ज़िंदगी से जब भी निराशा होती है ये फ़िल्म देखने चला आता हूँ. ताज्जुब है जिस आदमी ने दुनिया के बनाये खाँचे को सबसे ज़्यादा तोड़ा उसी आदमी से फिर दुनिया में जीने का हौसला मिलता है ❤❤
I feel fortunate to write all his Hindi poems collected in "Nayi Kheti" in my handwriting published by Jan Sanskriti Manch in Com. Ravi Prakash's room in Tapti hostel room no. 275. Vidrohi ji was a poet of great human civilization. I often feel that Vidrohi ji is one of the figures JNU can be given credit to produce. Salute to him. What a great documentary made with such a huge love and spirit of revolution. Thanks to Nitin Pamnani Ji. His directatorial vision is unmatched, his poetic understanding is deep and the way of looking at life is like an endless azure sky. Loved to see this! So much love to Nitin ji for making this. ❤❤❤❤❤❤❤
भाई हम बिहार से है ,पहली बार हमने ऐसा जीवन वृतांत देखा ,विद्रोही जी सच में एक सच्चे जन कवि के प्रतिनिधित्व करते है, वो मरे नहीं अमर हुए है मेरा मानना है कि जब तक ये दुनिया है तब तक विद्रोही जी की आवाज़ अपनी लड़ाई के लिए इस्तेमाल होगा ,धन्यवाद आपका जो आपने इनका जीवन को फिल्माया है ,आपका कोटि कोटि धन्यवाद लाल सलाम,
विद्रोही जी जब से मैं आपकी कविता को सुना है तब से मैं सोचने को मजबूर हो गया हूं कि इतना इतना सशक्त और ताकतवर पंक्तियां बिरले कवियों ने लिखी है। आपके पास शब्दों का अथाह भंडार है 🙏
विद्रोही जी मेरे पसंदीदा कवियों में से एक हैं इस फिल्म को मैं पांचवी बार देख रहा हूं। विद्रोही जी की आवाज में कबीर और नागार्जुन का विद्रोह है , और एक औरत का दर्द है विद्रोही जी की कविता अनुभूति की तीव्रता को बढ़ाते हैं
ohhh what an awesome man...Grand Salute.. मैं ये नहीं कहूंगा रेस्ट इन पीस, क्योंकि वो आपकी फितरत नहीं थी, मैं कहुंगा बन के आग विद्रोह की, बस धधकते रहना हमारे सीनों मे...।। -राकेश "कमल"
यानी सारे बड़े-बड़े लोग पहले मर लें फिर मैं मरूं- आराम से उधर चल कर वसंत ऋतु में जब दानों में दूध और आमों में बौर आ जाता है या फिर तब जब महुवा चूने लगता है या फिर तब जब वनबेला फूलती है नदी किनारे मेरी चिता दहक कर महके और मित्र सब करें दिल्लगी कि ये विद्रोही भी क्या तगड़ा कवि था
मुझे बिल्कुल भी इल्म नहीं था कि मेरा वक्त इतना कीमती होगा । मैं उस वक्त किए गए फैसले को सबसे सबसे मूल्यवान फैसला मानने लगा हूं । जिस वक्त मैंने विद्रोही जी को पढ़ने का यत्न किया । बहुत सी ग्लानि और शर्मिंदगी भी होती है कि एक बोधक , चिंतक और लेखक को जाया किया हमने । मैं उनकी संवेनशीलता के आगे नतमस्तक हूं , उन्हें समान की जरूरत हमेशा खलेगी ।
Sir meri umra 36 years hai ...maine aaj aapko jana hai ...ishshe mai apna durbhagya kahta hu ...aise mahan aur samaj sudharak kavi ...ko kitne kam log jante hai......
What an incredible documentary. Huge respect to the creators. 33:40 The poem at the end, paired with the music and visuals, hit me hard. 20:48 The part where he talks about how the life he's led is far from being indisciplined-how he relies on his core beliefs, yet constantly questions them-really opened my eyes to why so many of us today feel lost in everything we do. The belief system Vidrohi ji built for himself and lived by is so unique, so rare in a lifetime. We may think our lives are well-structured, but the shallowness of our ideas and the way we constantly shift our beliefs based on immediate outcomes have left us mentally adrift. That’s the real tragedy of our times. The clarity of thought we see in Vidrohi ji’s life exposes the chaos and lack of discipline beneath our so-called "civilized" lives. It also made me think about his wife. What kind of woman must she be to stand by him and support his unconventional life? And his children-the son about to get married and starting a new job-what must he have thought of his father? A man who, by society’s standards, would be seen as a disgrace. How did he feel about his father not being able to provide him with everything society says a father should? Was he supportive? Kind? Respectful? I had no idea such a man existed until I saw this documentary. After watching it multiple times and reflecting on it for days, I can say with certainty that if this documentary hadn’t captured and presented his life in such a raw, first-hand way, I wouldn’t have believed such a person could exist in our time. "Thank you" doesn’t seem enough. My deepest gratitude to the filmmakers and the highest respect to Vidrohi ji, the people's poet.
नमन है ऐसे महान व्यक्तिव को जिसने समाज का दर्द सिर्फ़ बयां ही नहीं किया बल्कि साझा भी किया। धन्यवाद भैया आपको जो इतने बेहतर ढंग से हम लोगों तक पहुंचाया ❤🙏
..oo mere logon nikal aao gharoon se ab maidaan k liyea, jeet uski hogi jo jung mai tagda hoga.. ..wahi rehbar hoga, wahi rehnma hoga, musalsal zindigi jo zulmoon se lada hoga.. ..vo koi khuda nahi, khuda ka baccha b nahi, sawaal aadmi ka hain aadmi hi khada hoga.. ..aur mujhe messiahi main koi yakeen hain hii nahi..main maanta hi nahi ki koi mujh se bada hoga..(10:37-10:59) wonderful :-)
I am very thankful of those who documented him. The generation could have never come to know that the person like Vidrohi ever existed. I have been listening his poems since 2016 but I didn't know that such priceless work has been done on him until it came to my time line as YT suggested because a few days ago a was watching his poetry. He was a revolutionary who wanted to bring changes in world but lived his life in his own illusionary world. If anyone associated with this work can outreach to a person named Anand Kushwaha who roam and shout (often abusive) in and around Ber Sarai? Can we look into his life, past and present and what he thinks? I had a conversation with him and he has some disruptive ideas on Education, research program, recruitments and JNU.
music, camera pan, frame shot selections say lay kar editing tk ek ajeeb manoos sa sjaya hua allrhpn hai jo film ko suit kr raha hai hmaray mann may jo kavita reh gyi woh 22:00 pr shru hoti hai....bohat khoobsurat hai ...aapko aapki team ko mubarakbaad umeed hai phir kisi aisi khoi hasti ka kuch daykhnay ko milay
Sir 5 vi bar dekh rha huu aapne ye film bna k bhut acha kam Kiya documentary me vidrohi ke vo tsvere bhi dekhaye hote Jo protest ki hai qnyki vidrohi ji ne bhut sare. Andolno me hissa liya tha
ठहरी वो रात थी, काला सा उसका मन, कहां चली गयी तूं , ले के इन आंखों का गहन। कहने लगी श्ररिनगारी वो, आंखे न देख, देख ले उनमें क्या है, मज़ा ले ले आज इन डूबते हुए आंसुओं का, यह तो इन आंखो का एक नशा है। फिर मुस्कुराने लगा मीतल बोला उस श्ररिनगारी को, ना जाओ हम डुबना चाहते हैं तुममें, पानी कि खाली प्यास को पीना चाहते हैं, एकान्त कि खाली लहेरो में तूम संग जिना चाहते हैं। -निखिल अच्छी लगे तो सम्पर्क करें
तुम मुझसे हाले-दिल न पूछो ऐ दोस्त! तुम मुझसे सीधे-सीधे तबियत की बात कहो। और तबियत तो इस समय ये कह रही है कि मौत के मुंह में लाठी ढकेल दूं, या चींटी के मुह में आंटा गेर दूं। और आप- आपका मुंह, क्या चाहता है आली जनाब! जाहिर है कि आप भूखे नहीं हैं, आपको लाठी ही चाहिए, तो क्या आप मेरी कविता को सोंटा समझते है? मेरी कविता वस्तुतः लाठी ही है, इसे लो और भांजो! मगर ठहरो! ये वो लाठी नहीं है जो हर तरफ भंज जाती है, ये सिर्फ उस तरफ भंजती है जिधर मैं इसे प्रेरित करता हूं। मसलन तुम इसे बड़ों के खिलाफ भांजोगे, भंज जाएगी। छोटों के खिलाफ भांजोगे, न, नहीं भंजेगी। तुम इसे भगवान के खिलाफ भांजोगे, भंज जाएगी। लेकिन तुम इसे इंसान के खिलाफ भांजोगे, न, नहीं भंजेगी। कविता और लाठी में यही अंतर है।
It's third time I watched it.
It's intense ...! We all miss him forever ..!
ज़िंदगी से जब भी निराशा होती है ये फ़िल्म देखने चला आता हूँ. ताज्जुब है जिस आदमी ने दुनिया के बनाये खाँचे को सबसे ज़्यादा तोड़ा उसी आदमी से फिर दुनिया में जीने का हौसला मिलता है ❤❤
I feel fortunate to write all his Hindi poems collected in "Nayi Kheti" in my handwriting published by Jan Sanskriti Manch in Com. Ravi Prakash's room in Tapti hostel room no. 275. Vidrohi ji was a poet of great human civilization. I often feel that Vidrohi ji is one of the figures JNU can be given credit to produce. Salute to him. What a great documentary made with such a huge love and spirit of revolution. Thanks to Nitin Pamnani Ji. His directatorial vision is unmatched, his poetic understanding is deep and the way of looking at life is like an endless azure sky. Loved to see this! So much love to Nitin ji for making this. ❤❤❤❤❤❤❤
भाई हम बिहार से है ,पहली बार हमने ऐसा जीवन वृतांत देखा ,विद्रोही जी सच में एक सच्चे जन कवि के प्रतिनिधित्व करते है, वो मरे नहीं अमर हुए है मेरा मानना है कि जब तक ये दुनिया है तब तक विद्रोही जी की आवाज़ अपनी लड़ाई के लिए इस्तेमाल होगा ,धन्यवाद आपका जो आपने इनका जीवन को फिल्माया है ,आपका कोटि कोटि धन्यवाद
लाल सलाम,
जिन्दा रहेंगे सताए हुए सुनकर विद्रोही की कविता और करेंगे विद्रोह अपने हक की लड़ाई के लिए
विद्रोही जी जब से मैं आपकी कविता को सुना है तब से मैं सोचने को मजबूर हो गया हूं कि इतना इतना सशक्त और ताकतवर पंक्तियां बिरले कवियों ने लिखी है।
आपके पास शब्दों का अथाह भंडार है 🙏
29:43 अगर जमीन पर भगवान जम सकता है तो आसमान पर धान भी जम सकता है बहुत बहुत क्रांतिकारी सलाम महा कवि विद्रोही जी को दिल से नमन ❤❤❤✊✊✊
विद्रोही जी मेरे पसंदीदा कवियों में से एक हैं इस फिल्म को मैं पांचवी बार देख रहा हूं। विद्रोही जी की आवाज में कबीर और नागार्जुन का विद्रोह है , और एक औरत का दर्द है विद्रोही जी की कविता अनुभूति की तीव्रता को बढ़ाते हैं
ohhh what an awesome man...Grand Salute..
मैं ये नहीं कहूंगा रेस्ट इन पीस,
क्योंकि वो आपकी फितरत नहीं थी,
मैं कहुंगा बन के आग विद्रोह की,
बस धधकते रहना हमारे सीनों मे...।।
-राकेश "कमल"
यानी सारे बड़े-बड़े लोग पहले मर लें
फिर मैं मरूं- आराम से
उधर चल कर वसंत ऋतु में
जब दानों में दूध और आमों में बौर आ जाता है
या फिर तब जब महुवा चूने लगता है
या फिर तब जब वनबेला फूलती है
नदी किनारे मेरी चिता दहक कर महके
और मित्र सब करें दिल्लगी
कि ये विद्रोही भी क्या तगड़ा कवि था
पुरे सरीर में सनसनाहट सी होती है, विद्रोहीजी को सुनते हुए !!
कमेरा समाज के लिए दर्द है आपकी कविताओं में !
लाल सलाम विद्रोहीजी
I am crying, feeling heartbroken, 💔
It's hard to believe someone like "Vidrohiji" ever existed. He is the stuff what legends are made of !! Respect n love ..u will live on forever 🙏🙏
इस बंदे को PhD नहीं करने दी पर इसपर PhD होनी चाहिए, हो भी रही होगी। ये फ़िल्म ख़ुद में एक थीसिस है।
आप आंदोलन थे ,दादा 🙏🙏
मुझे बिल्कुल भी इल्म नहीं था कि मेरा वक्त इतना कीमती होगा । मैं उस वक्त किए गए फैसले को सबसे सबसे मूल्यवान फैसला मानने लगा हूं । जिस वक्त मैंने विद्रोही जी को पढ़ने का यत्न किया ।
बहुत सी ग्लानि और शर्मिंदगी भी होती है कि एक बोधक , चिंतक और लेखक को जाया किया हमने । मैं उनकी संवेनशीलता के आगे नतमस्तक हूं , उन्हें समान की जरूरत हमेशा खलेगी ।
Vidrohi ko aam admi k samne lane or smjhane kliye bht bht sukriya good film
Sir meri umra 36 years hai ...maine aaj aapko jana hai ...ishshe mai apna durbhagya kahta hu ...aise mahan aur samaj sudharak kavi ...ko kitne kam log jante hai......
07:04 that concern for the old poet. That is an ideal youth right there!
Ro diya maine aapko dekhkar vidrohi ji🙏
सलाम इस युग के कबीर को
निर्भीक वीर कवी "विद्रोही" जी अब नहीं रहे
उनकी आवाज़ हमेशा प्रेरणा बनी रहेगी !!!
विद्रोही जी से परिचय करवाने वाली टीम को मेरा salute।
He breathed his last while fighting for students' rights.
In his own words, Aap bahut yaad aayenge janab...
we pay our internet bills for this stuff... really blessed that this was suggested to me.
Thank you very much for this film.
विद्रोही कविता जगलेला आभ्यासू कवी... 'विद्रोही'
Salute to your great work... 🙏🙏🙏
कबीर तो ऐसा ही जीवन जीता है साहब । ,🙏🙏🌹🌹
सच में 3 बार देख लिया ❤🥰 कोई दिखावा नहीं है इनमे जो है जैसी लाइफ थी उनकी वैसे की वैसे एकदम प्योर
When the video started and saw his face I remembered that man.Yes he is that.I have seen him in JNU when I was a student.
Bidrohi 😢 आधुनिक कबीर की प्रतिलिप
Ramashankar Vidrohi Ji is the real poetic soul. True colors of resistance, romance, and life emanate through him. Huge respect from SINDH.
What an incredible documentary. Huge respect to the creators. 33:40 The poem at the end, paired with the music and visuals, hit me hard. 20:48 The part where he talks about how the life he's led is far from being indisciplined-how he relies on his core beliefs, yet constantly questions them-really opened my eyes to why so many of us today feel lost in everything we do. The belief system Vidrohi ji built for himself and lived by is so unique, so rare in a lifetime. We may think our lives are well-structured, but the shallowness of our ideas and the way we constantly shift our beliefs based on immediate outcomes have left us mentally adrift. That’s the real tragedy of our times. The clarity of thought we see in Vidrohi ji’s life exposes the chaos and lack of discipline beneath our so-called "civilized" lives. It also made me think about his wife. What kind of woman must she be to stand by him and support his unconventional life? And his children-the son about to get married and starting a new job-what must he have thought of his father? A man who, by society’s standards, would be seen as a disgrace. How did he feel about his father not being able to provide him with everything society says a father should? Was he supportive? Kind? Respectful? I had no idea such a man existed until I saw this documentary. After watching it multiple times and reflecting on it for days, I can say with certainty that if this documentary hadn’t captured and presented his life in such a raw, first-hand way, I wouldn’t have believed such a person could exist in our time. "Thank you" doesn’t seem enough. My deepest gratitude to the filmmakers and the highest respect to Vidrohi ji, the people's poet.
अब दुनियां में विद्रोही दूसरा कभी नहीं होगा
नमन है ऐसे महान व्यक्तिव को जिसने समाज का दर्द सिर्फ़ बयां ही नहीं किया बल्कि साझा भी किया।
धन्यवाद भैया आपको जो इतने बेहतर ढंग से हम लोगों तक पहुंचाया ❤🙏
I listen lot of poet ..But the truth and pain for social issues in his poem ..It's fire... Motivated . He is unique..
Thanks for making this film. Very inspiring. Likhne par aur sochne par khoob majboor kiya iss documentary ne.
..oo mere logon nikal aao gharoon se ab maidaan k liyea, jeet uski hogi jo jung mai tagda hoga..
..wahi rehbar hoga, wahi rehnma hoga, musalsal zindigi jo zulmoon se lada hoga..
..vo koi khuda nahi, khuda ka baccha b nahi, sawaal aadmi ka hain aadmi hi khada hoga..
..aur mujhe messiahi main koi yakeen hain hii nahi..main maanta hi nahi ki koi mujh se bada hoga..(10:37-10:59)
wonderful :-)
धन्यवाद।
विद्रोही जी को दिल से सलाम।।
Mindblown at 25:11 "Dardon ka aage aur bhi silsila ho, Par ye toh na ho ki dard hi dawa ho."
Thank you so much for filming this.
कुछ कविताओं को शॉर्ट्स पर सुना
और अंततः इस अद्भुत वीडियो को yt ने खुद उपलब्ध करा दिया
I am very thankful of those who documented him. The generation could have never come to know that the person like Vidrohi ever existed. I have been listening his poems since 2016 but I didn't know that such priceless work has been done on him until it came to my time line as YT suggested because a few days ago a was watching his poetry.
He was a revolutionary who wanted to bring changes in world but lived his life in his own illusionary world.
If anyone associated with this work can outreach to a person named Anand Kushwaha who roam and shout (often abusive) in and around Ber Sarai?
Can we look into his life, past and present and what he thinks? I had a conversation with him and he has some disruptive ideas on Education, research program, recruitments and JNU.
Anand kushwaha ji JNU me rahte hain?
Bhai sahab you lived some very precious worth living moments !
You are really lucky man.!
शानदार वीडियो रहा,जिसने भी मेहनत की उसको धन्यवाद और बधाई भी❤️❤️👍
Aadarniy Hamare Dada Ji 🥲
एक आज़ाद कवि की आज़ाद कविताएँ समय के अंत तक याद रखी जाएगी ।
music, camera pan, frame shot selections say lay kar editing tk ek ajeeb manoos sa sjaya hua allrhpn hai jo film ko suit kr raha hai hmaray mann may jo kavita reh gyi woh 22:00 pr shru hoti hai....bohat khoobsurat hai ...aapko aapki team ko mubarakbaad umeed hai phir kisi aisi khoi hasti ka kuch daykhnay ko milay
Modernism is fearlessness of consciousness. 😮
Sir 5 vi bar dekh rha huu aapne ye film bna k bhut acha kam Kiya documentary me vidrohi ke vo tsvere bhi dekhaye hote Jo protest ki hai qnyki vidrohi ji ne bhut sare. Andolno me hissa liya tha
Got goosebumps . Just thanks words cant be enough .
ठहरी वो रात थी,
काला सा उसका मन,
कहां चली गयी तूं ,
ले के इन आंखों का गहन।
कहने लगी श्ररिनगारी वो,
आंखे न देख, देख ले उनमें क्या है,
मज़ा ले ले आज इन डूबते हुए आंसुओं का,
यह तो इन आंखो का एक नशा है।
फिर मुस्कुराने लगा मीतल बोला उस
श्ररिनगारी को,
ना जाओ हम डुबना चाहते हैं तुममें,
पानी कि खाली प्यास को पीना चाहते हैं,
एकान्त कि खाली लहेरो में तूम संग जिना चाहते हैं।
-निखिल
अच्छी लगे तो सम्पर्क करें
Mere dadaji hai
Incredible work done guys! 👏
And what a mind.!!
नमन जन कवि विद्रोही जी को नमन
vidrohi.....with resistance ..... aaj nahi rahe par unka yah kavitaaon bhara safar...... amar rahega
Ek Vahi Baat Bolunga Ye Vidrohi Bhi Kya Tagda Kavi tha ❤❤
bahut kuchh chhut gaya unse janna aur aj is film ko dekhkar ro padi unki yad me
honestly, I am grateful his soul got to get away, was without a doubt a blessed one. RIP...
Thank you so much for this documentary
कामरेड विद्रोही को लाल सलाम
बेहद सरल और सुंदर चित्रण…साधुवाद❤
तुम मुझसे
हाले-दिल न पूछो ऐ दोस्त!
तुम मुझसे सीधे-सीधे तबियत की बात कहो।
और तबियत तो इस समय ये कह रही है कि
मौत के मुंह में लाठी ढकेल दूं,
या चींटी के मुह में आंटा गेर दूं।
और आप- आपका मुंह,
क्या चाहता है आली जनाब!
जाहिर है कि आप भूखे नहीं हैं,
आपको लाठी ही चाहिए,
तो क्या
आप मेरी कविता को सोंटा समझते है?
मेरी कविता वस्तुतः
लाठी ही है,
इसे लो और भांजो!
मगर ठहरो!
ये वो लाठी नहीं है जो
हर तरफ भंज जाती है,
ये सिर्फ उस तरफ भंजती है
जिधर मैं इसे प्रेरित करता हूं।
मसलन तुम इसे बड़ों के खिलाफ भांजोगे,
भंज जाएगी।
छोटों के खिलाफ भांजोगे,
न,
नहीं भंजेगी।
तुम इसे भगवान के खिलाफ भांजोगे,
भंज जाएगी।
लेकिन तुम इसे इंसान के खिलाफ भांजोगे,
न,
नहीं भंजेगी।
कविता और लाठी में यही अंतर है।
विद्रोही जी की है क्या साथी?
ये विद्रोही जी की कविता है या आपकी लाट्ठी है बहुत ही लगती तो विद्रोही की ही खेती है।
Heyy sir thank you soo much for this masterpiece 🙏
Mil hi gayi ye video akhirkar🤌
thankyou for this film!!
Vidrohi ji ko sahitya ka sbse bda purskar milna chahiye
What an enigma of a poet. Thank you for uploading this
Vidrohi ki kvita kbir ki jhlk hai...inki sadharn juban hi kvita bn jati hai
Sahity k sath sath bhugol or itihas ka bhi acha knowledge hai
जिसने ये नही देखा वो कुछ नही देखा
Thank you for uploading this. God bless you
Rest in peace. You and your poems have touched me very deep...
Jo apna sb kuchh kho chuka uski aawaj h vidrohi ji..lal salam
Thanks a lot for uploading this video
Legend for a reason ❤.......he is epic..... thanku nitin sir for recording him ❤❤❤
Vidrohi jungle ke kaante yad dilate hain..
"meri kavitaon ke sirshak nahi hain.."
Bhot underground और बहुत ही प्यारे ❤
Glad that I watched this today.
A good film subject wise but its direction is extraordinary.
Iswar raja ka ghaas hi chilta raha.. line of last poem is so powerful.
vidrohi kavi is just a god dog. respect
salute and respect nothing else
Sun rhe ho na Nitin, Thankyou ❤️
Khoobsurat tareen
Thank you collecting this masterpiece
विद्रोही was a guy who used to care for the whole human and other creatures ❤
And I bet it's a movie captured and directed by brilliant guys
Salute to this great personality...jindabad
Love you papa
Thank you for this ❤️❤️🙏🙏🙏
Amazing
Thank u so much loading this video
महान कवि पर शानदार डाक्यूमेट्री 🌺🌺
vidrohi ji mere shahr sultanpur ke the and this feels so good and we are so fortunate that he was from our city.🙏🙏🫀
Mind blowing.. Docuementry
इनकी आवाज फिराक गोरखपुरी से मिलती है
Legendary
I am today years old when i met a great person.. In my life 29/11/24
Beautiful ❤️
we respect the person after its too late.
salute you ..
मुझे विद्रोही जी की कविता ओ से प्यार होगाया है 😊
Sir aaap aap hain aap jaisa koi nhi na hoga .... aap jaisa koi tha bhi dunia mai yakeen nhi.hota ... jaisa kaha vaisa jiya