At 15:10, is it स्वेदज instead of स्वदेज? Because as per the interpretation you're presenting, स्वेद, (which means sweat in Sanskrit) is the best fit for the information being presented. And henceforth स्वेदज as the meaning suggests.
@@dhanashriraul9169 kehna kya chahte ho bhai ..Agar tumhe kch galat lag raha hai to proof ke saath quote karo ...warna..bhai appreciate karo ..faltoo mein ye apne aap ko budhimaan shaabit kyu karne ki koshish kar rahe ho 😂
भाई मै भी वनस्पति विज्ञान से स्नातकोत्तर हूँ । 84 लाख योनियों का विश्लेषण करते समय यही विचार मेरे भी मन मे आया था और विकीपिडिया पर पृथ्वी पर समस्त ज्ञात जीवों की संख्या देखा तो आश्चर्य हुआ परन्तु आप ने बहुत अच्छे तरीके से प्रस्तुत किया है । आप अपने एक वीडियो के लिए जितना शोध कार्य और परिश्रम करते है वह सराहनीय ही नहीं अतुलनीय है । ऐसे ही कार्य करते रहे । अनन्त साधुवाद ।🙏
बहुत बहुत धन्यवाद आपका 😊🙏 हमारे पूर्वजों ने ऐसा कोई विषय नहीं छोड़ा जिस पर शोध न किया हो। पर कोई आज समझता ही नहीं है परन्तु अब आश जागी है आप जैसे महापुरुष इस आधुनिक युग में अवश्य सनातन धर्म को एक नई पहचान देंगे ।🙏
तूमी खुप अभ्यास केला आहे, आणि इतकी सविस्तर माहिती दिली खरच खुप छान आणि बर वाटत कारण आम्ही बायका तर मुलानंच आणि घरातील काम आवरून बाहेर ची काम करतो मग वाचन करायला वेळ नाही, पण ऐकून इतक्या गोष्टी लक्षात येतात, आणि खरच धर्म आणि कर्म समजत खुपच छान विडिओ आहेत तुमचे सगळेच
जैसे जैसे आपकी विडियोज आ रहीं हैं आप पर उतना ही गर्व महसूस होता है । इतनी रिसर्च करना ही अपने आप में एक अद्भुत कार्य हैं ।काश मैं भी अपनी पढ़ाई का इस तरह से प्रयोग कर पता ।
वर्तमान समय मे अगर सनातन ज्ञान को समझना है तो विज्ञान के रास्ते आसानी से समझा जा सकता है और आप बहुत अद्भुत कार्य कर रहे हैं । आप यूँ ही अनवरत कार्य करते रहें आजीवन मेरी यही कामना रहेगी । शुभाशीष हमेशा आप पे बनी रहे
आप तो पूर्व जन्म के कोई ऋषि प्रतीत होते हैं जो अध्ययन अनुशीलन और अध्यवसाय द्वारा जनमानस का कल्याण एवं मार्गदर्शन कर रहे हैं भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर से सबको परिचित करा रहे हैं तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण और तर्क का भी प्रश्रय लेते हैं आपको मेरा साधुवाद🙏🙏🙏🙏
मैं एक नास्तिक आदमी था मांस हारी था।तार्किक था। पहले मैं भी मानता था की सब कपोल कल्पना है लेकिन गुरु से मिलने के बाद आज मैं शुद्ध सनातनी हूं अष्टा ध्यायी कोई आदमी नही लिख सकता रामानुजन ने जो काम गणित में किया वो किसी आदमी के बस की बात नहीं संसाधनों के अभाव में चरक,शुश्रुत,बागभट्ट ने जो कुछ लिखा वो उस समय और आज भी मानव बुद्धि की पराकाष्ठा है महर्षि पाणिनि स्वयं शिव रूप में थे रामानुजन को एक देवी मां से प्रश्नों के जवाब स्वप्न में मिल जाते थे सब कुछ आज भी रहस्य से भरा हुआ है सांसारिक आदमी कुछ भी नही मानेगा लेकिन तत्व ज्ञान में रुचि रखने वाला इस संसार के पीछे के रहस्य को समझ महसूस कर रोमांचित हो जाता है
@@Optimistic_Nihilisttt आप इस विज्ञान को कौन से नजरिए से देख रहे हो ? भारत का कि जिसे वेद, उपनिषद, पुराण और आर्यभट्ट , नागार्जुन , सुश्रुत आदि ने बताया है ? या फिर वो पश्चिमी नजरिए से ?
@@itsteach6423 आर्यभट्ट सही थे । लेकिन कृपया आप यह जानकारी पढ़े पौराणिक कथा के अनुसार देवों और दानवों के बीच समुद्र मंथन के दौरान 14 रत्नों में एक अमृत कलश भी निकला था. इसके लिए देवताओं और दानवों में विवाद होने लगा. इसको सुलझाने के लिए मोहिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया. मोहिनी रूप धारण किये हुए भगवान विष्णु ने अपने हाथ में अमृत कलश देवताओं और दानवों में समान भाग में बांटने का विचार रखा. जिसे भगवान विष्णु के मोहिनी रूप से आसक्त होकर दानवों ने स्वीकार कर लिया. तब भगवान विष्णु ने देवताओं और असुरों को अलग-अलग लाइन में बैठा दिया. दानवों के साथ कुछ गलत हो रहा है. इसकी भनक दैत्यों की पंक्ति में स्वर्भानु नाम के दैत्य को लग गई. उसे यह आभास हुआ कि मोहिनी रूप में दानवों के साथ धोखा किया जा रहा है. ऐसे में वह देवताओं का रूप धारण कर सूर्य और चन्द्रमा के बगल आकर बैठ गए. जैसे ही अमृत पान को मिला, वैसे ही सूर्य और चंद्र ने उसे पहचान लिया और यह बात भगवान विष्णु को बताई, जिस पर क्रोधित होकर नारायण भगवान ने अपने सुदर्शन चक्र के राहु के गले पर वार किया, लेकिन तब तक राहु अमृत पी चुका था. इससे उसकी मृत्यु तो नहीं हुई, परन्तु उसके शरीर के दो धड़ जरूर हो गए. सिर वाले भाग को राहु और धड़ वाले भाग को केतु कहा गया. इसके बाद ब्रह्मा जी ने स्वर्भानु के सिर को एक सर्प वाले शरीर से जोड़ दिया. यह शरीर ही राहु कहलाया और उसके धड़ को सर्प के दूसरे सिरे के साथ जोड़ दिया, जो केतु कहलाया. सूर्य और चंद्रमा के पोल खोलने के कारण राहु और केतु दोनों इनके दुश्मन बन गए. इसी कारण ये राहु और केतु पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को ग्रस लेते हैं. यह सब लिखा गया है धार्मिक ग्रंथों में । जो की बिल्कुल भी सही नही है।
India should make study of Veda puran compulsory. Whatever we are currently studying is so backward and our Vedas are way ahead of time🙏 Thanks a lot to you and others like you who are not only studying Veda purana Upanishads in detail but also sharing this valuable knowledge with so many people.🙏 Once again thanks and congratulations on what you are doing 🙏
मुझे नहीं पता ये कैसे हुआ,,, जो चीज़ मैं करना चाहता था वो आप कर रहे हो, मुझे भी ये सभी चीजों की पढ़ने की आदत है। धन्यवाद जो आप इस तरह हमारी इतिहास को सभी को पहुंचा रहे है💐
अति सुन्दर प्रस्तुति और आत्म सात योग्य विवरण तर्क और वैज्ञानिकता से परिपूर्ण , जय सत्य जय सनातन संस्कृति ज्ञान विज्ञान, और आपकी खोज परिश्रम को साधुवाद आभार
आपने सही कहा पुनर्जन्म होता है किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके अच्छे या बुरे कर्मो के हिसाब से नया जन्म मिलता है और जो अंत समय मे भगवान को याद करता है उसे सद्गति मिलती है ❤️ जय श्री राम 🙏❤️🚩🚩
हिंदू = the highest form of human हिंदुत्व = the best way of life Hinduism = जीवन जीने का सर्वोत्तम तरीका विश्व के "प्रथम" एवम "not artificial but natural" और "पूर्णतः देसी" धर्म अर्थात ''हिंदू धर्म=वैदिक सनातन धर्म'' की जय हो... Most proud of being हिंदू & हिंदुस्तानी.....
तुम्हे जिसकी जरूरत नहीं तुम उसके पीछे कभी नहीं भागते और तुम्हारे लिए उस चीज का प्रयाय भी खत्म हो जाता है सजीव कभी निर्जीव के पीछे नहीं भागेगा और निर्जीव कभी सजीव के क्योंकि दोनों की जरूरत जो है वो उनके अपने अपने है उनके लिए ही उनके अपने अपने ही महत्व रखते है वो अपनी रचना के प्रभाव से जितने मुक्त होते जायेंगे किसी और प्रभाव मे उतने जकड़ते या पाते जायेंगे ये एक चक्र हैं और तुम इसी मे घूमते रहोगे यहाँ चक्रो की भरमार हैं एक से दूसरे दूसरे से तीसरे घूमते रहो जैसे तुम विचारों को छोड़ देते हो जब उसका कोई मतलब नहीं पाते क्योंकि तुम्हें उसकी आवश्यकता नहीं कोई महत्व या प्रभाव नही तुम जब तक प्रभाव मे रहोगे वो तुम्हारी आवश्यकता बनी रहेगी जैसे ही प्रभाव से मुक्त हुए उसका तुम्हारे लिए कोई मतलब नहीं रह जायेगा
The kind of content with the depth you share is extremely rare. You are not asked for or looked for, you are very much required by the world today. Thank you whole heartedly for all the research doing and knowledge gaining. Keep posting such content please
@@crazy_for_kpop562 number of species do not remain same . It fluctuates sir. How our sages guessed it with such accuracy without any equipment . Only some sort of divine can do that. in abrahmics scriptures it is mentioned that flaura and fauna is for human consumption' how silly'. If you compare Hindus scriptures are divine knowledge .
सनातन दर्शन मे जीवन और जीवन के उसपार का जो अमूल्य ज्ञान निहित है उसे जानकर आश्चर्यजनक खुशी के आँसू निकल आये। दुनियां की किसी संस्कृति मे दूर दूर तक कोई ऐसा कोई ज्ञान नही है।
आप बहुत अच्छा कार्य कर रहें हैं उसके लिए आपका बहुत बहुत आभार किन्तु इस वीडियो में हेतु आपको कुछ और प्रयास करना चाहिए था,यजुर्वेद 39.06 में स्पष्ट लिखा हैं मृत्यु के बाद आत्मा अधिकतम 12 दिन सूसूक्त अवस्था में सूर्य आदि लोगो में रहती हैं और फिर शरीर धारण करती हैं अपने किये क्रमों के भोग हेतु, सभी कर्मों का फल मिलना निश्चित हैं और उसके लिए शरीर धारण करना पड़ता हैं शरीर से ही कर्मो का फल भोगा जायेगा ऋग्वेद 10.16.01 से 10.16.03 शरीर के प्राण ( प्राण, व्यान, अपान, सामान कृत ) निकलते ही आत्मा शुक्षम शरीर सहित निकल जाती हैं, ना कि ज़ब शरीर भस्म होता हैं, अथर्ववेद 6.53.2, सामवेद 851, यजुर्वेद 19:47 सभी में पुनर्जन्म कि व्याख्याएं हैं, अतः आप वीडियो बनाने में शीघ्रता ना किया करें, धन्यवाद 🙏
वाह बहुत अच्छी तरह आपने समझाया । उपनिषद पढ़कर तो नींद आने लगती है 😴 पर आपने बहुत इंटरेस्टिंग तरह से बताया । आम लोगों के लिए ये वीडियो बहुत लाभदायक है । धन्यवाद 🙏,
Bro you nailed it again oohh man i get goosebumps after i watching this trust me this is best video i am searching this video. In my life i had question how i get this human body and now i get to know these things thankyou brother 😄🙏 thankyou so much for your effort please don't stop for making this type of video you are true gem of our Sanatan dharm who spared real knowledge to the world 😄🙏
मैंने कुछ दिन पहले यूट्यूब पर एक वीडियो देखा था जिसमें दिखाया गया था कि भगवान का चेहरा हमें प्रकाश के रूप में दिखता है लेकिन वह वीडियो देखने के कई साल पहले जब मेरे पास स्मार्टफोन नहीं था इंटरनेट नहीं था मैं यूट्यूब भी नहीं दिखता था उस वक्त मैंने सपने में ब्रह्मा विष्णु और महेश जी को देखा जिनके चेहरे पूरी तरह से प्रकाश से ढके हुए थे यह सब मैंने सपने में देखा था!!
pta ni kbse ye ques mere dimaag me chl rha ki fir se janm ka process n logic kya h ekdm se ye video aaya bhut sukriyaa itna kuch btane k liye dil se sukriyaa❤
Yes, I didn't find it to be a cycle. It's a probability. And in which, becoming a human is tough even though it seems our population is increasing. Then again, we are producing Hens, and Goats with even faster rate.
@@HyperQuest bhai does your concept match with garud puran and bhagwat geeta ...plzz make a detailed video on this topic again ....this is very mysterious topic
जब तक हम नहीं मरते तब तक पता नहीं चलता कि मरने बाद क्या होता है, तो यह सब काल्पनिक परी कथाओं में न पड़कर उस परमेश्वर ने जो जीवन दिया है उसे अच्छी तरह से जियो ।
Ye hi problem hai tum hinduo ki... apni kitabo ko jo sabse pehle likhi gyi, use pari katha bolte ho...😂 scientists bhi inpe khoj kar rahe hai gadhe...😂😂😂 Fir jab sab kuch Gore log leke aate hai to tum logo ko badi chid hoti hai😂
श्रीमान जी नमस्कार, मैं 66 वर्षीय व्यक्ति हूं, सनातन धर्म में पूर्ण विश्वास है और मानता भी हूं। श्रीमान जी मेरी मन की उत्सुकता यह है की सारी योनियों में मनुष्य योनि श्रेष्ठ कैसे हैं ?मानव योनि ही ऐसी योनि है जिससे धरती पर वायु में या धरती के नीचे जितने भी योनियों हैं सभी को कष्ट पहुंचाना एवं नष्ट करना ही मनुष्य का कार्य है, कृपया विषय पर प्रकाश डालें
असलियत मैं जिन्होने ये वीडियो बनाया हैं उनको सारी जानकारी नहीं हैं| व्हिडिओ मैं वो बहोत confused हैं| ८४ योनी का भि उनको कूछ पता नहीं हैं, नंबर बदलते रेहेता हैं बोल रहे हैं. योनी - source of origin ये तो सटीक बात की पर ८४ का पता नहीं हैं इनको.
मनुष्य योनि श्रेष्ठ इसलिए है क्युकी इसी योनि में आप के पास इतना दिमाग होता है की आप ध्यान करके अपने पुराने इम्प्रेशंस को ख़त्म करके मोक्ष को प्राप्त कर सकते हैं, किसी भी अन्य योनि में आप ये नहीं कर सकते, अन्य योनियों में सिर्फ भोग की पॉसिबिलिटी होती है, आत्म साक्षत्कार करने की काबिलियत सिर्फ मानव योनि में ही मिलती है।
Beautifully explained, किंतु एक प्रश्न है कि अगर जीव का जन्म उस जल की बूंद को ग्रहण करने वाले पर निर्भर करता है तो आत्मा को अपने माता-पिता चुनने का अधिकार कहाँ है, जैसा की माना जाता है कि आत्मा स्वयं इसका चुनाव करती हैं।
@@kandarpkhari_r atma ka adhikar hota h wo apne anusar jeevan chunti h और वो asan jeevan isliye nhi chunti kuki jitna jeevan आसान hoga utna hi is moh maya m fase रहेंगे.. और पहला प्रश्न का उत्तर ये है जब कोई आत्मा कही जन्म लेना चाहती है वो अपना मार्ग खुद बनाती है कितने कष्ट उसे भोग् ने होंगे कितनी बार उसे जन्म लेना होगा ये यात्रा ही मोक्ष की है,, सभी अपने कर्म कर अनुसार ही कष्ट भोगते है,, और यह आत्माओ की अपनी इच्छा अनुसार होता है। इसलिए कहा जाता है- दाने दाने पे लिखा है खाने वाले का नाम ।
भाई जी सबरीमाला वाला जो घटना हुआ था इसी प्रकार के संदर्भ में वो वाला भी कुछ मेंशन कर देते तो हम लोग को कुछ नॉलेज मिल जाती और विरोधियों को अच्छे से कुचल पाते
आप जो कार्य कर रहे हैं उसके लिए आपको कोटि कोटि प्रणाम.. जहां आज के युवा रील्स, टिकटोक पर व्यस्त हैं वहीं आप इतने शोध करके हम सभी तक यह महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं। धन्यवाद आपका 🙏🙏🚩🚩🚩🚩
Therefore Krishna says in Bhagawad Geeta. If we have to stop this cycle of repeated births and deaths, and permanently go to Bhagwat Dhaam, we must surrender ourselves to Krishna. That is the essence of all Vedas and Upanishads. 🙏
Thank you Bhai , apne bahut achi jankari di , 84 Lakh yoniya Hamre purano me likhi hain Aur vaigyaniko ne bhi search karke 87 Lakh tarah ke jeev bataye hain , ye 87 Lakh wali bat mujhe pehle nahi pata thi . Kitni sateek jankari di hamre Rishi muniyo ne , ki vaigyaniko ke research mail kha gayi
Bahut sundar, spasht aur satik me apke video har baar dekhta hu sahi me ye jankari de kar aap humko, awareness de rahe hai,yah bahut bhale ka kaam hai shukriya bro.
Un 3 karmo ke alawa or jo karm hote hai for example: bhog karna sharir ke liye and bure karm jo bhog ki wajah se kar rahe ho aise sabhi karm tum bhugatoge jo anek janm se ikatha hue hai Radhe Radhe ❤
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At 15:10, is it स्वेदज instead of स्वदेज? Because as per the interpretation you're presenting, स्वेद, (which means sweat in Sanskrit) is the best fit for the information being presented. And henceforth स्वेदज as the meaning suggests.
@@dhanashriraul9169 kehna kya chahte ho bhai ..Agar tumhe kch galat lag raha hai to proof ke saath quote karo ...warna..bhai appreciate karo ..faltoo mein ye apne aap ko budhimaan shaabit kyu karne ki koshish kar rahe ho 😂
th-cam.com/video/Ljd5FjNS06g/w-d-xo.htmlsi=R_obhzaqnql4c5P8
Isko full dekh lo bhai
Tumhe kuchh idia a jayega
Ek IITian हिंदुत्व का प्रचार कर रहा है। गर्व की बात है 🚩🔥
भाई मै भी वनस्पति विज्ञान से स्नातकोत्तर हूँ । 84 लाख योनियों का विश्लेषण करते समय यही विचार मेरे भी मन मे आया था और विकीपिडिया पर पृथ्वी पर समस्त ज्ञात जीवों की संख्या देखा तो आश्चर्य हुआ परन्तु आप ने बहुत अच्छे तरीके से प्रस्तुत किया है । आप अपने एक वीडियो के लिए जितना शोध कार्य और परिश्रम करते है वह सराहनीय ही नहीं अतुलनीय है । ऐसे ही कार्य करते रहे । अनन्त साधुवाद ।🙏
बहुत बहुत धन्यवाद आपका 😊🙏 हमारे पूर्वजों ने ऐसा कोई विषय नहीं छोड़ा जिस पर शोध न किया हो। पर कोई आज समझता ही नहीं है परन्तु अब आश जागी है आप जैसे महापुरुष इस आधुनिक युग में अवश्य सनातन धर्म को एक नई पहचान देंगे ।🙏
सत्य वचन ! U r doing a nobel work 🙏सादर प्रणाम और धन्यवाद
तूमी खुप अभ्यास केला आहे, आणि इतकी सविस्तर माहिती दिली खरच खुप छान आणि बर वाटत कारण आम्ही बायका तर मुलानंच आणि घरातील काम आवरून बाहेर ची काम करतो मग वाचन करायला वेळ नाही, पण ऐकून इतक्या गोष्टी लक्षात येतात, आणि खरच धर्म आणि कर्म समजत खुपच छान विडिओ आहेत तुमचे सगळेच
जय श्री राम भाई 🙏🙏आप के रिसर्च को नमस्कार है सनातन धर्म को आप पर गर्व है 🙏🙏🙏🙏
जैसे जैसे आपकी विडियोज आ रहीं हैं आप पर उतना ही गर्व महसूस होता है । इतनी रिसर्च करना ही अपने आप में एक अद्भुत कार्य हैं ।काश मैं भी अपनी पढ़ाई का इस तरह से प्रयोग कर पता ।
वर्तमान समय मे अगर सनातन ज्ञान को समझना है तो विज्ञान के रास्ते आसानी से समझा जा सकता है और आप बहुत अद्भुत कार्य कर रहे हैं । आप यूँ ही अनवरत कार्य करते रहें आजीवन मेरी यही कामना रहेगी । शुभाशीष हमेशा आप पे बनी रहे
जी धन्यवाद। 🙏😇🕉️
आप तो पूर्व जन्म के कोई ऋषि प्रतीत होते हैं जो अध्ययन अनुशीलन और अध्यवसाय द्वारा जनमानस का कल्याण एवं मार्गदर्शन कर रहे हैं भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर से सबको परिचित करा रहे हैं तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण और तर्क का भी प्रश्रय लेते हैं आपको मेरा साधुवाद🙏🙏🙏🙏
मैं एक नास्तिक आदमी था
मांस हारी था।तार्किक था।
पहले मैं भी मानता था की सब कपोल कल्पना है
लेकिन गुरु से मिलने के बाद आज मैं शुद्ध सनातनी हूं
अष्टा ध्यायी कोई आदमी नही लिख सकता
रामानुजन ने जो काम गणित में किया वो किसी आदमी के बस की बात नहीं
संसाधनों के अभाव में चरक,शुश्रुत,बागभट्ट ने जो कुछ लिखा वो उस समय और आज भी मानव बुद्धि की पराकाष्ठा है
महर्षि पाणिनि स्वयं शिव रूप में थे
रामानुजन को एक देवी मां से प्रश्नों के जवाब स्वप्न में मिल जाते थे
सब कुछ आज भी रहस्य से भरा हुआ है
सांसारिक आदमी कुछ भी नही मानेगा
लेकिन तत्व ज्ञान में रुचि रखने वाला इस संसार के पीछे के रहस्य को समझ महसूस कर रोमांचित हो जाता है
तार्किक होना कबसे गलत है भाई
आप जैसे लोग ही नई पीढियां को सनातन धर्म की वैज्ञानिकता को समझा पायेंगे 🙏🙏🙏 जय श्री राम🙏🚩🚩🚩🚩🚩
भगवत गीता में भी पुनर्जनम का वर्णन हुआ हैं🚩🚩🚩🚩🚩
भागवत गीता वेदों का ही सार है भाई
Brihannala ka punarjanm hua tha
@@thesentry1434 Correct 👍
@@mohansahu4117 Shrikhandi
सही है,
मैं भी एक विज्ञान का छात्र हूं... पर मैं मानता हूं कि विज्ञान का भी एक दायरा है, जिसके आगे विज्ञान भी निस्फ्ल है और जहां से वेदांत का उद्गम🕉⚛
@@Optimistic_Nihilisttt ye science hamare ved or upnishad me pehle se diya gaya he .
Jise "science" to bas abhi abhi khoja he 🙏🇮🇳🇮🇳🇮🇳
@@Optimistic_Nihilisttt aapko e galat knowledge kisne di ?
बल्कि चन्द्र ग्रहण और सूर्यग्रहण कि सटीक जानकारी तो आर्यभट्ट ने कई सालो पहले से दी थी ।
@@Optimistic_Nihilisttt आप इस विज्ञान को कौन से नजरिए से देख रहे हो ?
भारत का कि जिसे वेद, उपनिषद, पुराण और आर्यभट्ट , नागार्जुन , सुश्रुत आदि ने बताया है ?
या फिर वो पश्चिमी नजरिए से ?
@@itsteach6423 आर्यभट्ट सही थे । लेकिन कृपया आप यह जानकारी पढ़े
पौराणिक कथा के अनुसार देवों और दानवों के बीच समुद्र मंथन के दौरान 14 रत्नों में एक अमृत कलश भी निकला था. इसके लिए देवताओं और दानवों में विवाद होने लगा. इसको सुलझाने के लिए मोहिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया. मोहिनी रूप धारण किये हुए भगवान विष्णु ने अपने हाथ में अमृत कलश देवताओं और दानवों में समान भाग में बांटने का विचार रखा. जिसे भगवान विष्णु के मोहिनी रूप से आसक्त होकर दानवों ने स्वीकार कर लिया. तब भगवान विष्णु ने देवताओं और असुरों को अलग-अलग लाइन में बैठा दिया.
दानवों के साथ कुछ गलत हो रहा है. इसकी भनक दैत्यों की पंक्ति में स्वर्भानु नाम के दैत्य को लग गई. उसे यह आभास हुआ कि मोहिनी रूप में दानवों के साथ धोखा किया जा रहा है. ऐसे में वह देवताओं का रूप धारण कर सूर्य और चन्द्रमा के बगल आकर बैठ गए. जैसे ही अमृत पान को मिला, वैसे ही सूर्य और चंद्र ने उसे पहचान लिया और यह बात भगवान विष्णु को बताई, जिस पर क्रोधित होकर नारायण भगवान ने अपने सुदर्शन चक्र के राहु के गले पर वार किया, लेकिन तब तक राहु अमृत पी चुका था. इससे उसकी मृत्यु तो नहीं हुई, परन्तु उसके शरीर के दो धड़ जरूर हो गए.
सिर वाले भाग को राहु और धड़ वाले भाग को केतु कहा गया. इसके बाद ब्रह्मा जी ने स्वर्भानु के सिर को एक सर्प वाले शरीर से जोड़ दिया. यह शरीर ही राहु कहलाया और उसके धड़ को सर्प के दूसरे सिरे के साथ जोड़ दिया, जो केतु कहलाया. सूर्य और चंद्रमा के पोल खोलने के कारण राहु और केतु दोनों इनके दुश्मन बन गए. इसी कारण ये राहु और केतु पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को ग्रस लेते हैं.
यह सब लिखा गया है धार्मिक ग्रंथों में । जो की बिल्कुल भी सही नही है।
@UCbzWnCckOF9VjUz5iCVG0XQ माफ करना पर में भी ऐसे बात पर विश्वास नहीं करता । में सिर्फ साइंटिफिक है उसकी बातो पर विश्वास करता हूं और गर्व करता हूं ।
दोस्त तुम्हारा research, analysis और explanation दिल जीत लेता है।
जब ध्यान और साधना के माध्यम से सारे संचित कर्म समाप्त होतें हैं तब मोक्ष की प्राप्ति होती है इसके लिए वृह्म निष्ठ सतगुरु की आवश्यकता होती है🙏
इतने सुंदर विश्लेषण के लिए साधुवाद। आप जैसे लोगों के कारण ही भारतीय संस्कृति निरंतर आगे बढ़ रही है।
Bahut acchi baat hai ki aap hamare sanskaron ka rakshan kar rahe hain 🙏💐👏👏👏👏
Apko sunke bhaut achha lagta h,,,, Aap achhi studies karke bhaut achhe se explain karte ho,,,,,, hare krishna
Ji dhanywaad 🙌🙏
Bhai you r far far better than any spritual guru,
Keep it up, I always wanted to read these core texts, and made it possible for me.
Thank you
India should make study of Veda puran compulsory.
Whatever we are currently studying is so backward and our Vedas are way ahead of time🙏
Thanks a lot to you and others like you who are not only studying Veda purana Upanishads in detail but also sharing this valuable knowledge with so many people.🙏
Once again thanks and congratulations on what you are doing 🙏
सनातन के उत्कृत सिद्धांतो के आगे कोई क्षण भर भी नहीं टिक सकता।🚩🚩🚩🚩🚩
मुझे नहीं पता ये कैसे हुआ,,, जो चीज़ मैं करना चाहता था वो आप कर रहे हो, मुझे भी ये सभी चीजों की पढ़ने की आदत है। धन्यवाद जो आप इस तरह हमारी इतिहास को सभी को पहुंचा रहे है💐
Your videos are so logical. love your style of connecting every science topic with sanatan dharma
Thanks
अति सुन्दर प्रस्तुति और आत्म सात योग्य विवरण तर्क और वैज्ञानिकता से परिपूर्ण , जय सत्य जय सनातन संस्कृति ज्ञान विज्ञान, और आपकी खोज
परिश्रम को साधुवाद आभार
Hamare sanatani rishi munia saab ke saab scientist the... Proud to be a sanatani 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩 jai shree ram ❤️❤️❤️❤️
आपने सही कहा पुनर्जन्म होता है
किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके अच्छे या बुरे कर्मो के हिसाब से नया जन्म मिलता है
और जो अंत समय मे भगवान को याद करता है उसे सद्गति मिलती है ❤️
जय श्री राम 🙏❤️🚩🚩
अन्ते या मति सा गति ॥
हिंदू = the highest form of human
हिंदुत्व = the best way of life
Hinduism = जीवन जीने का सर्वोत्तम तरीका
विश्व के "प्रथम" एवम "not artificial but natural" और "पूर्णतः देसी" धर्म अर्थात ''हिंदू धर्म=वैदिक सनातन धर्म'' की जय हो...
Most proud of being हिंदू & हिंदुस्तानी.....
No, according to history hindu is a person who lives in india means we are not hindu we are SANATANI ♾️♾️♾️♾️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️
शुकिया महोदय आज हम इस ज्ञान को ग्रहण करके एक स्तर और ऊपर वढ गए ।🙏🏻
Kitna padhna padta hoga apko .... Mind-blowing knowledge bhai 🙏
तुम्हे जिसकी जरूरत नहीं तुम उसके पीछे कभी नहीं भागते
और तुम्हारे लिए उस चीज का प्रयाय भी खत्म हो जाता है
सजीव कभी निर्जीव के पीछे नहीं भागेगा और निर्जीव कभी सजीव के क्योंकि दोनों की जरूरत जो है वो उनके अपने अपने है उनके लिए ही उनके अपने अपने ही महत्व रखते है वो अपनी रचना के प्रभाव से जितने मुक्त होते जायेंगे किसी और प्रभाव मे उतने जकड़ते या पाते जायेंगे ये एक चक्र हैं और तुम इसी मे घूमते रहोगे यहाँ चक्रो की भरमार हैं एक से दूसरे दूसरे से तीसरे घूमते रहो
जैसे तुम विचारों को छोड़ देते हो जब उसका कोई मतलब नहीं पाते क्योंकि तुम्हें उसकी आवश्यकता नहीं कोई महत्व या प्रभाव नही
तुम जब तक प्रभाव मे रहोगे वो तुम्हारी आवश्यकता बनी रहेगी
जैसे ही प्रभाव से मुक्त हुए उसका तुम्हारे लिए कोई मतलब नहीं रह जायेगा
The kind of content with the depth you share is extremely rare. You are not asked for or looked for, you are very much required by the world today. Thank you whole heartedly for all the research doing and knowledge gaining. Keep posting such content please
बहुत अच्छा बताया आपने आजकल ये जानना बहुत jaruri hai❤❤❤❤❤
Bahot hard work karteho jankari ek karneme shat shat naman aapko 🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹
हमारे सनातन धर्म में जो बातें लिखी ओ सत्य है और सत्य ही धर्म है ।
Hum Jo khate Hain wahi bante hai .... somewhat true 😮❤
Deep meaning.. Nicely explained👌👌kuch doubt ab bhi reh gya
Thanks
आप वेदों को कितने सरल शब्दों में समझाते हैं 🙏
धन्यवाद। आपके कारण ग्रंथो का ज्ञान सहजता से मिल रहा है। 🙏
गर्व से कहो हम सनातनी है🚩❤️
There are exactly 8.7 million species in the world. Accuracy of vedic text is extraordinary
Sorry but that's not accurate. They just guessed it. There can be more or less too
@@crazy_for_kpop562 number of species do not remain same . It fluctuates sir. How our sages guessed it with such accuracy without any equipment . Only some sort of divine can do that. in abrahmics scriptures it is mentioned that flaura and fauna is for human consumption' how silly'. If you compare Hindus scriptures are divine knowledge .
Maybe there were only 8.4 million species 5000 to 7000 years ago. And I can't believe some non divine power can do that. 🙏
@@yjseeker
Yep
No words to describe your work just wanted to say a big thank you 🙏
Thanks
सनातन दर्शन मे जीवन और जीवन के उसपार का जो अमूल्य ज्ञान निहित है उसे जानकर आश्चर्यजनक खुशी के आँसू निकल आये। दुनियां की किसी संस्कृति मे दूर दूर तक कोई ऐसा कोई ज्ञान नही है।
जय श्री राम 🙏🌸
बहुत-बहुत धन्यवाद इस तरह का ज्ञान देने के लिए .
बहुत अच्छे से समझाया
मैं तो पुराणों को कपोल कल्पित समझती थी
आप बहुत अच्छा कार्य कर रहें हैं उसके लिए आपका बहुत बहुत आभार किन्तु इस वीडियो में हेतु आपको कुछ और प्रयास करना चाहिए था,यजुर्वेद 39.06 में स्पष्ट लिखा हैं मृत्यु के बाद आत्मा अधिकतम 12 दिन सूसूक्त अवस्था में सूर्य आदि लोगो में रहती हैं और फिर शरीर धारण करती हैं अपने किये क्रमों के भोग हेतु, सभी कर्मों का फल मिलना निश्चित हैं और उसके लिए शरीर धारण करना पड़ता हैं शरीर से ही कर्मो का फल भोगा जायेगा ऋग्वेद 10.16.01 से 10.16.03
शरीर के प्राण ( प्राण, व्यान, अपान, सामान कृत ) निकलते ही आत्मा शुक्षम शरीर सहित निकल जाती हैं, ना कि ज़ब शरीर भस्म होता हैं,
अथर्ववेद 6.53.2, सामवेद 851, यजुर्वेद 19:47 सभी में पुनर्जन्म कि व्याख्याएं हैं,
अतः आप वीडियो बनाने में शीघ्रता ना किया करें, धन्यवाद 🙏
Thanks! Very useful content... please make a full training/certification content
वाह बहुत अच्छी तरह आपने समझाया । उपनिषद पढ़कर तो नींद आने लगती है 😴 पर आपने बहुत इंटरेस्टिंग तरह से बताया । आम लोगों के लिए ये वीडियो बहुत लाभदायक है । धन्यवाद 🙏,
Bro you nailed it again oohh man i get goosebumps after i watching this trust me this is best video i am searching this video. In my life i had question how i get this human body and now i get to know these things thankyou brother 😄🙏 thankyou so much for your effort please don't stop for making this type of video you are true gem of our Sanatan dharm who spared real knowledge to the world 😄🙏
मैंने कुछ दिन पहले यूट्यूब पर एक वीडियो देखा था जिसमें दिखाया गया था कि भगवान का चेहरा हमें प्रकाश के रूप में दिखता है लेकिन वह वीडियो देखने के कई साल पहले जब मेरे पास स्मार्टफोन नहीं था इंटरनेट नहीं था मैं यूट्यूब भी नहीं दिखता था उस वक्त मैंने सपने में ब्रह्मा विष्णु और महेश जी को देखा जिनके चेहरे पूरी तरह से प्रकाश से ढके हुए थे यह सब मैंने सपने में देखा था!!
मैं आर्य समाजी मानता हूं पुराण का 84 लाख योनियों का सिद्धांत पूर्णतया मिथ्या है।
पुनर्जन्म सत्य है।
ओ३म वैदिक आर्यावर्त 🚩❤
Excellent guruji aap jis tarah ved granth ko interpret karte ho, woh sarahniya hai.. Aapko mangalkaamnaein
Bhai aap ke Videos seh, Kafi knowledge milta hai🙏🙏
सनातन ही सत्य है, सत्य ही सनातन है॥ सत्यमेव जयते॥ ❤️
Yas👌🕉
Superb, wonderful and interesting facts 🌷💐🌹🌺
जय श्री राम 🌷🙏💐🌹🌺🚩🚩
Hence it is proved..that 90's generation is best generation...🙌🙏👍
Koi sense hai iss baat ka ?
ek pagal ke pass hi tumse jyada logic hoga 90s wale
Thank you so much for giving us our ved puran upnishad knowledge........
मैंने अब तक कभी कोई चैनल सब्सक्राइब नहीं किया था,, आज आप का चैनल सब्सक्राइब कर रहा हूं,,,,, अच्छा कार्य कर रहे हो आप,,,💖💖🌹🌹
pta ni kbse ye ques mere dimaag me chl rha ki fir se janm ka process n logic kya h ekdm se ye video aaya bhut sukriyaa itna kuch btane k liye dil se sukriyaa❤
श्री गणेशाय नमः श्री गणेशाय नमः
Kya baat hai sir Bahut deep study karte hai aap love your work and pranam ❤❤❤
I think he is just talking about transformation of ENERGY in different forms , DNA and GENETICS 🥰
Wonderful Aapne meri bahut si jigasa Shant kar di.Bahut Bahu dhanyawad 🙏🙏
वेदों पूराणो में वर्णित जानकारी देने के लिए बधाई।
Adbhut....beautifully explained 👌👌👌🙏🙏🙏🙏
You explain so nicely... ❤❤❤ God bless you
Ignore stupid people your research is very fascinating and inspiring.
Oh my God. This karma is extremely difficult and long process of nature. Video is very nice. Wonderfully explained. Thank you.
आपका पुनः वैदिक भाष्य समयानुसार एक अप्रतिम कार्य
कुछ लोग इसे बकवास बोल रहे हैं but ये बहोत logical बात है..
Thnx for such beautiful explanation.
Explained very beautifully with beautiful music in background ☺️💖💖
अद्भुत ज्ञान वर्धक कार्यक्रम ।
I Salute your Hard Work.Jai Sanatan Jai Sanatani
जय श्री सत्य सनातन धर्म की🙏🏼🚩🕉️🚩🙏🏼
So 84 lakh is a probability and not a birth cycle to get human body right.?
Best work brother thank you
Jay shree ram 🚩🙏🏻
Yes, I didn't find it to be a cycle. It's a probability. And in which, becoming a human is tough even though it seems our population is increasing. Then again, we are producing Hens, and Goats with even faster rate.
Lai vela pasun sapdat hoto comment tuzi 😁
@@adityakhade681 ye mg ikde ghari bolu ya topic vr
No it's not probability it is depends on ur janmjanmantar karmas
What I understand
@@HyperQuest bhai does your concept match with garud puran and bhagwat geeta ...plzz make a detailed video on this topic again ....this is very mysterious topic
સત્ય સનાતન ધર્મ ની જય હરે કૃષ્ણ પ્રભુજી
What an explanation Sir 🥺❤️
I have no words to comment
Hats off to you 🙏🏼
Best channel hai yrr ye
Bhut shi kaam krre ho bro...
Rishiyon ko permutations and combination se bhi pta chal skta hoga 84 lakh yoniyon ke baare me
I want to see you in TRS hindi podcast ..please...it would be very exciting 🤩🙏🏻
Bhai agar aise modern gurukul baje aur chote bhai app jaise guru mile to hamari birasat au dharm main astha sabko aajayega
Aap Bdi mehnat karte ho
Thanks for 😊
Hme dharm ka gaan dene ke liye
06:12 अगर आत्मा के सारे कर्म क्षय हो जाते हैं तब पुनर्जन्म होता है तो फिर मानव पूर्व जन्म का कर्म का फल क्यों भोगता है?
Bhai unhone bataya to tha kshay to only 3 prakar ke karmo ka hota hai , Video ko duwara dekho
@@omsinghjadaun9942 हाँ मैं ने बाद में देख लिया
जब तक हम नहीं मरते तब तक पता नहीं चलता कि मरने बाद क्या होता है, तो यह सब काल्पनिक परी कथाओं में न पड़कर उस परमेश्वर ने जो जीवन दिया है उसे अच्छी तरह से जियो ।
Mai ja raha hu marne😂 uske baad akar batuga😂
Ye hi problem hai tum hinduo ki... apni kitabo ko jo sabse pehle likhi gyi, use pari katha bolte ho...😂 scientists bhi inpe khoj kar rahe hai gadhe...😂😂😂
Fir jab sab kuch Gore log leke aate hai to tum logo ko badi chid hoti hai😂
श्रीमान जी नमस्कार, मैं 66 वर्षीय व्यक्ति हूं, सनातन धर्म में पूर्ण विश्वास है और मानता भी हूं। श्रीमान जी मेरी मन की उत्सुकता यह है की सारी योनियों में मनुष्य योनि श्रेष्ठ कैसे हैं ?मानव योनि ही ऐसी योनि है जिससे धरती पर वायु में या धरती के नीचे जितने भी योनियों हैं सभी को कष्ट पहुंचाना एवं नष्ट करना ही मनुष्य का कार्य है, कृपया विषय पर प्रकाश डालें
Nice question.....
असलियत मैं जिन्होने ये वीडियो बनाया हैं उनको सारी जानकारी नहीं हैं| व्हिडिओ मैं वो बहोत confused हैं| ८४ योनी का भि उनको कूछ पता नहीं हैं, नंबर बदलते रेहेता हैं बोल रहे हैं.
योनी - source of origin ये तो सटीक बात की पर ८४ का पता नहीं हैं इनको.
इसलिए मनुष्य योनि श्रेष्ठ है। क्युकी इस योनि में ही हम श्रेष्ठ कर्म करके जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त हो सकते है।
मनुष्य योनि श्रेष्ठ इसलिए है क्युकी इसी योनि में आप के पास इतना दिमाग होता है की आप ध्यान करके अपने पुराने इम्प्रेशंस को ख़त्म करके मोक्ष को प्राप्त कर सकते हैं, किसी भी अन्य योनि में आप ये नहीं कर सकते, अन्य योनियों में सिर्फ भोग की पॉसिबिलिटी होती है, आत्म साक्षत्कार करने की काबिलियत सिर्फ मानव योनि में ही मिलती है।
Snatan dhram aur vigyan ka Sangam aap bahot ache se samjhte h, content, presentation, voice n Sehjta bahot sunder.Om Namh shivay.
Oooooooooo maaaaaaaaaaannn
🤯🤯🤯🤯🤯🤯🤯🤯
I'm science student and I can relate everything
Jai shree Ram 🚩🚩
Beautifully explained, किंतु एक प्रश्न है कि अगर जीव का जन्म उस जल की बूंद को ग्रहण करने वाले पर निर्भर करता है तो आत्मा को अपने माता-पिता चुनने का अधिकार कहाँ है, जैसा की माना जाता है कि आत्मा स्वयं इसका चुनाव करती हैं।
My question was same..
Yeh galat information hai Aatma ko Aisa koi adhikar nhi hota hai aisa hota toh har Aatma asan aur Ameer jeevan chunti
@@kandarpkhari_r atma ka adhikar hota h wo apne anusar jeevan chunti h और वो asan jeevan isliye nhi chunti kuki jitna jeevan आसान hoga utna hi is moh maya m fase रहेंगे..
और पहला प्रश्न का उत्तर ये है जब कोई आत्मा कही जन्म लेना चाहती है वो अपना मार्ग खुद बनाती है कितने कष्ट उसे भोग् ने होंगे कितनी बार उसे जन्म लेना होगा ये यात्रा ही मोक्ष की है,, सभी अपने कर्म कर अनुसार ही कष्ट भोगते है,, और यह आत्माओ की अपनी इच्छा अनुसार होता है।
इसलिए कहा जाता है- दाने दाने पे लिखा है खाने वाले का नाम ।
भाई जी सबरीमाला वाला जो घटना हुआ था इसी प्रकार के संदर्भ में वो वाला भी कुछ मेंशन कर देते तो हम लोग को कुछ नॉलेज मिल जाती
और विरोधियों को अच्छे से कुचल पाते
ओह ओह भाई गजब ❤❤❤
Jai Shiri Ram 🙏🙏 bhut hi behtareen 👌👌
इस तरह की वीडियो लाने के लिए बंधुवर बहुत-बहुत धन्यवाद चिरायु हो देश को इस तरह से ही लाभान्वित करते रहिए यशस्वी हो
आप जो कार्य कर रहे हैं उसके लिए आपको कोटि कोटि प्रणाम..
जहां आज के युवा रील्स, टिकटोक पर व्यस्त हैं वहीं आप इतने शोध करके हम सभी तक यह महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं।
धन्यवाद आपका 🙏🙏🚩🚩🚩🚩
Therefore Krishna says in Bhagawad Geeta. If we have to stop this cycle of repeated births and deaths, and permanently go to Bhagwat Dhaam, we must surrender ourselves to Krishna. That is the essence of all Vedas and Upanishads. 🙏
बेड में पैरों से लेकर किसी विज्ञान के बस की बात नहीं जो ऋषि-मुनियों द्वारा रिसर्च की गई बातों को काटकर आगे चली जाए
Thank you Bhai , apne bahut achi jankari di , 84 Lakh yoniya Hamre purano me likhi hain Aur vaigyaniko ne bhi search karke 87 Lakh tarah ke jeev bataye hain , ye 87 Lakh wali bat mujhe pehle nahi pata thi . Kitni sateek jankari di hamre Rishi muniyo ne , ki vaigyaniko ke research mail kha gayi
Bahut sundar, spasht aur satik me apke video har baar dekhta hu sahi me ye jankari de kar aap humko, awareness de rahe hai,yah bahut bhale ka kaam hai shukriya bro.
Un 3 karmo ke alawa or jo karm hote hai for example: bhog karna sharir ke liye and bure karm jo bhog ki wajah se kar rahe ho aise sabhi karm tum bhugatoge jo anek janm se ikatha hue hai
Radhe Radhe ❤