| श्वेताश्वतर उपनिषद् | Shvetashvatar Upanishad | Part-4 | चतुर्थ अध्याय | UGC | Sanskrit |

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  • เผยแพร่เมื่อ 1 ธ.ค. 2024

ความคิดเห็น • 14

  • @smt.pragyapandey7156
    @smt.pragyapandey7156 28 วันที่ผ่านมา +1

    Namo namah 🙏🏻

  • @vedangam-adi
    @vedangam-adi 28 วันที่ผ่านมา

    Guru ji... please reply
    Ap ka application badal gya hai kya?

  • @girishdwivedi4247
    @girishdwivedi4247 28 วันที่ผ่านมา

    लयः शब्द की उत्पत्ति स्पष्ट करे।

    • @girishdwivedi4247
      @girishdwivedi4247 27 วันที่ผ่านมา

      प्रभु जी pls clarify

    • @-Saralsanskritvyakaran
      @-Saralsanskritvyakaran  27 วันที่ผ่านมา +1

      ली+अच् एरच् सूत्र

    • @girishdwivedi4247
      @girishdwivedi4247 27 วันที่ผ่านมา

      @@-Saralsanskritvyakaran धातु लिह् है या लि। इकारान्त धातु से अच होगा किंतु यह तो हलंत है कृपया मार्गदर्शन करें।

    • @-Saralsanskritvyakaran
      @-Saralsanskritvyakaran  27 วันที่ผ่านมา +1

      @@girishdwivedi4247 मैने साफ साफ लिखा है ली+अच् ली धातु है । लि या लिह् नहीं ।

    • @girishdwivedi4247
      @girishdwivedi4247 27 วันที่ผ่านมา

      @@-Saralsanskritvyakaran धन्यवाद।ओमि आङि चात्परे पररूपमेकदेशः स्यात्। I इस वृत्ति से ह्रस्व अ का ग्रहण होगा या सभी अ का। तपरस्तत्कालस्य कार्य करेगा या नहीं