अर्जुनै नागलोक जतरा आचार्य कृष्णानन्द नौटियाल निर्देशित गैण्डा कौथिग का अभ्यास
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- เผยแพร่เมื่อ 24 ธ.ค. 2024
- अर्जुनै नागलोक जात्रा अर्थात् गैंडा कौथिग नयी रचना है, केदारघाटी में पांडव नृत्य की अवधि में किया जाने वाला यह अनुष्ठान वस्तुत: पांडवों द्वारा अपने पितृगण के लिए किया जाने वाला पारंपरिक अनुष्ठान है. व्यास जी महाराज की आज्ञानुसार अर्जुन हस्तिनापुर से अपने पितरों के तर्पणों के लिए गैंडै की खगोती लेने नागलोक (आधुनिक नागालैंड) जाते हैं, जहां उन्हें नागार्जुन के साथ युद्ध में मूर्छित होना पड़ता है, अज्ञातवास के समय पत्नी रूप में अंगीकृत उलूपी नामक नाग कन्या मायावी विद्या से उनके प्राण बचा लेती है और अपने पुत्र नागार्जुन एवं नागार्जुनी सहित गैंडा की खगोती सहित विदा करती है. इसी कथा को नाट्य रूप देकर नए स्वरूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है.
श्री गणेशाय नमः। पाण्डव देवताओं की जय हो।
बहुत सुंदर जय हो
जय गुरूदेव
Bahut sundar bhaiya ji
बहुत सुन्दर आचार्य जी
Wah bahut sundar 🎉🎉
Jay pando devta ki🎉🎉❤❤
Bahut bahut sunder
अति उत्तम, सराहनीय एवं प्रेरणादायक प्रयास। संस्कृति की लौ, आप लोगों के माध्यम से सतत लोगों को प्रकाशमान रखे।
बहुत सुंदर
गुरुजी को प्रणाम बहुत बहुत धन्यवाद आपका अर्जुन नागलोक की जतरा के पहले कार्यक्रम मै मुझे गायन का मौका देने के लिए 🙏🙏🙏🙏