पिछले महीने 3 तारीख को मैं मसूरी घूमने गया था, जोश जोश में किताब घर से जॉर्ज एवरेस्ट के चल दिया, सोचा 4.5 किलोमीटर ही तो हैं, जल्दी पहुंच जाऊंगा। ये भूल गया था कि यह पहाड़ हैं , कोई समतल जमीन नहीं। भाई साहब किताब घर से जॉर्ज एवरेस्ट के टॉप पर पैदल पहुंचने में मेरी हालत खराब हो गई थी, और उधर से भी वापस पैदल आया। ऊपर से साला 200 के टिकट का चुना लग गया। पहाड़ के ऊपर कोहरे की वजह से घंटा ना कुछ देख पाया ।
वीडियो बढ़िया बना रहे हो आगे जाओगे भाई , बस लगे रहना
Thank you so so much
Wow ❤❤❤
Kya baat hai ❤
Nice sir jii ❤😍
👍wow
🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉
Guru ji hai kya ❤
❤❤
पिछले महीने 3 तारीख को मैं मसूरी घूमने गया था, जोश जोश में किताब घर से जॉर्ज एवरेस्ट के चल दिया, सोचा 4.5 किलोमीटर ही तो हैं, जल्दी पहुंच जाऊंगा। ये भूल गया था कि यह पहाड़ हैं , कोई समतल जमीन नहीं। भाई साहब किताब घर से जॉर्ज एवरेस्ट के टॉप पर पैदल पहुंचने में मेरी हालत खराब हो गई थी, और उधर से भी वापस पैदल आया। ऊपर से साला 200 के टिकट का चुना लग गया। पहाड़ के ऊपर कोहरे की वजह से घंटा ना कुछ देख पाया ।