खेती व्यवस्था में मल्टीप्लायर क्यों जरूरी है 👉📱

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  • เผยแพร่เมื่อ 8 ก.พ. 2025
  • वनस्पति का भोजन क्या है.
    वनस्पति के सम्पूर्ण भोजन की व्यवस्था प्रकृति ने बनाई है, इस बात को सारी दुनिया के वैज्ञानिक मानते हैं, उनका रिसर्च कहता है की, किसी भी वनस्पति को 96.2 प्रतिसत भोजन सूर्यप्रकाश, हवा तथा पानी से मिलता है, बचे हुए 3.8 प्रतिसत भोजन की व्यवस्था मिटटी से पूरी होती है, जिसे हम मिटटी कहते हैं, वास्तव में वो सभी प्रकार के खनिज हैं, जिनकी हमारी वनस्पति को आवश्यकता है, जैसे मुख्य अन्न द्रव्य में नत्र,स्फुरद,पोटाश,दुय्यम अन्न द्रव्य में कैल्शियम,मेग्नेशियम,सल्फर,तथा सूक्ष्म अन्न द्रव्य में बोरान,क्लोरीन,कॉपर,आयरन,मेंगनीज,मालीब्लेडनम,झिंक, वनस्पति को कम-ज्यादा प्रमाण में लगनेवाले ये सभी घटक खनिज के स्वरूप में मिटटी में हैं, आवश्यकतानुसार वनस्पति को मिलते हैं, इसके अलावा 3 घटक हैं, कार्बन,हायड्रोजन तथा आक्सीजन ये घटक पानी तथा हवा से उपलब्ध होते हैं.
    वनस्पति को भोजन के उपलब्धिकरण की प्रक्रिया क्या है.
    एक ग्राम मिटटी में १० करोड़ सूक्ष्म जीवाणु होते हैं, इनका भोजन वो खनिज हैं, जिसे हम मिटटी कहते हैं, ये खनिज जीवाणुओं का भोजन हैं, उनके खाने से खनिज का रूप परिवर्तन होता है, फिर उसे दूसरे जीवाणु खाते हैं, इस प्रकार मिटटी के खनिज जीवाणुओं के भोजन से वनस्पति का भोजन बन जाते हैं, ये वनस्पति को भोजन देने की प्राकृतिक व्यवस्था थी, वनस्पति को आवश्यकता से अधिक भोजन मिलता था, इसलिए वनस्पति बलवान तथा निरोगी रहती थी, बलवान वनस्पति किटकों को प्रतिकार करती थी, इसलिए जहरीली दवाओं का छिड़काव भी नहीं करना पड़ता था.
    आज हमारी वनस्पति को प्रकृति से बिनामूल्य भोजन क्यों नहीं मिलता.
    प्रकृति से छेड़छाड़ के भयानक परिणाम भोगना पड़ते हैं, जिस प्रकार जंगल नष्ट करने से बरसात कम हो गई, गर्मी में वृद्धि होने से हिमालय पिघल रहा है, उसी प्रकार मिटटी में जहाँ करोड़ों-करोड़ जीवाणु थे, उसमें गर्मी बढ़ानेवाले रासायनिक खाद डालने से बड़ी संख्या में जीवाणु मर गए, परिणाम यह हुआ की वनस्पति को मिटटी से बिनामूल्य भोजन मिलना बंद या बहोत कम हो गया, इसलिए वनस्पति को बाहर से रासायनिक खाद के माध्यम से भोजन देना जरुरी हो गया, अब किसान भाई रासायनिक खाद डालता तो है, परन्तु वनस्पति को रासायनिक खाद भी जीवाणुओं के द्वारा ही उपलब्ध होता है, जीवाणुओं की संख्या कम होने से, दिया जा रहा रासायनिक खाद भी फसल को उपलब्ध नहीं हो पा रहा, इन समस्याओं का सामना करते-करते थक चुका किसान भाई आत्महत्या करने को मजबूर हो रहा है.
    रासायनिक खाद फसलों का सीधा भोजन नहीं है.
    अगर रासायनिक खाद फसलों का सीधा भोजन होते, तब बंजर जमीन में ज्यादा मात्रा में खाद डालकर पैदावार होना चाहिए, परन्तु बंजर मिटटी में कितना भी खाद डालो कुछ भी पैदा नहीं होता.
    वास्तविकता यह है की, मिटटी के खनिज हों या रासायनिक खाद, फसलों को जीवाणुओं के मार्फ़त ही उपलब्ध होते हैं, मतलब मिटटी में उचित संख्या में जीवाणु होना जरुरी है.
    मल्टीप्लायर जीवाणुओं की संख्या तेजी से बढ़ाता है.
    गोबर खाद सड़ने के बाद उसमें से जो कार्बन मिलता था, वह जीवाणुओं का भोजन था, फसलों के अवशेष जो मिटटी में सड़ते हैं, उसमें से निकलनेवाला कार्बन जीवाणुओं का भोजन है, अब गोबर खाद सभी किसान भाइयों को उपलब्ध नहीं है, स्वच्छ खेती पद्धति के कारण फसलों के अवशेष भी कम हो गए, इसलिए भी जीवाणुओं की संख्या बढ़ने की गति रुक गई.
    मल्टीप्लायर में जीवाणुओं का भोजन बहुतायत मात्रा में है, इसलिए जब खेत में मल्टीप्लायर दिया जाता है, जीवाणुओं की संख्या तेजी से बढ़ने लगती है, जीवाणुओं की संख्या ज्यादा मतलब फसलों को ज्यादा भोजन.
    प्रकृति की बिनामूल्य भोजन व्यवस्था में केंचुओं का रोल अहम् था.
    उपजाऊ मिटटी में जितना सहभाग जीवाणुओं का है, उससे ज्यादा महत्व केंचुओं का है, रासायनिक खाद के कारण मिटटी में गर्मी निर्माण होने के कारण केंचुए नीचे-नीचे चले गए, मल्टीप्लायर मिटटी में ऐसे वातावरण की निर्मिति करता है, जिसके कारण इस्तेमाल के दूसरे साल से केंचुए ऊपर आकर खाद बनाने लगते हैं, एक एकड़ क्षेत्र में साल भर खेती होनेवाली मिटटी में 120 टन तक केंचुआ खाद हर साल बनता है, किसान भाइयों अगर 120 टन केंचुआ खाद हर साल आपके एक एकड़ क्षेत्र में बनने लगे तब आपको बाहर से एक रुपये कीमत का खाद डालने की आवश्यकता नहीं है, परन्तु जब तक मिटटी में निर्माण हुई खराबी दूर नहीं होगी, केंचुए से मिलनेवाला बिनामूल्य खाद हमें नहीं मिल सकता.
    मल्टीप्लायर मिटटी में निर्माण हुई खराबी को दूर करने में सक्षम है.
    मल्टीप्लायर से आप बढे हुए उत्पादन के साथ मिटटी को सोने जैसी बना सकते हैं, उसके बाद मल्टीप्लायर का भी, इस्तेमाल करने की आवश्यकता नहीं, मल्टीप्लायर १३ वर्षों के निरंतर संशोधन का परिणाम है, मल्टीप्लायर मिटटी में निर्माण हुई खराबी को दूर करके, मिटटी को उपजाऊ बनाता

ความคิดเห็น •

  • @girdharilalsolanki8799
    @girdharilalsolanki8799 หลายเดือนก่อน

    ❤बहुत ही अच्छी जानकारी❤

    • @girdharilalsolanki8799
      @girdharilalsolanki8799 หลายเดือนก่อน

      ❤आर गे निक मॉर्निग 🙏