ऐसे हो हमारे शिक्षक! हर एक शिक्षक को ऐसा बनने की जरूरत BY आचार्य वीरेंद्र शास्त्री जी/Vaidik Prachar
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- เผยแพร่เมื่อ 27 เม.ย. 2022
- ऐसे हो हमारे शिक्षक! हर एक शिक्षक को ऐसा बनने की जरूरत BY आचार्य वीरेंद्र शास्त्री जी
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Vaidik Prachar Team 🙏🙏
अति उत्तम
Very Nice 👍👍👍👍 Ramchand Goyal AryaSamaj SavaSaden Ballabgarh
आचार्य जी को दादूपुर रोडान आर्य समाज की और से ओउम नमस्ते
आचार्य जी को सादर नमस्ते
सादर प्रणाम गुरु जी बड़ा सुंदर व्याख्यान है आप का पुनः पुनः नमस्कार आप को 👌👌👌👌👌👌👌👍👍👍👍👍👍👍👍🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏💐💐💐💐💐💐💐💐🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
वाह आचार्य जी वाह 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Om. Very good
बहुत बढ़िया विचार प्रस्तुत किए आचार्य जी धन्यवाद
पं० सुखपाल आर्य
ओ३म नमस्ते जी
ओइम नमस्ते जी
Namste arya ji
Very good education lecture
आचार्य जी नमस्ते जी🙏
शिक्षक शब्द की सम्यक और विशद व्याख्या
आचार्य जी सादर प्रणाम🙏 बहुत ही सुन्दर ढंग से शिक्षक के महत्व को बताया
गज़ब।
आदरणीय
शास्त्री जी।
सादर प्रणाम।
स्वाध्याय में पारंगत।
वेद धर्म के सच्चे समर्पित सरल भाषी व्याख्याता
तुम्हारा वंदन अभिनन्दन।
ईश्वर आप को लम्बी स्वस्थ आयु प्रदान करें।
ओ 3म।
आप निसंदेह शिक्षकों के शिक्षक स्वीकार किए जाने चाहिए। जटिल वैदिक शब्दों का सही ज्ञान कराने में आप एक आदर्श गुरु का दायित्व निभा रहे हैं जिस के बिना प्राप्त ज्ञान अल्पज है।
आचार्य जी शिक्षक के बारे में आपने बहुत अच्छा व्याख्यान दिया है आपका ह्रदय से बहुत बहुत धन्यवाद
jai Shree ram 🙏🌹
Ye kha ka progarm h guru ji🙏
आर्यसमाज दयालपुरा करनाल हरियाणा
दिनांक २४/०४/२०२२
बहुत ही सुन्दर चित्रण आचार्य जी
परन्तु रावण वाली बात से मैं सहमत नहीं हूॅं
यदि रावण चरित्र वान होता तो माता सीता का अपहरण क्यों करता?
उसने माता सीता को स्वतंत्र इसलिए रखा क्योंकि रावण कामी पुरुष था।
उसको भय था कि यदि तुमने बल का प्रयोग किया तो कहीं सीता अपने प्राण न त्याग दें।
क्योंकि माता सीता मृत्यु स्वीकार करती रावण को नहीं।
धन्यवाद
यदि कुछ त्रुटी हुई तो क्षमा करें।
Plz अपना फ़ोन न दो जी