सर thank you. एक प्रश्न जैसे पशुओं को कभी खाने को तो कभी कुछ nhi मिलता वे भोजन की प्रतीक्षा में तो उसे पाने में लगे रहते है, इसी प्रकार मनुष्य के जीवन में कष्ट आते है या खूब प्रयास करते रहने pr bhi अपनी परिस्थिति से बाहर नहीं आ पाते तो ऐसा बोलने में आता है की ये हमारे प्रारब्ध में लिखे कष्ट है जो हम भोग रहे है, तो कन्ही ये भी कहने में आता हे की आत्मा की कोई प्रारब्ध nhi होती है शरीर का हिसाब किताब है भोग बिन छूटे ना कर्म गति बलवान तो इस बात में कितनी सत्यता है,कृपया हमारा अज्ञान दूर करें धन्यवाद
श्रीमान एक प्रश्न है? क्या साधना, तपस्या, स्वयं के अस्तित्व का ज्ञान होने का मार्ग है, अथवा भिन्न है। अथवा साधना, तपस्या कल्पनाएं हैं, कहानी हैं, क्या वास्तविक स्थिति इससे भिन्न है?? कृपया बताने का कष्ट करें।।
Sadhna tapsya key bhi types hai main hota hai nirlep hona woh duniya mein rehkar buri adtey chod kar rehna wohi mukti hai listen to paramhans ramkrishan too
@@JituPal156 sadhna mtlb satya ko sadhna, satya ko apne jeevan me utarna, agr tum satya jaan gye toh jeevan me uska prateek apne aap aa jaega, nhi jaane toh sadhna kis baat ki, toh satya ki khoj kehna zyada behtar rhega, sadhna toh sadhu ka dhang hai, aur vo satya ko khojne ke baad ki nirvikalp sthiti hai. Tapasya yani tapp krke satya ki khoj krna, aur tapp krna yani tyag krna aur sharir ko tadpana, jisse satya ka koi lena dena nhi hai. Jab Ashtavakra kehte hai ki tum sharir nhi ho, toh sharir ko bukha rkhne se tum khud ko jaan jao ge? ye toh be-tark baat hai. Asha krta hu apko marg darshan mila hoga, dhanyavaad 🙏🏻🌸
बिलकुल सरल,सहजता से समजाया आपने❤ बे परवा से आगे क्या है, और
करणा क्या है....
V. Nice
❤🎉 better
Great
thank you sir for blessing my life
🙏🙏🙏🙏🙏
Good
सर thank you. एक प्रश्न जैसे पशुओं को कभी खाने को तो कभी कुछ nhi मिलता वे भोजन की प्रतीक्षा में तो उसे पाने में लगे रहते है, इसी प्रकार मनुष्य के जीवन में कष्ट आते है या खूब प्रयास करते रहने pr bhi अपनी परिस्थिति से बाहर नहीं आ पाते तो ऐसा बोलने में आता है की ये हमारे प्रारब्ध में लिखे कष्ट है जो हम भोग रहे है, तो कन्ही ये भी कहने में आता हे की आत्मा की कोई प्रारब्ध nhi होती है शरीर का हिसाब किताब है भोग बिन छूटे ना कर्म गति बलवान तो इस बात में कितनी सत्यता है,कृपया हमारा अज्ञान दूर करें
धन्यवाद
Mere pass word nahi hai Aapki taareef ke liye
श्रीमान एक प्रश्न है? क्या साधना, तपस्या, स्वयं के अस्तित्व का ज्ञान होने का मार्ग है, अथवा भिन्न है। अथवा साधना, तपस्या कल्पनाएं हैं, कहानी हैं, क्या वास्तविक स्थिति इससे भिन्न है?? कृपया बताने का कष्ट करें।।
Sadhna tapsya key bhi types hai main hota hai nirlep hona woh duniya mein rehkar buri adtey chod kar rehna wohi mukti hai listen to paramhans ramkrishan too
@@JituPal156 sadhna mtlb satya ko sadhna, satya ko apne jeevan me utarna, agr tum satya jaan gye toh jeevan me uska prateek apne aap aa jaega, nhi jaane toh sadhna kis baat ki, toh satya ki khoj kehna zyada behtar rhega, sadhna toh sadhu ka dhang hai, aur vo satya ko khojne ke baad ki nirvikalp sthiti hai. Tapasya yani tapp krke satya ki khoj krna, aur tapp krna yani tyag krna aur sharir ko tadpana, jisse satya ka koi lena dena nhi hai. Jab Ashtavakra kehte hai ki tum sharir nhi ho, toh sharir ko bukha rkhne se tum khud ko jaan jao ge? ye toh be-tark baat hai. Asha krta hu apko marg darshan mila hoga, dhanyavaad 🙏🏻🌸
@@jsgamer1174 आभार।।
❤❤❤🎉🎉🎉🙏🙏🙏🪷