हर हर महादेव सभी हिंदू भाई ध्यान दें। यदि आप चाहते हैं कि संस्था आपके लिए शास्त्रों में शोध अनुसंधान करके धर्म के गंभीर विषयों को आपके समक्ष रखे तो आप कृपया संस्था को सहयोग करें। संस्था को पुस्तकालय निर्माण के लिए धन की बहुत आवश्यकता है। संस्था को दान करने पर 80जी के तहत आप टैक्स में छूट भी पा सकते हैं। Name- JAGADGURU SHANKARACHARYA SANATANDHARMA SANRAKSHAN NYAS PhonePe, GooglePay, Paytm UPI No. 8439945763 किसी भी जानकारी के लिए संस्था के इस नंबर पर संपर्क करें। 8439945762
@@धर्म-अधर्म mainey kb kaha meri Marzi se di jati hai ????? Bali ved,,Bible,,quran mey likhi hui hai......aur bali naa deney vala paapi hoga.......isliye south india ke saarey mandiro me bali aaj bhi di jati hai....shastro ke anusaar......yakin nhi toh Google kr lo
@@sidrakhan513 इसमें तुम्हारा दो कौड़ी का बाईबल और कुरान कहाँ से आ गया ? 🤣🤣🤣 इस वीडियो में आचार्य जी यज्ञरूप बलि की बात कर रहे हैं और यज्ञरूप बलि त्रिगुणात्मक होती हैं क्योंकि कर्म भी त्रिगुणात्मक होता हैं क्योंकि " प्रकृति " त्रिगुणात्मक होती हैं ।। दक्षिण भारत में बलि के नाम पर जो निर्दोष पशुओं की हत्या होती हैं , वह सब वेद-शास्त्र के विरुद्ध हैं ।। इसीलिए मैंने कहा कि तुम वेद-शास्त्र के विषय में चर्चा मत् ही करों ।।
श्रीमन्महाभारत में भीष्म जी ने कहा है कि वे बीज जिनका जन्म नहीं हो सकता अर्थात् पुराने बीजों की संज्ञा ही अज है किंतु धूर्तों ने अज का अर्थ बकरा कर दिया व यज्ञ में पुराने बीजों के स्थान पर बकरे आदि की बलि देनी आरंभ कर दी l
गधे तू नहीं समझेगा गिल्टी छोड बलि से खून खच्चर से डर खत्म होता है आज तू बकरे को तो बचा लेगा पर मांसाहारी मुल्लों से अपनी बहन बेटियों को नहीं बचा पायेगा ।
आप बलि का बहुत सुंदर व्याख्या किए इस विषय पर ज्यादा विद्वान चर्चा नहीं करना चाहते हैं। अतः आपसे यही आशा हम रखते हैं जिस विषय पर कोई चर्चा नहीं करते उस विषय पर आप शास्त्रीय प्रमाण के साथ चर्चा करते हैं । हर हर महादेव
Dhanyvad guruji Aisa Gyan kahan se late ho tabhi to hamare Dharm ka yah hal hai kahan likha hai ki Bali hoti hai aur kahan likha hai ki shuddhr de sakte haadha adhura Gyani ved dwara padho aur unka sahi se Arth dekho vedon mein kahin bhi nahin likha ki Janwar ki Bali Deni chahie
कबीर-माँस माँस सब एक है, मुरगी हिरनी गाय। आँखि देखि नर खात है, ते नर नरकहिं जाय।। 🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉 कबीर-जीव हनै हिंसा करै, प्रगट पाप सिर होय। निगम पुनि ऐसे पाप तें, भिस्त गया नहिं कोय ।।
@@ankitchaubey1293 रामानंदी सम्प्रदाय से, निर्गुण उपासक. संतों के वचन ही प्रमाण है किसी भी संत ने इस बलि प्रथा का कभी भी समर्थन नहीं किया...ब्लकि विरोध ही किया है... पर कलयुग के ब्राह्मण तमोगुण रजोगुण प्रधान है इसलिए संतों का भी विरोध करते हैं 🕉
आप सभी लोगों से निवेदन है कि आप लोग संस्थान के इस आधिकारिक यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें और अपने बंधु, बांधवो, मित्रों से भी करवाये। इसके अतिरिक्त वीडियो को लाइक, कमेंट और शेयर भी करें जिससे नित्य आप सभी को सनातन धर्म से सम्बंधित शास्त्र सम्मत प्रामाणिक जानकारियाँ मिलती रहे। मीडिया संचालक ज. शं. अ. प्र. संस्थान
Kisi bhi pasu pakchi jeev-jantu par apne Swarth hetu atayachar hinsa sosan kroorta karna hamesa adharm hi hoga😐.. aur aisa karne wala mha paapi aur apraadhi hi hoga😐.. Vedo ka galat bhashya karke unme pasu Bali joda huya hai 😒.. Please Be kind 🥺 Be Vegan or atleast veganish 🌿🌾🍁🌱🍄
धेरैजसो मानिस हरु बलि को अर्थ पशु वा मनुष्य को हिंसायुक्त बलि भन्ने गलत बुझ्नुहुन्छ।तर यो सत्य होइन । ल सुन्नुहोस म सम्पुर्ण जन मा सनातन धर्म अनुसार बलि भनेको के हो? भन्ने सत्य तथ्य कुरा भन्न गैरहेको छु🙏 गिता मा प्रष्ट उल्लेख गरिएको छ कि, " लोके व्यवायामिषमद्दसेवा नित्यास्तु जन्तोर्न हि तत्र चोदना । व्यवस्थितिस्तेषु विवाहयज्ञ सुरागृहैरासु निवृत्तिरिष्टा।।" (श्रीमद्भागवत ११/५/११) अर्थात् ,देबता हरु लाइ जल,फलफूल ,अन्न र पशु दान गर्नु नै बलि को सत्य अर्थ हो ।🙏🙏
Jis dharm me varksh,podhe oshdhiyo ki bhumi, aakash Agni, vayu or jal ko devi devta or pujan hota ho go ki rotti,kutte ki roti,go hatya sbse bda pap ho usme unka vadh ya bali ho hi nhi skti,bali ka mtlb tyag ya fir us pshu ko bali dena ho skta hai,sanatan satvik or samst jivo ki daya ka dharm hai
@@धर्म-अधर्म Vedas "ishwar ki vani" hai,,shastro aur vedo me bali dene ki baat likhi hai......jo bali nhi dega vo maha paapi hoga......ishwar ne kuchh janwar bali ke liye hi bnaaye hai.....yakeen nhi toh ""science journey"" naam ke TH-cam channel ko search krke dekh lo....usmey rigved ko kholker dikhaya gya hai....rigved me likha hai ki gaaye ki bali dene ka vishesh mahatva hai......bali rigvedic kaal se chali aa rhi hai.....jo sweekar nhi karega...vo paap ka bhaagi hoga
जय गुरुदेव। मेरा प्रश्न है की ये दूसरे जीवो का क्यों बलिदान दिया जाता है। इंसान अपने जीवन का अधिपति है । दूसरे जीवो को भी पीड़ा होती है, उनको भी जीने की अभिलाषा होती है। इंसान को बलि देनी है तो राजा बलि की तरह अपनी दे। दूसरे जीवो की जान लेने का अधिकार किसने दिया। भगवान् हर कण मे है तो फिर उस जीव मै भी है तो उसकी बलि दी जाती है कृपया मुझे समझाए
शास्त्रों में अहिंसा सर्वोत्तम है, पशुबलि तामसिक वृत्ति वालों के लिए है। जो तामसिक वृत्ति में पड़ा रहता है, उनको कभी मुक्ति नहीं मिलती है। जो पशुबलि को पोषण नहीं देता वह श्रेष्ठ आचार-विचार का भागी है, सौभाग्यशाली है।
@@धर्म-अधर्म जगद्गुरु श्रीशंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वतीजी ने कहा है की बलि प्रथा केवल तामसिक वृत्ति वाले तामसिक सिद्धि पाने के लिए ही करतें हैं और जिह्वा लोलुपता के वश कुतर्क देते हैं । वास्तव में बलि प्रथा एक विकृति ही है। th-cam.com/video/QWmcqQs3nlA/w-d-xo.htmlsi=ka8cCgGilLgahnPo th-cam.com/video/gs_13eRnm3w/w-d-xo.htmlsi=V-JU6F0IIOM6nWM6 वास्तव में यह मदिरा जैसे मादक द्रव्यों का सेवन भी साधना में वर्जित है। साधना में मांस एवं मदिरा का अर्थ भिन्न होता है। इस की पुष्टि अविमुक्तेश्वरानंदजी ने की है(विडियो दिया है)। th-cam.com/video/jh5Xsn1kV6M/w-d-xo.html जगद्गुरु श्रीशंकराचार्य निश्चलानन्दजी भी बलि प्रथा को समर्थन नहीं देते हैं। इसकी पुष्टि करने के लिए मैंने उनके कुछ विडियो रखें हैं वह देखें ऐसी प्रार्थना है। यह विडियो में महाराज जी स्वयं बता रहें है की वाम मार्ग के कारण पशुबलि आई है। वो भी करपात्री जी के गुरु द्वारा शास्त्रार्थ करने के बाद ही बलिप्रथा को अंततोगत्वा शास्त्रसम्मत स्वीकारा गया परंतु सात्विक लोगों को दूर ही रहना चाहिए। यह पशु को काटना भी वास्तव में रूढ़ि है, बाकी बलि का अर्थ भेंट है ऐसा महाराज ने कहा। जो तामसिक मन का है, वो मांस, मदिरा आदि के पीछे आसक्त है उसी के लिए बलि है, लक्ष भी यह है की उस व्यक्ति के मांस की लोलुपता मिटा देनी है, बलि भी बंध ही करनी है। देवी को बलि चाहिए, यह सही नहीं ही है। किसी की तामसिक वृत्तियाँ छुड़वा के लिए ही प्रथा है। महाराज ने स्वयं बकरी की बलि नहीं दी जाती थी यह साबित करके एक पुस्तक में लिखा है, यह कहते हुए की महाभारत में पशुबलि फैलाने वालों को पाखंडी कहा है। आदि शंकर भी पशु को हानि हो ऐसी पूजा देवी को अर्पित नहीं करते थे। th-cam.com/video/TWo-QZyHE4U/w-d-xo.html th-cam.com/video/F8EKD9s7ASU/w-d-xo.html th-cam.com/video/XOo6-NuZ1Ko/w-d-xo.html th-cam.com/video/LvRWZqio_Hk/w-d-xo.html th-cam.com/video/jr1XjNCZ3_E/w-d-xo.html th-cam.com/video/hlTo0-21Zv0/w-d-xo.html
Ho sakta hai prajapati ji ka matlab janvaron ko marne se na hokar unko dharm k naam par mandir k karyon k liye free chodne se ho ya sabhi k prayog k liye mandir ko bhent kar dene se ho isliye unhone kaha ki inki bhent do,kya unhone kahin ye kaha ki jan se markar bhent do
भेट का मतलब ये भी नही की उसे काट ही दो फिर खा लो, भगवान को दे दिया और भगवान ने तो नही काटा उस जानवर को, हा मानव जरूर उसका मांस खायेगा और अगली बार के लिए नया जानवर खरीदा बेचा जाएगा, लगता है आपका घर भी इसी पाप की कमाई से चलता है इसलिए आप इतनी पक्ष ले रहे है!
@@siddharthgupta565 rigved me likha hai,,gaaye ki bali ka vishesh mahatva hai......rigved 4000 saal purana ved hai aur ved ""ishwar ki vani"" hai.......agr yakeen nhi toh "science journey" naam ke TH-cam channel pr dekh lo jisme rigved ke page kholkr dikhaya gya hai....bali ke barey me bahut kuchh likha hai....meri baat Mt maano km se km bhagwan raam ki toh maano
App acche se vedh pariye app ghada ho har shabd ulta bolte ho appko sahi guru chayie jo appko vedh ka arth samjaye ....... sanatan darmha arth ek hi hai hainsha param darmha
Sirf geeta or vedo me hi sahi likha hua hota h unhe hi study kare na ki aise faltu logo ko sahi mane ...hindu dharm sab se purana hai to sach me unhe jang or dimak lag jati h but dimak lagi hui chizo ko sahi na mane ....charo vedo me kahi bhi aisa nahi likha h ki hatya karo ...humare dharm me aise aise mahan samrat or raja hue h jinho ne dusro ki raksha karne k liye khud ko balidan kiya h jese ki shibiii raja ... Humara dharm me ahinsa hi sab se bada dharm mana gaya hai...
Kon se shlok ma vidhan ha or ye to trk hi ni ha ki raja ko bhi pap ni lagta ku ki jisko dand mil raha ha vo to papi hi ha 2 etne guru ne or lag bhag sabhi ne es ka virodh kiya 3 ye kaya bat ha ki bhagwan ne bali ke liye hi banaye ha ye to fir abhmaric religion ki thara ho gaya
Shastro ko parha hai kabhi ???? Bali sanatan dharm ka abhinn ang hai.......mandiro me bali di jati hai.....TH-cam search kr lo.......tumhe bhi bali Deni chahiye,anaytha paap lagega
राजा प्रशासन और न्याय देता था , इसलिए उसे अपने नियुत्त कर्म का पाप कैसे लगेगा , क्या आज हम कोर्ट के जज को किसी अपराधी को फांसी की सजा देने पर अपराधी मानते हैं ?? 2 बलि वेदों में है ..करपात्री जी महाराज भी इसका विरोध नही किये 3 भगवान ने केवल सत्व गुण नही , रजस और तमोगुण भी तो बनाये हैं ना ?
I request you to tell us what is told in SHRIMAD BHAGBAT MAHAPURAN, GARUD PURNA, SKANDA PURANA, MATSHA PURANA , VARAHA PURNA, SHIVA PURNA , AGNI PURNA, etc regarding boli pratha????
जय श्री राम गुरुजी हमारे कुल के भेरू जी को बली चड़ती है पर में ने किसी जीव को दुख पहुंचना नहीं चाहता लेकिन मेरे परिवार के लोग कहते के की बली चड़ेगी तो में क्या करू चड़ाऊ की नहीं जय श्री राम
Aap vilkul sahi hai aur vaishnavo ke aacharya iska समर्थन नहीं करते बल्कि शैव मत वाले और तांत्रिक लोक shankaracharyo के मुख से इसका समर्थन सुना गया है ये सही नहीं लगता हृदय से सोचने से 🥺🥺🙏
@@amitsharmasfun627 जगद्गुरु श्रीशंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वतीजी ने कहा है की बलि प्रथा केवल तामसिक वृत्ति वाले तामसिक सिद्धि पाने के लिए ही करतें हैं और जिह्वा लोलुपता के वश कुतर्क देते हैं । वास्तव में बलि प्रथा एक विकृति ही है। th-cam.com/video/QWmcqQs3nlA/w-d-xo.htmlsi=ka8cCgGilLgahnPo th-cam.com/video/gs_13eRnm3w/w-d-xo.htmlsi=V-JU6F0IIOM6nWM6 वास्तव में यह मदिरा जैसे मादक द्रव्यों का सेवन भी साधना में वर्जित है। साधना में मांस एवं मदिरा का अर्थ भिन्न होता है। इस की पुष्टि अविमुक्तेश्वरानंदजी ने की है(विडियो दिया है)। th-cam.com/video/jh5Xsn1kV6M/w-d-xo.html जगद्गुरु श्रीशंकराचार्य निश्चलानन्दजी भी बलि प्रथा को समर्थन नहीं देते हैं। इसकी पुष्टि करने के लिए मैंने उनके कुछ विडियो रखें हैं वह देखें ऐसी प्रार्थना है। यह विडियो में महाराज जी स्वयं बता रहें है की वाम मार्ग के कारण पशुबलि आई है। वो भी करपात्री जी के गुरु द्वारा शास्त्रार्थ करने के बाद ही बलिप्रथा को अंततोगत्वा शास्त्रसम्मत स्वीकारा गया परंतु सात्विक लोगों को दूर ही रहना चाहिए। यह पशु को काटना भी वास्तव में रूढ़ि है, बाकी बलि का अर्थ भेंट है ऐसा महाराज ने कहा। जो तामसिक मन का है, वो मांस, मदिरा आदि के पीछे आसक्त है उसी के लिए बलि है, लक्ष भी यह है की उस व्यक्ति के मांस की लोलुपता मिटा देनी है, बलि भी बंध ही करनी है। देवी को बलि चाहिए, यह सही नहीं ही है। किसी की तामसिक वृत्तियाँ छुड़वा के लिए ही प्रथा है। महाराज ने स्वयं बकरी की बलि नहीं दी जाती थी यह साबित करके एक पुस्तक में लिखा है, यह कहते हुए की महाभारत में पशुबलि फैलाने वालों को पाखंडी कहा है। आदि शंकर भी पशु को हानि हो ऐसी पूजा देवी को अर्पित नहीं करते थे। th-cam.com/video/TWo-QZyHE4U/w-d-xo.html th-cam.com/video/F8EKD9s7ASU/w-d-xo.html th-cam.com/video/XOo6-NuZ1Ko/w-d-xo.html th-cam.com/video/LvRWZqio_Hk/w-d-xo.html th-cam.com/video/jr1XjNCZ3_E/w-d-xo.html th-cam.com/video/hlTo0-21Zv0/w-d-xo.html
आचार्य जी को सादर प्रणाम 🙏, मेरी कुछ शंकाएं है कृपा कर समाधान करें, प्रथम ग्रामीण क्षेत्र में शुभ कार्य के शुरू होने पर, घरों में पूजा स्थान पर नारियल पधार कर उसे बाट देते है, क्या उसे खाना चाहिए ? नवरात्रि में कलश पर रखे नारियल को भी पधारना चाहिए, क्या यह भी बली होती है? देवी को दी जाने वाली निबू की बलि देने के बाद, इस निबू का क्या करना चाहिए?
श्रीमदभागवत के स्कंद 11 के अध्याय 4 में भगवान क्या बताये हैं क्या आप उस पर विचार नहीं करेंगे(एक बार अवश्य पढ़े). 🕉 और फिर ✅️महाभारत के अनुशासन पर्व के अध्याय 113 और 116 में जीव हत्या गलत क्यूँ बताये हैं...क्या बलि देते वक़्त वो पशु खुशी से तैयार होता हैं मरने के लिए...अगर नहीं तो ये तो जानबूझकर हिंसा ही है महोदय. ✅️फिर तो जो मुस्लिम लोगों हिंसा करते हैं लोगों के पशु के गले काट देते हैं वो भी सही है उनके कुरान हदीस के अनुसार... फिर हिन्दू को रोना नहीं चाहिए जब कोई मुस्लिम किसी हिन्दू को मारता हैं क्युकी उनके अनुसार वो अल्लाह के लिए ही कर्म करते हैं
ये बात गलत बोली आपने भगवान शंकराचार्य करपात्री महाराज ने बलि प्रथा का समर्थन किया था।।। दूसरी बात कुछ ग्रंथों मै बलि निषिध है लेकिन कुछ ग्रंथो मै बलि निषिध नही है यहा तक ब्राह्मणो के लिये भी ।।।। और जिनके कुल्देवी कुलदेवता को बलि दि जाती है उसका क्या ।। बलि देना बन्द कर देंगे तो अनर्थ हो जायेगा अगर परम्परा चली है तो ।।। ग्रंथ तो अनेक है योगिनी तंत्र आदि का भी उल्लेख करते यहाँ
आपके जिस वैदिक किताब में बली को ठीक बताया। चाहे जीस भी कारण से । ( अपराधिक दंड या कोई भी दंड राजा अपने राज्य की न्याय की किताब से देता है) ( उससे वैदिक पूजा, यज्ञ, मंत्र का कोई लैना देना नही है) अगर किसी वैदिक किताब में बली को जायज़ बताया गया है तो वो पुस्तक डब्लिकेट है । ।। वैद तो ( सर्व भवन्तु सुखिन। सर्व भवन्तु निरामय।) ओर ( अहिंसा परमो धर्म । ) का ज्ञान देते हैं। सब अपनी बुद्धि का इस्तमाल करें। ऐसे उल्टे सीधे ज्ञान पर ध्यान ना दे। ऐसा ज्ञान देने वाला भी डब्लीकेट पंडित हो सकता है //// धन्यवाद।।
न तस्य प्रतिमाsअस्ति यस्य नाम महद्यस:। -(यजुर्वेद अध्याय 32, मंत्र 3) अर्थात: उस ईश्वर की कोई मूर्ति अर्थात प्रतिमा नहीं जिसका नाम ही महान है। अन्धन्तम: प्र विशन्ति येsसम्भूति मुपासते। ततो भूयsइव ते तमो यs उसम्भूत्या-रता:।। -(यजुर्वेद अध्याय 40 मंत्र 9) अर्थात : जो लोग ईश्वर के स्थान पर जड़ प्रकृति या उससे बनी मूर्तियों की पूजा उपासना करते हैं, वे लोग घोर अंधकार को प्राप्त होते हैं। *जो जन परमेश्वर को छोड़कर किसी अन्य की उपासना करता है वह विद्वानों की दृष्टि में पशु ही है। - (शतपथ ब्राह्मण 14/4/2/22) यच्चक्षुषा न पश्यति येन चक्षूंषि पश्यन्ति । तदेव ब्रह्म त्वं विद्धि नेदं यदिदमुपासते ॥- केनोपनि०॥ अर्थात जो आंख से नहीं दीख पड़ता और जिस से सब आंखें देखती है , उसी को तू ब्रह्म जान और उसी की उपासना कर। और जो उस से भिन्न सूर्य , विद्युत और अग्नि आदि जड़ पदार्थ है उन की उपासना मत कर॥
Protima mane tulna iswar ka tulna kisi se nehi ki jati murti yaha meaning nehi hei us slok ka tum ek arbi majhabi ho vedbakya tumhare samaj se bahar hei
बलि शास्त्र विधान के अनुसार दिया जाता था। हिंसा या अहिंसा आप या हम तय नहीं करते। यह शास्त्र ही तय करते हैं। रही बात हिंसा की तो तुम सांस लेना और खाना भी छोड़ दो क्योंकि उन सबमें जीवों के प्राण जाते हैं।
महाराज जी.. अगर हमारी साँस लेने और छोड़ने से बहुत सारे जीव की मृत्यु हो जाती है तो उपरोक्त जानवर बलि को उचित नहीं ठहराया जा सकता है...हमे साँस जीवन जीने के लिए लेनी पड़ती है ये मजबूरी है.. लेकिन इतने बड़े पशु की बलि देना कोई मजबूरी नहीं है चाहे ईश्वर भी प्रसन्न क्यूँ ना हो जाए.. बेशक वेद इस पशु बलि को शास्त्रीय बताएं इसका अपना एक अलग कारण हो सकता है... हमारे विवेक के अनुसार ऐसा करने से मन दुखी ही होगा चाहे ये शास्त्रीय ही क्यूँ ना हो... ईश्वर को प्रसन्न करने की अनेक विधियाँ हैं..
Ugamrahi.. app puri shankracharya ka video dekhe isper... Koi chain smoker he din me 10 cigarettes pita he to usko ham achanak se nai 6udwa sakte.. to ham bolege 5 pio fir 1 fir band.. Ese jo non veg khate he usko dhire dhire kese mukt kiya jay uski vidhi he.. Manusmriti me adhyay 5 padhe..starting me non veg khane me konse janwar jayaj konse nishedh he esa bol ke bahut lamba list nikal diya.. Dusre jo jayaj the usko shastro ki maryada me hawan yagna time khane ko bola usme bhi jo bahut bade bade yagna he usme.. Usme bhi dhire dhire 6odne ki bat he..6odna to he hi
@Lokkky01 शास्त्र सारे शब्दों से बनी किताबों से ज्यादा कुछ नहीं, वे किसके विचार है और हम जिस ईश्वर या उसे जो भी कहे वो इन सभी शब्दो से बाहर हैं, आप प्रकृति को परिभाषित नहीं कर सकते, सारे वेद और शास्त्र विचारों की उपज है और विचार हमेशा द्वेत पैदा करते हैं, आज तक कोई भी शास्त्र मनुष्य की एक भी समस्या हल नहीं कर पाया।
@@jsaps_orgहमारी इस खुराफाती खोपड़ी ने ना जाने कितनी हिंसा पैदा की हैं, अगर शास्त्र बाली की बात करते है तो वो कौनसी बली हैं? वाह आपके तर्क भी न, जो मनुष्य अपने विवेक को छोड़ किताबी शब्दों के आधार पर जीवन का रास्ता तय करता है वो परिग्रह में फंस जाता है, उसके पास अपना विवेक नही होता, वो एक अच्छा तोता हो सकता है जिसके पास अपना कुछ नहीं। प्रकृति को आपके तथाकथित शास्त्रों की कोई जरुरत नहीं हैं, आप उसकी बनाई चीजों को नहीं तोड़ सकते, अगर आप ऐसा करते है, तो प्रकृति आपके शास्त्रों की परवाह नहीं करेगी। उसको आप क्या आपके सारे ऋषि मुनि खप गए कोई नी समझ पाया, रही बात आपके तर्क की तो उसपे हमें कुछ नहीं कहना क्यों की जिसके अपने कोई विचार नहीं उससे क्या बहस करना जो शास्त्रों के शब्दों को अपना जीवन समझता हो उससे जीवन और प्रकृति की क्या बात करना।
हर हर महादेव
सभी हिंदू भाई ध्यान दें।
यदि आप चाहते हैं कि संस्था आपके लिए शास्त्रों में शोध अनुसंधान करके धर्म के गंभीर विषयों को आपके समक्ष रखे तो आप कृपया संस्था को सहयोग करें। संस्था को पुस्तकालय निर्माण के लिए धन की बहुत आवश्यकता है। संस्था को दान करने पर 80जी के तहत आप टैक्स में छूट भी पा सकते हैं।
Name- JAGADGURU SHANKARACHARYA SANATANDHARMA SANRAKSHAN NYAS
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8439945762
Har har Mahadev
बहुत सुंदर...बहुत ही सुंदर व्याख्या.
धर्म के नाम पर हिंसा ठीक नहीं है। जिस धर्म हिंसा हो, उसमें मुझे कोई श्रद्धा नहीं है। अगर बलि देनी है तो स्वयं की दें।
Bali shastro me likhi hai.......fir tumhe bali se kya pareshani hai...
@@sidrakhan513 तुम्हारीं मनमानी से बलि नहीं दी जाती हैं ।।
@@धर्म-अधर्म mainey kb kaha meri Marzi se di jati hai ?????
Bali ved,,Bible,,quran mey likhi hui hai......aur bali naa deney vala paapi hoga.......isliye south india ke saarey mandiro me bali aaj bhi di jati hai....shastro ke anusaar......yakin nhi toh Google kr lo
@@sidrakhan513 इसमें तुम्हारा दो कौड़ी का बाईबल और कुरान कहाँ से आ गया ? 🤣🤣🤣
इस वीडियो में आचार्य जी यज्ञरूप बलि की बात कर रहे हैं और यज्ञरूप बलि त्रिगुणात्मक होती हैं क्योंकि कर्म भी त्रिगुणात्मक होता हैं क्योंकि " प्रकृति " त्रिगुणात्मक होती हैं ।। दक्षिण भारत में बलि के नाम पर जो निर्दोष पशुओं की हत्या होती हैं , वह सब वेद-शास्त्र के विरुद्ध हैं ।। इसीलिए मैंने कहा कि तुम वेद-शास्त्र के विषय में चर्चा मत् ही करों ।।
@@sidrakhan513 चुप मूर्खम् ।।
गुरुदेव जय हो आपकी....सादर चरणस्पर्श....🙏💐
श्रीमन्महाभारत में भीष्म जी ने कहा है कि वे बीज जिनका जन्म नहीं हो सकता अर्थात् पुराने बीजों की संज्ञा ही अज है किंतु धूर्तों ने अज का अर्थ बकरा कर दिया व यज्ञ में पुराने बीजों के स्थान पर बकरे आदि की बलि देनी आरंभ कर दी l
गधे तू नहीं समझेगा गिल्टी छोड बलि से खून खच्चर से डर खत्म होता है आज तू बकरे को तो बचा लेगा पर मांसाहारी मुल्लों से अपनी बहन बेटियों को नहीं बचा पायेगा ।
खटीक 💪💪💪💪⚔️🚩
जय जय 🥰🙏
Jiwan sabhi ko payara hota hai ...kisi ki hatya krna kon sa Dharam hai.....???
आप बलि का बहुत सुंदर व्याख्या किए इस विषय पर ज्यादा विद्वान चर्चा नहीं करना चाहते हैं।
अतः आपसे यही आशा हम रखते हैं जिस विषय पर कोई चर्चा नहीं करते उस विषय पर आप शास्त्रीय प्रमाण के साथ चर्चा करते हैं ।
हर हर महादेव
'धर्मं जिज्ञासमानानां प्रमाणं परमं श्रुतिः' और 'धर्मब्रह्मणी वेदैकवेद्ये' आदि वाक्यांशों का सारगर्भित व्याख्या थी।
आचार्य जी को प्रणाम।
GURUJI KI JAY HI
GURUJI KO SATAT PRANAM
हर हर महादेव
Dhanyvad guruji Aisa Gyan kahan se late ho tabhi to hamare Dharm ka yah hal hai kahan likha hai ki Bali hoti hai aur kahan likha hai ki shuddhr de sakte haadha adhura Gyani ved dwara padho aur unka sahi se Arth dekho vedon mein kahin bhi nahin likha ki Janwar ki Bali Deni chahie
Great 😃. Shastra Vachan
कबीर-माँस माँस सब एक है, मुरगी हिरनी गाय।
आँखि देखि नर खात है, ते नर नरकहिं जाय।।
🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉
कबीर-जीव हनै हिंसा करै, प्रगट पाप सिर होय।
निगम पुनि ऐसे पाप तें, भिस्त गया नहिं कोय ।।
कबीर कौन से संत हो गए कौन सी परंपरा से हैं दोहे शास्त्र प्रमाण नहीं हैं
@@ankitchaubey1293 रामानंदी सम्प्रदाय से, निर्गुण उपासक. संतों के वचन ही प्रमाण है किसी भी संत ने इस बलि प्रथा का कभी भी समर्थन नहीं किया...ब्लकि विरोध ही किया है... पर कलयुग के ब्राह्मण तमोगुण रजोगुण प्रधान है इसलिए संतों का भी विरोध करते हैं 🕉
हर हर महादेव 🙏🏻🙏🏻
क्या मंगल वार शनिवार को अष्ट बलि पूजा कर सकते है
नवरात्रि आदि अंस्थानो में
Gajab
प्रणाम करता हूं
धन्य है पंडित जी आप शास्त्रों का अदभुत ज्ञान रखते है।
Bilkul shi kha shankaracharya ji aapki jai ho 🙏🏽
🔥🌺🙏
ऐसे पांखडियो के कारण सनातन संस्कृति की आज यही अधोगति हो रहा है।
#हरहरमहादेव !
saadhuvaad
हर हर महादेव 👏👏
बहुत बहुत आभार गुरु जी हर हर महादेव
हर हर महादेव 👌👌🙏🙏😇💐💐
🕉️🙏🕉️
आप सभी लोगों से निवेदन है कि आप लोग संस्थान के इस आधिकारिक यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें और अपने बंधु, बांधवो, मित्रों से भी करवाये। इसके अतिरिक्त वीडियो को लाइक, कमेंट और शेयर भी करें जिससे नित्य आप सभी को सनातन धर्म से सम्बंधित शास्त्र सम्मत प्रामाणिक जानकारियाँ मिलती रहे।
मीडिया संचालक
ज. शं. अ. प्र. संस्थान
Kisi bhi pasu pakchi jeev-jantu par apne Swarth hetu atayachar hinsa sosan kroorta karna hamesa adharm hi hoga😐.. aur aisa karne wala mha paapi aur apraadhi hi hoga😐.. Vedo ka galat bhashya karke unme pasu Bali joda huya hai 😒.. Please Be kind 🥺 Be Vegan or atleast veganish 🌿🌾🍁🌱🍄
Jai shree Radhe Krishna
Good work che.
Aap ne Satya Gyan dya🙏🙏🙏
Keep it up guru jiv💐💐🙏🏻
🚩🚩🚩🚩🚩
Jai shri krishna radhe radhe sanatan dharm aur ved shastra ki sada jai ho jai nityananda gaurango hari bol hari bol
प्रणाम करता हूँ🙏🙏🙏🙏🙏🙏
धेरैजसो मानिस हरु बलि को अर्थ पशु वा मनुष्य को हिंसायुक्त बलि भन्ने गलत बुझ्नुहुन्छ।तर यो सत्य होइन ।
ल सुन्नुहोस म सम्पुर्ण जन मा सनातन धर्म अनुसार बलि भनेको के हो? भन्ने सत्य तथ्य कुरा भन्न गैरहेको छु🙏
गिता मा प्रष्ट उल्लेख गरिएको छ कि,
" लोके व्यवायामिषमद्दसेवा नित्यास्तु जन्तोर्न हि तत्र चोदना ।
व्यवस्थितिस्तेषु विवाहयज्ञ सुरागृहैरासु निवृत्तिरिष्टा।।"
(श्रीमद्भागवत ११/५/११)
अर्थात् ,देबता हरु लाइ जल,फलफूल ,अन्न र पशु दान गर्नु नै बलि को सत्य अर्थ हो ।🙏🙏
कहीं कहीं बलि को प्रिय वस्तु का त्याग बताया
प्रणाम गुरु जी 🙏🙏🙏
राधे राधे जी
Jis dharm me varksh,podhe oshdhiyo ki bhumi, aakash Agni, vayu or jal ko devi devta or pujan hota ho go ki rotti,kutte ki roti,go hatya sbse bda pap ho usme unka vadh ya bali ho hi nhi skti,bali ka mtlb tyag ya fir us pshu ko bali dena ho skta hai,sanatan satvik or samst jivo ki daya ka dharm hai
Fir to isi pratha ka aashray lekarr vidharmi log gau bali ka samrthan karenge 🥺🙏
Aj kal lagbhag 90% log tamsik bali ko sastra sammat nahi batate,virodh hi karte hai
Jo ki bhavishya me jan hit ke viprit ho sakta hai.,!
Pandit ji aapke jaise gyanwan vyakti ko sunkar mujhe bahut achchha laga
बलि मांसाहार को धार्मिक रूप प्रदान कर पाप के भय से मुक्त करती है प
Musalman Eid par kurbani de to hinsa ved kahe to koi hinsa na
तुम तो चुप ही रहों क्योंकि तुमको समझ में नहीं आयगा ।। 😂
@@धर्म-अधर्म hme bahut pehle hi samajh aa chuka hai.....tabhi toh hm bali dete hai......lekin tum ab tk apne vedo aur shastro ko hi nhi padey
@@sidrakhan513 तुम शान्त ही रहों , तुमलोग शास्त्र के विषय में चर्चा मत् ही करों ।।
@@धर्म-अधर्म Vedas "ishwar ki vani" hai,,shastro aur vedo me bali dene ki baat likhi hai......jo bali nhi dega vo maha paapi hoga......ishwar ne kuchh janwar bali ke liye hi bnaaye hai.....yakeen nhi toh ""science journey"" naam ke TH-cam channel ko search krke dekh lo....usmey rigved ko kholker dikhaya gya hai....rigved me likha hai ki gaaye ki bali dene ka vishesh mahatva hai......bali rigvedic kaal se chali aa rhi hai.....jo sweekar nhi karega...vo paap ka bhaagi hoga
@@sidrakhan513 Vedas नहीं होता हैं अपितु " वेद " होता हैं ।।
जय गुरुदेव। मेरा प्रश्न है की ये दूसरे जीवो का क्यों बलिदान दिया जाता है। इंसान अपने जीवन का अधिपति है । दूसरे जीवो को भी पीड़ा होती है, उनको भी जीने की अभिलाषा होती है। इंसान को बलि देनी है तो राजा बलि की तरह अपनी दे। दूसरे जीवो की जान लेने का अधिकार किसने दिया।
भगवान् हर कण मे है तो फिर उस जीव मै भी है तो उसकी बलि दी जाती है
कृपया मुझे समझाए
भाई मैं भी शास्त्र को दृढ़तापूर्वक मानता हूँ किन्तु बलिप्रथा के विषय में पूरा समझ में नहीं आया ।। 🤔
शास्त्रों में अहिंसा सर्वोत्तम है, पशुबलि तामसिक वृत्ति वालों के लिए है। जो तामसिक वृत्ति में पड़ा रहता है, उनको कभी मुक्ति नहीं मिलती है। जो पशुबलि को पोषण नहीं देता वह श्रेष्ठ आचार-विचार का भागी है, सौभाग्यशाली है।
@@धर्म-अधर्म जगद्गुरु श्रीशंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वतीजी ने कहा है की बलि प्रथा केवल तामसिक वृत्ति वाले तामसिक सिद्धि पाने के लिए ही करतें हैं और जिह्वा लोलुपता के वश कुतर्क देते हैं । वास्तव में बलि प्रथा एक विकृति ही है।
th-cam.com/video/QWmcqQs3nlA/w-d-xo.htmlsi=ka8cCgGilLgahnPo
th-cam.com/video/gs_13eRnm3w/w-d-xo.htmlsi=V-JU6F0IIOM6nWM6
वास्तव में यह मदिरा जैसे मादक द्रव्यों का सेवन भी साधना में वर्जित है। साधना में मांस एवं मदिरा का अर्थ भिन्न होता है। इस की पुष्टि अविमुक्तेश्वरानंदजी ने की है(विडियो दिया है)।
th-cam.com/video/jh5Xsn1kV6M/w-d-xo.html
जगद्गुरु श्रीशंकराचार्य निश्चलानन्दजी भी बलि प्रथा को समर्थन नहीं देते हैं। इसकी पुष्टि करने के लिए मैंने उनके कुछ विडियो रखें हैं वह देखें ऐसी प्रार्थना है। यह विडियो में महाराज जी स्वयं बता रहें है की वाम मार्ग के कारण पशुबलि आई है। वो भी करपात्री जी के गुरु द्वारा शास्त्रार्थ करने के बाद ही बलिप्रथा को अंततोगत्वा शास्त्रसम्मत स्वीकारा गया परंतु सात्विक लोगों को दूर ही रहना चाहिए। यह पशु को काटना भी वास्तव में रूढ़ि है, बाकी बलि का अर्थ भेंट है ऐसा महाराज ने कहा।
जो तामसिक मन का है, वो मांस, मदिरा आदि के पीछे आसक्त है उसी के लिए बलि है, लक्ष भी यह है की उस व्यक्ति के मांस की लोलुपता मिटा देनी है, बलि भी बंध ही करनी है। देवी को बलि चाहिए, यह सही नहीं ही है। किसी की तामसिक वृत्तियाँ छुड़वा के लिए ही प्रथा है। महाराज ने स्वयं बकरी की बलि नहीं दी जाती थी यह साबित करके एक पुस्तक में लिखा है, यह कहते हुए की महाभारत में पशुबलि फैलाने वालों को पाखंडी कहा है। आदि शंकर भी पशु को हानि हो ऐसी पूजा देवी को अर्पित नहीं करते थे।
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th-cam.com/video/hlTo0-21Zv0/w-d-xo.html
जय श्री सीताराम महाराज बहुत सुंदर बहुत सुंदर बहुत सुंदर
गलत है जय श्री राम
महाराज जी क्या अष्टमी को नारियल खा सकते है या तोड़ सकते है कृपा बताये और माँ दुर्गा को भोग लगा सकते है
Ho sakta hai prajapati ji ka matlab janvaron ko marne se na hokar unko dharm k naam par mandir k karyon k liye free chodne se ho ya sabhi k prayog k liye mandir ko bhent kar dene se ho isliye unhone kaha ki inki bhent do,kya unhone kahin ye kaha ki jan se markar bhent do
भेट का मतलब ये भी नही की उसे काट ही दो फिर खा लो, भगवान को दे दिया और भगवान ने तो नही काटा उस जानवर को, हा मानव जरूर उसका मांस खायेगा और अगली बार के लिए नया जानवर खरीदा बेचा जाएगा, लगता है आपका घर भी इसी पाप की कमाई से चलता है इसलिए आप इतनी पक्ष ले रहे है!
Shastro ka aur shankracharya ji ka apmaan Mt kro.......paap lagega........bali pratha sanatan dharm ka abhinn ang rhi hai,shastro ko parho..........
@@sidrakhan513 🤣🤣🤣🤣🤣 आप अपने धर्म पर ही ज्ञान दे तो अच्छा है और यहां तो ना ही बोले!
@@siddharthgupta565 rigved me likha hai,,gaaye ki bali ka vishesh mahatva hai......rigved 4000 saal purana ved hai aur ved ""ishwar ki vani"" hai.......agr yakeen nhi toh "science journey" naam ke TH-cam channel pr dekh lo jisme rigved ke page kholkr dikhaya gya hai....bali ke barey me bahut kuchh likha hai....meri baat Mt maano km se km bhagwan raam ki toh maano
App acche se vedh pariye app ghada ho har shabd ulta bolte ho appko sahi guru chayie jo appko vedh ka arth samjaye ....... sanatan darmha arth ek hi hai hainsha param darmha
Sirf geeta or vedo me hi sahi likha hua hota h unhe hi study kare na ki aise faltu logo ko sahi mane ...hindu dharm sab se purana hai to sach me unhe jang or dimak lag jati h but dimak lagi hui chizo ko sahi na mane ....charo vedo me kahi bhi aisa nahi likha h ki hatya karo ...humare dharm me aise aise mahan samrat or raja hue h jinho ne dusro ki raksha karne k liye khud ko balidan kiya h jese ki shibiii raja ...
Humara dharm me ahinsa hi sab se bada dharm mana gaya hai...
Dherai ramro Kura vannu vayo hajurle
Vedo me bali likhi hai,,yakeen nhi toh thik se pado
सत्य।
Like great knowledge
अद्भुत अद्भुत अद्भुत व्याख्यान 👌👌🙏🙏🙏😇💐💐
तो क्या नरमेध/पुरुषमेध यज्ञ में मनुष्य की बलि देना शास्त्रों में लिखा है?
भेट उपहार हि है तो बलिदान यह शब्द क्यों ?
जय श्री राम
Kon se shlok ma vidhan ha or ye to trk hi ni ha ki raja ko bhi pap ni lagta ku ki jisko dand mil raha ha vo to papi hi ha
2 etne guru ne or lag bhag sabhi ne es ka virodh kiya
3 ye kaya bat ha ki bhagwan ne bali ke liye hi banaye ha ye to fir abhmaric religion ki thara ho gaya
Shastro ko parha hai kabhi ???? Bali sanatan dharm ka abhinn ang hai.......mandiro me bali di jati hai.....TH-cam search kr lo.......tumhe bhi bali Deni chahiye,anaytha paap lagega
राजा प्रशासन और न्याय देता था , इसलिए उसे अपने नियुत्त कर्म का पाप कैसे लगेगा , क्या आज हम कोर्ट के जज को किसी अपराधी को फांसी की सजा देने पर अपराधी मानते हैं ??
2 बलि वेदों में है ..करपात्री जी महाराज भी इसका विरोध नही किये
3 भगवान ने केवल सत्व गुण नही , रजस और तमोगुण भी तो बनाये हैं ना ?
I request you to tell us what is told in SHRIMAD BHAGBAT MAHAPURAN, GARUD PURNA, SKANDA PURANA, MATSHA PURANA , VARAHA PURNA, SHIVA PURNA , AGNI PURNA, etc regarding boli pratha????
It's not boli pratha it's bali karmakand
Ma samaj Gaya ap kaya kah rahe yaha pe mana kiya gaya ha
जय श्री राम गुरुजी हमारे कुल के भेरू जी को बली चड़ती है पर में ने किसी जीव को दुख पहुंचना नहीं चाहता लेकिन मेरे परिवार के लोग कहते के की बली चड़ेगी तो में क्या करू चड़ाऊ की नहीं जय श्री राम
कुलधर्म का पालन करें, सीताराम
बिल्कुल मत चढ़ाइए
मत चढ़ाइए।
बंद मत करिएगा अन्यथा भेरू जी सर का तबला बना देंगे कोई माई का लाल नही बचा पाएगा
नही चढ़ाना चाहिए जीव हत्या नही करना चाहिए।
What about Kamakhya Tantra verdict ?
बलिदान करने के बाद बलि दी गई हुई वस्तु का खाने का विधान भी है क्या ?
निरीह पशुओं की हत्या क्रूर बर्बर और गलत है चाहे वेद में लिखा हो या न लिखा हो।उसी वेद का अर्थ लोग अपने रूचि और मान्यता के आधार पर अलग अलग करते हैं।
Jis dharm me go ko rotti kutte ki rotti or go hatya sbse bda pap bataya ho usme bali nhi ho skti,bali ka mtlb kuch or hi hoga
Aap vilkul sahi hai aur vaishnavo ke aacharya iska समर्थन नहीं करते बल्कि शैव मत वाले और तांत्रिक लोक shankaracharyo के मुख से इसका समर्थन सुना गया है
ये सही नहीं लगता हृदय से सोचने से 🥺🥺🙏
@@amitsharmasfun627 जगद्गुरु श्रीशंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वतीजी ने कहा है की बलि प्रथा केवल तामसिक वृत्ति वाले तामसिक सिद्धि पाने के लिए ही करतें हैं और जिह्वा लोलुपता के वश कुतर्क देते हैं । वास्तव में बलि प्रथा एक विकृति ही है।
th-cam.com/video/QWmcqQs3nlA/w-d-xo.htmlsi=ka8cCgGilLgahnPo
th-cam.com/video/gs_13eRnm3w/w-d-xo.htmlsi=V-JU6F0IIOM6nWM6
वास्तव में यह मदिरा जैसे मादक द्रव्यों का सेवन भी साधना में वर्जित है। साधना में मांस एवं मदिरा का अर्थ भिन्न होता है। इस की पुष्टि अविमुक्तेश्वरानंदजी ने की है(विडियो दिया है)।
th-cam.com/video/jh5Xsn1kV6M/w-d-xo.html
जगद्गुरु श्रीशंकराचार्य निश्चलानन्दजी भी बलि प्रथा को समर्थन नहीं देते हैं। इसकी पुष्टि करने के लिए मैंने उनके कुछ विडियो रखें हैं वह देखें ऐसी प्रार्थना है। यह विडियो में महाराज जी स्वयं बता रहें है की वाम मार्ग के कारण पशुबलि आई है। वो भी करपात्री जी के गुरु द्वारा शास्त्रार्थ करने के बाद ही बलिप्रथा को अंततोगत्वा शास्त्रसम्मत स्वीकारा गया परंतु सात्विक लोगों को दूर ही रहना चाहिए। यह पशु को काटना भी वास्तव में रूढ़ि है, बाकी बलि का अर्थ भेंट है ऐसा महाराज ने कहा।
जो तामसिक मन का है, वो मांस, मदिरा आदि के पीछे आसक्त है उसी के लिए बलि है, लक्ष भी यह है की उस व्यक्ति के मांस की लोलुपता मिटा देनी है, बलि भी बंध ही करनी है। देवी को बलि चाहिए, यह सही नहीं ही है। किसी की तामसिक वृत्तियाँ छुड़वा के लिए ही प्रथा है। महाराज ने स्वयं बकरी की बलि नहीं दी जाती थी यह साबित करके एक पुस्तक में लिखा है, यह कहते हुए की महाभारत में पशुबलि फैलाने वालों को पाखंडी कहा है। आदि शंकर भी पशु को हानि हो ऐसी पूजा देवी को अर्पित नहीं करते थे।
th-cam.com/video/TWo-QZyHE4U/w-d-xo.html
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th-cam.com/video/XOo6-NuZ1Ko/w-d-xo.html
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गुरु जी प्रणाम क्या मंगलवार शनिवार को अष्टबली पूजा कर सकते है बलि दे सकते है
तो अपने बाप को यज्ञ में बलि क्यो चड़ाते तो उनको स्वर्ग मिल जाता
Prabhu ji kya prabhu shri ramji k vanshaj maans khate the
आचार्य जी को सादर प्रणाम 🙏, मेरी कुछ शंकाएं है कृपा कर समाधान करें, प्रथम ग्रामीण क्षेत्र में शुभ कार्य के शुरू होने पर, घरों में पूजा स्थान पर नारियल पधार कर उसे बाट देते है, क्या उसे खाना चाहिए ? नवरात्रि में कलश पर रखे नारियल को भी पधारना चाहिए, क्या यह भी बली होती है? देवी को दी जाने वाली निबू की बलि देने के बाद, इस निबू का क्या करना चाहिए?
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आजकल काफी दिन से आपका विडियो नहीं आ रहा है क्या बात plz uplod vidiyo
Veda Manusmriti is great
Manusmriti kanoon jindabad
Adishankaracharya ne pashu bali pratha ko birodh kyuin kiya bo bhi to vedacharya the bataiye
अब पता चला बुद्ध ने हिंदू धर्म क्यों छोड़ा
बुद्ध की मृत्यु सुअर मांस सेवन करने से हुई है!
महाराज जी क्या कलियुग में सन्यास नहीं मान्य नहीं, अर्थात् सद्गरहस्थ को नहीं करना चाहिए? करपा कर उत्तर देवें
जब तक गंगा जी हैं तब तक मान्य है।
बहुत सुन्दर, उत्तर सधन्यवाद, प्रणाम
श्रीमदभागवत के स्कंद 11 के अध्याय 4 में भगवान क्या बताये हैं क्या आप उस पर विचार नहीं करेंगे(एक बार अवश्य पढ़े). 🕉
और फिर ✅️महाभारत के अनुशासन पर्व के अध्याय 113 और 116 में जीव हत्या गलत क्यूँ बताये हैं...क्या बलि देते वक़्त वो पशु खुशी से तैयार होता हैं मरने के लिए...अगर नहीं तो ये तो जानबूझकर हिंसा ही है महोदय.
✅️फिर तो जो मुस्लिम लोगों हिंसा करते हैं लोगों के पशु के गले काट देते हैं वो भी सही है उनके कुरान हदीस के अनुसार...
फिर हिन्दू को रोना नहीं चाहिए जब कोई मुस्लिम किसी हिन्दू को मारता हैं क्युकी उनके अनुसार वो अल्लाह के लिए ही कर्म करते हैं
🙏🙏
Aakh band kar k kuch bhi follow nai karte h Bhai
ये बात गलत बोली आपने भगवान शंकराचार्य करपात्री महाराज ने बलि प्रथा का समर्थन किया था।।। दूसरी बात कुछ ग्रंथों मै बलि निषिध है लेकिन कुछ ग्रंथो मै बलि निषिध नही है यहा तक ब्राह्मणो के लिये भी ।।।। और जिनके कुल्देवी कुलदेवता को बलि दि जाती है उसका क्या ।। बलि देना बन्द कर देंगे तो अनर्थ हो जायेगा अगर परम्परा चली है तो ।।। ग्रंथ तो अनेक है योगिनी तंत्र आदि का भी उल्लेख करते यहाँ
@@evildemon6473 abhi tumko nahi pata
@@evildemon6473 aapko jada pta hai
@@evildemon6473 bhaut badiya 👍👍👏
@@evildemon6473 aap bhaut gyani ho ..
Saryartha prakash aur communist vale 👍👍👍🤝
@@evildemon6473 your welcome 🙂🌻
Bakwas kar ra h
आपके जिस वैदिक किताब में बली को ठीक बताया। चाहे जीस भी कारण से । ( अपराधिक दंड या कोई भी दंड राजा अपने राज्य की न्याय की किताब से देता है) ( उससे वैदिक पूजा, यज्ञ, मंत्र का कोई लैना देना नही है) अगर किसी वैदिक किताब में बली को जायज़ बताया गया है तो वो पुस्तक डब्लिकेट है । ।। वैद तो ( सर्व भवन्तु सुखिन। सर्व भवन्तु निरामय।) ओर ( अहिंसा परमो धर्म । ) का ज्ञान देते हैं।
सब अपनी बुद्धि का इस्तमाल करें। ऐसे उल्टे सीधे ज्ञान पर ध्यान ना दे। ऐसा ज्ञान देने वाला भी डब्लीकेट पंडित हो सकता है //// धन्यवाद।।
Wahi ved |ahimsa paramo dharm, dharm himsa tathaiva cha| bhi bolta hai
सत्य वचन
AAP Jain Dharam bata rahe ho .
VED me bali Pratha hai .
Aapko Nahi karna hai to mat karo
@@agnishikhanayak3 konse granth me "dharm hinsa tathaiv cha" likha hai
@@hardikgupta9105 । भागवत गीता में लिखा है। हार्दिक भाई
जिस जिस पासून को ब्रह्मा परमपिता ब्रह्मा जी ने बनाया है के लियेशिबली देनासही है उसके मास का क्या प्रयोजन है
न तस्य प्रतिमाsअस्ति यस्य नाम महद्यस:। -(यजुर्वेद अध्याय 32, मंत्र 3)
अर्थात: उस ईश्वर की कोई मूर्ति अर्थात प्रतिमा नहीं जिसका नाम ही महान है।
अन्धन्तम: प्र विशन्ति येsसम्भूति मुपासते।
ततो भूयsइव ते तमो यs उसम्भूत्या-रता:।। -(यजुर्वेद अध्याय 40 मंत्र 9)
अर्थात : जो लोग ईश्वर के स्थान पर जड़ प्रकृति या उससे बनी मूर्तियों की पूजा उपासना करते हैं, वे लोग घोर अंधकार को प्राप्त होते हैं।
*जो जन परमेश्वर को छोड़कर किसी अन्य की उपासना करता है वह विद्वानों की दृष्टि में पशु ही है। - (शतपथ ब्राह्मण 14/4/2/22)
यच्चक्षुषा न पश्यति येन चक्षूंषि पश्यन्ति ।
तदेव ब्रह्म त्वं विद्धि नेदं यदिदमुपासते ॥- केनोपनि०॥
अर्थात जो आंख से नहीं दीख पड़ता और जिस से सब आंखें देखती है , उसी को तू ब्रह्म जान और उसी की उपासना कर। और जो उस से भिन्न सूर्य , विद्युत और अग्नि आदि जड़ पदार्थ है उन की उपासना मत कर॥
Protima mane tulna iswar ka tulna kisi se nehi ki jati murti yaha meaning nehi hei us slok ka tum ek arbi majhabi ho vedbakya tumhare samaj se bahar hei
bali dena jaruri hai,..
तर्क सत्य को नही बदल सकते, बली हिंसा है और रहेगी भले आपलोग लाखों तर्क देते रहें, आप अपनी बली क्यों नहीं दे देते,
बलि शास्त्र विधान के अनुसार दिया जाता था। हिंसा या अहिंसा आप या हम तय नहीं करते। यह शास्त्र ही तय करते हैं। रही बात हिंसा की तो तुम सांस लेना और खाना भी छोड़ दो क्योंकि उन सबमें जीवों के प्राण जाते हैं।
महाराज जी.. अगर हमारी साँस लेने और छोड़ने से बहुत सारे जीव की मृत्यु हो जाती है तो उपरोक्त जानवर बलि को उचित नहीं ठहराया जा सकता है...हमे साँस जीवन जीने के लिए लेनी पड़ती है ये मजबूरी है.. लेकिन इतने बड़े पशु की बलि देना कोई मजबूरी नहीं है चाहे ईश्वर भी प्रसन्न क्यूँ ना हो जाए.. बेशक वेद इस पशु बलि को शास्त्रीय बताएं इसका अपना एक अलग कारण हो सकता है... हमारे विवेक के अनुसार ऐसा करने से मन दुखी ही होगा चाहे ये शास्त्रीय ही क्यूँ ना हो... ईश्वर को प्रसन्न करने की अनेक विधियाँ हैं..
Ugamrahi.. app puri shankracharya ka video dekhe isper...
Koi chain smoker he din me 10 cigarettes pita he to usko ham achanak se nai 6udwa sakte.. to ham bolege 5 pio fir 1 fir band..
Ese jo non veg khate he usko dhire dhire kese mukt kiya jay uski vidhi he..
Manusmriti me adhyay 5 padhe..starting me non veg khane me konse janwar jayaj konse nishedh he esa bol ke bahut lamba list nikal diya..
Dusre jo jayaj the usko shastro ki maryada me hawan yagna time khane ko bola usme bhi jo bahut bade bade yagna he usme..
Usme bhi dhire dhire 6odne ki bat he..6odna to he hi
@Lokkky01 शास्त्र सारे शब्दों से बनी किताबों से ज्यादा कुछ नहीं, वे किसके विचार है और हम जिस ईश्वर या उसे जो भी कहे वो इन सभी शब्दो से बाहर हैं, आप प्रकृति को परिभाषित नहीं कर सकते, सारे वेद और शास्त्र विचारों की उपज है और विचार हमेशा द्वेत पैदा करते हैं, आज तक कोई भी शास्त्र मनुष्य की एक भी समस्या हल नहीं कर पाया।
@@jsaps_orgहमारी इस खुराफाती खोपड़ी ने ना जाने कितनी हिंसा पैदा की हैं, अगर शास्त्र बाली की बात करते है तो वो कौनसी बली हैं?
वाह आपके तर्क भी न, जो मनुष्य अपने विवेक को छोड़ किताबी शब्दों के आधार पर जीवन का रास्ता तय करता है वो परिग्रह में फंस जाता है, उसके पास अपना विवेक नही होता, वो एक अच्छा तोता हो सकता है जिसके पास अपना कुछ नहीं।
प्रकृति को आपके तथाकथित शास्त्रों की कोई जरुरत नहीं हैं,
आप उसकी बनाई चीजों को नहीं तोड़ सकते, अगर आप ऐसा करते है, तो प्रकृति आपके शास्त्रों की परवाह नहीं करेगी।
उसको आप क्या आपके सारे ऋषि मुनि खप गए कोई नी समझ पाया, रही बात आपके तर्क की तो उसपे हमें कुछ नहीं कहना क्यों की जिसके अपने कोई विचार नहीं उससे क्या बहस करना जो शास्त्रों के शब्दों को अपना जीवन समझता हो उससे जीवन और प्रकृति की क्या बात करना।
Har har Mahadev
हर हर महादेव
Keep it up guru jiv💐💐🙏🏻
🚩🚩🚩🚩🚩
What about Ashmev yagya ?
हर हर महादेव
राधे राधे पंडित जी
जय श्री राम जय श्री राम
Radhe radhe radhe ji mahraj
Sadhuvaad
हर हर महादेव