धैर्यं यस्य पिता क्षमा च जननी शान्तिश्चिरं गेहिनी / संस्कृत श्लोल Sanskrit Shlok (अमन आर्य)
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- เผยแพร่เมื่อ 6 ก.ย. 2024
- धैर्यं यस्य पिता क्षमा च जननी शान्तिश्चिरं गेहिनी / संस्कृत श्लोल ( Sanskrit Shlok)
धैर्यं यस्य पिता क्षमा च जननी शान्तिश्चिरं गेहिनी,
सत्यं मित्रमिदं दया च भगिनी भ्राता मनःसंयमः।
शय्या भूमितलं दिशोऽपि वसनं ज्ञानामृतं भोजनम्
ह्येते यस्य कुटुम्बिनो वद सखे कस्माद् भयं योगिनः।।। (भर्तृहरिकृत- वैराग्यशतक, श्लोक १००)
भावार्थ- धैर्य जिसका पिता है, क्षमा जिसकी माता है, लम्बे काल तक साथ देने वाली शान्ति जिसकी स्त्री है, सत्य जिसका मित्र है, दया जिसकी बहिन है, मन का संयम जिसका भाई है, भूमि ही जिसकी शय्या है, दिशाएं ही जिसके वस्त्र हैं और ज्ञान रूपी अमृत का पान करना ही जिसका भोजन है, हे मित्र ! जिस योगी के ऐसे कुटुम्बीजन हैं, उसे संसार में किससे भय होगा ? अर्थात् किसी से भी भय नहीं होगा।
अति शोभनिये भाई जी
🕉️बहुशोभनमिदं गीतम् 🕉️
आनंदः आगतः गीतं श्रुत्वा ।
पठतु संस्कृतम् वदतु संस्कृतम् जयतु भारतम् ।
🕉️🚩
Wah ji
वाह अप्रतिम भैया जी 🙏🙏🙏🙏
🙏
🙏❤
अद्भुत सर ❤️❤️❤️
bahut sunder
❤️❤️
Waah bhai......
❤❤
मनमोहक दिल को छू देने वाला ❤️❤️
सर आपने दोनों ही बार बहुत सुंदर तरीके से गाया है बहुत बहुत बहुत अच्छा लगा सर सुन कर, मैं भी प्रयास करूंगा गाने का सर 🙏🙏
Thankyou bhai ji. Aur video banao. Ved vidya ka prachar karo. Isse badhkar kuch nahi.
धन्यवाद भाई ज़रूर