_मांसभक्षण-प्रसंग में आठ प्रकार के पापियों की गणना―_ *अनुमन्ता विशसिता निहन्ता क्रयविक्रयी।* *संस्कर्ता चोपहर्ता च खादकश्चेति घातकाः॥५१॥* *अनुमन्ता* = किसी भी प्राणी को मारने की अनुमति या आज्ञा देने वाला *विशसिता* = मांस को काटने वाला *निहन्ता* = पशु-पक्षी आदि को मारने वाला *क्रय-विक्रयी* = मारने के लिए पशुओं को मोल लेने वाला और बेचने वाला तथा मांस को खरीदने एवं बेचने वाला *संस्कर्ता* = पकाने वाला *उपहर्ता* = परोसने वाला *च* = और *खादकः* = खाने वाला *इति घातकाः* = ये सब हत्यारे और पापी हैं अर्थात् हत्या में भागीदार होने से पापी हैं॥५१॥ _= ऋषि अर्थ_-"अनुमति मारने की आज्ञा देने, मांस के काटने, पशु आदि के मारने, उनको मारने के लिए और बेचने, मांस के पकाने, परोसने और खाने वाले, आठ मनुष्य घातक हिंसक अर्थात् ये सब पापकारी हैं"। (द० ल० गोकरुणा० ४११) _अनुशीलन_-सभी अधर्मों में आठ पापी-जैसे हिंसा के पाप में आठ प्रकार के पापी होते हैं उसी प्रकार अन्य अधर्म के कार्यों में भी ये सब पापी होते हैं, और सभी को उसका फल मिलता है। *विशुद्ध मनुस्मृति (सत्यार्थ प्रकाश)* satyarthprakashh.blogspot.com/2020/10/blog-post.html
बहुत अछा परवचन है आचार्य जी नमस्तै जी
दंडवत प्रणाम
ऊं कृण्वन्तो विश्वमार्यम
ओ३म् | बड़ा प्रेरक प्रवचन और सत्संग हुआ आपके द्वारा आचार्य जी। नमस्ते
Thank you so much for most important knowledge.
Sadar Pranam Aacharya ji
ATI Uttam pravachan Aacharya ji Sagar Abhinandan
Om namaste Aacharya ji
बहुत ही सुन्दर प्रवचन सुनाया गया आचार्य जी धन्यवाद
Bahut sunder ❤ prawachan
Sadar namaste aacharyaji
जय जय हो ऋषि दयानन्द जी की
ॐ विश्वानि देव सविर्त् दुरितानि परासुव।
बहुत अच्छा
सादर प्रणाम आचार्य श्री।
ऊं नमस्ते जी, हार्दिक शुभकामनाएं
🙏🏻🙏🏻
बहुत सुंदर प्रेरणा दायक प्रवचन आचार्य जी
नमस्ते जी
आचार्य जी नमस्ते बहुत अच्छा विश्लेषणकिया आपने
❤❤❤❤
🙏
Sader namste Acharya ji Arya samaj ke gahan rahsyo ki saral visakha ke liye aapko koti koti thanks 🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽
🌺🌸🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌸🌺
सादर नमस्ते. लगता है सुनते ही जाओ.
🥕🥕
@@rishipalaggarwal906अपनी कमेंट स्पष्ठ करें । निरर्थक और अस्पष्ठ कमेंट न करें।
आचार्य जी नमस्ते आयुष्मान भव: ओ३म् ।
हिरण टाइगर इत्यादि बहुत तेज चलते हैं बहुत कम उम्र होती है कछुआ हाथी धीरे चलते हैं परंतु लंबी उम्र होती है
मंत्र की व्याख्या अति उत्तम है । ईश्वर आपको अपने लक्ष्य की पूर्ति में सहायक रहे।🙏🙏
Very nice, awesome.
Prenadayak. NAMESTEJI
सादर नमस्ते आचार्य जी 🙏🙏🙏
Polo in
Wah aacharya ji wah
प्रणाम
ओम् परनाम आचार्य जीं
वयं राष्ट्रे जाग्रयाम:
धन्यवाद भाई जी🙏💕🙏💕🙏💕🙏💕🙏💕🙏💕
अति सुन्दर आचार्य जी
नमस्ते आचार्य जी
Aacharya Jivani nadi ka kya matlab
Aacharya ji Mujhe group mein Jod lijiyega
वीडियो बहुत लंबी होती है , कम करने का प्रयास करिए
Charati chrto bhG
Saty kya hai.?
आज पुनः मंत्र की व्याख्या सुनकर बहुत आनन्द आया । शुभाशीर्वाद।🎉
Pl come to point,not give many examples
Time waste . Subject par bole nhi , fizool k examples par time waste karaa diya . Car , competition etc par rarely koi sochata hai .
आपके पास समय अभाव है तो जाइये भौतिक सुख ढूंढ़िए। लेकिन कचरा मत फैलाइये।
_मांसभक्षण-प्रसंग में आठ प्रकार के पापियों की गणना―_
*अनुमन्ता विशसिता निहन्ता क्रयविक्रयी।*
*संस्कर्ता चोपहर्ता च खादकश्चेति घातकाः॥५१॥*
*अनुमन्ता* = किसी भी प्राणी को मारने की अनुमति या आज्ञा देने वाला
*विशसिता* = मांस को काटने वाला
*निहन्ता* = पशु-पक्षी आदि को मारने वाला
*क्रय-विक्रयी* = मारने के लिए पशुओं को मोल लेने वाला और बेचने वाला तथा मांस को खरीदने एवं बेचने वाला
*संस्कर्ता* = पकाने वाला
*उपहर्ता* = परोसने वाला
*च* = और
*खादकः* = खाने वाला
*इति घातकाः* = ये सब हत्यारे और पापी हैं अर्थात् हत्या में भागीदार होने से पापी हैं॥५१॥
_= ऋषि अर्थ_-"अनुमति मारने की आज्ञा देने, मांस के काटने, पशु आदि के मारने, उनको मारने के लिए और बेचने, मांस के पकाने, परोसने और खाने वाले, आठ मनुष्य घातक हिंसक अर्थात् ये सब पापकारी हैं"। (द० ल० गोकरुणा० ४११)
_अनुशीलन_-सभी अधर्मों में आठ पापी-जैसे हिंसा के पाप में आठ प्रकार के पापी होते हैं उसी प्रकार अन्य अधर्म के कार्यों में भी ये सब पापी होते हैं, और सभी को उसका फल मिलता है।
*विशुद्ध मनुस्मृति (सत्यार्थ प्रकाश)*
satyarthprakashh.blogspot.com/2020/10/blog-post.html
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