Ratana Sutta by Bhikkhu Gyanjyoti Mahathero रतन सुत्त

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  • เผยแพร่เมื่อ 7 ต.ค. 2024
  • रतन सुत्त द्वारा सुरक्षा
    मूल कथा
    वैशाली जो भगवान बुद्ध के समय भारत के सबसे खूबसूरत शहरों में से एक था, एक समय बीमारी, सूखा और अकाल से ग्रस्त हुआ । सड़कें शवों से भर गईं थी और लोग मक्खियों की तरह मर रहे थे। स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही थी ।
    हताश हुए शहरवासियों ने भगवान बुद्ध को वैशाली आने की प्रार्थना की । भगवान बुद्ध ने निमंत्रण स्वीकार किया और भिक्षु संघ के एक समूह के साथ वैशाली के लिए निकल पड़े ।वैशाली पहुँचने के लिए गंगा पार कर जैसे ही भगवान बुद्ध ने नाव से नीचे वैशाली की धरती पर कदम रखा, वैसे ही तुरंत बारिश होने लगी और कई बरसों के सूखे का अंत हुआ ।
    इसके पश्चात भगवान बुद्ध ने भिक्षु आनंद को रतन सूत्र (उपदेश) का पाठ सिखाया और वैशाली की गलियों में घूमकर इस उपदेश को दोहराने के लिए कहा ।
    रतन सूत्र प्रवचन वास्तव में एक सत्य क्रिया है। इसमें बुद्ध, धम्म और संघ के अद्भुत गुणों से संबंधित १३ सत्य हैं।
    जैसे कि सुत्त का पहला सत्य है: पूरे ब्रह्माण्ड में कोई रतन ऐसा नहीं है जो बुद्ध में समाए हुए रत्न से अधिक मूल्यवान है । यह सच है। इस सत्य की शक्ति से सभी प्राणी सुरक्षित, स्वस्थ और खुश रहें ।
    भगवान बुद्ध ने अपने सारे विकारों से मुक्ति पा ली, अपने आप को परिपूर्ण रूप से शुद्ध कर लिया। फिर असीम मैत्री से अन्य प्राणियों को यह मुक्ति का रास्ता दिखाया । करोड़ों प्राणी इस रास्ते पर चलकर मुक्त हुए। बुद्ध भगवान की शिक्षा से सम्पर्क में आकर आज भी लोग मुक्त हो रहे हैं - इतनी शक्ति इस रतन में है - सचमुच इस के समान और कोई रतन नहीं।
    सत्य कथन के तेज से कल्याण होता है। इसीलिए जैसे ही स्थविर आनंद ने वैशाली में रतन सूत्र का पाठ किया, तो इन सत्यों की शक्ति और उनके सकारात्मक तरंगों के प्रभाव से वैशाली का माहौल तुरंत बदल गया और शहर में तत्काल सुधार होने लगा। देखते ही देखते पूरा शहर बिलकुल स्वस्थ हो गया I
    🙏🙏🙏

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