मेरे प्रातःकाल की शुरुआत ही आचार्य जी आचार्य जी के ज्ञान के साथ ही होती है, ईश्वर से मेरी प्रार्थना है हम सब के आचार्य जी को स्वस्थ्य और लम्बी आयु प्रदान करें, जिससे हम सब को आने वाले काल में भी आचार्य जी का ज्ञान मिलता रहे हैं🙏🙏🙏🙏🙏
साल का आखिरी दिन है आज। मैं बहुत-बहुत साधुवाद ज्ञापित करता हूं संस्था व आचार्य श्री को।इस साल भर में बहुत कुछ सीखने को मिला आपसे सच कहूं तो आपको सुनते सुनते ही जीने की ऊर्जा मिली है मुझे।
अविचार से ज़्यादा बड़ा दुश्मन किसी भी इंसान का नहीं हो सकता। अविचार इंसान का इतना बड़ा दुश्मन है कि वो उसे इंसान ही नहीं रहने देता। वो आपको जानवर बना देता है। मतलब अविचार मौत है आपकी। इंसान इंसान ही नहीं रहा मतलब मर गया न? जो सोच नहीं सकता वो मर गया है। -आचार्य प्रशांत
आज 2022 का आखरी दिन है और मैं उम्मीद करता हूं कि आप सभी के अगले यह सब 2022 अच्छा गुजरा होगा और आपने काफी कुछ जाना होगा , मैं 2022 में आचार्य जी के इस चैनल से और संस्था से इसी साल जुड़ा हूं यह साल मेरे लिए काफी अच्छा रहा है पिछले सालों के मुकाबले वह भी अच्छे थे लेकिन इस साल मुझे काफी कुछ अच्छा जानने को मिला और मुझे यह भी पता चला कि इस पृथ्वी पर एक ही पुस्तक है जो आप को तार सकती है और वह है श्रीमद् भगवत गीता, मैं भगवत गीता इस साल काफी कुछ जाना है, और सोशल मीडिया पर यही जानने को मिला है कि , ज्ञान का भंडार है भगवत गीता , और मैं उम्मीद करता हूं कि 2023 में इस साल से भी ज्यादा सीखू , ओर आचार्य जी से जुड़ने के बाद मेरे अंदर से टूट गया हूं क्योंकि ऐसी ऐसी बातें पता चलेगा हैं जो शायद मुझे और कहीं से नहीं मिलती हैं, सभी अंधविश्वासों से छुटकारा मिला है, तुम ही उम्मीद करता हूं कि आप ज्यादा से ज्यादा आचार्य जी के साथ जुड़िए और उनसे काफी कुछ सीखने के लिए है , आपने जो दिया है आचार्य जी ऐसा सुंदर शास्त्र ज्ञान कहीं से नहीं मिला , इसलिए आपका धन्यवाद आचार्य जी , और मैं उम्मीद करता हूं हमारी संस्था अगले साल में करोड़ों लोगों तक पहुंचे 🙏🙏🙏
जो सोच ही नहीं रहा, उससे मैं थोड़े ही ये कहने जाऊँगा कि सोच-सोच कर कुछ नहीं पाओगे। उससे तो यही कहूँगा कि तुम सोचना शुरू तो करो। जानवर और इंसान में यही तो अंतर है- इंसान के पास विचार की शक्ति है। पहले तो मनुष्यता के दायरे में कदम रखो, सोच के माध्यम से और फिर मनुष्यता के दायरे का अतिक्रमण किया जाता है जब सोच अपनी सीमा को जान लेती है। -आचार्य प्रशांत
कौन छुरा ज्यादा घातक है, जो मेज पर रखा हुआ है या छाती में उतरा है।। - जो छाती में उतरा हुआ है, जो जिंदगी में ज्यादा घुसा हुआ है वो ज्यादा अन्धविश्वास है।।
जिन्हें सोचना नहीं, समझना नहीं, जिन्हें बस किसी और की आज्ञा का पालन करना है। उनका नाम तो मशीन होता है। फिर बोध या चेतना की क्या ज़रूरत है? बस अपना ऑपरेटिंग मैन्युअल साथ में लेकर चलो। -आचार्य प्रशांत
2022 आज समाप्त हो जाएगा। आज नये संकल्प लेके 2023 में जाना है की ज्यादा से ज्यादा आचार्यजी के ज्ञान को आचरण में लाने का प्रयास करेंगे (आचरण परमो धर्म:), समय निकालकर निष्काम भाव से कर्म जरूर करना है । धन्यवाद 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
कोटि कोटि नमन आचार्य जी 🙏🙏🙏💐💐 मैं अपने आपको बड़ा भाग्यशाली समझता हूं,की आप जैसे गुरु मिले।आपको सुनते हुए छ : माह हो गए। मेरी चेतना का स्तर पहले की अपेक्षा काफी हद तक विकसित हुई है।मैं अपने सीनियर सर को भी धन्यवाद देना चाहूंगा जिन्होंने आपकी बात को सुनने को कहा। कृष्ण की ओर आने को कहा। मैं ईश्वर से कामना करता ही की आचार्य जी का मिशन सफल हो ।जय श्री कृष्णा 💐💐💐🙏🙏🙏🙏🙏
नमो नमः मैं दो वर्ष से आपको सुन रही हूं और मैं अभी १८ वर्ष की हूं और अपने जीवन से बहुत खुश हूं की मुझे आप भटकते हुए समय में मिल गए, नहीं तो आज मैं वृंदावन की गलियों में अपनी अतृप्त चेतना को तृप्ति रूप झूठे अंधविश्वासों में पनपने देती, और भक्ति के नाम पर एक पाखण्ड रूप ढ़ीठ वृक्ष बन जाती, मुझे उस जीवन से बचाने के लिए मैं आपकी ऋणी हूं🙏🙏 मैं वेदांत महोत्सव में भी आने का सौभाग्य प्राप्त कर चुकी हूं और अभी आनलाइन गीता सत्र में आपके साथ हूं लखनऊ से और यहीं पर राष्ट्रीय संस्कृत संस्थानं में व्याकरण विषय लेकर शास्त्री कक्षा में पढ़ रही हूं 🙏❤️
Acharya ji i am really amazed that the things i am feeling guilty about that why am i like this since childhood and now for the 1st time in my whole life i have met anyone who is pointing these same questions . I had always stood by these when i was unaware that i am doing these but now when i have realized it, i am losing the strength to stand alone but at the same time i can't leave it bcz i am this only. People are saying i am unable to accept people as they are, and also saying that i am unable to accept myself.
मान्यताओं और अंधविश्वास की अपेक्षा विचार श्रेष्ठ है। विचार से भी श्रेष्ठ है विचार का अवलोकन। (ये जानना कि ये जो मैं सोच रहा हूँ ये सोच कहाँ से आ रही है?) बिना सोचे कुछ मान लिया वो सबसे नीचे की बात है। उसके बारे में सोचा ये थोड़ी तरक्की करी। -आचार्य प्रशांत
Aachary parshant agr Adhyatmik nhi h to es duniya mein koi Adhyatmik nhi. Aap yug purush hain jo hme ae din Roshni or Sahi jindgi jine ki kla sikha rhe hain. aapke Vyktitv ki jitni prshnsa ki jay km hai . meri to Bhagwan se yehi prartna h ki aap kalyug ke ant tk Jivit rhen Or mare sath sath aane vali pidhiyon ko bhi apne gyan roopi Roshni Rasta dikhate rhen. Jai Gurudev.Charn saparsh aachary ji.
Thanks
Thanks!
आचार्य जी को भारत रत्न मिलना चाहिए
बिल्कुल ✌️🙏🏼
आचार्य प्रशान्त को राष्ट्रीय स्तर के सम्मान से सम्मानित किया जाना चाहिए 😊🙏🙏
1 जनवरी २०२३ मे सब आचार्य जी की संगत का लाभ उठाये, इससे सुंदर नव वर्ष दूसरा नहीं हो सकता 🙏
मेरे प्रातःकाल की शुरुआत ही आचार्य जी आचार्य जी के ज्ञान के साथ ही होती है, ईश्वर से मेरी प्रार्थना है हम सब के आचार्य जी को स्वस्थ्य और लम्बी आयु प्रदान करें, जिससे हम सब को आने वाले काल में भी आचार्य जी का ज्ञान मिलता रहे हैं🙏🙏🙏🙏🙏
❤️
साल का आखिरी दिन है आज। मैं बहुत-बहुत साधुवाद ज्ञापित करता हूं संस्था व आचार्य श्री को।इस साल भर में बहुत कुछ सीखने को मिला आपसे सच कहूं तो आपको सुनते सुनते ही जीने की ऊर्जा मिली है मुझे।
🛕दुःख वो देना कि छाती फट जाएँ,
और छाती वो देना कि कैसा भी दुःख झेल जाएँ। 💕
Write ✍️ by Acharya Prashant
अविचार से ज़्यादा बड़ा दुश्मन किसी भी इंसान का नहीं हो सकता।
अविचार इंसान का इतना बड़ा दुश्मन है कि वो उसे इंसान ही नहीं रहने देता।
वो आपको जानवर बना देता है।
मतलब अविचार मौत है आपकी।
इंसान इंसान ही नहीं रहा मतलब मर गया न?
जो सोच नहीं सकता वो मर गया है।
-आचार्य प्रशांत
जो भी कोई अपनी चेतना, अपनी प्रज्ञा का प्रयोग किये बिना बस रिवाज़, रिचुअल्स, रूढ़ि, प्रथा के तौर पर कुछ करे जाता है, वही पिछड़ा हुआ है।
-आचार्य प्रशांत
Acharya prashant ko bharat ratna milna chahiye🙏🙏🙏
आज 2022 का आखरी दिन है और मैं उम्मीद करता हूं कि आप सभी के अगले यह सब 2022 अच्छा गुजरा होगा और आपने काफी कुछ जाना होगा , मैं 2022 में आचार्य जी के इस चैनल से और संस्था से इसी साल जुड़ा हूं यह साल मेरे लिए काफी अच्छा रहा है पिछले सालों के मुकाबले वह भी अच्छे थे लेकिन इस साल मुझे काफी कुछ अच्छा जानने को मिला और मुझे यह भी पता चला कि इस पृथ्वी पर एक ही पुस्तक है जो आप को तार सकती है और वह है श्रीमद् भगवत गीता, मैं भगवत गीता इस साल काफी कुछ जाना है, और सोशल मीडिया पर यही जानने को मिला है कि , ज्ञान का भंडार है भगवत गीता , और मैं उम्मीद करता हूं कि 2023 में इस साल से भी ज्यादा सीखू , ओर आचार्य जी से जुड़ने के बाद मेरे अंदर से टूट गया हूं क्योंकि ऐसी ऐसी बातें पता चलेगा हैं जो शायद मुझे और कहीं से नहीं मिलती हैं, सभी अंधविश्वासों से छुटकारा मिला है, तुम ही उम्मीद करता हूं कि आप ज्यादा से ज्यादा आचार्य जी के साथ जुड़िए और उनसे काफी कुछ सीखने के लिए है , आपने जो दिया है आचार्य जी ऐसा सुंदर शास्त्र ज्ञान कहीं से नहीं मिला , इसलिए आपका धन्यवाद आचार्य जी , और मैं उम्मीद करता हूं हमारी संस्था अगले साल में करोड़ों लोगों तक पहुंचे 🙏🙏🙏
हम न प्राकृतिक हैं, न आध्यात्मिक। हम केवल सामाजिक हैं।
Subh subh उठ के सबसे पहले आचार्य जी को सुनती hu🤗🤗🤗🤗
Love u आचार्य ji
जो सोच ही नहीं रहा, उससे मैं थोड़े ही ये कहने जाऊँगा कि सोच-सोच कर कुछ नहीं पाओगे।
उससे तो यही कहूँगा कि तुम सोचना शुरू तो करो। जानवर और इंसान में यही तो अंतर है- इंसान के पास विचार की शक्ति है।
पहले तो मनुष्यता के दायरे में कदम रखो, सोच के माध्यम से
और फिर मनुष्यता के दायरे का अतिक्रमण किया जाता है जब सोच अपनी सीमा को जान लेती है।
-आचार्य प्रशांत
आचार्य जी मुझे आप जैसे गुरु का मार्गदर्शन मिला ये मेरी इस वर्ष की एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। धन्यवाद आपको!
प्रशांत सर से शीत युद्ध असंभव है इस वीडियो से पता चला 😘😘♥️♥️
आचार्य जी आप न मिले होते तो , हमारी सवालों का जबाब नहीं मिलता , लेकिन जो आज आप से मिल रहा है , वह कभी किसी से नहीं मिला , धन्यवाद
ईश्वर आपको और आपके साथ काम कर रहे लोगों को स्वस्थ रखे जिससे इस समाज को सच्चा ज्ञान मिल सके और तथाकथित ढोंगियों से बचा सके। सहृदय आभार आचार्यजी🙏🙏
प्रणाम आचार्य जी सभी अंधविश्वास घातक हैं क्योंकि वह तुम्हारी चेतना को ऊंचा उठने नहीं देते
प्रणाम आर्चाय जी ।
नई राहो से परिचय कराने के लिए बहुत- बहुत धन्यवाद ।
देह नही है हम, इस मन को पोषित करते है, अपने आप को देह समझ कर, इसलिए जीवन भर दुखी रहते है।
कौन छुरा ज्यादा घातक है, जो मेज पर रखा हुआ है या छाती में उतरा है।।
- जो छाती में उतरा हुआ है, जो जिंदगी में ज्यादा घुसा हुआ है वो ज्यादा अन्धविश्वास है।।
जिन्हें सोचना नहीं, समझना नहीं, जिन्हें बस किसी और की आज्ञा का पालन करना है।
उनका नाम तो मशीन होता है।
फिर बोध या चेतना की क्या ज़रूरत है?
बस अपना ऑपरेटिंग मैन्युअल साथ में लेकर चलो।
-आचार्य प्रशांत
सुबह की शुरुआत आप से हो जाए तो दिन की सारी समस्याओ से लड़ जाते हैं, धन्यवाद आचार्य जी🙏
Itni clarity, wow AP you are the best 🙏
बहुत सुन्दर प्रस्तुति 🙏
सत्य कोई भौतिक वस्तु नहीं है ।।👍🙏
2022 आज समाप्त हो जाएगा। आज नये संकल्प लेके 2023 में जाना है की ज्यादा से ज्यादा आचार्यजी के ज्ञान को आचरण में लाने का प्रयास करेंगे (आचरण परमो धर्म:), समय निकालकर निष्काम भाव से कर्म जरूर करना है । धन्यवाद 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
माडर्न की परिभाषा - जो विश्वास पर नहीं विचार पर चले वहीं माडर्न है।
आचार्य प्रशांत जी
न हम प्राकृतिक हैं, न हम आध्यात्मिक हैं, हम बस सामाजिक हैं।
पशु प्राकृतिक होता है,
संत आध्यात्मिक होता है,
हम बस सामाजिक हैं।
-आचार्य पप्रशांत
जो विश्वास पर नहीं,विचार पर चले वही आधुनिक है।🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
बहुत सुंदर
विचार पर नही ज्ञान पर चलिए
किसी भी topic को कितनी गहराई और clarity के साथ बताते हैं गुरु जी🙏🙏
आधुनिकता का सही अर्थ विश्वास पर नहीं विचार पर चले अचार्य प्रशांत जी
Apko naman
कोटि कोटि नमन आचार्य जी 🙏🙏🙏💐💐
मैं अपने आपको बड़ा भाग्यशाली समझता हूं,की आप जैसे गुरु मिले।आपको सुनते हुए छ : माह हो गए। मेरी चेतना का स्तर पहले की अपेक्षा काफी हद तक विकसित हुई है।मैं अपने सीनियर सर को भी धन्यवाद देना चाहूंगा जिन्होंने आपकी बात को सुनने को कहा। कृष्ण की ओर आने को कहा।
मैं ईश्वर से कामना करता ही की आचार्य जी का मिशन
सफल हो ।जय श्री कृष्णा 💐💐💐🙏🙏🙏🙏🙏
चरण स्पर्श आचार्य जी🙏🙏🙏❤️❤️❤️
Best andThe best men of the world
नमो नमः
मैं दो वर्ष से आपको सुन रही हूं और मैं अभी १८ वर्ष की हूं और अपने जीवन से बहुत खुश हूं की मुझे आप भटकते हुए समय में मिल गए, नहीं तो आज मैं वृंदावन की गलियों में अपनी अतृप्त चेतना को तृप्ति रूप झूठे अंधविश्वासों में पनपने देती, और भक्ति के नाम पर एक पाखण्ड रूप ढ़ीठ वृक्ष बन जाती,
मुझे उस जीवन से बचाने के लिए मैं आपकी ऋणी हूं🙏🙏
मैं वेदांत महोत्सव में भी आने का सौभाग्य प्राप्त कर चुकी हूं और अभी आनलाइन गीता सत्र में आपके साथ हूं लखनऊ से और यहीं पर राष्ट्रीय संस्कृत संस्थानं में व्याकरण विषय लेकर शास्त्री कक्षा में पढ़ रही हूं
🙏❤️
Naman
अंधविश्वास से श्रेष्ठ है विचार और विचार से भी श्रेष्ठ है विचार का अवलोकन
आचार्य जी कोटि कोटि नमन आपको
सादर प्रणाम आचार्य जी 🙏🌅
मान्यवर आपको कोटि कोटि प्रणाम. धन्यवाद जी.
Acharya ji i am really amazed that the things i am feeling guilty about that why am i like this since childhood and now for the 1st time in my whole life i have met anyone who is pointing these same questions . I had always stood by these when i was unaware that i am doing these but now when i have realized it, i am losing the strength to stand alone but at the same time i can't leave it bcz i am this only. People are saying i am unable to accept people as they are, and also saying that i am unable to accept myself.
अन्धविश्वास हमारी हस्ती का केंद्र ही होता है।।🌿🍁❤
Right
सत्य अटल है बाकी सब परिवर्तनशील और नित नूतन होना चाहिए.......😇
आप की आवश्कता पूरे विश्व को है आचार्य जी।।❣️❣️🙏🙏
Sir thank you very much ❤️
कितनी सुंदर गुरुवाणी।🙏🏻🌹💐😊
Pranam Acharya ji 🙏❤️♥️♥️♥️❤️
आचार्य जी को सादर प्रणाम 🙏
शत् शत् नमन आचार्य श्री🙏🙏
शत शत नमन गुरूजी ❤️🙏
धन्यवाद आचार्य जी।🙏🙏❣️❣️
Pranam acharya ji🙏🙏🙏🙏🙏🙏
सत्य 🤫
Saadar pranam 🙏🙏
आपको सुनकर बहुत ही बाते स्पष्ट हो गई हैं, धन्यवाद
कुछ भी मत स्वीकारिए
जीवन के हर पक्ष पर सोचा जा सकता है।
जीवन के हर पक्ष को बेहतर बनाया जा सकता है।
-आचार्य प्रशांत
!! नमन आचार्य जी !!
Thank you Acharya ji 🔥
अदभुत
Pranam acharyajee love you 🙏🙏🙏💕💕💕💕
अविचार मौत है इंसान की। माने इंसान इंसान ही नहीं बचा। जो सोच नहीं सकता वो मरा हुआ है। 🙏🙏
You ar always right acharyaji 🙏🌹🌹🙏
Thank you so much.
प्रणाम आचार्य जी
So wonderful sir
Pranam acharya ji🙏 i like ur straightforward talk on present situation.great observation
Thank you acharya ji❤️🌱🕊️
प्रश्न: जीवन और किसलिए है?
उत्तर: लगातार ऊर्ध्वगमन के लिए।
इस पल जैसे हो अगले पल उससे बेहतर हो जाओ।
-आचार्य प्रशांत
Acharya ji aap mahan ho 🙏😍❤️
Acharya ji ❤️
Naman pita tulya❤️
बहुत बहुत धन्यवाद आचार्य जी...
Acharya ji great p
मान्यताओं और अंधविश्वास की अपेक्षा विचार श्रेष्ठ है।
विचार से भी श्रेष्ठ है विचार का अवलोकन।
(ये जानना कि ये जो मैं सोच रहा हूँ ये सोच कहाँ से आ रही है?)
बिना सोचे कुछ मान लिया वो सबसे नीचे की बात है।
उसके बारे में सोचा ये थोड़ी तरक्की करी।
-आचार्य प्रशांत
Pranam,
I love you acharya g
Gm 🌄🌄🌄
Parnaam aachrya ji
Acharya prashant ji 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Sath sath pranam acharya ji 🌷🙏🙏🙏🙏🙏🌷
Well done sir 🙏🙏
आपको सुनने के पश्चात अध्यात्म को समझने लगा हूं। धन्यवाद महोदय जी
शत् शत् नमन गुरु जी
प्रणाम गुरुवर। शुभ प्रभात 🙏🙏
Aachary parshant agr Adhyatmik nhi h to es duniya mein koi Adhyatmik nhi.
Aap yug purush hain jo hme ae din Roshni or Sahi jindgi jine ki kla sikha rhe hain.
aapke Vyktitv ki jitni prshnsa ki jay km hai .
meri to Bhagwan se yehi prartna h ki aap kalyug ke ant tk Jivit rhen Or mare sath sath aane vali pidhiyon ko bhi apne gyan roopi Roshni Rasta dikhate rhen.
Jai Gurudev.Charn saparsh aachary ji.
Pranam acharya jee.
यह एक लंबे समय में सबसे अच्छी आध्यात्मिक बात रही है। आचार्य जी, आप समाज की महान और अच्छी सेवा कर रहे हैं।
Naman acharya ji🙏Great session sir ji..🙏🙏🙏🙏🙏Thanks to u alot❤
Prnam Acharya ji
शत शत नमन 🙏🙏
नमस्ते आचार्य जी 🙏🙏🙏
Naman sir..always God with you sir..
Great words by great man
किंतु आचार्य जी लोगो को पैसे कमाने का नशा ।उसमें जिंदगी बीत जाती है। कहते है हम तो खूश है ।
Charan sparsh Aacharya Ji
Aap pm ban jaiye acharya ji ❤️🕉
Jai shree Ram for everything 🙏🚩❤️