| Medtani Bawdi | Jhunjhunu Rajasthan | Raat ko yaha aane se kyu darte hai log ??😱

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  • เผยแพร่เมื่อ 7 ก.ย. 2024
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    देश की राजधानी दिल्ली से लगभग 275 किलोमीटर दूर राजस्थान के झुंझुनूं में स्थित मेड़तनी की बावड़ी का निर्माण हिंदू शासक शार्दुल सिंह शेखावत की रानी मेड़तनी ने सन 1783 ई० मे कराया था। इसी वजह से इस बावड़ी का नाम मेड़तनी रखा गया।
    तब 70 हजार रुपए हुए थे खर्च : उस वक्त इस विशाल बावड़ी के निर्माण में 70 हजार रुपए से भी ज्यादा खर्च हुए थे। कहते हैं बड़ी संख्या में मजदूरों ने लगातार काम किया। इसको बनाने में 6 माह से भी ज्यादा का समय लगा।
    156 सीढ़ियां हैं इस बावड़ी में :
    बावड़ी में विशालकाय मुख्य द्वार से प्रवेश करने पर सीढ़ियां दिखाई देती हैं। इन 156 सीढ़ियों वाली बावड़ी में नीचे उतरकर लोग स्नान किया करते थे। सीढ़ियों के डूबने के बाद जल स्तर का पता लगाया जाता था। इसके एक तरफ एक कुआं है जिसमें बेहतरीन नक्काशी की गई है। बावड़ी लगभग 150 फीट गहरी तथा तीन विशाल खंडों में निर्मित है। इसके अंदर दोनों तरफ झरोखे और बरामदे बने हुए है। जहां लोग नहाने के बाद आराम करते थे।
    कुष्ठ रोगियों के लिए रामबाण औषधि थी यह बावड़ी :
    यह बावड़ी आजादी से पहले लोगों के लिए पानी का श्रोत हुआ करती थी। इतिहासकार बताते हैं कि इस बावड़ी में सुदूर राज्यों से कुष्ठ रोगी आया करते थे। दरअसल इसके पानी में पोटैशियम की मात्रा ज्यादा थी। इसमें स्नान करना चर्म रोगों के लिए लाभकारी होता था। अनेक चर्म रोगों से पीड़ित रागी यहां डेरा जमाए रहते थे।
    रात में भूतों का डेरा :
    यह बावड़ी पहाड़ी पर स्थित मनसा माता मंदिर की तलहटी में है। पहले यह स्थान शहर से काफी दूर था। यह क्षेत्र रात में काफी सुनसान होता था। स्थानीय लोग कहते हैं कि यहां पास से गुजरने पर डरावनी आवाजें सुनाई देती थीं। रात में लोगों के नहाने का भी आभास होता था। इस बावड़ी में कई लोगों के डूब कर मरने से लोगों के जेहन में इसके प्रति डर बैठ गया और लोग इसे भूत बावड़ी कहने लगे। एक स्थानीय नगारिक राम सजीवन का कहना है कि ये सब लोगों का वहम और किंवदंती है। ऐसा कोई केस नहीं हुआ जिसमें लोगों को भूत दिखाई दिए हों। हालांकि, शहर के विस्तार के बाद अब यह बावड़ी शहर के काफी करीब आ गई है। वहां बसाहट होने की वजह से अब भूत-प्रेत जैसी किंवदंती भी लोगों को झूठी लगी हैं।
    जर्जर हो रही बावड़ी :
    जो भी झुंझुनूं आता है वह इस बावड़ी को देखने जरूर जाता है। 200 साल से भी ज्यादा पुरानी होने की वजह से अब यह जर्जर हो चुकी है। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री भैरो सिंह शेखावत के कार्यकाल में इस बावड़ी का जीर्णोद्धार कराया गया था। उसके बाद इसकी ओर मुंह फेरकर किसी ने भी नहीं देखा। आज यह प्राचीन बावड़ी अपने हाल पर तरस खा रही है।
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