I have some health issue. Shankara vijayendra saraswathi swamigal asked me to tell Indrakshi Siva kavasam which is saving me till now. Powerful mantra. I ask Everyone to tell this during this pandemic which will save everyone sure
There is no question one liking or disliking this stroram. These manrtas have come from the mouth of the GOD himself in the form of vedas and there is no author for all our Hindu Vedas recorded more than 5000 years back. These were written for the benefit of human beings and not with the intention of making some money or fortune There is no selflish motive in giving these mantras . Cannot be compared to the modern fictions which are thrown in the garbage after reading and our Hindu Upanishads, vedas, puranas etc. are kept for so many years beyond 5000 years and still appreciated by all human beings who knows its importance and value.
Eshawar kare addrupi asura ka kab nash hoga Add dalna hi hai to pahele ya badge dale taki iss ya koi stotra pathan seva me vighna na dale Varna iss vighna dalneka parinan anatah bhugatna padega
॥ शिव-कवचं या अमोघ-शिव-कवचं , स्कन्द महा-पुराण से ॥ Part 4 of 4 ( Easy To Learn: v.1) ( Another Ver. of nyAsa is also available in Various books. Devotee can choose any one, of their choice or tradition). Contd..Part- 4 of 4.. ॐ नमः शिवाय -के ६-वर्णों को " " में रखा गया है। करन्यासः। "ओं" सदाशिवाय अंगुष्ठाभ्यां नमः। "नं" गंगाधराय तर्जनीभ्यां नमः। "मं" मृत्युञ्जयाय मध्यमाभ्यां नमः। "शिं" शूलपाणये अनामिकाभ्यां नमः। "वां" पिनाकपाणये कनिष्ठिकाभ्यां नमः। "यं" उमापतये करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः। हृदयादि अंगन्यासः- "ओं" सदाशिवाय हृदयाय नमः। "नं" गंगाधराय शिरसे स्वाहा । "मं" मृत्युञ्जयाय शिखायै वषट् । "शिं" शूलपाणये कवचाय हुम् । "वां" पिनाकपाणये नेत्रत्रयाय वौषट् । "यं" उमापतये अस्त्राय फट् । भूर्भुवस्सुवरोमिति दिग्बन्धः॥ ॥ मानसिक पञ्चपूजा = मानसिक पूजा ॥ "लं" पृथिव्यात्मने गन्धं समर्पयामि । "हं" आकाशात्मने पुष्पैः पूजयामि । "यं" वाय्वात्मने धूपम् आघ्रापयामि । "रं" अग्न्यात्मने दीपं दर्शयामि । "वं" अमृतात्मने अमृतं महानैवेद्यं निवेदयामि । "सं" सर्वात्मने सर्वोपचार*-पूजां समर्पयामि ॥ *सर्व-उपचार. मानसिक पूजा = इसमे पञ्च महाभूतों के बीज-अक्षरों "लं, हं, वं, रं, यं इत्यादि" का प्रयोग करते हैं । ॥ ॐ नमः शिवाय ॥ **नोट - शब्दों के बीच-बीच में "-" लगाकर छोटा और सरल किया गया है । कुछ कठिन शब्द * को चिन्हित करके , उसे सरल के साथ नजदीक ही रखा गया है, साधक लोग दोनो शब्दों को एक ही जगह पर देख कर तुलना कर सकें । कुछ संधि-विच्छेद, सही तरह से करने का का प्रयास किया गया है । फिर भी कुछ गलती/त्रुटि हो तो, क्षमा प्रार्थी हूँ । Notes: This Stotra contains the words as- कूष्माण्ड-वेताल-मारीगण-ब्रह्म-राक्षसान्-सन्त्रासय-सन्त्रासय, मामभयं** (माम्-अभयं) कुरु-कुरु, विष-सर्प-भयं शमय-शमय, चोर-भयं मारय-मारय, मम शत्रून्- उच्चाटय-उच्चाटय These words in mantras, kavach, stotra makes it very ugra, as it tells, deva-devi to kill, burn, hit, the bhuta, preta, dakini, shakini, sometimes grahas, pishach, navagrahas etc. So you should use this type of stotra, kavach if you really need to do, but with a precaution. This is a vidhya (knowledge) from tantras, there is no harm to read and have knowledge. But! before its paatha and its use, one must seek proper guru guidance and must protect oneself, otherwise these strong-negative powers may harm, whom we try to kill,burn, hit and agitate. (धन्यवाद) < Share if you like > (By: V Rakesh)
Agr aap kavch lod pr price rakh denge to grib log use kese pa skte he plz lod ho ske esa kuchh kijiye aapka kavch voice mast he jo hum kanthsth kr skte he plz🙏
Har Har mahadev
Om namaha sivaaya
Om namaha sivaaya
Om namaha sivaaya
Om Namaha Sivaaya
Om Namaha Sivaaya
ಓಂ ಶ್ರೀ ಗುರು ಬಸವ ಲಿಂಗಾಯ ನಮಃ ಶಿವಾಯ 💐🙏🏽
OM NAMAHA SIVAYA ANYADHA SARANAM NASTHI THOMEVA SARANAM MAMA OMNAH SIVAYA SAMBHA SADHA SIVA SHAMBHO SANKARA🌹🌹🌹🌼🌼🌼🌺🌺🌺🌿🙏🙏
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Om namah shivaaya I need your blessings always tande nammappa
I have some health issue.
Shankara vijayendra saraswathi swamigal asked me to tell Indrakshi Siva kavasam which is saving me till now. Powerful mantra. I ask Everyone to tell this during this pandemic which will save everyone sure
There is no question one liking or disliking this stroram. These manrtas have come from the mouth of the GOD himself in the form of vedas and there is no author for all our Hindu Vedas
recorded more than 5000 years back. These were written for the benefit of human beings and not with the intention of making some money or fortune There is no selflish motive in giving these mantras . Cannot be compared to the modern fictions which are thrown in the garbage after reading and our Hindu Upanishads, vedas, puranas etc. are kept for so many years beyond 5000 years and still appreciated by all human beings who knows its importance and value.
Thank
@@SrinivasaRao-ed7cs 7
Super o Super!
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
மந்திரமாவது நீறு வானவர் மேலது நீறு
சுந்தரமாவது நீறு துதிக்கப் படுவது நீறு
தந்திரமாவது நீறு சமயத்தி லுள்ளது நீறு
செந்துவர் வாயுமை பங்கன் திருஆல வாயான் திருநீறே
ఓం నమః శివాయ
0m namaha shivaya🙏🙏🙏🙏
🙏Om Namah Shivaya🙏
॥ महा-मृत्युञ्जय-कवचम्, रुद्रयामल तन्त्र से ॥
( Easy To Learn: v.1 )
श्री गणेशाय नमः।
भैरव उवाचः।
शृणुष्व परमेशानि कवचं मन्मुखोदितम् ।
महा-मृत्युञ्जयस्य-अस्य न देयं परमाद्भुतम्* ॥१॥ *परम-अद्भुतम्
यं धृत्वा यं पठित्वा च श्रुत्वा च कवचोत्तमम्* । *कवच-उत्तमम्
त्रैलोक्याधिपतिर्भूत्वा सुखितोऽस्मि महेश्वरि ॥२॥
( त्रैलोक्य-अधिपतिर्-भूत्वा सुखितो-अस्मि महेश्वरि ॥२॥)
तदेव-वर्णयिष्यामि तव प्रीत्या वरानने ।
तथापि परमं तत्वं न दातव्यं दुरात्मने ॥३॥
विनियोगः-अस्य श्री महा-मृत्युञ्जय-कवचस्य श्री-भैरव ऋषिः,
गायत्री-छन्दः, श्री-महामृत्युञ्जयो महारुद्रो देवता,
"ॐ"-बीजं, "जूं"-शक्तिः, "सः"-कीलकं, हौम्-इति तत्वं,
चतुर्वर्ग-साधने, मृत्युञ्जय-कवच-पाठे विनियोगः।
॥ध्यान ॥
चन्द्र-मण्डल-मध्यस्थं रुद्रं भाले विचिन्त्य तम् ।
तत्रस्थं चिन्तयेत् साध्यं मृत्युं प्राप्तो-अपि जीवति ॥१॥
( कवच मूल पाठ )
ॐ जूं सः हौं शिरः, पातु देवो मृत्युञ्जयो मम ।
ॐ श्रीं शिवो ललाटं मे, ॐ हौं भ्रुवौ सदाशिवः॥२॥
नीलकण्ठोऽवतान्-नेत्रे कपर्दी मेऽवताच्छ्रुती ।
त्रिलोचनोऽवताद् गण्डौ नासां मे त्रिपुरान्तकः॥३॥
मुखं पीयूषघटभृदोष्ठौ* मे कृत्तिकाम्बरः।
*पीयूष-घटभृद्-ओष्ठौ
हनुं मे हाटकेशनो मुखं बटुक-भैरवः॥४॥
कन्धरां काल-मथनो गलं गणप्रियोऽवतु ।
स्कन्धौ स्कन्द-पिता पातु हस्तौ मे गिरिशोऽवतु ॥५॥
नखान् मे गिरिजानाथः पायाद्-अङ्गुलि-संयुतान् ।
स्तनौ तारापतिः पातु वक्षः पशुपति-र्मम ॥६॥
कुक्षिं कुबेर-वरदः पार्श्वौ मे मारशासनः।
शर्वः पातु तथा नाभिं, शूली पृष्ठं ममावतु ॥७॥
शिश्र्नं मे शङ्करः पातु गुह्यं गुह्यक-वल्लभः।
कटिं कालान्तकः पायादूरू मेऽन्धकघातकः॥८॥
(* कटिं कालान्तकः पायाद्-ऊरू मे-अन्धक-घातकः॥८॥ )
जागरूको-अवताज्जानू जङ्घे मे कालभैरवः।
गुल्फो पायाज्-जटाधारी पादौ मृत्युञ्जयोऽवतु ॥९॥
पादादिमूर्धपर्यन्तमघोरः* पातु मे सदा ।
(*पाद-आदि-मूर्ध-पर्यन्तम्-अघोरः)
शिरसः पाद-पर्यन्तं सद्योजातो ममावतु ॥१०॥
रक्षाहीनं नामहीनं वपुः पात्वमृतेश्वरः*। *पात्व्-अमृतेश्वरः
पूर्वे बल-विकरणो, दक्षिणे काल-शासनः॥११॥
पश्चिमे पार्वतीनाथो, ह्युत्तरे* मां मनोन्मनः। *ह्युत्तरे=ह्य्-उत्तरे
ऐशान्यामीश्वरः पायादाग्नेय्यामग्निलोचनः॥१२॥
( *ऐशान्याम्-ईश्वरः पायाद्-आग्नेय्याम्-अग्नि-लोचनः॥१२॥)
नैऋत्यां शम्भुर-व्यान्मां, वायव्यां वायु-वाहनः।
उर्ध्वे बल-प्रमथनः, पाताले परमेश्वरः॥१३॥
दशदिक्षु सदा पातु महा-मृत्युञ्जयश्-च माम् ।
रणे राजकुले द्यूते विषमे प्राण-संशये ॥१४॥
पायाद् ओं जूं महारुद्रो देवदेवो दशाक्षरः*। *दश-अक्षरः
प्रभाते पातु मां ब्रह्मा मध्याह्ने भैरवोऽवतु ॥१५॥
सायं सर्वेश्वरः पातु, निशायां नित्य-चेतनः।
अर्ध-रात्रे महादेवो निशान्ते* मां महोमयः॥१६॥ *निशा-अन्ते
सर्वदा सर्वतः पातु ॐ जूं सः हौं मृत्युञ्जयः।
इतीदं कवचं पुण्यं त्रिषु लोकेषु दुर्लभम् ॥१७॥
॥ फलश्रुति ॥
सर्व-मन्त्र-मयं गुह्यं सर्व-तन्त्रेषु गोपितम् ।
पुण्यं पुण्य-प्रदं दिव्यं देव-देवाधि-दैवतम् ॥१८॥
य इदं च पठेन्-मन्त्री कवचं वार्चयेत्* ततः। *व-अर्चयेत्
तस्य हस्ते महादेवि, त्र्यम्बकस्याष्ट* सिद्धयः॥१९॥
*त्र्यम्बकस्या-अष्ट (? ८-सिद्धि)
रणे धृत्वा, चरेद्युद्धं* हत्वा शत्रूञ्जयं लभेत् । *चरेद्-युद्धं
जयं कृत्वा गृहं देवि सम्-प्राप्स्यति सुखी पुनः॥२०॥
महाभये महारोगे महामारी-भये तथा ।
दुर्भिक्षे शत्रुसंहारे पठेत् कवचमादरात्* ॥२१॥ *कवचम्-आदरात्
सर्व तत् प्रशमं याति मृत्युञ्जय-प्रसादतः।
धनं पुत्रान् सुखं लक्ष्मीमारोग्यं* सर्व-सम्पदः॥२२॥
*लक्ष्मीम्-आरोग्यं
प्राप्नोति साधकः सद्यो देवि सत्यं न संशयः।
इतीदं कवचं पुण्यं, महामृत्युञ्जय्-अस्य तु ।
गोप्यं सिद्धि-प्रदं गुह्यं गोपनीयं स्वयोनि-वत् ॥२३॥
। इति श्री रुद्रयामले तन्त्रे श्री देवी-रहस्ये
मृत्युञ्जय-कवचं सम्पूर्णम् ।
( यह मृत्युञ्जय-कवच, रुद्रयामल तन्त्र के श्री देवी-रहस्ये भाग से लिया गया है )
**नोट - शब्दों के बीच-बीच में "-" लगाकर छोटा और सरल किया गया है ।
कुछ कठिन शब्द * को चिन्हित करके , उसे सरल के साथ नजदीक ही रखा गया है, साधक लोग दोनो शब्दों को एक ही जगह पर देख कर तुलना कर सकें ।
कुछ संधि-विच्छेद, सही तरह से करने का का प्रयास किया गया है ।
फिर भी कुछ गलती/त्रुटि हो तो, क्षमा प्रार्थी हूँ ।
(धन्यवाद) < Share if you like >
Siva mammalni ee appula vooobi nunchi rakshinchu maa runaalannitini teerchese aadayam ivvuswami
Omnamasivaya 🌼🙏🙏🙏🙏🙏🌺
Om shiva namaha super
Jai mahadev shamboo
ஓம் நமசிவாய 🙏🙏
Om namasivaya
Voice is good and most powerful mantra
Pls allow to download
Om namahshivayah.... Hara hara mahadeva Shambho Shankara.....Shiva Shiva Shiva Shiva Shivamayam....🙏🙏🙏🙏
Please upload the devi kavacham also🙏🏽
Please make it downloadable
OM NAMAH SIVAYA SIVA KAVACHAM WHAT A POWER STHOTHRAM JANMA DHANYAM
ಓಂ ನಮಃ ಶಿವಾಯ
OM NAMAH SIVAYA HARAHARA MAHADEVA SAMBHOSANKARA SAMBHASADHASIVA SIVA KAVACHAM MANAJEEVITHALAKE KAVACHAM JAISAMBHASADHA SIVA
ഓം നമഃ ശിവായ
Sivayaguruvenama
Save us the whole world from Corona enemy and bless us all
very power full , thank you for uploading this.
Can you please chant & upload Indrakshi stotram too? Hari Om.
Blissful and very nice I hear every evening God 🙏 bless every one
Can you upload durvasa uvacham in shiva kavacham
🙏ഓം നമഃ ശിവായ
Many thanks for this video. Namah shivay
Thanks.. very divine....
Om namma Shivaya Om namma Shivaya Om namma Shivaya
Om nama sivayah, Hara Hara maha Deva
Nagubandi Laxman Rao any relationship
॥ महा-मृत्युञ्जय शिव - माला मन्त्र ॥
Part -3 of 3 - (Simple To Learn )
13. (contd..)
क्षं क्षं क्षौं चिदाकाश-मूर्तये महामृत्युञ्जयेश्वराय रक्ष रक्ष । सर्वरोगारिष्टं निवारय निवारय ।
महामृत्युभयं निवारय निवारय । महामृत्युञ्जयेश्वराय अरोग-दृढगात्र दीर्घायुष्यं कुरु कुरु ।
ॐ नमो भगवते महामृत्युञ्जयेश्वराय हुं फट् स्वाहा ॥
१४. ॐ नमो भगवते महामृत्युञ्जयेश्वराय सदाशिवाय, पार्वती-परमेश्वराय महादेवाय सकल-तत्वात्म(तत्व-आत्म )-रूपाय,
शशाङ्क-शेखराय, तेजो-मयाय सर्व-साक्षि-भूताय, पञ्चाक्षराय,
पश्च-भूतेश्वराय, परमानन्दाय, परमाय, परापराय, परञ्ज्योतिःस्वरूपाय (परं-ज्योतिःस्वरूपाय ) ।
ॐ हां हौं नं मं शिं वं यं हौं हां । ॐ श्लीं पं शुं हुं जुं सः, जुं सः, जुं पालय पालय, महामृत्युञ्जयाय
हं हां हिं हीं हैं हौं अष्ट-मूर्तये महामृत्युञ्जय मूर्तये आत्मानं रक्ष रक्ष , सर्व-ग्रहान्-बन्धय बन्धय,
स्तम्भय स्तम्भय, महामृत्युञ्जय-मूर्तये रक्ष रक्ष, सर्वरोगारिष्टं निवारय निवारय, सर्व-मृत्यु-भयं निवारय निवारय,
महा-मृत्युञ्जयेश्वराय अरोग-दृढगात्र-दीर्घायुष्यं कुरु कुरु ।
ॐ नमो भगवते महामृत्युञ्जयेश्वराय हुं फट् स्वाहा ॥
१५. ॐ नमो भगवते महा-मृत्युञ्जयेश्वराय लोकेश्वराय, सर्व-रक्षा-कराय चन्द्र-शेखराय
गङ्गा-धराय(गंगा-धराय ) नन्दि-वाहनाय, अमृत-स्वरूपाय, अनेक-कोटि-भूत-गण-सेविताय
काल-भैरव, कपाल-भैरव, कल्पान्त-भैरव महा-भैरव-आदि, अष्ट-त्रिंशत्-कोटि-भैरव-मूर्तये,
कपाल-माला-धर, खट्वाङ्ग-चर्म-खड्ग-धर परशु-पाश-अङ्कुश-डमरुक, त्रिशूल चाप बाण
गदा शक्ति भिण्डि, मुद्गर(मुद्-गर )-प्रास परिघा शतघ्नी, चक्रायुध( चक्र-आयुध)-भीषणाकार
(भीषण-आकार ), सहस्र-मुख दंष्ट्रा-कराल-वदन विकटाट्टहास ( विकट-आट्-टहास)
विस्फारित ब्रह्माण्ड-मण्डल, नागेन्द्र-कुण्डल नागेन्द्र-वलय, नागेन्द्र-हार, नागेन्द्र कङ्कणालङ्कृत
(कङ्कण-अलङ्कृत ), महा-रुद्राय मृत्युञ्जय त्र्यम्बक, त्रिपुरान्तक (त्रिपुरा-अन्तक),
विरूपाक्ष विश्वेश्वर वृषभ-वाहन, विश्व-रूप, विश्वतोमुख, सर्वतोमुख, महा-मृत्युञ्जय-मूर्तये
आत्मानं रक्ष रक्ष, महा-मृत्यु-भयं निवारय निवारय, रोग-भयं उत्सादय उत्सादय,
विषादि(विष-आदि )-सर्प-भयं शमय शमय, चोरान् मारय मारय, सर्व-भूत-प्रेत-पिशाच
ब्रह्म-राक्षस-आदि सर्व-अरिष्ट-ग्रह-गणान् उच्चाटय उच्चाटय । मम अभयं कुरु कुरु ।
मां सञ्जीवय सञ्जीवय । मृत्यु-भयात् मां उद्धारय उद्धारय । शिव-कवचेन मां रक्ष रक्ष ।
ॐ हां हौं नं मं शिं वं यं हौं हां । ॐ श्लीं पं शुं हुं जुं सः, जुं सः । पालय पालय महा-मृत्युञ्जय-
मूर्तये आत्मानं रक्ष रक्ष । सर्व-ग्रहान् निवारय निवारय । महा-मृत्यु-भयं निवारय निवारय ।
महा-मृत्यु-भयं निवारय । सर्वरोगारिष्टं(सर्व-रोग-अरिष्टं ) निवारय निवारय ।
महा-मृत्युञ्जयेश्वराय अरोग-दृढ-गात्र, दीर्घ-आयुष्यं कुरु कुरु ।
ॐ नमो भगवते महामृत्युञ्जयेश्वराय हुं फट् स्वाहा ॥
१६. ॐ नमो भगवते महा-मृत्युञ्जयेश्वराय अमृतेश्वराय, अखिल-लोक-पालकाय
आत्म-नाथाय सर्व-सङ्कट निवारणाय पार्वती-परमेश्वराय । ॐ हां हौं नं मं शिं वं यं हौं हां ।
ॐ श्लीं पं शुं हुं जुं सः, जुं सः, जुं पालय पालय । महा-मृत्युञ्जयेश्वराय हं हां हौं जुं सः जुं सः जुं ,
मृत्युञ्जय-मूर्तये आत्मानं रक्ष रक्ष, सर्व-ग्रहान् निवारय निवारय ।
महामृत्युञ्जय-मूर्तये सर्व-सङ्कटं निवारय निवारय, सर्वरोगारिष्टं निवारय निवारय । महा-मृत्यु-भयं निवारय निवारय ।
महा-मृत्युञ्जय-मूर्तये सर्व-सङ्कटं निवारय निवारय, सकल-दुष्ट-ग्रह-गणोपद्रवं(गण-उपद्रवं) निवारय निवारय ।
अष्ट-महा-रोगं निवारय निवारय । सर्वरोगोपद्रवं (सर्व-रोग-उपद्रवं ), निवारय निवारय ।
हैं हां हं जुं सः जुं सः जुं महा-मृत्युञ्जय-मूर्तये, अरोग-दृढगात्र दीर्घायुष्यं कुरु कुरु ।
दारा-पुत्र-पौत्र, स-बान्धव जनान् रक्ष रक्ष, धन धान्य कनक भूषण, वस्तु वाहन कृषिं
गृह ग्राम-रामादीन् रक्ष रक्ष । सर्वत्र क्रियानुकूल (क्रिया-अनुकूल)-जय-करं कुरु कुरु,
आयुरभि-वृद्धिं कुरु कुरु । जुं सः जु सः जुं सः महामृत्युञ्जयेश्वराय हुं फट् स्वाहा
॥ॐ ॥
महामृत्युञ्जय गायत्री मन्त्र = ॐ मृत्युञ्जयाय विद्महे भीम-रुद्राय धीमहि । तन्नो रुद्रः प्रचोदयात् ।
॥ ॐ नमः शिवाय ॥
(Maheshvara Kavacham)
.. అథ మాహేశ్వర-కవచం ..
(Easy to Learn)
ఓం శ్రీ గణేశాయ నమః.
ఓం నమో భగవతే రుద్రాయ .
రాజోవాచ = రాజా-ఉవాచ .
అంగ-న్యాసం యదుక్తంభో మహేశాక్షర* సంయుతం . *మహేశ-అక్షర
విధానం కీదృశం తస్య కర్తవ్యం కేన హేతునా ..1..
తద్వదస్వ* మహాభాగ విస్తరేణ మమాగ్రతః*. *తద్-వదస్వ, *మమా-అగ్రతః
భృగురువాచ = భృగుర్-ఉవాచ .
కవచం మహేశ్వరం రాజన్ దేవైర్-అపి సుదుర్లభం ..2..
యః కరోతి స్వగాత్రేషు పూతాత్మా సంభవేన్నరః*. *సంభవేన్-నరః
కృత్వా న్యాసమిమం* యస్తు సంగ్రామ ప్రవిశేన్నరః..3.. *న్యాసం-ఇమం
న శరాస్తోమరాస్తస్య* ఖడ్గ-శక్తి పరశ్వధాః. *శరాస్తోమరాస్తస్య?
ప్రభవంతి రిపోః క్వాపి భవేచ్ఛివపరాక్రమః*..4..
*భవేచ్-ఛివ-పరాక్రమః = భవేత్-శివ-పరాక్రమః
వ్యాధిగ్రస్తస్తు యః కశ్చిత్కారయేచ్చైవమార్జనం .
*వ్యాధి-గ్రస్త్-అస్తు యః కశ్చిత్-కారయేచ్(=కారయేత్ )-చ-ఐవ-మార్జనం .
ఏకాదశ-కుశైః సాగ్రైర్ముక్తోభవతి* నాన్యథా ..5.. *సాగ్రై-ర్ముక్తో-భవతి
న భూతా న పిశాచాశ్-చ కూష్మాండా న వినాయకాః.
శివ-స్మరణ-మాత్రేణ న విశంతి కలేవరే ..6..
ఓం నమః పంచ-వక్త్రాయ శశి-సోమార్క-నేత్రాయ
భయార్త్తా-నామభయాయ మమ సర్వ-గాత్ర-రక్షార్థే వినియోగః
ఓం హ్రౌం హ్రాం హ్రం మంత్రేణానేన వృషగోమయభస్మనాం ఆమంత్ర్యలలాటే తిలకమాదాయ పఠేత్ ..
(* ఓం హ్రౌం హ్రాం హ్రం మంత్రేణా-అనేన వృష-గోమయ-భస్మ-నాం ఆమంత్ర్య-లలాటే తిలకం-ఆదాయ పఠేత్ .. )
.. మూల కవచ ..
త్రాహి మాం దేవ దుష్ప్రేక్ష్య శత్రూణాం-భయ-వర్ధన .
ఓం స్వచ్ఛంద-భైరవః ప్రాచ్యామాగ్నేయ్యాం* - శిఖి-లోచనః..7.. *ప్రాచ్యాం-ఆగ్నేయ్యాం
భూతేశో దక్షిణే భాగే నైఋత్యాం భీమదర్శనః.
వారుణే వృషకేతుశ్-చ వాయౌ రక్షతు శంకరః..8..
దిగ్వాసాః సౌమ్యతో నిత్యమైశాన్యాం* మదనాంతకః. *నిత్యమ-ఐశాన్యాం
వామదేవ ఊర్ధ్వతో రక్షేదధోరక్షేత్త్రిలోచనః*..9..
*రక్షేద్-అధో-రక్షేత్-త్రిలోచనః
పురారిః పురతః పాతు కపర్దీ పాతు పృష్ఠతః.
విశ్వేశో దక్షిణే భాగే వామే కాలీపతిః సదా ..10..
మాహేశ్వరః శిరో-భాగే భవో భాలే సదావతు .
భ్రువో-ర్మధ్యే మహాతేజాస్-త్రినేత్రో నేత్రయో-ర్ద్వయోః..11..
పినాకీ నాసికా దేశే కర్ణయో-ర్గిరిజా-పతిః.
ఉగ్రః కపోలతో రక్షేన్-ముఖదేశే మహాభుజః..12..
జిహ్వాయామంధకధ్వంసీ దంతాన్రక్షతు మృత్యుజిత్ .
(* జిహ్వాయాం-అంధక-ధ్వంసీ దంతాన్-రక్షతు మృత్యుజిత్ .)
నీలకంఠః సదాకంఠే పృష్ఠే కామాంగ-నాశనః..13..
త్రిపురారిః స్కంధ-దేశే బాహ్వోశ్-చ చంద్ర-శేఖరః.
హస్తి-చర్మధరో హస్తే నఖాంగులిషు* శూలభృత్ ..14.. నఖ-అంగులిషు
భవానీశః పాతు హృదయం పాతూదరకటీర్మృడః*. *పాతు-ఉదర-కటీ-ర్మృడః
గుదే లింగే చ మేఢ్రే చ నాభౌ చ ప్రమథాధిపః..15..
జంఘోరుచరణే* భీమః సర్వాంగే-కేశవప్రియః. *జంఘా-ఉరు-చరణే
రోమ-కూపే విరూపాక్షః శబ్దే స్పర్శే చ యోగవిత్ ..16..
రక్తమజ్జావసామాసశుక్రేవసుగణార్చితః.
ప్రాణాపానసమానేషుదానవ్యానేషుధూర్జ్జటీః..17..
(* రక్త-మజ్జా-వసా-మాస-శుక్రే-వసు-గణార్చితః.
ప్రాణా-అపాన-సమానేషు-ఉదాన-వ్యానేషు-ధూర్జ్జటీః..17..)
రక్షాహీనంతుయత్స్థానం* వర్జితం కవచేన యత్ . *రక్షా-హీనంతు-యత్-స్థానం
తత్సర్వం రక్షమే దేవ వ్యాథిదుర్గజ్వరాదితః*..18.. *వ్యాథిదుర్గ-జ్వరాదితః
.. ఫలశ్రుతీ ..
కార్యం కర్మ త్విదం* ప్రాజ్ఞై-ర్దీపం ప్రజ్వాల్య సర్పిషా . *త్వ-ఇదం
నివేద్య శిఖి-నేత్రాయ వారయేచ్చోత్తరం* ముఖం ..19.. *వారయేచ్-చ-ఉత్తరం
జ్వర-దాహ-పరి-క్రాంతం తథాన్యవ్యాధిసంయుతం* . *తథా-అన్య-వ్యాధి-సంయుతం
కుశైఃసంమార్జ్య సమార్జ్యక్షిపేద్దీపశిఖేజ్వరం* ..20..
*సమార్జ్య-క్షిపేద్-దీప-శిఖే-జ్వరం
ఐకాహికం ద్వ్యాహికం* వా తృతీయక-చతుర్థకం . * ద్వయాహికం
వాతపిత్తకఫోద్భూతం సన్నిపాతోగ్రతేజసం ..21..
*వాత-పిత్త-కఫోద్-భూతం సన్నిపాత-ఉగ్ర-తేజసం ..21..
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* యః పఠేచ్చేన్-నరో నిత్యం సవ్రజేచ్ఛాంకరం* పురం ..34..
*సవ్రజేచ్-ఛాంకరం = సవ్రజేత్-శాంకరం
ఇతి శ్రీ మాహేశ్వర-కవచం సంపూర్ణం ..
.. ఓం నమః శివాయ ..
భగవాన శివ అపనే బహుత సే రుపోం మే అతి సౌమ్య హై,
ఔర మహేశ్వర రుప ఉనకా అతి సౌమ్య రూప హై .
ఇస కవచ మేం కహీం భీ ఉగ్ర శబ్దోం (మారయ,కాటయ..) కా ప్రయోగ నహీం హై,
అతః యహ కవచ సబలోగోం కే లియే సౌమ్య ఔర సురక్షిత హై .
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॥ अथ माहेश्वर-कवचम् ॥
(Easy to Learn)
ॐ श्री गणेशाय नमः।
ॐ नमो भगवते रुद्राय ।
राजोवाच = राजा-उवाच ।
अङ्ग-न्यासं यदुक्तंभो महेशाक्षर* संयुतम् । *महेश-अक्षर
विधानं कीदृशं तस्य कर्तव्यं केन हेतुना ॥१॥
तद्वदस्व* महाभाग विस्तरेण ममाग्रतः*। *तद्-वदस्व, *ममा-अग्रतः
भृगुरुवाच = भृगुर्-उवाच ।
कवचं महेश्वरं राजन् देवैर्-अपि सुदुर्लभम् ॥२॥
यः करोति स्वगात्रेषु पूतात्मा संभवेन्नरः*। *संभवेन्-नरः
कृत्वा न्यासमिमं* यस्तु सङ्ग्राम प्रविशेन्नरः॥३॥ *न्यासम्-इमं
न शरास्तोमरास्तस्य* खड्ग-शक्ति परश्वधाः। *शरास्तोमरास्तस्य?
प्रभवन्ति रिपोः क्वापि भवेच्छिवपराक्रमः*॥४॥
*भवेच्-छिव-पराक्रमः = भवेत्-शिव-पराक्रमः
व्याधिग्रस्तस्तु यः कश्चित्कारयेच्चैवमार्जनम् ।
*व्याधि-ग्रस्त्-अस्तु यः कश्चित्-कारयेच्(=कारयेत् )-च-ऐव-मार्जनम् ।
एकादश-कुशैः साग्रैर्मुक्तोभवति* नान्यथा ॥५॥ *साग्रै-र्मुक्तो-भवति
न भूता न पिशाचाश्-च कूष्माण्डा न विनायकाः।
शिव-स्मरण-मात्रेण न विशन्ति कलेवरे ॥६॥
ॐ नमः पञ्च-वक्त्राय शशि-सोमार्क-नेत्राय
भयार्त्ता-नामभयाय मम सर्व-गात्र-रक्षार्थे विनियोगः
ॐ ह्रौं ह्रां ह्रं मन्त्रेणानेन वृषगोमयभस्मनाम् आमन्त्र्यललाटे तिलकमादाय पठेत् ॥
(* ॐ ह्रौं ह्रां ह्रं मन्त्रेणा-अनेन वृष-गोमय-भस्म-नाम् आमन्त्र्य-ललाटे तिलकम्-आदाय पठेत् ॥ )
॥ मूल कवच ॥
त्राहि मां देव दुष्प्रेक्ष्य शत्रूणां-भय-वर्धन ।
ॐ स्वच्छन्द-भैरवः प्राच्यामाग्नेय्यां* - शिखि-लोचनः॥७॥ *प्राच्याम्-आग्नेय्यां
भूतेशो दक्षिणे भागे नैऋत्यां भीमदर्शनः।
वारुणे वृषकेतुश्-च वायौ रक्षतु शङ्करः॥८॥
दिग्वासाः सौम्यतो नित्यमैशान्यां* मदनान्तकः। *नित्यम-ऐशान्यां
वामदेव ऊर्ध्वतो रक्षेदधोरक्षेत्त्रिलोचनः*॥९॥
*रक्षेद्-अधो-रक्षेत्-त्रिलोचनः
पुरारिः पुरतः पातु कपर्दी पातु पृष्ठतः।
विश्वेशो दक्षिणे भागे वामे कालीपतिः सदा ॥१०॥
माहेश्वरः शिरो-भागे भवो भाले सदावतु ।
भ्रुवो-र्मध्ये महातेजास्-त्रिनेत्रो नेत्रयो-र्द्वयोः॥११॥
पिनाकी नासिका देशे कर्णयो-र्गिरिजा-पतिः।
उग्रः कपोलतो रक्षेन्-मुखदेशे महाभुजः॥१२॥
जिह्वायामन्धकध्वंसी दन्तान्रक्षतु मृत्युजित् ।
(* जिह्वायाम्-अन्धक-ध्वंसी दन्तान्-रक्षतु मृत्युजित् ।)
नीलकण्ठः सदाकण्ठे पृष्ठे कामाङ्ग-नाशनः॥१३॥
त्रिपुरारिः स्कन्ध-देशे बाह्वोश्-च चन्द्र-शेखरः।
हस्ति-चर्मधरो हस्ते नखाङ्गुलिषु* शूलभृत् ॥१४॥ नख-अङ्गुलिषु
भवानीशः पातु हृदयं पातूदरकटीर्मृडः*। *पातु-उदर-कटी-र्मृडः
गुदे लिङ्गे च मेढ्रे च नाभौ च प्रमथाधिपः॥१५॥
जङ्घोरुचरणे* भीमः सर्वाङ्गे-केशवप्रियः। *जङ्घा-उरु-चरणे
रोम-कूपे विरूपाक्षः शब्दे स्पर्शे च योगवित् ॥१६॥
रक्तमज्जावसामासशुक्रेवसुगणार्चितः।
प्राणापानसमानेषुदानव्यानेषुधूर्ज्जटीः॥१७॥
(* रक्त-मज्जा-वसा-मास-शुक्रे-वसु-गणार्चितः।
प्राणा-अपान-समानेषु-उदान-व्यानेषु-धूर्ज्जटीः॥१७॥)
रक्षाहीनन्तुयत्स्थानं* वर्जितं कवचेन यत् । *रक्षा-हीनन्तु-यत्-स्थानं
तत्सर्वं रक्षमे देव व्याथिदुर्गज्वरादितः*॥१८॥ *व्याथिदुर्ग-ज्वरादितः
॥ फलश्रुती ॥
कार्यं कर्म त्विदं* प्राज्ञै-र्दीपं प्रज्वाल्य सर्पिषा । *त्व-इदं
निवेद्य शिखि-नेत्राय वारयेच्चोत्तरं* मुखम् ॥१९॥ *वारयेच्-च-उत्तरं
ज्वर-दाह-परि-क्रान्तं तथान्यव्याधिसंयुतम्* । *तथा-अन्य-व्याधि-संयुतम्
कुशैःसंमार्ज्य समार्ज्यक्षिपेद्दीपशिखेज्वरम्* ॥२०॥
*समार्ज्य-क्षिपेद्-दीप-शिखे-ज्वरम्
ऐकाहिकं द्व्याहिकं* वा तृतीयक-चतुर्थकम् । * द्वयाहिकं
वातपित्तकफोद्भूतं सन्निपातोग्रतेजसम् ॥२१॥
*वात-पित्त-कफोद्-भूतं सन्निपात-उग्र-तेजसम् ॥२१॥
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* यः पठेच्चेन्-नरो नित्यं सव्रजेच्छाङ्करं* पुरम् ॥३४॥
*सव्रजेच्-छाङ्करं = सव्रजेत्-शाङ्करं
इति श्री माहेश्वर-कवचम् सम्पूर्णम् ॥
॥ ॐ नमः शिवाय ॥
भगवान शिव अपने बहुत से रुपों मे अति सौम्य है,
और महेश्वर रुप उनका अति सौम्य रूप है ।
इस कवच में कहीं भी उग्र शब्दों (मारय,काटय..) का प्रयोग नहीं है,
अतः यह कवच सबलोगों के लिये सौम्य और सुरक्षित है ।
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OM NAMH SHIVAYA.... HARA HARA MAHADEVA ..
Nama shivaya
Om Namoh Shivay.🙏🙏
॥ शिव-कवचं या अमोघ-शिव-कवचं , स्कन्द महा-पुराण से ॥
Part 1 of 4 ( Easy To Learn: v.1)
ॐ श्री गणेशाय नमः।
॥ अथ शिव-कवचम् ॥
॥ विनियोगः॥
अस्य श्री-शिव-कवच-स्तोत्र-मन्त्रस्य, ब्रह्मा ऋषिः, (Var: वृषभ ऋषिः),
अनुष्टुप्-छन्दः, श्री-सदाशिव-रुद्रो देवता, "ह्रीं" शक्तिः,
"वं" (?"रं")- कीलकम्, "श्रीं ह्रीं क्लीं"- बीजम्,
श्री-सदाशिव-प्रीत्यर्थे शिव-कवच-स्तोत्र-जपे विनियोगः॥
॥ ऋष्यादिन्यासः = ऋष्य-आदि-न्यासः॥
ॐ ब्रह्म-ऋषये नमः शिरसि । अनुष्टुप् छन्दसे नमः, मुखे ।
श्री-सदाशिव-रुद्र-देवताय नमः हृदि । ह्रीं शक्तये नमः, पादयोः।
वं कीलकाय नमः नाभौ । श्री ह्रीं क्लीमिति*(क्लीम्-इति) बीजाय नमः गुह्ये ।
विनियोगाय नमः, सर्वाङ्गे ॥
॥ अथ करन्यासः॥ ( *See its another Ver. @ end)
ॐ नमो भगवते ज्वलज्-ज्वाला-मालिने,
ॐ ह्रीं रां सर्वशक्ति-धाम्ने ईशानात्मने अङ्गुष्ठाभ्यां नमः।
ॐ नमो भगवते ज्वलज्ज्वालामालिने,
ॐ नं रीं नित्य-तृप्ति-धाम्ने तत्पुरुषात्मने तर्जनीभ्यां नमः।
ॐ नमो भगवते ज्वलज्ज्वालामालिने,
ॐ मं रूं अनादि-शक्ति-धाम्ने अघोरात्मने मध्यमाभ्यां नमः।
ॐ नमो भगवते ज्वलज्ज्वालामालिने,
ॐ शिं रैं स्वतन्त्र-शक्ति-धाम्ने वामदेवात्मने अनामिकाभ्यां नमः।
ॐ नमो भगवते ज्वलज्ज्वालामालिने,
ॐ वां रौं अलुप्त-शक्ति-धाम्ने सद्योजातात्मने कनिष्ठिकाभ्यां नमः।
ॐ नमो भगवते ज्वलज्ज्वालामालिने,
ॐ यं रः अनादि-शक्ति-धाम्ने सर्वात्मने करतल-कर-पृष्ठाभ्यां नमः॥
॥ हृदयादिन्यासः = हृदय-आदि-न्यासः = षड्-अङ्-न्यास ॥
( *See its another Ver. @ end)
ॐ नमो भगवते ज्वलज्-ज्वाला-मालिने
ॐ ह्रीं रां सर्व-शक्ति-धाम्ने ईशानात्मने हृदयाय नमः।
ॐ नमो भगवते ज्वलज्ज्वालामालिने,
ॐ नं रीं नित्य-तृप्ति-धाम्ने तत्पुरुषात्मने शिरसे स्वाहा ।
ॐ नमो भगवते ज्वलज्ज्वालामालिने,
ॐ मं रूं अनादि-शक्ति-धाम्ने अघोरात्मने शिखायै वषट् ।
ॐ नमो भगवते ज्वलज्-ज्वाला-मालिने,
ॐ शिं रैं स्वतन्त्र-शक्ति-धाम्ने वामदेवात्मने कवचाय हुम् ।
ॐ नमो भगवते ज्वलज्ज्वालामालिने
ॐ वां रौं अलुप्त-शक्ति-धाम्ने, सद्योजातात्मने नेत्रत्रयाय वौषट्।
ॐ नमो भगवते ज्वलज्ज्वालामालिने,
ॐ यं रः अनादि-शक्ति-धाम्ने सर्वात्मने अस्त्राय फट्॥
॥ अथ ध्यानम् (सरल शब्दों में) ॥
वज्र-दंष्ट्रं त्रि-नयनं, काल-कण्ठम्-अरिन्दमम् ।
सहस्र-करमप्युग्रं* वन्दे शम्भुम्-उमा-पतिम् ॥ *करमप्य्-उग्रं.
रुद्राक्ष-कङ्कण-लसत्-कर-दण्ड-युग्मः,
पालान्तरा-लसित-भस्म-धृत-त्रिपुण्ड्रः।
पञ्चाक्षरं (*पञ्च-अक्षरं) परि-पठन् वर-मन्त्र-राजं,
ध्यायन् सदा पशुपतिं शरणं व्रजेथाः॥
अथाःऽपरं(*अथाःअपरं) सर्व-पुराण-गुह्यं,
निःशेष-पापौघ-हरं पवित्रम् ।
जय-प्रदं सर्व-विपत्-प्रमोचनं, वक्ष्यामि शैवं कवचं हिताय ते॥
॥ अथ कवचम् मूल पाठ ॥
ऋषभ उवाचः।
नमस्कृत्य महादेवं विश्व-व्यापि-नमीश्वरम्* । (?* विश्व-व्यापिनम्-ईश्वरम् )
वक्ष्ये शिवमयं वर्म सर्व-रक्षाकरं नृणाम् ॥१॥
शुचौ देशे समासीनो यथावत्-कल्पितासनः*। (?*कल्पित्-आसनः)
जितेन्द्रियो जित-प्राणश्-चिन्तयेच्छिवमव्यम्*॥२॥
(*चिन्तयेच्-छिवम्-अव्यम् = चिन्तयेत्-शिवम्-अव्यम्)
हृत्-पुण्डरी-कान्तर-संनि-विष्टं स्वतेजसा व्याप्त-नभोऽवकाशम् ।
अतीन्द्रियं सूक्ष्ममनन्तमाद्यं* ध्यायेत्-परानन्दमयं महेशम् ॥ ३॥
*? सूक्ष्मम्-अनन्तम्-आद्यं, *परा-आनन्द-मयं
ध्यानावधूताखिल-कर्मबन्धश्-चिरं चिदान्द-निमग्नचेताः।
(* ध्याना-अवधूत-अखिल-कर्म-बन्धश्-चिरं -चिद्-आन्द-निमग्न-चेताः।)
षडक्षर-न्यास-समाहितात्मा, शैवेन कुर्यात्-कवचेन रक्षाम् ॥४॥
(*षड्-अक्षर-न्यास-समाहित्-आत्मा, ** न्यास आवश्यक है॥४॥)
मां पातु देवोऽखिल-देवतात्मा संसार-कूपे पतितं गभीरे ।
तन्-नाम दिव्यं वर-मन्त्र-मूलं, धुनोतु मे सर्वमघं हृदिस्थम् ॥५॥
सर्वत्र मां रक्षतु, विश्व-मूर्तिर्-ज्योतिर्-मय-आनन्द-घनश्-चिद्-आत्मा ।
अणोरणीयानुरु-शक्तिरेकः स ईश्वरः पातु भयाद-शेषात् ॥६॥
यो भूस्व-रूपेण बिभर्ति विश्वं पायात्स भूमेर्गिरिशोऽष्टमूर्तिः*।
(*भूमेर्-गिरिशो-अष्ट-मूर्तिः)
योऽपां(*यो-अपां) स्वरूपेण नृणां करोति सञ्जीवनं सोऽवतु मां जलेभ्यः॥७॥
कल्पा-वसाने भुवनानि दग्ध्वा, सर्वाणि यो नृत्यति भूरिलीलः।
स कालरुद्रोऽवतु मां दवाग्ने-र्वात्य-आदिभीतेर-खिलाच्च तापात् ॥८॥
प्रदीप्त-विद्युत्-कनका-व-भासो, विद्या-वराभीति*-कुठारपाणिः।
*वराभीति?=वर-अभय-इति
चतुर्मुखस्-तत्पुरुषस्-त्रिनेत्रः प्राच्यां स्थितं रक्षतु मामज-स्त्रम् ॥९॥
Contd Part..2,3,4.
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Om virupakshhaya vishwaswarrya sadashivaya sarvamantswarupaya sarvatatwaviduraya bramharudravataranya nilkanthaya sarwadewadidhewaya namhh
ఓం అరుణాచల శివ ఓం అరుణాచల శివ ఓం అరుణాచల శివ
Om Namah Shivaya!
Supriya Satyam
Hi
Eshawar kare addrupi asura ka kab nash hoga
Add dalna hi hai to pahele ya badge dale taki iss ya koi stotra pathan seva me vighna na dale
Varna iss vighna dalneka parinan anatah bhugatna padega
॥ महा-मृत्युञ्जय शिव - माला मन्त्र ॥
Part -2 of 3 - (Simple To Learn )
८. ॐ नमो भगवते महा-मृत्युजयेश्वराय महा-रुद्राय, सर्व-लोक-रक्षा-कराय, चन्द्र-शेखराय,
काल-कण्ठाय आनन्द भुवनाय, अमृतेश्वराय, काल-कालान्तकाय-करुणा-कराय- कल्याण-गुणाय-
भक्तात्म-परि-पालकाय । ॐ हां हौं नं मं शिं वं यं हौं हां ।
ॐ श्लीं पं शुं हुं जुं सः, जुं सः। पालय पालय, महामृत्युजयेश्वराय पं पं पौं वरुणद्वारं बन्धय बन्धय ।
आत्मानं रक्ष रक्ष । सर्व-ग्रहान् स्तम्भय स्तम्भय । महा-मृत्युञ्जय-मूर्तये रक्ष रक्ष ।
सर्वरोगारिष्टं निवारय निवारय । महामृत्युभयं निवारय निवारय । महामृत्युञ्जयेश्वराय ।
अरोग-दृढ-गात्र-दीर्घायुष्यं कुरु करु । ॐ नमो भगवते मृत्युञ्जयेश्वराय हुं फट् स्वाहा ॥
९. ॐ नमो भगवते महा-मृत्युञ्जयेश्वराय गङ्गा-धराय, परशु-हस्ताय पार्वती-मनो-हराय
भक्त-परिपालनाय, परमेश्वराय परमानन्दाय । ॐ हां हौं नं मं शिं वं यं हौं हां ।
ॐ श्लीं पं शुं हुं जुं सः, जुं सः, पालय पालय, महामृत्युञ्जयाय, यं यं यौं वायुद्वारं बन्धय बन्धय,
आत्मानं रक्ष रक्ष । सर्वग्रहान् बन्धय बन्धय, स्तम्भय स्तम्भय, महा-मृत्युञ्जय-मूर्तये रक्ष रक्ष,
सर्वरोगारिष्टं निवारय निवारय, महामृत्युजयेश्वराय अरोग-दृढ-गात्र दीर्घायुष्यं कुरु कुरु ।
ॐ नमो भगवते महामृत्युञ्जयेश्वराय हुं फट् स्वाहा ॥
१०. ॐ नमो भगवते महामृत्युञ्जयेश्वराय चन्द्र-शेखराय, उरग-मणि-भूषिताय,
शार्दूल-चर्माम्बर-धराय, सर्व-मृत्यु-हराय, पाप-ध्वंस-नाय आत्म-रक्ष-काय,
ॐ हां हौं नं मं शिं वं यं हौं हां । ॐ श्लीं पं शुं हुं जुं सः, जुं सः, पालय पालय । महामृत्युञ्जयाय
सं सं सौं कुबेर-द्वारं बन्धय बन्धय । आत्मानं रक्षं रक्ष । सर्वग्रहान् बन्धय बन्धय । स्तम्भय स्तम्भय ।
महा-मृत्युञ्जय-मूर्तये रक्ष रक्ष । सर्वरोगारिष्टं निवारय निवारय । महामृत्युञ्जयेश्वराय अरोग-दृढगात्र
दीर्घायुष्यं कुरु कुरु । ॐ नमो भगवते महामृत्युजयेश्वराय हुं फट् स्वाहा ॥
११. ॐ नमो भगवते महामृत्युञ्जयेश्वराय, सर्व-आत्म-रक्षा-कराय, करुणामृत(करुणा-अमृत)-सागराय,
पार्वती-मनो-हराय, अघोर-वीरभद्राट्टहासाय ( वीरभद्र-आट्-ट-हासाय ),
काल-रक्षा-कराय, अ-चञ्चल-स्वरूपाय, प्रलय-कालाग्नि (काल-अग्नि)-रुद्राय, आत्मानन्दाय,
सर्व-पाप-हराय भक्त-परि-पालनाय पञ्चाक्षर-स्वरूपाय, भक्त-वत्सलाय परमानन्दाय ।
ॐ हां हौं नं मं शिं वं यं हौं हां । ॐ श्लीं पं शुं हुं जुं सः, जुं सः, पालय पालय, महामृत्युञ्जयाय ।
शं शं शौं ईशान-द्वारं बन्धय बन्धय, स्तम्भय स्तम्भय, शं शं शौं ईशान-मृत्युञ्जय-मूर्तये
आत्मानं रक्ष रक्ष, सर्व-ग्रहान् बन्धय बन्धय, स्तम्भय स्तम्भय ।
शं शं शौ ईशान-मृत्युञ्जय-मूर्तये रक्ष रक्ष सर्वरोगारिष्टं निवारय, निवारय, महामृत्युभयं निवारय
निवारय । महामृत्युञ्जयेश्वराय अरोग-दृढ-गात्र-दीर्घायुष्यं कुरु करु ।
ॐ नमो भगवते महामृत्युञ्जयेश्वराय हुं फट् स्वाहा ॥
१२. ॐ नमो भगवते महामृत्युञ्जयेश्वराय, आकाश-तत्व-भुवनेश्वराय, अमृतोद्भवाय (अमृतोद्-भवाय),
नन्दि-वाहनाय, आकाश-गमन-प्रियाय, गज-चर्म-धारणाथ, काल-कालाय भूतात्मकाय
(भूत-आत्मकाय ) महादेवाय भूत-गण-सेविताय (आकाश-तत्त्व-भुवनेश्वराय),
ॐ हां हौं नं मं शिं वं यं हौं हां । ॐ श्लीं पं शुं हुं जुं सः, जुं सःपालय पालय,
महामृत्युञ्जयाय टं टं टौं आकाश-द्वारं बन्धय बन्धय, आत्मानं रक्ष रक्ष, सर्व-ग्रहान्-बन्धय बन्धय ।
स्तम्भय स्तम्भय । टं टं टौं परमाकाश(परम-आकाश)-मूर्तये मृत्युञ्जयेश्वराय रक्ष रक्ष ।
सर्वरोगारिष्टं निवारय निवारय, महामृत्युभयं निवारय निवारय ।
महामृत्युञ्जयेश्वराय अरोग-दृढगात्र दीर्घायुष्यं कुरु कुरु ।
ॐ नमो भगवते महामृत्युञ्जयेश्वराय हुं फट् स्वाहा ॥
१३. ॐ नमो भगवते महामृत्युञ्जयेश्वराय महा-रुद्राय, कालाग्नि-रुद्र-भुवनाय,
महा-प्रलय-ताण्डवेश्वराय(ताण्डव-ईश्वराय) अपमृत्यु-विनाश-नाय, काल-कालेश्वराय
काल-मृत्यु-संहारणाय, अनेक-कोटि-भूत-प्रेत-पिशाच, ब्रह्म-राक्षस-यक्ष-राक्षस-गण-ध्वंसनाय ,
आत्म-रक्षा-कराय, सर्व-आत्म-पापहराय । ॐ हां हौं नं मं शिं वं यं हौं हां ।
ॐ श्लीं पं शुं हुं जुं सः जुं सः पालय पालय, महामृत्युञ्जयाय क्षं क्षं क्षौं अन्तरिक्ष-द्वारं बन्धय बन्धय,
आत्मानं रक्ष रक्ष, सर्वग्रहान् बन्धय, बन्धय, स्तम्भय स्तम्भय ।
Very powerful mantra🙏🙏🙏
Can anyone tell me the meaning of the line from 7:57 to 8:06
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5þtttþttttþtttttþtþttttþþtttttþttttttþþttttþtttttttþþtþttģttttþþ
॥ महा-मृत्युञ्जय शिव - माला मन्त्र ॥
Part -1 of 3 - (Simple To Learn )
॥ध्यानम् ॥ ( Simple)
ध्यायेन्-मृत्युञ्जयं साम्बं नील-कण्ठं चतुर्भुजम् ।
चन्द्र-कोटि-प्रतीकाशं पूर्ण-चन्द्र-निभाननम् ॥१॥
बिम्बाधरं विशालाक्षं चन्द्रालङ्कृत-मस्तकम् ।
(* बिम्ब-अधरं, विशाल-अक्षं,चन्द्र-अलङ्कृत-मस्तकम् )
अक्षमालाम्बर-धरं, वरदं, चाभयप्रदम्* ॥२॥ *च-अभय-प्रदम्
महार्ह-कुण्डलाभूषं हारालङ्कृत-वक्षसम् ।
(* महार्ह-कुण्डल-आभूषं हार-अलङ्कृत-वक्ष-सम् ।
भस्मोद्-धूलित-सर्वाङ्गं फाल-नेत्र-विराजितम् ॥३॥
व्याघ्र-चर्म-परीधानं व्याल-यज्ञोपवीतिनम् ।
पार्वत्या सहितं देवं सर्वाभीष्ट*-वर-प्रदम् ॥४॥ *सर्व-अभीष्ट
॥ माला मन्त्र मूल पाठ ॥
१. ॐ हां हौं नं मं शिं वं यं हौं हां । ॐ श्लीं पं शुं हुं जुं सः जुं सः, हौं हैं हां ।
ॐ मृत्युञ्जयाय नमश्शिवाय* हुं फट् स्वाहा ॥ * नमश्-शिवाय
२. ॐ नमो भगवते महा-मृत्युञ्जयेश्वराय ( मृत्युञ्जय-ईश्वराय ) चन्द्र-शेखराय
जटा-मकुट-धारणाय, अमृत-कलश-हस्ताय, अमृतेश्वराय सर्व-आत्म-रक्षकाय ।
ॐ हां हौं नं मं शिं वं यं हौं हां । ॐ श्लीं पं शुं हुं जुं सः, जुं सः, जुं पालय पालय,
महा-मृत्युञ्जयाय सर्व-रोगारिष्टं (रोग-अरिष्टं) निवारय-निवारय, आयुरभि-वृद्धिं कुरु कुरु आत्मानं
रक्ष रक्ष, महा-मृत्युञ्जयेश्वराय हुं फट् स्वाहा ॥
३. ॐ नमो भगवते महा-मृत्युञ्जथेश्वराय, पार्वती-मनोहराय, अमृत-स्वरूपाय कालान्तकाय,
करुणा-कराय गङ्गा-धराय । ॐ हां हौं नं मं शिं वं यं हौं हां ।
ॐ श्लीं पं शुं हुं जुं सः, जुं सः, जुं पालय पालय । महा-मृत्युञ्जयाय सर्व-रोगारिष्टं निवारय निवारय,
सर्वदुष्टग्रहोपद्रवं (सर्व-दुष्ट-ग्रह-उपद्रवं) निवारय निवारय, आत्मानं रक्ष रक्ष,
आयुरभि-वृद्धिं कुरु कुरु महा-मृत्युञ्जयेश्वराय हुं फट् स्वाहा ॥
४. ॐ नमो भगवते महामृत्युजयेश्वराय जटा-मकुट-धारणाय, चन्द्र-शेखराय,
श्री-महा-विष्णु-वल्लभाय, पार्वती-मनो-हराय, पञ्चाक्षर (पञ्च-अक्षर) परिपूर्णाय, परमेश्वराय,
भक्तात्म-परि-पालनाय, परमानन्दाय (परम-आनन्दाय) पर-ब्रह्म-परापराय (परा-अपराय)।
ॐ हां हौं नं मं शिं वं यं हौं हां । ॐ श्लीं पं शुं हुं जुं सः, जुं सः, जुं पालय पालय ।
महामृत्युञ्जयाय लं लं लौं इन्द्र-द्वारं बन्धय बन्धय । आत्मानं रक्ष रक्ष, सर्व-ग्रहान् बन्धय-बन्धय,
स्तम्भय-स्तम्भय, सर्वरोगारिष्टं( सर्व-रोग-अरिष्टं) निवारय-निवारय, दीर्घायुष्यं( दीर्घ-आयुष्यं) कुरु
कुरु । ॐ नमो भगवते महामृत्युञ्जयेश्वराय हुं फट् स्वाहा ॥
५. ॐ नमो भगवते महामृत्युञ्जयेश्वराय, काल-काल-संहार-रुद्राय, व्याघ्र-चर्माम्बर-धराय,
कृष्ण-सर्प-यज्ञोपवीताय, अनेक-कोटि-ब्रह्म-कपालालङ्कृताय (कपाल-अलङ्कृताय ) ।
ॐ हां हौं नं मं शिं वं यं हौं हां । ॐ श्लीं पं शुं हुं जुं सः, जुं सः, पालय पालय ।
महामृत्युञ्जयाय रं रं रौं अग्नि-द्वारं बन्धय बन्धय, आत्मानं रक्ष रक्ष । सर्व-ग्रहान्-बन्धय बन्धय ।
स्तम्भय स्तम्भय, सर्वरोगारिष्टं निवारय निवारय । अरोग-दृढ-गात्र दीर्घायुष्यं कुरु कुरु ।
ॐ नमो भगवते मृत्युञ्जयेश्वराय हुं फट् स्वाहा ॥
६. ॐ नमो भगवते महामृत्युञ्जयेश्वराय त्रिनेत्राय, काल-कालान्तकाय (काल-अन्तकाय),
आत्म-रक्षा-कराय लोकेश्वराय अमृत-स्वरूपाय । ॐ हां हौं नं मं शिं वं यं हौं हां ।
ॐ श्लीं पं शुं हुं जुं सः, जुं सः, पालय पालय महामृत्युञ्जयाय
हं हं हौं यमद्वारं बन्धय बन्धय, आत्मानं रक्ष रक्ष, सर्वग्रहान् बन्धय बन्धय, स्तम्भय स्तम्भय,
सर्वरोगारिष्टं निवारय, निवारय महा-मृत्यु-भयं निवारय निवारय,
अरोगदृढगात्र दीर्घायुष्यं कुरु कुरु । ॐ नमो भगवते मृत्युञ्जयेश्वराय हुं फट् स्वाहा ॥
७. ॐ नमो भगवते मृत्युञ्जयेश्वराय त्रिशूल डमरु-कपाल, मालिका-व्याघ्र-चर्माम्बर-धराय,
परशु-हस्ताय, श्री-नीलकण्ठाय निरञ्जनाय, काल-कालान्तकाय, भक्तात्म-परिपालकाय,
अमृतेश्वराय । ॐ हां हौं नं मं शिं वं यं हौं हां । ॐ श्लीं पं शुं हुं जुं सः, जुं सः, पालय पालय, महामृत्युञ्जयाय, षं षं षौं निऋति-द्वारं बन्धय बन्धय । आत्मानं रक्ष रक्ष । सर्व-ग्रहान्-बन्धय बन्धय ।
स्तम्भय स्तम्भय । महामृत्युजयेश्वराय अरोग-दृढ गात्र-दीर्घायुष्यं कुरु कुरु ।
ॐ नमो भगवते महामृत्युञ्जयेश्वराय हुं फट् स्वाहा ॥
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Powerful stotram to recite everyday
Jai mahakal
॥ शिव-कवचं या अमोघ-शिव-कवचं , स्कन्द महा-पुराण से ॥
Part 2 of 4 ( Easy To Learn: v.1)
कुठार-वेदाङ्कुश-पाश-शूल-कपाल-ढक्काक्ष-गुणान्दधानः।
(* कुठार-वेद-अङ्कुश-पाश-शूल-कपाल-ढक्क-अक्ष-गुणान्-दधानः।)
चतुर्मुखो नीलरुचिस्-त्रिनेत्रः पायाद-घोरो दिशि दक्षिणस्याम् ॥१०॥
कुन्देन्दु-शङ्ख-स्फटिकावभासो वेदाक्ष-माला-वरदाभयाङ्कः*।
(* कुन्देन्दु-शङ्ख-स्फटिका-वभासो वेद-अक्ष-माला-वरद-अभयाङ्कः)
त्र्यक्षश्-चतुर्वक्त्र उरु-प्रभावः सद्योऽधिजातोऽवतु मां प्रतीच्याम् ॥११॥
वर-अक्ष-माला-अभय-टङ्क-हस्तः सरोज-किञ्जल्क-समान-वर्णः।
त्रिलोचनश्-चारु-चतुर्मुखो मां, पायाद्-उदिच्यां दिशि वामदेवः॥१२॥
वेदाभयेष्टाङ्कुश*-टङ्क-पाश-कपाल-ढक्काक्ष*-शूलपाणिः।
(* वेद-अभय-इष्ट-अङ्कुश, *ढक्क-अक्ष )
सितद्-युतिः पञ्च-मुखोऽवतान्-माम्-ईशान, ऊर्ध्वं परम-प्रकाशः॥१३॥
मूर्धानम-व्यान्-मम चंद्रमौलिर्-भालं ममाव्यादथ भालनेत्रः।
नेत्रे ममाव्याद्-भगनेत्र-हारी, नासां सदा रक्षतु विश्वनाथः॥१४॥
पायाच्छ्रुती मे श्रुति-गीत-कीर्तिः, कपोलम-व्यात्-सततं कपाली ।
वक्त्रं सदा रक्षतु पञ्च-वक्त्रो, जिह्वां सदा रक्षतु वेदजिह्वः॥ १५॥
कण्ठं गिरीशोऽवतु नील-कण्ठः, पाणिद्वयं* पातु पिनाक-पाणिः। *पाणिद्वयं=दोनो हाथ.
दोर्मूलम-व्यान्मम धर्मबाहुर्-वक्षःस्थलं दक्ष-मखान्तकोऽव्यात् ॥१६॥
ममोदरं* पातु गिरीन्द्र-धन्वा, मध्यं ममाव्यान्-मदनान्तकारी*।
*मम-उदरं, *मदन(कामदेव)-अन्त-कारी
हेरम्ब-तातो मम पातु नाभिं, पायात्-कटी धूर्जटिरीश्वरो* मे ॥१७॥ *धूर्जटिर्-ईश्वरो
ऊरु-द्वयं पातु कुबेर-मित्रो, जानु-द्वयं मे जगदीश्वरोऽव्यात् । *द्वयं="दो".
जङ्घा-युगं पुङ्गव-केतुर-व्यात्-पादौ ममाव्यात्-सुरवन्द्य-पादः॥१८॥
महेश्वरः पातु दिनादि-यामे, मां मध्य-यामे-अवतु वामदेवः।
त्रियम्बकः पातु तृतीय-यामे, वृषध्वजः पातु दिनान्त्य*-यामे ॥१९॥ *दिन-अन्त्य
पायान्-निशादौ(*निशा-आदौ) शशि-शेखरो मां, गङ्गाधरो रक्षतु मां निशीथे।
गौरी-पतिः पातु निशा-वसाने, मृत्युञ्जयो रक्षतु सर्व-कालम् ॥२०॥
अन्तःस्थितं रक्षतु शङ्करो मां स्थाणुः सदा पातु बहिःस्थितं माम् ।
तद्-अन्तरे पातु पतिः पशूनां, सदाशिवो रक्षतु मां समन्तात् ॥२१॥
तिष्ठन्तम-व्याद्-भुवनैकनाथः, पायाद्-व्रजन्तं प्रमथाधिनाथः।
(*? तिष्ठन्-तम-व्याद्-भुवन-ऐकनाथः, पायाद्-व्रज्-अन्तं प्रमथ-अधिनाथः।)
वेदान्त-वेद्योऽवतु मान्-निषण्णं मामव्ययः पातु शिवः शयानम् ॥२२॥
मार्गेषु मां रक्षतु नील-कण्ठः, शैलादि-दुर्गेषु पुर-त्रयारिः। *शैल-आदि.
अरण्य-वास्-आदि-महा-प्रवासे, पायान्-मृग-व्याध उदार-शक्तिः ॥२३॥
कल्प-अन्त-काटोप-पटु-प्रकोपः, स्फुट्-आट्टहासोच्-चलिताण्ड-कोशः।
घोरारि-सेनार्णव-दुर्निवार-महाभयाद्रक्षतु वीरभद्रः ॥ २४॥
(*घोर-अरि-सेना-आर्णव-दुर्निवार-महा-भयाद्-रक्षतु वीरभद्रः॥२४॥)
पत्त्यश्व-मातङ्ग-घटावरूथ-सहस्र-लक्षायुत*-कोटि-भीषणम् ।
*लक्ष-आयुत = लाख-आयुत (आयुत=१००००)
अक्षौहिणीनां शतम-आततायिनां छिन्द्यान्मृडो* घोर-कुठार-धारया ॥२५॥ * *छिन्द्-यान्-मृडो
निहन्तु दस्यून्-प्रलयानलार्चिर्*-ज्वलत्-त्रिशूलं त्रिपुरान्तकस्य ।
*प्रलय-अनल-अर्चिर्
शार्दूल-सिंहर्क्षवृकादि-हिंस्त्रान्सन्त्रासयत्वीश-धनुः पिनाकम् ॥२६॥
(* शार्दूल-सिंह-र्क्ष-(र्-क्ष)-वृक्-आदि-हिंस्त्रान्-सन्त्रासय-त्वीश-धनुः पिनाकम् ॥२६॥)
दुःस्वप्न-दुःशकुन-दुर्गति-दौर्मनस्य-दुर्भिक्ष-दुर्व्यसन-दुःसह-दुर्य-शांसि ।
उत्पात-ताप-विष-भीतिम-सद्ग्रहार्ति-व्याधींश्-च नाशयतु मे जगतामधीशः॥२७॥
ॐ नमो भगवते सदाशिवाय सकल-तत्त्वात्मकाय (?तत्त्व्-आत्मकाय),
सकल-तत्त्व-विहाराय, सकल-लोकैक-कर्त्रे, सकल-लोकैक-भर्त्रे,
सकल-लोककैक-हर्त्रे, सकल-लोककैक-गुरवे, सकल-लोकैक-साक्षिणे,
सकल-निगम-गुह्याय(*गुह्-याय ), सकल-वर-प्रदाय, सकल-दुरितार्ति-भञ्जनाय,
सकल-जगद-भयङ्काराय, सकल-लोकैक-शङ्कराय, शशाङ्क-शेखराय,
शाश्वत-निजाभासाय, निर्गुणाय, निरुपमाय नीरूपाय निराभासाय
निराममाय निष्प्रपञ्चाय निष्कलङ्काय निर्द्वन्द्वाय निःसङ्गाय
निर्मलाय निर्गमाय नित्यरूप-विभवाय, निरुपम-विभवाय, निराधाराय,
नित्य-शुद्ध-बुद्ध-परिपूर्ण-सच्चिदानन्दा-द्वयाय, परम-शान्त-प्रकाश-तेजोरूपाय,
जय-जय महारुद्र, महारौद्र भद्रावतार दुःखदा-अवदारण
महाभैरव कालभैरव कल्पान्त-भैरव कपाल-मालाधर
खट्वाङ्ग-खड्ग-चर्म-पाशाङ्कुश (*पाश-अङ्कुश)-डमरु-शूल-चाप-बाण-गदा-शक्ति-भिण्डिपाल-(?भिन्दिपाल),
Contd..Part.. 3,4
I want an audio mp3 shiv kavacham can u give me
power full stotram
Om namah sivaya
Nice guru
॥ शिव-कवचं या अमोघ-शिव-कवचं , स्कन्द महापुराण से ॥
Part 3 of 4 ( Easy To Learn: v.1)
भिण्डिपाल-(?भिन्दिपाल),
तोमर-मुसल-मुद्गर(मुद्-गर)-पट्टिश-परशु-परिघ-भुशुण्डी-शतघ्नी-चक्राद्यायुध (चक्राद्य्-आयुध) - भीषण-कर-सहस्र मुख-दंष्ट्रा-कराल
विकटाट्टहास(विकट्-आट्टहास) -विस्फारित-ब्रह्माण्ड-मण्डल, नागेन्द्र-कुण्डल, नागेन्द्र-हार, नागेन्द्र-वलय नागेन्द्र-चर्मधर, मृत्युञ्जय, त्र्यम्बक
त्रिपुरान्तक(त्रिपुरा-अन्तक), विरूपाक्ष विश्वेश्वर विश्वरूप वृषभ-वाहन
विषभूषण विश्वतोमुख सर्वतो रक्ष रक्ष, मां ज्वल-ज्वल,
महा-मृत्यु-भयम्-अपमृत्यु-भयं नाशय-नाशय,
रोग-भयम्-उत्सादयोत्सादय (उत्साद-उत्सादय), विष-सर्प-भयं शमय-शमय, चोर-भयं मारय-मारय, मम शत्रून्-उच्चाटयोच्चाटय (उच्चाटय-उच्चाटय)
शूलेन विदारय विदारय, कुठारेण भिन्धि-भिन्धि,
खड्गेन छिन्धि-छिन्धि, खट्वाङ्गेन विपोथय विपोथय,
मुसलेन निष्पेषय-निष्पेषय, बाणैः सन्ताडय-सन्ताडय, रक्षांसि भीषय-भीषय भूतानि विद्रावय-विद्रावय,
कूष्माण्ड-वेताल-मारीगण-ब्रह्म-राक्षसान्-सन्त्रासय-सन्त्रासय, मामभयं** (माम्-अभयं) कुरु-कुरु,
(** माम-भयं कुरु-कुरु ? माम्-अभयं कुरु-कुरु )
वित्रस्तं माम्-आश्वासय्-आश्वासय, नरकभयां-माम्-उद्धारय्-उद्धारय,
सञ्जीवय-सञ्जीवय, क्षुतृड्भ्यां माम्-आप्यायय्-आप्यायय, दुःखातुरं
माम-आनन्दय्-आनन्दय, शिव-कवचेन माम-आच्छादय्-आच्छादय,
त्र्यम्बक सदाशिव नमस्ते नमस्ते नमस्ते ।
पूर्ववत् हृदय-आदि न्यासः।
पञ्चपूजा ॥
भूर्भुवस्सुवरोम्-इति दिग्विमिकः॥
॥ फलश्रुतिः॥
ऋषभ उवाचः।
इत्येतत्-कवचं शैवं, वरदं व्याहृतं मया ।
सर्व-बाधा-प्रशमनं, रहस्यं सर्वदेहि-नाम् ॥२८॥
यः सदा धारये-न्-मर्त्यः शैवं कवचम्-उत्तमम् ।
न तस्य जायते क्वापि भयं शम्भोरनुग्रहात्* ॥२९॥ (*शम्भोर्-अनुग्रहात्)
क्षीण-आयुर्-मृत्युम-आपन्नो, महारोग-हतो-अपि वा ।
सद्-यः सुखम-वाप्नोति, दीर्घम्-आयुश्-च विन्दति ॥३०॥
सर्व-दारिद्र्य-शमनं, सौ-मङ्गल्य-विवर्धनम् ।
यो धत्ते(धत्-ते) कवचं शैवं, स देवैर्-अपि पूज्यते ॥३१॥
महा-पातक-सङ्घातै-र्मुच्यते चोपपातकैः*।
(*च-उपपातकैः; और भी हर तरह का दुख-तकलीफ)
देहान्ते शिवम्-आप्नोति, शिव-वर्मानु-भावतः॥३२॥
त्वमपि श्रद्धया वत्स, शैवं कवचम्-उत्तमम् ।
धारयस्व मया दत्तं सद्यः श्रेयो ह्यवाप्स्यसि ॥३३॥
सूत उवाच ।
इत्युक्त्वा* ऋषभो योगी तस्मै पार्थिव-सूनवे । *इत्य्-उक्त्वा
ददौ शङ्खं महारावं खड्गं चारिनिषूदनम्* ॥३४॥ *च-अरि-निषूदनम्
पुनश्-च भस्म सं-मंत्र्य, तद्-अङ्गं सर्वतो-स्पृशत् ।
गजानां षट्-सहस्रस्य, द्विगुणं च बलं ददौ ॥ ८॥
भस्म-प्रभावात्-सम्प्राप्य, बलैश्वर्य*-धृति-स्मृतीः। *बल-ऐश्वर्य
स राज-पुत्रः शु-शुभे शरदर्क* इव श्रिया ॥९॥ *?शरद्-अर्क
तमाह प्राञ्जलिं भूयः स योगी राज-नन्दनम् ।
एष खड्गो मया दत्तस्तपो*-मन्त्रानुभावतः॥१०॥
(*दत्तस्तपो=दत्-तस्-तपो? या दत्तस्-तपो?)
शितधारमिमं* खड्गं यस्मै दर्शय्-असि स्फुटम् । *शितधारम्-इमं
स सद्यो म्रियते* शत्रुः साक्षान्-मृत्युर्-अपि स्वयम् ॥११॥ *म्रियते=मृत्यु
अस्य शङ्खस्य निह्रादं* ये शृण्वन्ति तवाहिताः। *निह्रादं=आवाज
ते मूर्च्छिताः पतिष्यन्ति न्यस्त-शस्त्रा विचेतनाः॥ १२॥
खड्ग-शङ्खाविमौ दिव्यौ, पर-सैन्य-विनाशिनौ ।
आत्म-सैन्य-स्व-पक्षाणां, शौर्य-तेजो-विवर्धनौ ॥१३॥
एतयोश्-च प्रभावेन शैवेन कवचेन च ।
द्विषट्-सहस्र-नागानां, बलेन महतापि* च ॥१४॥
*? बल : of 200,000-Naag. महतापि?=महत-आपि
भस्म-धारण-सामर्थ्याच्-छत्रुसैन्यं* विजेष्यसि । *छत्रुसैन्यं= शत्रु-सैन्यं
प्राप्य सिंहासनं पैत्र्यं गोप्ताऽसि पृथिवीम्-इमाम् ॥४२॥
इति भद्र-आयुषं सम्यग्-अनुशास्य स-मातृकम् ।
ताभ्यां सम्पूजितः सोऽथ योगी स्वैर-गति-र्ययौ ॥४३॥
इति श्रीस्कान्दे महापुराणे एकाशीतिसाहस्र्यां संहितायां तृतीये
ब्रह्मोत्तरखण्डे सीमन्तिनीमाहात्म्ये भद्रायूपाख्याने
शिवकवचकथनं नाम द्वादशोऽध्यायः।
इति श्री-स्कान्दे महा-पुराणे एकाशीति(:८१)-साहस्र्यां संहितायां तृतीये
ब्रह्म-उत्तर-खण्डे सीमन्तिनी-माहात्म्ये भद्रायूप्-आख्याने
शिव-कवच-कथनं नाम द्वादशोऽध्यायः।
Meaning: This Shiva kavach is from Skanda Mahapuran,
Brahma-Uttara Khanda(3rd-Khand, Chapter 12 , Page-196-197).
( Another Ver. of nyAsa is also available in Various books.
Devotee can choose any one, of their choice or tradition).
Contd..Part- 4 of 4..
om namah shivayaha
0M NAMAHAH SIVAYA SRUSTI SHTITI LAYAKARAKUDIVI NEEVE THANDRI
Super rendering. Can any one chant this every day or need upadesham from sadguru.
no necessity for upadesam. you can recite any other sloka
॥ शिव-कवचं या अमोघ-शिव-कवचं , स्कन्द महा-पुराण से ॥
Part 4 of 4 ( Easy To Learn: v.1)
( Another Ver. of nyAsa is also available in Various books.
Devotee can choose any one, of their choice or tradition).
Contd..Part- 4 of 4..
ॐ नमः शिवाय -के ६-वर्णों को " " में रखा गया है।
करन्यासः।
"ओं" सदाशिवाय अंगुष्ठाभ्यां नमः। "नं" गंगाधराय तर्जनीभ्यां नमः।
"मं" मृत्युञ्जयाय मध्यमाभ्यां नमः। "शिं" शूलपाणये अनामिकाभ्यां नमः।
"वां" पिनाकपाणये कनिष्ठिकाभ्यां नमः। "यं" उमापतये करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः।
हृदयादि अंगन्यासः-
"ओं" सदाशिवाय हृदयाय नमः। "नं" गंगाधराय शिरसे स्वाहा ।
"मं" मृत्युञ्जयाय शिखायै वषट् । "शिं" शूलपाणये कवचाय हुम् ।
"वां" पिनाकपाणये नेत्रत्रयाय वौषट् । "यं" उमापतये अस्त्राय फट् ।
भूर्भुवस्सुवरोमिति दिग्बन्धः॥
॥ मानसिक पञ्चपूजा = मानसिक पूजा ॥
"लं" पृथिव्यात्मने गन्धं समर्पयामि । "हं" आकाशात्मने पुष्पैः पूजयामि ।
"यं" वाय्वात्मने धूपम् आघ्रापयामि । "रं" अग्न्यात्मने दीपं दर्शयामि ।
"वं" अमृतात्मने अमृतं महानैवेद्यं निवेदयामि ।
"सं" सर्वात्मने सर्वोपचार*-पूजां समर्पयामि ॥ *सर्व-उपचार.
मानसिक पूजा = इसमे पञ्च महाभूतों के बीज-अक्षरों
"लं, हं, वं, रं, यं इत्यादि" का प्रयोग करते हैं ।
॥ ॐ नमः शिवाय ॥
**नोट - शब्दों के बीच-बीच में "-" लगाकर छोटा और सरल किया गया है ।
कुछ कठिन शब्द * को चिन्हित करके , उसे सरल के साथ नजदीक ही रखा गया है,
साधक लोग दोनो शब्दों को एक ही जगह पर देख कर तुलना कर सकें ।
कुछ संधि-विच्छेद, सही तरह से करने का का प्रयास किया गया है ।
फिर भी कुछ गलती/त्रुटि हो तो, क्षमा प्रार्थी हूँ ।
Notes: This Stotra contains the words as-
कूष्माण्ड-वेताल-मारीगण-ब्रह्म-राक्षसान्-सन्त्रासय-सन्त्रासय,
मामभयं** (माम्-अभयं) कुरु-कुरु,
विष-सर्प-भयं शमय-शमय,
चोर-भयं मारय-मारय,
मम शत्रून्- उच्चाटय-उच्चाटय
These words in mantras, kavach, stotra makes it very ugra,
as it tells, deva-devi to kill, burn, hit, the bhuta, preta, dakini, shakini,
sometimes grahas, pishach, navagrahas etc.
So you should use this type of stotra,
kavach if you really need to do,
but with a precaution.
This is a vidhya (knowledge) from tantras,
there is no harm to read and have knowledge.
But! before its paatha and its use,
one must seek proper guru guidance
and must protect oneself,
otherwise these strong-negative powers may harm,
whom we try to kill,burn, hit and agitate.
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(By: V Rakesh)
OmnamahShivaya 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏.......
Very powerful and nice
jai shiv baba
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
OUM Nama: Shivaya Rakshamam,
Why can't we download ..
can be downloaded.& lyrics found in SANSKRIT DOCUMENTS
very nice..rudra kavacham
Is Rudra kavacham and Shiva kavacham same ? Pls let me know.
Shilpa Parimi no, shiva kavacham by rushabha rishi where as rudra kavacham by durvasa rushi which is smaller in length compared shiva kavacham
Shivaya Namah
Om namaha Shivaya namaha
Jai bolenadh
On Namah Shivaya
khup chan
Har Har Mahadev saligram Yadav
Om namahshivyaa
PL provide in Tamil in description box
Om namh sivay
Om namaha Shivaya namaha
🙏🙏🙏
Super
,, 🙏
Where can we get the lyrics ?
Plz provide Mantra in Description box
stotranidhi-com.cdn.ampproject.org/v/s/stotranidhi.com/sri-siva-kavacham-in-telugu/amp/?amp_js_v=a3&_gsa=1&usqp=mq331AQFKAGwASA%3D#aoh=15987139058572&referrer=https%3A%2F%2Fwww.google.com&_tf=From%20%251%24s&share=https%3A%2F%2Fstotranidhi.com%2Fsri-siva-kavacham-in-telugu%2F
bum bum bhole
good lyrics in bhakti
on namah shivaaya
Agr aap kavch lod pr price rakh denge to grib log use kese pa skte he plz lod ho ske esa kuchh kijiye aapka kavch voice mast he jo hum kanthsth kr skte he plz🙏
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
GREETINGS. Found the lyrics in SANSKRIT DOCUMENTS
👌👌👌👌
Naa biddaki Manchi campus job ivvu Swamy neeku runapadivunntaamu
సుబంబూయత్
Dislike kottina72 mandi chachipondi. Leda desam vidichipondi. Daridram vadilipotundi
this disliked dogs all converted bread and butter batch ..waste rascals..
..
Har Har mahadev