सरस्वती ने 1875 में आर्य समाज नाम की स्थापना की उसने सनातन समाज की स्थापना नहीं कि उसने हिंदू समाज की स्थापना नहीं की इससे आवाज साबित होती है कि महात्मा ज्योतिबा फुले की सत्यशोधक समाज की जानकारी लोगों को ना हो उसका प्रचार प्रसार ना हो इसके लिए ब्राह्मणों ने संगठित तरीके से 1975 में आर्य समाज की स्थापना की
Ye woh log Hain Jo dalit samaj ko Shiksha Dene jati hue shikshak ke upar keechad uchaalke unka kapada kharaab Kiya taaki school na pahuch sake. Ye saare jaatiwaddi hain. Channel ka naam dekh Arya samaaji. Ye anchor bhi manuwaadi hai.
अरे नीले अनपढ़ जाटव तुझे ये भी नही पता की dayand srasvti और ज्योतिबा फुले मित्र थे
Bilkul sahi jankari aapne di
कोई किसी के प्रचार को कैसे रोक सकता हैं
स्वामी दयानंद सरस्वती जी बहुत बडे विद्वान थे कुरान व बाइबल की भी आलोचना की थी
Katuwe asli naam se aa😂 singh lagaye ghum rha haii
बहन जी ने बहुत ही गजब की खोज पूर्ण यथार्थ सत्य की जानकारी दी है, बहन जी का प्रयास अति प्रशंसनीय है।
Jai bheem 💙💙💙💙
बहन जी आपको शत शत नमन ।
Jai shri ram🙏 jai shri ram🙏 jai shrikrishna jai shri ram🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Jati..भेदभाव..होता.hai
🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🙏
अंग्रेजो की भाषा इंगलीश और धर्म ग्रंथो की भाषा संस्कृत ये बात हजम नही हुयी अंग्रेजो ने धर्मग्रंथ चेंज किये😂😂😂
वर्णव्यवस्था क्या अंग्रेजो के आने बाद बनी क्या?
Bhai inki baaton mein mat aao. Inki pol khul gyi toh ab ye nayi nayi theory larae hain or safai pesh karrae hain k kaise brahman upper caste log dalit ko hiteshi hain or kaise sirf essai or musalman dushman hain. Inki daily pol khol Rahi hai toh ab bachao toh karengay hi. Tensan mat lo. Har cheej ka hisaab hoga. Jaatiwaadiyon ki khall udehdi jayegi. Inse har baat ka hisaab liya jayega. Bahujan samaaj ka pradhanmantri bannedo. Phir inko jhuthi history bhi banane ka mauka diya jaayega.
क्या अंग्रेजो को संस्कृत पढ़ने व धार्मिक ग्रंथों में बदलाव करने का अधिकार था?
Good vidio I salut mam
Vishwa ko Arya bananne mei bohot prayas krna baaki hai, hume nav yuva ki jaroorat hai
जय हो महर्षि दयानंद की
madam why do not you suggest that parliament should enact a law abolishing four varnas and caste system , roti beti system be adopted , and another reformative system be introduced for equality.we are indians and we are proud of our nation; and we are one.
jaybhim namobuddhay jaybharat.
We did bruh
बहुत ही अच्छा
जय बोले सो अभय सत्य सनातन वैदिक धर्म की जय
Aap "Jogender nath Mandal" ke baare me ek episode laaiye.
Jay Siri ram kuch bhi ho lakin ham sab khaphir ha
સત્ય વચન 👌👍👍👍
आपको नंमन हैं बहन 👏🌹🌹
Swami dayanand hati se kattar bramhan hai.. unka in baton se koi lena dena nahi..
Jo Hamare Vikramshila Takshila Vishwavidyalay Jo Gurukul Sab Tod sakte hain Har Mandir Tod sakte hain to kya Shastra mein milavat nahin kar sakte pahle bhojpatra Mein Likha jata tha Hamare Sath guruon dwara bataya jata tha Jab angrejon Ne kitab likhane ka time Aaya to Sabhi likhane wala Kaun Angrej hi tha na to Tyag Nahin galat Dal Sakta
Jay bhim namo budhay sir
Jai 🙏sanaatan
Jay bhagavaan pir hargovandas Bapu, jay ma meladi krupa sub achha hai, koi bigad nahi sakta
Arya samaj amar rahe
झूठ बोलते हो तुम लोग पैदाइशी झूठे होते हो बड़ौदा नरेश सिया जी राव गायकवाड़ कभी भी आर्य समाज का कभी भी समर्थन नहीं किया
Me hi kiya , Pura Desh Aarya samaj ka Aabhari Raha he lekin Manu Smarti me Visvas nahi karate, I Like your channel Dhanyawad
Jay Aryavart 🙏
Jo didi bol rhi h unka ka bhi koi channel h kya 🤔🤔
Koi bhi samaj ho, daliton ke lia jo kam Baba Saheeb ne ki, koi nahi kiya. koi mane ya naa mane, saree world manta hey.
Aapne safaise aspurushata aur chuachut ka dhikra angrejon par phoda par sachai sabko malum hai Jabhim
Hidu dharm men uch nich hai samanta kaha hai
कितना मस्त और बेबाक झूठ इस चैनल से फैलाया जा रहा है l
Bilkul satya hai
क्यों झूठ परोस रहे हो
झूठ फैला रही है l
Satya hai
Angrejo s pahle hi ye sab chal raha tha angrejo ne o ye sab khatm karne kikosis ki thi
Farzi story kaha se li hai baba sahab ki jara ek bar refrance to dedi je barna gapprdiyo main samil ho jayo ge. Bese arye samaji ke mhu se dr. Br Ambedkar ji ka name acha nahi lagta dekho bhaiyo arye samaj ke kya din aa gye ke aaj ine dr. BR Ambedkar ji ki baat kar ni pad rahi hai
Swami Shradhanand wala reference lo What Gandhi and Congress did Wale book se.
Jai shree sivji row
Rajiv dixit arya samaj work videos
Glt information mt failao sp bhi or padho
Sab bakwas hai aaj bhi jatiwad hai Dr Baba Saheb Ambedkar ji ko koti koti pranam jay Bhim namo buddhay
अनार्य अंबेडकर आर्य अंग्रेजो का चापलूस था.😂.
Bakwas to vo hai jo Bhagwan Buddh ko hijack kar rahe Hain ..........Namo Buddhay
Man se gandgi nikalo aur sunder samaj bsnao sukha se raho achha jivan sabhi ka ho
Dukh hota hai dekh ke kutne kam views hai iss video pe
Apne bhi tod k tod k is kahani ko pesh kiya h mam 😂 kyu jalai gai thi manusmrti koi bhi ata h social media pe apne hisab se kahani rachta h post kar deta h mera ambedkar ji k manne wale logo s apeel h ki pls 🙏 baba sahab ko khud se padhe kisi k kahne pe na aye
Babasaheb ko padhane Wale Chatrapathi Shahu Maharaj Arya the.
Fake news h ye manuvadi h ❤😢😅
Accha😂😂
Thut...बोलती.hai
Bakvash jhut
Rss..bjp..phir...se...shudra...KO...gulam..Banana..chàhati...hai
भगवान...ने..shudra.को...gulamee..के.लिय..banaya...Hai..ya...brahaman...ne...Apne...leye...
Praman
To phir khatm karo casteism
Kyi cast cast karte rahte ho
Pale apne aap mai sudhar layo app
Baba sahib ke विचारों को आप भी मानो 🙏
Aryasamaj is very much against casteism from the beginning. Please read Satyarth Prakash
Aryasamaj does not believe in casteism. Did you watch this video
लाला लाजपत राय जब साइमन कमीशन के विरोध में लाठिया खा रहे थे तब अंबेडकर उनके स्वागत में दरी बिछा रहे थे
aryasamaj tab se casteism ka virodh kr rha jab ambedkar ka janm bhi nahi hua
@@Maharishi-vm3in"Tera Arya Samaj Farji hai
Tere Dyanand ne apni Satyarth Prakash mein kya likha hai
सत्यार्थप्रकाश:
वेदादिविविधसच्छास्त्रप्रंभाणसमन्वितः अ्रीमत्परमहंसपरिब्राजकाचार्यश्रीमदयानन्दसरस्वतीस्वामिविरचितः:
सम्पादंक: पं० भगदहद्धत्त (रिसर्च स्कॉलर)
संस्करण: 2008
प्रकाशक: चिजयककुमार गोविन््दराम हास्रानन्द 4408, नई सड़क, दिल्ली-110 006
सत्यार्थप्रकाश: दशम सम्मुल्लास
[१५] प्रश्न- द्विज अपने हाथ से रसोई बनाके खावें वा शूद्र के हाथ की बनाई खावें ?
ऊत्तर-शूद्र के हाथ की बनाई खावें, क्योंकि ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य वर्णस्थ स्त्री-पुरुष विद्या पढ़ाने, राज्यपालन, खेती और पशुपालन, और व्यापार के काम में तत्पर रहें और *शूद्र के पात्र तथा उसके घर का 'पका हुआ अन्न आपत्काल के विना न खावें। सुनो प्रमाण* -
*आर्याधिष्ठिता वा शूद्रा: संस्कर्तार: स्य॒ुः।*
-*[ आपस्तम्ब धर्मसूत्र प्रपाठक २। पटल २ । खण्ड २। सूत्र ४] [१६] बह आपस्तम्ब का सूत्र है। आर्यों के घर में शुद्र अर्थात् मूर्ख स्त्री-पुरुष पाकादि सेवा करें, परन्तु वे शरीर, वस्त्र आदि से पवित्र रहें। आर्यों के घर में जब रसोई बनावें तब मुख बाँध के बनावें, क्योंकि उनके मुख से उच्छिष्ट और निकला हुआ श्नास भी अन्न में न पड़े। आठवें दिन क्षौर नखच्छेदन करायें। स्नान करके पाक बनाया करें। आर्यों को खिलाके आप खावें।*
[३५] प्रश्न-कहो जी ! मनुष्यमात्र के हाथ की की हुई रसोई उस" अन्न के खाने में क्या दोष है? क्योंकि ब्राह्मण से लेके चाण्डाल पर्यन्त के शरीर हाड़, मांस, चमड़े के हैं। और जैसा रुधिर ब्राह्मण के शरीर में है जैसा चाण्डाल आदि के। पुनः मनुष्यमात्र के हाथ की पकी हुई रसोई के खाने में क्या दोष है?
उत्तर-दोष है। क्योंकि जिन उत्तम पदार्थों के खाने-पीने से ब्राह्मण और ब्राह्मणी के शरीर में दुर्गन््धादि दोषरहित रज-वीर्य उत्पन्न होता है वैसा चाण्डाल और चाण्डाली के शरीर में नहीं। क्योंकि चाण्डाल का शरीर दुर्गन््ध के परमाणुओं से भरा हुआ होता है वैसा ब्राह्मणादि वर्णों का नहीं | इसलिए ब्राह्मणादि उत्तम वर्णों के हाथ का खाना और *चाण्डालादि नीच भंगी-चमार आदि का न खाना।* भला, जब कोई तुमसे पूछेगा कि जैसा चमड़े का शरीर माता, सास, बहिन, कन्या, पुत्रवधू का है जैसा ही अपनी स्त्री का भी है तो क्या माता आदि स्त्रियों के साथ भी स्वस्त्री के समान वर्तोगे ? तब तुमको संकुचित होकर चुप ही रहना पड़ेगा। जैसे उत्तम अन्न हाथ और मुख से खाया जाता है वैसे दुर्गन्न्ध भी खाया जा सकता है तो क्या मलादि भी खाओगे? क्या ऐसा भी कोई हो सकता है?
*चाण्डालादि नीच भंगी-चमार आदि का न खाना।*
Jaa be Frod"
जरा ये भी बताना की दयानंद सरस्वती ने वेद मे जो लिखा है उसे भी बता
Tum sali jhutha bolti ho
Satya hai
Jai shri🙏 ram🙏
बहुत सुन्दर
Jai shri ram🙏🙏🙏
Jai shri🙏 ram🙏
Jai shri🙏 ram🙏