धर्मदास तोहे लाख दुआएं सार ज्ञान व सार शब्द कहीं बाहर न जाए सारत्मा बाहर जो पर ही बिचली पीढ़ी हंस नहीं तरही सार ज्ञान तब तक छुपाए जब तक द्वादश पंत न मिट जाए
माँगन मरण समान है, मति माँगो कोई भीख । माँगन ते मारना भला, यह सतगुरु की सीख ॥ अर्थ : माँगना तो मरने के बराबर है ,इसलिए किसी से भीख मत मांगो। सतगुरु तो कहते हैं कि मांगने से मर जाना बेहतर है।
बन्दी छोड़ सत गुरू रामपाल जी महाराज जी की जय हो 🙏🙇👏
आज के टाइम में संत रामपाल महाराज जी ही पूर्ण परमात्मा हैं
जय हो बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी परमात्मा की
मात-पिता मिल जाएंगे लक चौरासी माए सतगुरु सेवा और बंदगी फिर मिलेगी नाय बंदी चोर सतगुरु रामपाल जी महाराज की जय
परमपिता बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी भगवान की जय हो
सतगुरु ही पुर्ण ब्रह्म है
जगतगुरू तत्वदर्शी संत रामपालजी महाराजजी की जय हो ।।
सतगुरु आए दया करी ऐसे दीनदयाल बंदी छोड़ बन्दी छोड़ बीरदताश का जठराग्नि प्रतिपाल
वेदो मे प्रमाण है कबीर साहेब जी भगवान है
संत रामपाल जी महाराज के चरणों में दंडवत प्रणाम
भक्ति बीज है प्रेम का, परगट पृथ्वी मांहि
।
कहैं कबीर बोया घना, निपजे कोऊ एक ठांहि ॥
संत रामपाल महाराज जी एक सच्चे संत ओर सच्चे समाज सुधारक है ।
वेदो मे प्रमाण हे कबीर साहैब भगवान हे
कबीर गर्व ना कीजियो ऊँचा देख आवास
काल पङे भू लेटना ऊपर जमसी घास
कबीर, हम ही अलख अल्लाह है,कुतुब-गोस और पीर।गरीब दास खालिक धनी, हमरा नाम कबीर।।
बन्दी छोड सतगुरू रामपालजी महाराज के चरणो मे कोटी कोटी दण्ड्वत प्रणाम सत साहेब जी
भक्ति गेंद चौगान की, भावे कोई ले जाय
।
कह कबीर कुछ भेद नाहिं, कहां रंक कहां राय ॥
Taran Har Sant Rampal Ji Maharaj ki jai ho
कहत सुनत सब दिन गए, उरझि न सुरझ्या मन.
कही कबीर चेत्या नहीं, अजहूँ सो पहला दिन.
कबीर,पिछले पाप से,हरि चर्चा ना सुहावे ।
जैसे ज्वर के वेग से,भूख विदा हो जावे ।।
सतयुग में सतसुकृत कह टेरा,त्रेता नाम मुनींद्र मेरा ।द्वापर में करुणामय कहाया, कलयुग नाम कबीर धराया।।
मात-पिता मिल जाएंगे, लख चौरासी माय।
सतगुरु सेवा और बन्दगी, फिर मिलेगी नाय।।
कबीर,प्रेम प्रेम सब कोई कहे प्रेम न समझे कोय। जिस प्रेम से भगवान मिले प्रेम कहावे सोय।।
कबीर सुमिरन की सुधि यो करो जैसे दाम कंगाल
कहै कबीर विसरै नही पल पल लेत संभाल
कबीर, वेद पढे पर भेद न जाने, ये बांचै पुराण अठारा ।
जड़ को अंधा पान खिलावै, ये भूलै सिरजनहारा ॥
कबीर तिल भर मछली खाएंगे कोटि गौऊ दे दान काशी करौत ले मरे तो भी नरक निदान
Jagat guru tattv darshi sant rampal ji maharaj ki jay ho
कबीर हरि के नाम बिना ये राजा ऋषभ होय माटी लदे कुम्हार के घास ना डाले कोय।।
कबीर साहेब ही भगवान है
एहू जीउ बहुते जनम भरमिआ ता
सतिगुरू शबद सुणाइया
सन्त रामपाल जी के प्रयासों से ही भारत ही नहीं पूरे विश्व में होगी शांति स्थापना।
:- नास्त्रेदमस
भक्ति मुक्ति के दाता सतगुरू भटकत प्राणी फिरन्दा उस साहेब के हुकम बिना नही तरवर पात हिलन्दा
गरीब सतगुरू पुरूष कबीर है चारौ युग प्रमाण झुठे गुरूआ मर गए हो गए भुत मसाण
अनन्त कोटि ब्रमांड का,एक रति नही भार।
सतगुरु पुरुष कबीर है,कुल के सृजनहार।।
सट्ट दल दोनों दीन का दिल में दोष न धार, सतगुरु का कोई एक है काल का संसार
कबीर यह तन विष की बेलरी गुरु अमृत की खान शीश दिए जो गुरु मिले तो भी सस्ता जान सत साहेब
कबीर, गुरु गोविन्द दोउ खङे काके लागु पाय बलिहारी गुरू अापना गोबिंद दिया मिलाय
कबीर चाह मिटी, चिंता मिटी मनवा बेपरवाह।
जिसको कुछ नहीं चाहिए वह शहनशाह॥
बंदी चोर सतगुरु रामपाल जी महाराज की जय बंदी छोड़ कबीर साहिब की जय सत साहेब भगत जी
संतरामपालजी धरतीपर एकमात्रगुरु है जिनके ज्ञान सुनने से सारेसंशय खत्म होजाते,भरम रूपीअंधेरा मिटजाताहै
गरीब काल डरै करतार से जै जै जगदीश
जौरा जौरी झाङती पग रज डारै शीश
जिस महापुरुष की वजह से पूरे विश्व में एक ईमानदार न्याय व्यवस्था स्थापित होगी उसे 42 महीनों के लिए जैल में रहना पड़ेगा।
:- पवित्र बाइबिल
कबीर इन्द्र-कुबेर, ईश की पदवी, ब्रम्हा वरुण धर्मराया।
विष्णुनाथ के पुर कूँ जाकर, बहुर अपूठा आया।।
Bandi chhod sant rampal ji maharaj ki jay ho
जग सारा रोगिया रे जिन सतगुरु भेद ना जान्या
sat sahib ji
Sant rampal ji is the greatest spiritual teacher in the world
कबीर सब जग निर्धना धनवन्ता नही कोय धनवन्ता सोई जानिए राम नाम धन होय
बिन सतगुरु पावे नहीं खाली खोज विचार जय सतगुरु मिलता नहीं जाता यम के द्वार
जिस महापुरुष का सबको इंतजार है वह भारत के किसी कोने में पैदा हो चुका है और आज पूरे 20 वर्ष का हो गया है।
:- जयगुरुदेव 8 सितम्बर 1971
राम नाम कड़वा लगे, मीठे लागे दाम।
दुविधा में दोनों गए, माया मिली न राम।।
गुरु गोविंद दोनों खड़े काके लागू पाय । बलिहारी गुरु आपने जो गोविंद दियो मिलाय।।
कबीर, सदगुरु के लक्षण कँहू, मधुरे बैन विनोद।
चार वेद षट् शास्त्र, वो कहे अठारा बोध ।।
संत रामपाल जी महाराज पूर्ण संत है
हम हि अलक अल्लाह हे कुतुब गोस के पीर।
गरीबदास के लिख दिना हमरा नाम कबीर ॥
कबीर साहेब जी
पूरे विश्व में संत रामपाल जी महाराज के अलावा किसी के पास यथार्थ भक्ति विधि नही है।
कबीर धरमराय तेरा लेखा लेगा वहां क्या बात बनाऐगा।
लाल खंभ से बांध्या जावेगा बिन सतगुरू कौन छुडा़येगा।।
राम नाम रटते रहो जब तक घट में प्राण कबूत दीनदयाल के भनक पड़ेगी कान
धर्मदास तोहे लाख दुआएं सार ज्ञान व सार शब्द कहीं बाहर न जाए सारत्मा बाहर जो पर ही बिचली पीढ़ी हंस नहीं तरही सार ज्ञान तब तक छुपाए जब तक द्वादश पंत न मिट जाए
कबीर या तन विष की बेलड़ी, गुरु अमृत की खान।
शीश दिए जो गुरु मिले, तो भी सस्ता जान।।
कबीर,इस संसार को, समझाऊं कै बार ।
पूंछ पकडकर भेड की, उतरा चाहे पार ॥
माँगन मरण समान है, मति माँगो कोई भीख ।
माँगन ते मारना भला, यह सतगुरु की सीख ॥
अर्थ :
माँगना तो मरने के बराबर है ,इसलिए किसी से भीख मत मांगो। सतगुरु तो कहते हैं कि मांगने से मर जाना बेहतर है।
जय हो बन्दी छोड़ तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज की जय हो
कबीर दर्शन संत के मुख पे बसे सुहाग।
दर्श उन्ही को होत है जिन के पूर्ण भाग।।
कबीर लवली संबंध की मोती बिखरे आई बगुला भेद न जाने ली हनसा चुनी चुनी खाई
कबीर,ये तन विष की बैलड़ी गुरू अमृत की खान
शीश दिए जो गुरू मिले तो भी सस्ता जान
बिन मांगे मोती मिले मांगे मिले ना भीख मांगन से मरना भला यह सतगुरु की सीख
यह संसार समझदा नाहीं कहन्दा श्याम दोपहरे नूं गरीबदास यह वक्त जात है रोवोगे इस पहरे नूं
कबीर गुरुवां गाम बिगाड़े संतो, गुरुवां गाम बिगाड़े।
ऐसे कर्म जीव के ला दिए, इब झड़े नही झाड़े।।
भक्ति महल बहु ऊँच है, दूर ही से दर्शाय
।
जो कोई जन भक्ति करे, शोभा बरनी ना जाय ॥
Bandi chhod satguru rampal ji maharaj ki jai ho
चार दाग से सदगुरू न्यारा अजरो अमर सरीर।
दास मलुक सलुक कहत है खोजो खसम कबीर ।।
Only saint rampal ji maharaj ji is true saint
Jagat guru sant rampalji
कबीर,जिव्हा तो वो ही भली, जो रटे हरी नाम।
नहीं तो काट के फेंक दियो, मुख में भलो ना चाम।
हम सुल्तानी नानक तारे, दादू को उपदेश दिया ।
जात जुलाहा भैद ना पाया, काशी माही कबीर हुआ ।।
सतगुरु रामपाल जी महाराज की जय।
सतगुरु आये दया करि ऐसे दीन दयाल ।
बन्दी छोड़ विरदतास की जठर अग्नि परतिपाल।।
I am so happy because I am follow ram pal g
सतसंग की आधी घड़ी तप के वर्ष हजार
तो भी बराबर है नही कहे कबीर विचार
कबीर राम बुलावा भेजीया दिया कबीरा रोय जो सुख है सतसंग मै वो बैकुण्ठ मै भी ना होय
कबीरा सब जग निर्धना धनवंता ना कोई धनवंता सो जानिए राम नाम धन होय
बलिहारी गुरु आपणे दिउहाड़ी सदवार
जिन माणस ते देवते कीए करत न लागी वार
राम नाम कङवा लागे छोका लागे दाम ।
दुविधा में दोनों गये माया मिली न राम ।।
कबीर अंतर्यामी एक तु आतम के आधार जो तुम छोडो हाथ तो कोन उतारे पार
Guru ji ke charno me koti koti pranam
चिड़िया चोंच भरि ले गई, घट्यो न नदी को नीर ।
दान दिये धन ना घटे, कहि गये दास कबीर ॥
satsahib ji
खाली आया खाली जायेगा ,संग चले न धेला रे ।
नाम हरि का जप ले बंदे ,चलो चली का मेला रे।।
भक्ति बिना क्या होत है यह भ्रम रहा संसार
रति कंचन पाया नहीं रावण चलती बार
पोथी पढि पढि जग मुआ, पंडित भया न कोय ।
ढाई आखर प्रेम का, पढ़ै सो पंडित होय ।।
Sat saheb
कबीर, संत समागम हरि कथा, तुलसी दुर्लभ दोय। सूत दारा धन लक्ष्मी, घर पापी के भी होय।।
बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज की जय हो।।
वाणी ऐसी बोलिऐ मन का आपा खोई ओरन को सीतल करै खुद भी सीतल होई।
बहुत सुन्दर ज्ञान
चलूं चलूं सब कोइ कहै, पहुंचे बिरला कोय। एक कनक अरू कामिनी, दुर्लभ घाटी दोय।
सोही गुरू पुरा कहावे, जो दो अक्षर का भेद बतावे !
एक छुडावे एक लखावे, वही प्राणी निज घर को जावे !!
अगम निगम को खोज ले,बुध्दि विवेक विचार।
उदय अस्त का राज मिले,तो बिन नाम बेगार।।
ज्ञान सुने तो ज्ञान सुनाओ सत्य की राह चलाऊं कहै कबीर सुनो भाई साधु अमरापुर पहुंचाऊं
sat saheb ji
” *पाथर पूजे हरी मिले,*
*तो मै पूजू पहाड़ !*
*घर की चक्की कोई न पूजे,*
*जाको पीस खाए संसार !!* ”
- संत कबीर
गैबी ख्याल विशाल सतगुरू अचल दिगम्बर थीर है भक्ति हेत काया धर आए अविगत सत कबीर
गोरख से ज्ञानी घणे,शुकदेव जति जहान्।
सीता सी बहु भार्या, संत दूर स्थान।।
*_कबीर, नौ मण सूत उलझिया ऋषि रहे झकमार, सतगुरू ऐसा सुलझा दे उलझे न दूजी बार_*
🙏😭
भव सागर जूनी जन्म हरी दास मिटावे, बहुर बहोर ना आवही फिर मुक्ता पद पाव