बचपन की मीठी यादें
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- เผยแพร่เมื่อ 8 ก.พ. 2025
- बचपन की मीठी यादें
रचना कार - हनुमान बादाम
आज बच्चों को खेलता देख मुझे बचपन याद आ गया
अचानक से आँखों के सामने यादों का मंजर छा गया !!
हम भी खूब खेला करते थे
कभी कंचियों पर निशाना लगाते
कभी साइकिल का टायर दौड़ाते
कभी कुश्ती में दांव लगाते
कभी झाड़ियों के मीठे बेर खाते
बरसात आने पर खूब नहाते
पानी में कागज की नाव चलाते
खेत में मिट्टी के घर बनाते
हल्ला मचा कर पूरे गांव में चक्कर लगाते
वो मस्ती का दौर जाने कहाँ गया
आज बच्चों को खेलता देख मुझे बचपन याद आ गया
अचानक से आँखों के सामने यादों का मंजर छा गया (1)
गांव की दुकान पर से नान खटाई लाना
घर से स्कूल 5 किलोमीटर पैदल ही आना जाना
आधी छुट्टी में स्कूल से कभी-कभी तड़ीपार हो जाना
खेतों से चोरी करके मूंगफली खाना
दिन भर गिल्ली डंडे का खेल खेलना
रात में अलाव पर हाथ सेंकना
सतौलिया खेलने के लिए दोस्तों का इशारे में बुलाना
होमवर्क नहीं होने पर मास्टर जी को बहाने सुनाना
वो बचपन वाला रविवार जाने कहाँ गया
आज बच्चों को खेलता देख मुझे बचपन याद आ गया
अचानक से आँखों के सामने यादों का मंजर छा गया (2)
दूसरों के घर जाकर टीवी पर शक्तिमान देखना
रेडियो पर क्रिकेट की लाइव कमेंट्री सुनना
पीली रोशनी वाले बल्ब में साइंस के चैप्टर रटना
लाइट जाने पर चिमनी जलाकर पढ़ना
उस समय घरों में इन्वर्टर का ना होना
गर्मियों में खाट पर बाहर ही सोना
सब बच्चों का मिलकर अंत्याक्षरी खेलना
चांदनी रात में सितारों को गौर से देखना
वो मजे का दौर जाने कहाँ गया
आज बच्चों को खेलता देख मुझे बचपन याद आ गया
अचानक से आँखों के सामने यादों का मंजर छा गया (3)
रचनाकार -
हनुमान बादाम