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- เผยแพร่เมื่อ 31 ธ.ค. 2022
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Bal vivah pratishedh adhiniyam sanshodhan 2021
Bal vivah pratishedh adhiniyam 2006
Bal vivah pratishedh adhiniyam MCQs
बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 MCQs
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हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम (Prohibition of Child Marriage Act), 2006 की धारा 9 में उल्लिखित बिंदुओं को पुनर्व्याख्यायित किया है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
सर्वोच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति मोहन एम शांतानागौदर की अध्यक्षता वाली पीठ ने बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 की धारा 9 की पुनर्व्याख्या करते हुए कहा है कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के तहत 18 से 21 वर्ष की आयु के पुरुष को वयस्क महिला से विवाह करने के लिये दंडित नहीं किया जा सकता है।
गौरतलब है कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 की धारा 9 के अनुसार, यदि अठारह वर्ष से अधिक आयु का वयस्क पुरुष बाल-विवाह करेगा तो उसे कठोर कारावास, जिसके अंतर्गत दो साल की जेल या एक लाख रुपए तक का जुर्माना या दोनों सज़ा हो सकती है।
सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार, यह अधिनियम न तो विवाह करने वाले किसी अवयस्क पुरुष को दंड देता है और न ही अवयस्क पुरुष से विवाह करने वाली महिला के लिये दंड का प्रावधान करता है। क्योंकि यह माना जाता है कि विवाह का फैसला सामान्यतः लड़के या लड़की के परिवार वालों द्वारा लिया जाता है और उन फैसलों में उनकी भागीदारी नगण्य होती है|
गौरतलब है कि इस प्रावधान का एकमात्र उद्देश्य एक पुरुष को नाबालिग लड़की से विवाह करने के लिये दंडित करना है। न्यायालय ने इस संदर्भ में तर्क दिया कि बाल विवाह करने वाले पुरुष वयस्कों को दंडित करने के पीछे मंशा केवल नाबालिग लड़कियों की रक्षा करना है।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि यह अधिनियम 18 वर्ष से 21 वर्ष के बीच के लड़कों को विवाह न करने लिये भी एक विकल्प प्रदान करता है।
गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय ने यह फैसला पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के उस फैसले के संदर्भ में दिया है जिसमें उच्च न्यायालय ने 17 वर्ष के एक लड़के को 21 वर्ष की लड़की से विवाह करने पर इस कानून के तहत दोषी ठहराया था।
सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के आदेश को दरकिनार करते हुए कहा कि धारा 9 के पीछे की मंशा बाल विवाह के अनुबंध के लिये किसी बच्चे को दंडित करना नहीं है।
बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006
बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम (Prohibition of Child Marriage Act), 2006 भारत सरकार का एक अधिनियम है, जिसे समाज में बाल विवाह को रोकने हेतु लागू किया गया है।
Best knowledge
Nice 👍 thanks for vedio baki topic pr v mcq laiye n plss
Mahila supervisor ka or topic PE MCQ banao n plss
POCSO Act-2012 Ka mcq video bnaiyega mam please
Thank you so much maim
Thanku mam
14 ka answer wrong h
Answer D hoga
Qs 3 and 14 ka ans D hona chahiye 🙄
Posco act 2012 par v vedyo bnaiye plz mam
8ka d answer hoga na
Kuch questions Ka answers galat madam ji apke ak galti se students ko bhut kuch glat ho skta hey kripiya savdhanipurvak bnaiye video
4 क्वेश्चन का आंसर गलत है
Shi kha Bhai
Kaun kaun sa 4 questions number batao
7_ka 2 varsh ke bhitar hai bad nahi
Madam app answer chack krke btaya kro
Please confirm que 7
Ye galat hai
बालक/बालिका के वयस्कता प्राप्त करने के पश्चात् 2 वर्ष पूर्ण करने के भीतर विवाह शून्य घोषित कराने की याचिका दायर की जा सकेगी।
2 year ke bad kar sakte hai dhara 3 dobara padho
Iska pdf kaise milega
Please check the Description box
@@todaysdawn455 thanks 🙏
शारदा अधिनियम, 1928
Questions answers are Wrong, Provide with correct answer otherwise students will confuse during exam 🙏
Q no 14 ka ans glt h
Answer sahi hai
Dhara 9 ko pad lo usse clear ho jayega
Question no .14 ka answer glr h ... answer D hoga
Bal purwak vivah ko bal vivah nhi khte
Ans sahi hai
Ans. A hi sahi h
Or definition mai thi diya hai ki koi ek balak ho