प्रणाम जी। आपने बहुत ही अच्छा तरिके से समझाया है, कुछ सुन्दर साथ कहते हैं कि पूरा मंत्र याद रहना चाहिए चाहे वह अनपढ़ ही हो। जिन्हें पूरा मंत्र याद नहीं रहता कुछ सुन्दर साथ उसका मजाक उड़ाते हैं।
सुंदर साथ जी सप्रेम प्रणाम 🙏 निज नाम तारतम मंत्र में आया है, ये सत वाणी मथ के लेंउ जो इनको सार।इन सार में कई संत सुख सो मैं निर्णय करुं निरधार।। आचार्य जी तारतम मंत्र से पहले तारतम वाणी नहीं आई थी तो किस सत वाणी को मथने की बात इंद्रावती जी कह रही हैं। उसका सार स्वयं ग्रहण कर, उनमें कितना सत सुख हैं सबका स्पष्ट निर्णय करने की बात कह रही हैं।। इस चौपाई में इंद्रावती सखी अपने लिए ग्रहण करने और निर्णय करने की बात कह रही हैं। सुंदर साथ को आदेश नहीं कर रही हैं, श्री तारतम वाणी सत वाणी है या सत से परे की वाणी है ॽ आचार्यजी कृपा करके स्पष्ट करने की कृपा करें। कोटि-कोटि प्रेम प्रणाम 🙏 ।
स्वरुप तो हमारे हृदय कमल में आन्तरिक है और बाह्य शरीर का आवरण ही रूप कहलाता है दूसरे शब्दो में जो हमारी आत्मा का वास्तविक रुप है उसी को सरुप कहा गया है।
इतने सरल ढंग से समझाने के वाबजूद हम नही समझें तो, श्री प्राणनाथ वचनामृत,श्री तारतम सागर,श्रीमुख वानी के अलावा अगर कोई नया किताब से चर्चा करते हैं तो मान बडा़ई की बात आती है
सुंदर साथ जी सप्रेम प्रणाम 🙏इस चौपाई में उनके लिए सूचना है जिन्होंने श्री कृष्ण नाम को, जो अनमोल मोती के समान है उसकी महिमा ना समझ कर उसे निजनाम मंत्र से हटाकर साहिब शब्द लगा दिया जिस नाम की महिमा प्राणनाथ जी ने कृष्ण नाम महिमा में बताया है।। उनको डरने की जरूरत है, उनको समझने की जरूरत है ,उनको अपने आप को बदलने की जरूरत है। यह कार्य जिन्होंने किया वह संसार में मान बड़ाई, अपनी पहचान अलग से बनाने के लिए किया है।
प्रेम प्रणाम जी, सुंदर साथजी 🌹 हम सुंदर साथजी को यह बात सोचना चाहिए कि 18758 श्री प्राणनाथ ब्रह्म ज्ञान श्री कुलजम स्वरूप साहेब जी संपूर्ण बेशक ईलम आने के बाद हम,, सभी सुंदर साथजी है तो दुनिया में जाहिर नाम श्री कृष्ण को समर्पित है। तो श्री राधे कृष्णा जी की मूर्ति पूजा करने लग जाना चाहिए।। सुंदर साथजी 🌹 यह वाणी से पहले ब्रज रास में श्रीकृष्ण,अरब में महंमद, और श्री धनी देवचन्द्रजी श्री श्यामा महारानी जी खुद आये, आ गये,,श्री महेराजजी में श्री प्राणनाथ जी ज्ञान पूर्ण ब्रह्म स्वरूप, आखिर जमाने मे आए ब्रह्मसुष्टि सुंदर साथजी के लिए आये है अब।। तो हम श्री प्राणनाथ को नाम नहीं है। श्री प्राणनाथ जी को छोड़कर और इस यहां के नाम को लेकर जूदा हो गए।। ये सही नहीं है।। नाम पर नहीं श्री प्राणनाथ जी ज्ञान को वांग्मय स्वरूप में लिन बने।।❤
@@jayeshrathod7526यदि तारतम में कृष्ण नाम गलत होता या आज के समय में इसकी आवश्यकता ना होती तो बाबा दयाराम,परमहंस रामरतनदास जी एवम् मंगलदास जी जैसे महापुरुष हटा सकते थे।आप जैसे मुर्खो में क्या उनसे ज्यादा समझ है।
Pranam ji. I am okay with not only with both "Nijanam Shri Krishna ji" and "Nijanam Shri ji, Sahab ji" but also with phrase like "Supreme Lord" and others. What I have not understand is some pracharak converting Sundersath ji from "Nijaname Shri Krishna ji" to "Nijaname Shri ji Sahab ji". I am wandering to know why its happening?
सुंदर साथ को कोई ठग नहीं सकता क्योंकि जागृत बुद्धि परगट है श्री महेश्वर तंत्र का प्रमाण है एक है बैकुंठ नाथ श्री विष्णु लक्ष्मी दूसरे हैं गोलोक धाम श्री कृष्ण राधा और तीसरे है परमधाम श्री कृष्ण स्वामिनी अर्थात श्याम श्यामा जागृत बुद्धि से सब कुछ खुल रहा है समझ में नहीं आता उसका कोई इलाज नहीं
श्री प्राणनाथ जी कलयुग के बुध निष्कलंक और आंख रोल जमा इमाम मेहंदी साहेब हैं प्राणनाथ जी ने ब्रह्म वाणी में पुराणों के प्रमाण से पारब्रह्म का निज नाम श्री कृष्ण जी और कुरान के प्रमाण से अल्लाह को निज नाम श्री जी साहिब जी द्वारा साक्षात प्रकाशित किया है जहां भी ब्रह्माणी में कुरान का प्रसंग है वहां साहिब नाम आया है परमधाम की ब्रह्म आत्माएं निष्कलंक ब्रह्माणी पर समर्पित है
गलत सही कहना खुद ही गलत है अपना अपना भाव है जो जैसा रखता है उसमें हम कौन बने गलत सही कहने वाले तारतम की कोई गहराई का पता नहीं लगा सकता इस केबल को कोई जान नहीं सकता जिधर से भी लो इसका असर होगा इसलिए गलत सही मत कहो
अापका बिचार अति उत्तम यसाक्या बात कि मेरा श्री मती सानू नहि यताे मेरी बेटी नहिनही यताे बहन हे वा नही नही यताे बहु हे नहि यार यताे स्त्री हे य कैसा प्रबचन वा क्या बा भाषणके गुन बहुत हे
ठाकुर धर्मवीर सिंह कुशवाहा सरोरा बागपत यूं पी प्रेम प्रणाम जी
Fundamental so clear really added the knowledge thanks
Ati ati sunder samjhaya acharya ji k charno main sprem parnaamji
Pranamji hajur 💐🙏💐
प्रणाम जी। आपने बहुत ही अच्छा तरिके से समझाया है, कुछ सुन्दर साथ कहते हैं कि पूरा मंत्र याद रहना चाहिए चाहे वह अनपढ़ ही हो। जिन्हें पूरा मंत्र याद नहीं रहता कुछ सुन्दर साथ उसका मजाक उड़ाते हैं।
क्या बात है... साथ जी मुझे.. गर्ब है...... जी 🙏👌प्रेम प्रणाम जी 🙏🙏
🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉S ❤❤❤
सप्रेम प्रणाम जु सभी सुन्दरसाथ के चरण कमल में
Pranam ji 🙏
Bilkul sahi choti choti baato pr dhyan dekr aapne chrcha sunaii h.rajji aap pr aese hi apni mehar bnaye rakhe jisse aap swami ji ki tarah hi Gyan ka prakash phelaye.
Pranam ji
सुंदर साथ जी सप्रेम प्रणाम 🙏 निज नाम तारतम मंत्र में आया है, ये सत वाणी मथ के
लेंउ जो इनको सार।इन सार में कई संत सुख सो मैं निर्णय करुं निरधार।।
आचार्य जी तारतम मंत्र से पहले तारतम वाणी नहीं आई थी तो किस सत वाणी को मथने की बात इंद्रावती जी कह रही हैं। उसका सार स्वयं ग्रहण कर, उनमें कितना सत सुख हैं सबका स्पष्ट निर्णय करने की बात कह रही हैं।। इस चौपाई में इंद्रावती सखी अपने लिए ग्रहण करने और निर्णय करने की बात कह रही हैं। सुंदर साथ को आदेश नहीं कर रही हैं, श्री तारतम वाणी सत वाणी है या सत से परे की वाणी है ॽ आचार्यजी कृपा करके स्पष्ट करने की कृपा करें। कोटि-कोटि प्रेम प्रणाम 🙏 ।
Bohot Sundar prashan aapka 🙏🙏 कोटि-कोटि प्रेम प्रणाम 🙏
आपका प्रश्न उचित है परन्तु सरसावा वालो ने तो विवाद ही सीखा है।
सप्रेम प्रणाम जी श्री आचार्य श्री जी।
स्वरुप तो हमारे हृदय कमल में आन्तरिक है और बाह्य शरीर का आवरण ही रूप
कहलाता है दूसरे शब्दो में जो हमारी आत्मा का वास्तविक रुप है उसी को सरुप कहा गया है।
🙏 Prem pranam ji 🙏
🌹પ્રેમ પ્રણામ જી.🙏🙏🌹
pranamji
Parnam ji 🌹 🙏 Ashok saky ji 🌹 🙏
Babbli sharma koti koti prem pranam ji 👌👌👌👌👌👍👍🌹🙏🏻🙏🏻
इतने सरल ढंग से समझाने के वाबजूद हम नही समझें तो, श्री प्राणनाथ वचनामृत,श्री तारतम सागर,श्रीमुख
वानी के अलावा अगर कोई नया किताब से चर्चा करते हैं तो मान बडा़ई की बात आती है
Prem pranam ji 🙏🏻🙏🏻
પ્રેમ પ્રણામ જી 🙏🙏🌷🌷
आप के चरणों में कोटि कोटि नमन
Koti koti prem pranam ji 🙏🏻🙏🏻
Prem prnam ji sath ji
प्रेम प्रणाम जी।
Pranam ji 🙏🌹🌹🙏
Prem pranamji 👏💐💕
Prem pranam ji ♥️🙏♥️🙏♥️🙏
Prnam ji 🙏🙏
Pranaam ji 🙏
सुंदर साथ जी सप्रेम प्रणाम 🙏 निज नाम मंत्र और तारतम ज्ञान मैं क्या अंतर है ॽ यह जागिनी कार्यक्रम बहुत ही लाभप्रद है, इसके लिए ढेर सारी शुभकामनाएं
कोटि-कोटि प्रेम प्रणाम 🙏
Sprem pranam ji🙏🙏
Pernam ji sunder sath ji
🙏 prem prnaam ji.
🙏
अति सुंदर तरीके से आप ने समझाया प्रेम प्रणामजी
Prem pranamji
Parnam ji
Prem parnaam g
प्रणाम जी
પ્રેમ પ્રણામ
🙏🌹🙏🌹🙏❤
रूप और स्वरूप में क्या अंतर है, आचार्य जी से निवेदन है कि खुलासा करने की कृपा करें। सप्रेम प्रणाम 🙏
.er
संजीव जी ये लोग ज्ञान के प्रश्नों का उत्तर नही देते केवल विवाद करते रहते है।
Minnan shri ji saheb kon laya kis ne diya batave
🙏🙏🙏🙏👉
Parnam ji aap ne sahi beslesan keya hai sabhi sundar sath ko aapsi matbhed chod kar ak ho ker jagne abhiyan main lagen
सुंदर साथ जी सप्रेम प्रणाम 🙏इस चौपाई में उनके लिए सूचना है जिन्होंने श्री कृष्ण नाम को, जो अनमोल मोती के समान है उसकी महिमा ना समझ कर उसे निजनाम मंत्र से हटाकर साहिब शब्द लगा दिया जिस नाम की महिमा प्राणनाथ जी ने कृष्ण नाम महिमा में बताया है।। उनको डरने की जरूरत है, उनको समझने की जरूरत है ,उनको अपने आप को बदलने की जरूरत है। यह कार्य जिन्होंने किया वह संसार में मान बड़ाई, अपनी पहचान अलग से बनाने के लिए किया है।
प्रेम प्रणाम जी, सुंदर साथजी 🌹
हम सुंदर साथजी को यह बात सोचना चाहिए कि 18758 श्री प्राणनाथ ब्रह्म ज्ञान श्री कुलजम स्वरूप साहेब जी संपूर्ण बेशक ईलम आने के बाद हम,, सभी सुंदर साथजी है तो दुनिया में जाहिर नाम श्री कृष्ण को समर्पित है। तो श्री राधे कृष्णा जी की मूर्ति पूजा करने लग जाना चाहिए।। सुंदर साथजी 🌹 यह वाणी से पहले ब्रज रास में श्रीकृष्ण,अरब में महंमद, और श्री धनी देवचन्द्रजी श्री श्यामा महारानी जी खुद आये, आ गये,,श्री महेराजजी में श्री प्राणनाथ जी ज्ञान पूर्ण ब्रह्म स्वरूप, आखिर जमाने मे आए ब्रह्मसुष्टि सुंदर साथजी के लिए आये है अब।। तो हम श्री प्राणनाथ को नाम नहीं है। श्री प्राणनाथ जी को छोड़कर और इस यहां के नाम को लेकर जूदा हो गए।। ये सही नहीं है।। नाम पर नहीं श्री प्राणनाथ जी ज्ञान को वांग्मय स्वरूप में लिन बने।।❤
@@jayeshrathod7526यदि तारतम में कृष्ण नाम गलत होता या आज के समय में इसकी आवश्यकता ना होती तो बाबा दयाराम,परमहंस रामरतनदास जी एवम् मंगलदास जी जैसे महापुरुष हटा सकते थे।आप जैसे मुर्खो में क्या उनसे ज्यादा समझ है।
👍👍👍👍👍
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🙏🙏🙏
🙏🙇♥️🙇🙏
Pranam ji. I am okay with not only with both "Nijanam Shri Krishna ji" and "Nijanam Shri ji, Sahab ji" but also with phrase like "Supreme Lord" and others. What I have not understand is some pracharak converting Sundersath ji from "Nijaname Shri Krishna ji" to "Nijaname Shri ji Sahab ji". I am wandering to know why its happening?
🙏🙏🙏🙏🙏
🙏🙏🌹🌹🌹🙏🙏
तारतम्य के मूल वचन है चार।कहिए इसमें कर के विचार।।ऐसा कहीं लेख सुनने में आया है इसका मतलब क्या है
Pehle mantra ko bhala bura kehne se pehle apne guru jan se puche fir bhed nikalne ki kripa kare maharaj ji
सुंदर साथ को कोई ठग नहीं सकता क्योंकि जागृत बुद्धि परगट है श्री महेश्वर तंत्र का प्रमाण है एक है बैकुंठ नाथ श्री विष्णु लक्ष्मी दूसरे हैं गोलोक धाम श्री कृष्ण राधा और तीसरे है परमधाम श्री कृष्ण स्वामिनी अर्थात श्याम श्यामा जागृत बुद्धि से सब कुछ खुल रहा है समझ में नहीं आता उसका कोई इलाज नहीं
श्री प्राणनाथ जी कलयुग के बुध निष्कलंक और आंख रोल जमा इमाम मेहंदी साहेब हैं प्राणनाथ जी ने ब्रह्म वाणी में पुराणों के प्रमाण से पारब्रह्म का निज नाम श्री कृष्ण जी और कुरान के प्रमाण से अल्लाह को निज नाम श्री जी साहिब जी द्वारा साक्षात प्रकाशित किया है जहां भी ब्रह्माणी में कुरान का प्रसंग है वहां साहिब नाम आया है परमधाम की ब्रह्म आत्माएं निष्कलंक ब्रह्माणी पर समर्पित है
गलत सही कहना खुद ही गलत है अपना अपना भाव है जो जैसा रखता है उसमें हम कौन बने गलत सही कहने वाले तारतम की कोई गहराई का पता नहीं लगा सकता इस केबल को कोई जान नहीं सकता जिधर से भी लो इसका असर होगा इसलिए गलत सही मत कहो
Pppppg
अापका बिचार अति उत्तम यसाक्या बात कि मेरा श्री मती सानू नहि यताे मेरी बेटी नहिनही यताे बहन हे वा नही नही यताे बहु हे नहि यार यताे स्त्री हे य कैसा प्रबचन वा क्या बा भाषणके गुन बहुत हे
Pranam Maharaj ,🙏
Prem pranam ji🙏 💐🙏
Prem pranamji 👏🌸
Pranamji🌹🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌹
प्रणाम गुरुदेव।
Prem prnamji
Koti koti prem pranam
Pranamji
Prem Pranamji
prem pranamji
Prem pranamji
प्रणाम जी 🙏🙏
रूप और स्वरूप में क्या अंतर है, आचार्य जी से निवेदन है कि खुलासा करने की कृपा करें। सप्रेम प्रणाम 🙏
ये तो केवल विवाद करना जानते है
प्रणाम जी
Prnam guruji
Prem pranamji
Pranam ji🙏🙏🙏
Pranam ji🙏🙏
Pranam ji
🌹🙏🙏🙏🙏🌹
Prem pranam ji 🙏🏻
Pranamji 🙏 🙏
Pranamjii
Pranam 🙏
Prem pranam ji
Pranam ji
Pranamji
Prem pranamji
Prem pranam ji
Pranam gurujji
Pranam ji 🙏