सिधवा-बिधवा रमोला(Sidhwa Bidhwa Ramola) Traditional Folk Song by Om Badhani

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  • เผยแพร่เมื่อ 5 ก.พ. 2025
  • Cultural Heritage Of Uttrakhand, India-Om Badhani folk singer and poet of uttarakhand who is also working for garhwali language,
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    Singer & Music- Om Badhani
    Choras-Naveen Kathait,Rajesh Joshi
    DOP-Devendra Badhani & Santosh Saklani
    Audio Recording & Video Editing -LokRang Studio Uttarkashi
    ©All Right Reserved By-Om Badhani Official
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    सिध्वा-बिध्वा की गाथा का गीत
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    उत्तराखण्ड में सिध्वा-बिध्वा की गाथा प्रचलित है। इनके पिता का नाम गंगू रमोला था और मां का नाम मैणा। इनका संबंध नागवंशी राजाओं से बताया जाता है इसलिए प्रचलित गाथा को 'नाग-सिध्वा की गाथा' के नाम से भी जाना जाता है। प्रचलित गाथाओं में सिध्वा-बिध्वा भाइयों को भेड़पालक बताया जाता है इसलिए कृषक और पशुचारक समाज में इन्हें देवता के रूप में भी देखा जाता है। उत्तराखण्ड में नाग-सिध्वा की गाथा गायन और गाथा-नृत्य की परम्परा है। इसे कथा नृत्य भी कह सकते हैं। इस नृत्य में गाथा में आये प्रंसंगों को अभिव्यक्त करने की परम्परा भी है। इस नृत्य में नाट्य तत्व भरपूर होते हैं। उत्तराखण्ड में इस गाथा नृत्य का आयोजन अत्यन्त विविधताओं और स्थानीयता के साथ किया जाता है। इस गाथानृत्य को परम्परागत पूजा पद्धति अथवा पूजा प्रक्रिया भी माना जाता है।
    यह गीत नाग-सिध्वा की विस्तृत गाथ का एक प्रसंग है। गीत में छोटे भाई बिध्वा का बड़े भाई सिध्वा को कागुली (चिट्ठी) लिखने और सिध्वा के भेड़ों के साथ जाने की तैयारी का प्रसंग है। बिध्वा औंळी के भाभर भेड़ों के साथ है। गर्मियां शुरू हो गई हैं। अन्य सभी की भेड़-बकरियां बुग्यालों को चलीं गई लेकिन सिध्वा-बिध्वा की बकरियां अभी तक नहीं जा पायी। उनको घाम हो गया। बिध्वा अपने बड़े भाई सिध्वा को कागुली लिखता है। सिध्वा नागों के यहां बजीर है। कागुली मिलते ही सिध्वा भाभर जाने की तैयारी करता है। यही है इस गीत में।
    सुप्रसिद्ध लोकगायक ओम बधाणी ने इसे बेहतरीन गाया है। इस गीत में मूल गाथा, शब्दावली, धुन और फ्लेबर को बरकरार रखा गया है। विविध ध्वनियां और आवाजों के प्रभाव से गाथा के नाट्यतत्वों को भी जीवित रखने की अच्छी कोशिश इस गीत में की गयी है-डॉ0 नन्द किशोर हटवाल।।
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