श्रीराम-वाल्मीकि संवाद
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- เผยแพร่เมื่อ 20 ต.ค. 2024
- अयोध्याकाण्ड-गायन प्लेलिस्ट
• रामचरितमानस गायन (अयोध...
तब रघुबीर श्रमित सिय जानी। देखि निकट बटु सीतल पानी॥
तहँ बसि कंद मूल फल खाई। प्रात नहाइ चले रघुराई॥2॥
भावार्थ:-तब श्री रामचन्द्रजी सीताजी को थकी हुई जानकर और समीप ही एक बड़ का वृक्ष और ठंडा पानी देखकर उस दिन वहीं ठहर गए। कन्द, मूल, फल खाकर (रात भर वहाँ रहकर) प्रातःकाल स्नान करके श्री रघुनाथजी आगे चले॥
देखत बन सर सैल सुहाए। बालमीकि आश्रम प्रभु आए॥
राम दीख मुनि बासु सुहावन। सुंदर गिरि काननु जलु पावन॥3॥
भावार्थ:-सुंदर वन, तालाब और पर्वत देखते हुए प्रभु श्री रामचन्द्रजी वाल्मीकिजी के आश्रम में आए। श्री रामचन्द्रजी ने देखा कि मुनि का निवास स्थान बहुत सुंदर है, जहाँ सुंदर पर्वत, वन और पवित्र जल है॥3॥
सरनि सरोज बिटप बन फूले। गुंजत मंजु मधुप रस भूले॥
खग मृग बिपुल कोलाहल करहीं। बिरहित बैर मुदित मन चरहीं॥4॥
भावार्थ:-सरोवरों में कमल और वनों में वृक्ष फूल रहे हैं और मकरन्द रस में मस्त हुए भौंरे सुंदर गुंजार कर रहे हैं। बहुत से पक्षी और पशु कोलाहल कर रहे हैं और वैर से रहित होकर प्रसन्न मन से विचर रहे हैं॥4॥
दोहा :
सुचि सुंदर आश्रमु निरखि हरषे राजिवनेन।
सुनि रघुबर आगमनु मुनि आगें आयउ लेन॥124॥
भावार्थ:-पवित्र और सुंदर आश्रम को देखकर कमल नयन श्री रामचन्द्रजी हर्षित हुए। रघु श्रेष्ठ श्री रामजी का आगमन सुनकर मुनि वाल्मीकिजी उन्हें लेने के लिए आगे आए॥124॥
चौपाई :
मुनि कहुँ राम दंडवत कीन्हा। आसिरबादु बिप्रबर दीन्हा॥
देखि राम छबि नयन जुड़ाने। करि सनमानु आश्रमहिं आने॥1॥
भावार्थ:-श्री रामचन्द्रजी ने मुनि को दण्डवत किया। विप्र श्रेष्ठ मुनि ने उन्हें आशीर्वाद दिया। श्री रामचन्द्रजी की छबि देखकर मुनि के नेत्र शीतल हो गए। सम्मानपूर्वक मुनि उन्हें आश्रम में ले आए॥1॥
मुनिबर अतिथि प्रानप्रिय पाए। कंद मूल फल मधुर मँगाए॥
सिय सौमित्रि राम फल खाए। तब मुनि आश्रम दिए सुहाए॥2॥
भावार्थ:-श्रेष्ठ मुनि वाल्मीकिजी ने प्राणप्रिय अतिथियों को पाकर उनके लिए मधुर कंद, मूल और फल मँगवाए। श्री सीताजी, लक्ष्मणजी और रामचन्द्रजी ने फलों को खाया। तब मुनि ने उनको (विश्राम करने के लिए) सुंदर स्थान बतला दिए॥2॥
बालमीकि मन आनँदु भारी। मंगल मूरति नयन निहारी॥
तब कर कमल जोरि रघुराई। बोले बचन श्रवन सुखदाई॥3॥
भावार्थ:-(मुनि श्री रामजी के पास बैठे हैं और उनकी) मंगल मूर्ति को नेत्रों से देखकर वाल्मीकिजी के मन में बड़ा भारी आनंद हो रहा है। तब श्री रघुनाथजी कमलसदृश हाथों को जोड़कर, कानों को सुख देने वाले मधुर वचन बोले-॥3॥
तुम्ह त्रिकाल दरसी मुनिनाथा। बिस्व बदर जिमि तुम्हरें हाथा ॥
अस कहि प्रभु सब कथा बखानी। जेहि जेहि भाँति दीन्ह बनु रानी॥4॥
भावार्थ:-हे मुनिनाथ! आप त्रिकालदर्शी हैं। सम्पूर्ण विश्व आपके लिए हथेली पर रखे हुए बेर के समान है। प्रभु श्री रामचन्द्रजी ने ऐसा कहकर फिर जिस-जिस प्रकार से रानी कैकेयी ने वनवास दिया, वह सब कथा विस्तार से सुनाई॥4॥
दोहा :
तात बचन पुनि मातु हित भाइ भरत अस राउ।
मो कहुँ दरस तुम्हार प्रभु सबु मम पुन्य प्रभाउ॥125॥
भावार्थ:-(और कहा-) हे प्रभो! पिता की आज्ञा (का पालन), माता का हित और भरत जैसे (स्नेही एवं धर्मात्मा) भाई का राजा होना और फिर मुझे आपके दर्शन होना, यह सब मेरे पुण्यों का प्रभाव है॥125॥
चौपाई :
देखि पाय मुनिराय तुम्हारे। भए सुकृत सब सुफल हमारे॥॥
अब जहँ राउर आयसु होई। मुनि उदबेगु न पावै कोई॥1॥
भावार्थ:-हे मुनिराज! आपके चरणों का दर्शन करने से आज हमारे सब पुण्य सफल हो गए (हमें सारे पुण्यों का फल मिल गया)। अब जहाँ आपकी आज्ञा हो और जहाँ कोई भी मुनि उद्वेग को प्राप्त न हो-॥1॥
मुनि तापस जिन्ह तें दुखु लहहीं। ते नरेस बिनु पावक दहहीं॥
मंगल मूल बिप्र परितोषू। दहइ कोटि कुल भूसुर रोषू॥2॥
भावार्थ:-क्योंकि जिनसे मुनि और तपस्वी दुःख पाते हैं, वे राजा बिना अग्नि के ही (अपने दुष्ट कर्मों से ही) जलकर भस्म हो जाते हैं। ब्राह्मणों का संतोष सब मंगलों की जड़ है और भूदेव ब्राह्मणों का क्रोध करोड़ों कुलों को भस्म कर देता है॥2॥
अस जियँ जानि कहिअ सोइ ठाऊँ। सिय सौमित्रि सहित जहँ जाऊँ॥
तहँ रचि रुचिर परन तृन साला। बासु करौं कछु काल कृपाला॥3॥
भावार्थ:-ऐसा हृदय में समझकर- वह स्थान बतलाइए जहाँ मैं लक्ष्मण और सीता सहित जाऊँ और वहाँ सुंदर पत्तों और घास की कुटी बनाकर, हे दयालु! कुछ समय निवास करूँ॥3॥
सहज सरल सुनि रघुबर बानी। साधु साधु बोले मुनि ग्यानी॥
कस न कहहु अस रघुकुलकेतू। तुम्ह पालक संतत श्रुति सेतू॥4॥
भावार्थ:-श्री रामजी की सहज ही सरल वाणी सुनकर ज्ञानी मुनि वाल्मीकि बोले- धन्य! धन्य! हे रघुकुल के ध्वजास्वरूप! आप ऐसा क्यों न कहेंगे? आप सदैव वेद की मर्यादा का पालन (रक्षण) करते हैं॥4॥
छन्द :
श्रुति सेतु पालक राम तुम्ह जगदीस माया जानकी।
जो सृजति जगु पालति हरति रुख पाइ कृपानिधान की॥
जो सहससीसु अहीसु महिधरु लखनु सचराचर धनी।
सुर काज धरि नरराज तनु चले दलन खल निसिचर अनी॥
भावार्थ:-हे राम! आप वेद की मर्यादा के रक्षक जगदीश्वर हैं और जानकीजी (आपकी स्वरूप भूता) माया हैं, जो कृपा के भंडार आपका रुख पाकर जगत का सृजन, पालन और संहार करती हैं। जो हजार मस्तक वाले सर्पों के स्वामी और पृथ्वी को अपने सिर पर धारण करने वाले हैं, वही चराचर के स्वामी शेषजी लक्ष्मण हैं। देवताओं के कार्य के लिए आप राजा का शरीर धारण करके दुष्ट राक्षसों की सेना का नाश करने के लिए चले हैं।
सोरठा :
राम सरूप तुम्हार बचन अगोचर बुद्धिपर।
अबिगत अकथ अपार नेति नेति नित निगम कह।126॥
भावार्थ:-हे राम! आपका स्वरूप वाणी के अगोचर, बुद्धि से परे, अव्यक्त, अकथनीय और अपार है। वेद निरंतर उसका 'नेति-नेति' कहकर वर्णन करते हैं॥126॥
शेष यहाँ:
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जय-जय श्री हरि युगल किशोर सरकार चरणारविन्द की सदैव ही जय हो जय हो जय हो जय हो जय हो जय हो
Jaysitaramhanumanjijay
जय सियाराम ⭐🧡⭐जय सियाराम
विधि, हरि, शंभु नचावनि हारे
तुम्हरिहि कृपा, तुमहि रघुनन्दन
जड़ मोहहिं, बुध होहिं सुखारे
कृपा कृपा कृपा कृपा कृपा
जय सियाराम🙏🙏💐💐
जय जय श्री सीताराम सरकार जी
अति सुंदर जय श्री राम यह सब जीवन में उतारने वाला श्री राम बाल्मिक जी संवाद है
राम चरित मानस का एक महत्वपूर्ण प्रसंग है और इसको जीवन में आत्मसात करने की आवश्यकता है। धन्य हैं महात्मा तुलसीदास जी जिन्होंने कितने ही मधुर शब्दो का चयन किया है प्रभु श्री राम एवं महर्षि वाल्मीकि जी के संवाद में। कुछ कुछ जगह तो बहुत ही भावुक प्रसंग है कोटि कोटि नमन🙏🙏🙏🙏 ।
Maharishi Valmiki Ramayan ko padne ke liye sankriti Ani chahiye Valmiki Ramayana hi surv shresht hai ❤
रामचरित श्रवण का अवसर भी तब ही प्राप्त होता है जब श्री राम जी की कृपा हम पर होती है ।चाहे आज
जय श्री सीताराम 🙏🙏
Jai shree ram jai maharishi Valmiki ji ki ❤🙏🏻
❤🎉jai shri ram
🌹🙏🌹 जय श्री सीता राम 🌹🙏🌹
🙏🌺🌺जय श्री राम🌺🌺🙏
🙏🌺जय जय श्री राम🌺🙏
🙏🌺जय जय जय श्री राम🌺🙏
ओउम्🎉🎉🎉🎉🎉 कोटि कोटि प्रणाम्🙏🙏🙏🙏🙏 हे नाथ हम आपके है प्रभु जी 🌹🌹🌹🌹🌹 जय श्री सीताराम जी, हर हर महारेव जी
राम राम बहुत
कोटि कोटि नमन जय जय श्री राम राम सीताराम
जय भवानी शंकर ॐ नम्हा शिवाय ओम नमः शिवाय नमः शिवाय नमः शिवाय जय श्री राम राम राम हरे हरे राम राम राम हरे हरे राम राम राम हरे राम राम राम हरे राम राम राम राम हरे राम राम हरे राम राम राम 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌹🍒🥭🍓🍎🍌🍌 जय श्री राम
श्रीराम, वलमिकिजी द्वारा अंकित इन सर्व गुनो का मुझ अधर्मी मनुष्य को दान दे ताकी मेरा हृदय उनके और माता सीता के लिए ठाऊ बन सके 🙏🏻
परम संत श्री तुलसी दास जी के हम सभी सदा ऋणी रहेंगे,जिनकी कृपा से आज हमारे घरों में श्री सीताराम जी "श्रीरामचरितमानस" के रूप में साक्षात विराजमान है।🙏🙏🙏🤗🤗🥰🥰🤗
जय श्री कृष्ण
Jai Shri Ram 🙏🙏🙏❤️❤️🌷🌹🌷🚩🚩🚩
।।जय सियाराम।। ❤
ओम नमः शिवाय नमः शिवाय नमः शिवाय नमः शिवाय नमः शिवाय नमः शिवाय नमः शिवाय नमः शिवाय नमः शिवाय नमः शिवाय ऊं उमा महेश्वर नमः ओम नमः शिवाय जय श्री राम जय जय भवानी जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम जय राम राम जय राम राम राम हरे राम हरे हरे राम राम राम राम राम
सृष्टि कल्याण हेतु भगवान श्री राम भद्र जी का शुभ अवतरण भूतल पर हुआ ,
उनके चरित्र का अनुसरण कर आज
मानव महापुरुष बन सकता है !
हमें गर्व है कि प्रभु श्री राम जी ने
हमें दिव्य सनातन धर्म में उत्पन्न
किया है ! हम उस महान् सनातन
परंपरा के सदस्य हैं जिसमें भगवान श्री राम , श्री कृष्ण और श्री परशुराम जी का अवतार हुआ !
जय हो
सनातन संस्कृति की जय हो
जय हो
सनातन धर्म की जय हो
जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम
Jai Shri Ram !
Jai Shri Ram 🙏🙏🙏
अत्यंत महत्वपूर्ण पाठ, आध्यात्म के मूल तत्व से ओत प्रोत है यह संवाद 🙏
जय जय श्री राम जय जय श्री राम🙏 जय जय श्री राम🙏 जय जय श्री राम🙏 जय जय श्री राम🙏 जय जय श्री राम🙏🙏🙏🙏🙏
jay siyaram jay ho ....
अमृत तुल्य पाठ के लिए आपको नमन
🙏🙏🌹 श्री राम जय राम जय जय श्री राम 🌹🙏🙏
Jai Shree SeetaRam Aum.
Jai shree Ram ji ki jai ho 🎉❤
Jai Shree Ram.Jai Janki Maiya
Siyabar ramchandra ke charno me prnam
जय सियाराम जय बजरंगबली हनुमान
Hai prbhu kalyan kijiyai
🙏🙏🙏🙏
Jai Siyaram 💐
जय जय....!!!
Jay shree Ram
Ujjain mp se
🌹🙏जय सियाराम🙏🌹
❤
Jai siya Ram Jai Jai siya Ram
Thanks to provide सच priceless gift awesome singing
Speechless
Jai hanuman
❤ जय श्री राम ❤
Jai.raghunandan
Jai.sitaram.
Jai.shree.hanuman
जय जय सियाराम 🙏🙏
Bahut sundar
Jaya Siyaram jaya jya Hanuman. Sankat Mochan Kripanidhan..
Great
Atyant sundar
Sri SitaRam Sri SitaRam Sri SitaRam Sri SitaRam Sri SitaRam Sri SitaRam Sri SitaRam Sri SitaRam Sri SitaRam Sri SitaRam Sri SitaRam Sri SitaRam Sri SitaRam Sri SitaRam Sri SitaRam Sri SitaRam Sri SitaRam Sri SitaRam Sri SitaRam Sri SitaRam Sri SitaRam Sri SitaRam Sri SitaRam Sri SitaRam Sri
Jay shree krishna
Shri Ram jay Ram jay jay Ram
🙏🏼
Very critical Stuti of Ramcharitmanas, this tells us in full detail critically, what Lord Ram is to Tulasidas.
💜💧👀💧💜
😊
🙏🏼🙏🏼🌹🌹👋👋👋👋👋👋❤❤
🙏🙏🙏🙏🙏💐
💜 🦢 💜
Sb kuchh to shi hai pr add na aaye aur download ka option dijiye
कृपया करके प्रचार nhi aaye Aisa kre 🙏🙏🙏🙏
💧🦢💧
Bal kand se prarambh kijiye
Thoda channel ko explore karein.
th-cam.com/video/4oIKefKv0_8/w-d-xo.html
gy
Jai Shri Ram 🙏
जय श्री राम
Siyabar ramchandra ke charno me prnam
🌹🙏जय सियाराम🙏🌹
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Jay shree ram
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Jai shree Ram 🙏
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जय श्री राम
🙏🙏🙏🙏
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चाहे आजकल यू ट्यूब पर रामचरित के भंडार भरे हो फिर भी जब तक श्री राम जी की कृपा नही होती ,रामचरित का कोई भी प्रसंग श्रवण का अवसर प्राप्त नही होता ।
😊
23:50