Me ankhe band karta hu thori deir baad apne ko pura paata hu ankhe kholta hu thora ghumta firta hu dusre baat karta hu firse pehle ki stage jane muje kuchh chahie me aa jaata hu
Aap jo de rahe ho jan ne ke bad bolte ho ya padhai karke q ki jana ne val to bol hi nahin sakta sirf ishara kar sakta hai aur ek to ASTRAVAKTA bata rahe hai is mein aap ka kya hai
जो पहले से ही पागल होता है, उसे पागल बनाने की जरूरत नहीं होती मैडम। और जो पागल बन जाए, वो अगर समझदार होता ही तो पागल कैसे बन जाता। किसी की दो बातें अगर तुम्हें बेवकूफ बना देती हैं, तो उसने तुम्हें बेवकूफ नहीं बनाया, तुम पहले ही बेवकूफ थे। अंधों में काना बनकर 😅 "ab ap bhi" इसका मतलब तुम उनकी कुछ बातों से agree करती हो कुछ से नहीं। बोलने वाला अपने एक ही केंद्र से बोलता है। लेकिन तुम यह शायर ही समझ पाओ। जो बात तुम्हारी मान्यता को सही साबित करती है, उसे तुम स्वीकार कर लेते हो, और जो बात तुम्हारी मान्यता के अनुसार नहीं होती है, उसे तुम गलत कह देते हो। इसका मतलब होता है कि तुमने उनको तो अभी तक सुना ही नहीं है। अपने अंदर बैठे इस घोंचू (भटके अहम) को जरा संभहालो। ये अगर इतना समझदार होता ही, तो यहां सुनने नहीं आता। बल्कि कुछ ऐसा कर रहा होता, जिससे जीवों का दुख मिटे। पर शायद यह बातें भी उस घोंचू को बुरी लगेगी और इनमें भी वो कोई खोट निकालने की कोशिश करेगा, देखना कैसे तिल मिलाएता है वो, जब उसे कोई गलत साबित करता है।😊
@@PremGeet12 हे प्रिय! मेरा पता नहीं आपने जरूर तिलमिला कर ये सब कह दिया कोई नही अंधभक्ति में यही होता है पर सही में तो पागलपन जैसा कुछ होता ही नहीं है, Neurosis स्टेट होती है जिसे आम भाषा में याद दास्त कहते हैं। जो मीट नहीं खाते उनके लिए मीट खाने वाले पागल,जो खाते हैं उनके लिए ना खाने वाले पागल, इस तरीके से पागलपन की परिभाषा बदलती रहती है, और जो कहा आपने जिसे नहीं समझते उसे गलत कह देते हैं, which exactly happened here in your case, आप नहीं समझी मेरी बात और गलत कह दिया। जिन वजहों से आप ये सब सुनती है वो ego हैं, and by no means i am saying that ego is evil or something this is how it is, Ego(direction) is how you go about things, If you have no direction(Ego) you can't practically do anything. But, i know you consider ego as ahaah evil uhhuuu "BHAAGO"😂 because that's how you have been told और क्योंकि आपकी डिक्शनरी में था ये "अहंकार" शब्द तो अपने इसके आस-पास कही गई बातो को इकट्ठा कर लिया और "अहंकार" शब्द को जहां मौका मिला चेपना शुरू किया 😂 उन तथा कथित अर्थ के साथ। जो भी "ego" के आस पास लोग कहते हैं, काट पीट कर वही कह दिया आपने यहां। वैसे ये पागल वाली एक कहावत है, पर फिर भी आपकी भाषा में आपको समझाएं हम अगर तो, पागल वही बन सकता है जो पागल है, जो पागल नहीं है उसके लिए इसकी कोई गुंजाइश नहीं है। जैसे अगर आपके पास ये शब्द "अहंकार" न होता तो कोई आपको पागल नहीं बना सकता था, की क्या है "अहंकार", पर क्योंकि आप पहले से पागल बनी बैठी थीं तो आपको और थोड़ा पागल बना दिया गया। Wish You had your OWN mind. Soo Sad 😐 Wish you luck babe☘️
@@PremGeet12 @ParamKiPriya हे प्रिय! मेरा पता नहीं आपने जरूर तिलमिला कर ये सब कह दिया कोई नही अंधभक्ति में यही होता है पर सही में तो पागलपन जैसा कुछ होता ही नहीं है, Neurosis स्टेट होती है जिसे आम भाषा में याद दास्त कहते हैं। जो मीट नहीं खाते उनके लिए मीट खाने वाले पागल,जो खाते हैं उनके लिए ना खाने वाले पागल, इस तरीके से पागलपन की परिभाषा बदलती रहती है, और जो कहा आपने जिसे नहीं समझते उसे गलत कह देते हैं, which exactly happened here in your case, आप नहीं समझी मेरी बात और गलत कह दिया। जिन वजहों से आप ये सब सुनती है वो ego हैं, and by no means i am saying that ego is evil or something this is how it is, Ego(direction) is how you go about things, If you have no direction(Ego) you can't practically do anything. But, i know you consider ego as ahaah evil uhhuuu "BHAAGO"😂 because that's how you have been told और क्योंकि आपकी डिक्शनरी में था ये "अहंकार" शब्द तो अपने इसके आस-पास कही गई बातो को इकट्ठा कर लिया और "अहंकार" शब्द को जहां मौका मिला चेपना शुरू किया 😂 उन तथा कथित अर्थ के साथ। जो भी "ego" के आस पास लोग कहते हैं, काट पीट कर वही कह दिया आपने यहां। वैसे ये पागल वाली एक कहावत है, पर फिर भी आपकी भाषा में आपको समझाएं हम अगर तो, पागल वही बन सकता है जो पागल है, जो पागल नहीं है उसके लिए इसकी कोई गुंजाइश नहीं है। जैसे अगर आपके पास ये शब्द "अहंकार" न होता तो कोई आपको पागल नहीं बना सकता था, की क्या है "अहंकार", पर क्योंकि आप पहले से पागल बनी बैठी थीं तो आपको और थोड़ा पागल बना दिया गया। Wish You had your OWN mind. Soo Sad 😐 Wish you luck babe☘️
@@PremGeet12 हे प्रिय! मेरा पता नहीं आपने जरूर तिलमिला कर ये सब कह दिया कोई नही अंधभक्ति में यही होता है पर सही में तो पागलपन जैसा कुछ होता ही नहीं है, Neurosis स्टेट होती है जिसे आम भाषा में याद दास्त कहते हैं। जो मीट नहीं खाते उनके लिए मीट खाने वाले पागल,जो खाते हैं उनके लिए ना खाने वाले पागल, इस तरीके से पागलपन की परिभाषा बदलती रहती है, और जो कहा आपने जिसे नहीं समझते उसे गलत कह देते हैं, which exactly happened here in your case, आप नहीं समझी मेरी बात और गलत कह दिया। जिन वजहों से आप ये सब सुनती है वो ego हैं, and by no means i am saying that ego is evil or something this is how it is, Ego(direction) is how you go about things, If you have no direction(Ego) you can't practically do anything. But, i know you consider ego as ahaah evil uhhuuu "BHAAGO"😂 because that's how you have been told और क्योंकि आपकी डिक्शनरी में था ये "अहंकार" शब्द तो अपने इसके आस-पास कही गई बातो को इकट्ठा कर लिया और "अहंकार" शब्द को जहां मौका मिला चेपना शुरू किया 😂 उन तथा कथित अर्थ के साथ। जो भी "ego" के आस पास लोग कहते हैं, काट पीट कर वही कह दिया आपने यहां। वैसे ये पागल वाली एक कहावत है, पर फिर भी आपकी भाषा में आपको समझाएं हम अगर तो, पागल वही बन सकता है जो पागल है, जो पागल नहीं है उसके लिए इसकी कोई गुंजाइश नहीं है। जैसे अगर आपके पास ये शब्द "अहंकार" न होता तो कोई आपको पागल नहीं बना सकता था, की क्या है "अहंकार", पर क्योंकि आप पहले से पागल बनी बैठी थीं तो आपको और थोड़ा पागल बना दिया गया। और जिस केंद्र की आप बात कर रहीं हैं, वैसे फिर से सुना सुनाया शब्द "chaep" दिया आपने, आदत से मजबूर लगती हैं आप, खेर उस केंद्र को "Intention" कहते हैं, शब्द, क्रिया कलाप ये सब "intention" के "construtions" हैं। जैसे "बनाना" किसी "चीज" का "केंद्र" हैं, अब उसमे कोई शब्द बनाए आप महल बनाए रोटी बनाए कुछ भी सब उस "बनाने" में आजाएगा। वैसे लो आपको गहराई तक "केंद्र" भी समझने को मिलगया। Wish You had your OWN mind. Soo Sad 😐 Wish you luck babe☘️
@ParamKiPriya हे प्रिय! मेरा पता नहीं आपने जरूर तिलमिला कर ये सब कह दिया कोई नही अंधभक्ति में यही होता है पर सही में तो पागलपन जैसा कुछ होता ही नहीं है, Neurosis स्टेट होती है जिसे आम भाषा में याद दास्त कहते हैं। जो मीट नहीं खाते उनके लिए मीट खाने वाले पागल,जो खाते हैं उनके लिए ना खाने वाले पागल, इस तरीके से पागलपन की परिभाषा बदलती रहती है, और जो कहा आपने जिसे नहीं समझते उसे गलत कह देते हैं, which exactly happened here in your case, आप नहीं समझी मेरी बात और गलत कह दिया। जिन वजहों से आप ये सब सुनती है वो ego हैं, and by no means i am saying that ego is evil or something this is how it is, Ego(direction) is how you go about things, If you have no direction(Ego) you can't practically do anything. But, i know you consider ego as ahaah evil uhhuuu "BHAAGO"😂 because that's how you have been told और क्योंकि आपकी डिक्शनरी में था ये "अहंकार" शब्द तो अपने इसके आस-पास कही गई बातो को इकट्ठा कर लिया और "अहंकार" शब्द को जहां मौका मिला चेपना शुरू किया 😂 उन तथा कथित अर्थ के साथ। जो भी "ego" के आस पास लोग कहते हैं, काट पीट कर वही कह दिया आपने यहां। वैसे ये पागल वाली एक कहावत है, पर फिर भी आपकी भाषा में आपको समझाएं हम अगर तो, पागल वही बन सकता है जो पागल है, जो पागल नहीं है उसके लिए इसकी कोई गुंजाइश नहीं है। जैसे अगर आपके पास ये शब्द "अहंकार" न होता तो कोई आपको पागल नहीं बना सकता था, की क्या है "अहंकार", पर क्योंकि आप पहले से पागल बनी बैठी थीं तो आपको और थोड़ा पागल बना दिया गया। और जिस केंद्र की आप बात कर रहीं हैं, वैसे फिर से सुना सुनाया शब्द "chaep" दिया आपने, आदत से मजबूर लगती हैं आप, खेर उस केंद्र को "Intention" कहते हैं, शब्द, क्रिया कलाप ये सब "intention" के "construtions" हैं। जैसे "बनाना" किसी "चीज" का "केंद्र" हैं, अब उसमे कोई शब्द बनाए आप महल बनाए रोटी बनाए कुछ भी सब उस "बनाने" में आजाएगा। वैसे लो आपको गहराई तक "केंद्र" भी समझने को मिलगया। Wish You had your OWN mind. Soo Sad 😐 Wish you luck babe☘️
Ye sab bakwas hai is se samaj nirmaly hota hai krashn ki tarah sab ka aanand se swikar karna hi best philosophy hai sukh dukh bhog tyag yuddh aur shanti shap aur varadan
तुम conditioned हो गए हो। ओशो को सुन और समाज लिया होता तो तुम यहां नहीं भटकते। लेकिन तुम्हें अपना यह घोंचूपना नहीं दिखेगा, क्योंकि तुम घोंचू हो। क्योंकि तुम्हारे अंदर का घोंचू हमेशा दूसरों की तरह बनने की कोशिश करता रहता है, इसलिए उसको सब वैसे ही दिखते हैं। जब तक ऐसे हो तब तक ना तुम्हारा ओशो को सुनकर भला हुआ, न इनको सुनकर भला होगा। और उनके ओशो जैसा बनने में तुम्हें क्या दिक्कत है। कम से कम तुम्हारी तरह घोंचू तो नहीं बन रहे हैं वो
❤️🙏
आप सहज,सरल, शांत भाव से विचार प्रस्तुत करते हो.कोई भी आसानी से समज पायेगा ❤आपका धन्यवाद 💐🙏
Keep it up ❤
Bilkul samajh aa gaya sir thanks
It is absolutely true. Freedom from the known is only solution. Realise that Obsever is the Obeserved
Ram ram prabhu 🙏🙏🙏
Nice
Nice Analysis
Owner is Owned
😍😍🥰🥰😊😊😀😀😂😂❤️❤️🌻🌻🌹🌹🙏🙏
Me ankhe band karta hu thori deir baad apne ko pura paata hu ankhe kholta hu thora ghumta firta hu dusre baat karta hu firse pehle ki stage jane muje kuchh chahie me aa jaata hu
Sir to fir insaan kya kare kuch bhi naa kare please guide.
Aap apna kam karein
Aap jo de rahe ho jan ne ke bad bolte ho ya padhai karke q ki jana ne val to bol hi nahin sakta sirf ishara kar sakta hai aur ek to ASTRAVAKTA bata rahe hai is mein aap ka kya hai
😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂duniya pagal h bnane wala chaiye.
Please kya abhi ap bhi utar gye andho m kaana bankar
जो पहले से ही पागल होता है, उसे पागल बनाने की जरूरत नहीं होती मैडम।
और जो पागल बन जाए, वो अगर समझदार होता ही तो पागल कैसे बन जाता।
किसी की दो बातें अगर तुम्हें बेवकूफ बना देती हैं, तो उसने तुम्हें बेवकूफ नहीं बनाया, तुम पहले ही बेवकूफ थे।
अंधों में काना बनकर 😅
"ab ap bhi"
इसका मतलब तुम उनकी कुछ बातों से agree करती हो कुछ से नहीं।
बोलने वाला अपने एक ही केंद्र से बोलता है।
लेकिन तुम यह शायर ही समझ पाओ।
जो बात तुम्हारी मान्यता को सही साबित करती है, उसे तुम स्वीकार कर लेते हो, और
जो बात तुम्हारी मान्यता के अनुसार नहीं होती है, उसे तुम गलत कह देते हो।
इसका मतलब होता है कि तुमने उनको तो अभी तक सुना ही नहीं है।
अपने अंदर बैठे इस घोंचू (भटके अहम) को जरा संभहालो।
ये अगर इतना समझदार होता ही, तो यहां सुनने नहीं आता। बल्कि कुछ ऐसा कर रहा होता, जिससे जीवों का दुख मिटे।
पर शायद यह बातें भी उस घोंचू को बुरी लगेगी और इनमें भी वो कोई खोट निकालने की कोशिश करेगा, देखना कैसे तिल मिलाएता है वो, जब उसे कोई गलत साबित करता है।😊
@@PremGeet12 हे प्रिय! मेरा पता नहीं आपने जरूर तिलमिला कर ये सब कह दिया कोई नही अंधभक्ति में यही होता है पर सही में तो पागलपन जैसा कुछ होता ही नहीं है, Neurosis स्टेट होती है जिसे आम भाषा में याद दास्त कहते हैं। जो मीट नहीं खाते उनके लिए मीट खाने वाले पागल,जो खाते हैं उनके लिए ना खाने वाले पागल, इस तरीके से पागलपन की परिभाषा बदलती रहती है, और जो कहा आपने जिसे नहीं समझते उसे गलत कह देते हैं, which exactly happened here in your case, आप नहीं समझी मेरी बात और गलत कह दिया।
जिन वजहों से आप ये सब सुनती है वो ego हैं, and by no means i am saying that ego is evil or something this is how it is, Ego(direction) is how you go about things, If you have no direction(Ego) you can't practically do anything. But, i know you consider ego as ahaah evil uhhuuu "BHAAGO"😂 because that's how you have been told और क्योंकि आपकी डिक्शनरी में था ये "अहंकार" शब्द तो अपने इसके आस-पास कही गई बातो को इकट्ठा कर लिया और "अहंकार" शब्द को जहां मौका मिला चेपना शुरू किया 😂 उन तथा कथित अर्थ के साथ।
जो भी "ego" के आस पास लोग कहते हैं, काट पीट कर वही कह दिया आपने यहां।
वैसे ये पागल वाली एक कहावत है, पर फिर भी आपकी भाषा में आपको समझाएं हम अगर तो, पागल वही बन सकता है जो पागल है, जो पागल नहीं है उसके लिए इसकी कोई गुंजाइश नहीं है। जैसे अगर आपके पास ये शब्द "अहंकार" न होता तो कोई आपको पागल नहीं बना सकता था, की क्या है "अहंकार", पर क्योंकि आप पहले से पागल बनी बैठी थीं तो आपको और थोड़ा पागल बना दिया गया।
Wish You had your OWN mind. Soo Sad 😐 Wish you luck babe☘️
@@PremGeet12 @ParamKiPriya हे प्रिय! मेरा पता नहीं आपने जरूर तिलमिला कर ये सब कह दिया कोई नही अंधभक्ति में यही होता है पर सही में तो पागलपन जैसा कुछ होता ही नहीं है, Neurosis स्टेट होती है जिसे आम भाषा में याद दास्त कहते हैं। जो मीट नहीं खाते उनके लिए मीट खाने वाले पागल,जो खाते हैं उनके लिए ना खाने वाले पागल, इस तरीके से पागलपन की परिभाषा बदलती रहती है, और जो कहा आपने जिसे नहीं समझते उसे गलत कह देते हैं, which exactly happened here in your case, आप नहीं समझी मेरी बात और गलत कह दिया।
जिन वजहों से आप ये सब सुनती है वो ego हैं, and by no means i am saying that ego is evil or something this is how it is, Ego(direction) is how you go about things, If you have no direction(Ego) you can't practically do anything. But, i know you consider ego as ahaah evil uhhuuu "BHAAGO"😂 because that's how you have been told और क्योंकि आपकी डिक्शनरी में था ये "अहंकार" शब्द तो अपने इसके आस-पास कही गई बातो को इकट्ठा कर लिया और "अहंकार" शब्द को जहां मौका मिला चेपना शुरू किया 😂 उन तथा कथित अर्थ के साथ।
जो भी "ego" के आस पास लोग कहते हैं, काट पीट कर वही कह दिया आपने यहां।
वैसे ये पागल वाली एक कहावत है, पर फिर भी आपकी भाषा में आपको समझाएं हम अगर तो, पागल वही बन सकता है जो पागल है, जो पागल नहीं है उसके लिए इसकी कोई गुंजाइश नहीं है। जैसे अगर आपके पास ये शब्द "अहंकार" न होता तो कोई आपको पागल नहीं बना सकता था, की क्या है "अहंकार", पर क्योंकि आप पहले से पागल बनी बैठी थीं तो आपको और थोड़ा पागल बना दिया गया।
Wish You had your OWN mind. Soo Sad 😐 Wish you luck babe☘️
@@PremGeet12 हे प्रिय! मेरा पता नहीं आपने जरूर तिलमिला कर ये सब कह दिया कोई नही अंधभक्ति में यही होता है पर सही में तो पागलपन जैसा कुछ होता ही नहीं है, Neurosis स्टेट होती है जिसे आम भाषा में याद दास्त कहते हैं। जो मीट नहीं खाते उनके लिए मीट खाने वाले पागल,जो खाते हैं उनके लिए ना खाने वाले पागल, इस तरीके से पागलपन की परिभाषा बदलती रहती है, और जो कहा आपने जिसे नहीं समझते उसे गलत कह देते हैं, which exactly happened here in your case, आप नहीं समझी मेरी बात और गलत कह दिया।
जिन वजहों से आप ये सब सुनती है वो ego हैं, and by no means i am saying that ego is evil or something this is how it is, Ego(direction) is how you go about things, If you have no direction(Ego) you can't practically do anything. But, i know you consider ego as ahaah evil uhhuuu "BHAAGO"😂 because that's how you have been told और क्योंकि आपकी डिक्शनरी में था ये "अहंकार" शब्द तो अपने इसके आस-पास कही गई बातो को इकट्ठा कर लिया और "अहंकार" शब्द को जहां मौका मिला चेपना शुरू किया 😂 उन तथा कथित अर्थ के साथ।
जो भी "ego" के आस पास लोग कहते हैं, काट पीट कर वही कह दिया आपने यहां।
वैसे ये पागल वाली एक कहावत है, पर फिर भी आपकी भाषा में आपको समझाएं हम अगर तो, पागल वही बन सकता है जो पागल है, जो पागल नहीं है उसके लिए इसकी कोई गुंजाइश नहीं है। जैसे अगर आपके पास ये शब्द "अहंकार" न होता तो कोई आपको पागल नहीं बना सकता था, की क्या है "अहंकार", पर क्योंकि आप पहले से पागल बनी बैठी थीं तो आपको और थोड़ा पागल बना दिया गया।
और जिस केंद्र की आप बात कर रहीं हैं, वैसे फिर से सुना सुनाया शब्द "chaep" दिया आपने, आदत से मजबूर लगती हैं आप, खेर उस केंद्र को "Intention" कहते हैं, शब्द, क्रिया कलाप ये सब "intention" के "construtions" हैं। जैसे "बनाना" किसी "चीज" का "केंद्र" हैं, अब उसमे कोई शब्द बनाए आप महल बनाए रोटी बनाए कुछ भी सब उस "बनाने" में आजाएगा। वैसे लो आपको गहराई तक "केंद्र" भी समझने को मिलगया।
Wish You had your OWN mind. Soo Sad 😐 Wish you luck babe☘️
@ParamKiPriya हे प्रिय! मेरा पता नहीं आपने जरूर तिलमिला कर ये सब कह दिया कोई नही अंधभक्ति में यही होता है पर सही में तो पागलपन जैसा कुछ होता ही नहीं है, Neurosis स्टेट होती है जिसे आम भाषा में याद दास्त कहते हैं। जो मीट नहीं खाते उनके लिए मीट खाने वाले पागल,जो खाते हैं उनके लिए ना खाने वाले पागल, इस तरीके से पागलपन की परिभाषा बदलती रहती है, और जो कहा आपने जिसे नहीं समझते उसे गलत कह देते हैं, which exactly happened here in your case, आप नहीं समझी मेरी बात और गलत कह दिया।
जिन वजहों से आप ये सब सुनती है वो ego हैं, and by no means i am saying that ego is evil or something this is how it is, Ego(direction) is how you go about things, If you have no direction(Ego) you can't practically do anything. But, i know you consider ego as ahaah evil uhhuuu "BHAAGO"😂 because that's how you have been told और क्योंकि आपकी डिक्शनरी में था ये "अहंकार" शब्द तो अपने इसके आस-पास कही गई बातो को इकट्ठा कर लिया और "अहंकार" शब्द को जहां मौका मिला चेपना शुरू किया 😂 उन तथा कथित अर्थ के साथ।
जो भी "ego" के आस पास लोग कहते हैं, काट पीट कर वही कह दिया आपने यहां।
वैसे ये पागल वाली एक कहावत है, पर फिर भी आपकी भाषा में आपको समझाएं हम अगर तो, पागल वही बन सकता है जो पागल है, जो पागल नहीं है उसके लिए इसकी कोई गुंजाइश नहीं है। जैसे अगर आपके पास ये शब्द "अहंकार" न होता तो कोई आपको पागल नहीं बना सकता था, की क्या है "अहंकार", पर क्योंकि आप पहले से पागल बनी बैठी थीं तो आपको और थोड़ा पागल बना दिया गया।
और जिस केंद्र की आप बात कर रहीं हैं, वैसे फिर से सुना सुनाया शब्द "chaep" दिया आपने, आदत से मजबूर लगती हैं आप, खेर उस केंद्र को "Intention" कहते हैं, शब्द, क्रिया कलाप ये सब "intention" के "construtions" हैं। जैसे "बनाना" किसी "चीज" का "केंद्र" हैं, अब उसमे कोई शब्द बनाए आप महल बनाए रोटी बनाए कुछ भी सब उस "बनाने" में आजाएगा। वैसे लो आपको गहराई तक "केंद्र" भी समझने को मिलगया।
Wish You had your OWN mind. Soo Sad 😐 Wish you luck babe☘️
Ye sab bakwas hai is se samaj nirmaly hota hai krashn ki tarah sab ka aanand se swikar karna hi best philosophy hai sukh dukh bhog tyag yuddh aur shanti shap aur varadan
Ratta mat maro.
Tum kehna kya chahte ho?
Sidha sidhaa bol
Osho ki bolne ki style copy karta he 😊
तुम conditioned हो गए हो।
ओशो को सुन और समाज लिया होता तो तुम यहां नहीं भटकते।
लेकिन तुम्हें अपना यह घोंचूपना नहीं दिखेगा, क्योंकि तुम घोंचू हो।
क्योंकि तुम्हारे अंदर का घोंचू हमेशा दूसरों की तरह बनने की कोशिश करता रहता है, इसलिए उसको सब वैसे ही दिखते हैं।
जब तक ऐसे हो तब तक ना तुम्हारा ओशो को सुनकर भला हुआ, न इनको सुनकर भला होगा।
और उनके ओशो जैसा बनने में तुम्हें क्या दिक्कत है।
कम से कम तुम्हारी तरह घोंचू तो नहीं बन रहे हैं वो