🙏💥🌹Shapoddar शापोद्धार मंत्र🌹💥🙏

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  • เผยแพร่เมื่อ 2 ต.ค. 2024
  • 🙏जय जय अम्बे🙏
    🌹🌹🌹श्री दुर्गा सप्तशती के क्रम मे 🌹🌹
    🌺पूज्य श्री भगवन जी🌺 कि दिव्य वाणी से💥
    श्री शापोद्धार मंत्र💥श्रवण करिये🌹🌼
    'ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं क्रां क्रीं चण्डिकादेव्यै शापनाशागुग्रहं कुरु कुरु स्वाहा'
    इस मंत्र का आदि और अन्त में सात बार जप करें। यह शापोद्धार मंत्र कहलाता है। इसके अनन्तर उत्कीलन मन्त्र का जाप किया जाता है।
    इसका जप आदि और अन्त में इक्कीस-इक्कीस बार होता है। यह मन्त्र इस प्रकार है- 'ॐ श्रीं क्लीं ह्रीं सप्तशति चण्डिके उत्कीलनं कुरु कुरु स्वाहा।' इसके जप के पश्चात्‌ आदि और अन्त में सात-सात बार मृतसंजीवनी विद्या का जाप करना चाहिए, जो इस प्रकार है-
    'ॐ ह्रीं ह्रीं वं वं ऐं ऐं मृतसंजीवनि विद्ये मृतमुत्थापयोत्थापय क्रीं ह्रीं ह्रीं वं स्वाहा।'
    मारीचकल्प के अनुसार सप्तशती-शापविमोचन का मन्त्र यह है-
    'ॐ श्रीं श्रीं क्लीं हूं ॐ ऐं क्षोभय मोहय उत्कीलय उत्कीलय उत्कीलय ठं ठं।'
    इस मन्त्र का आरंभ में ही एक सौ आठ बार जाप करना चाहिए, पाठ के अन्त में नहीं। अथवा रुद्रयामल महातन्त्र के अंतर्गत दुर्गाकल्प में कहे हुए चण्डिका शाप विमोचन मन्त्र का आरंभ में ही पाठ करना चाहिए। वे मन्त्र इस प्रकार हैं-
    ॐ अस्य श्रीचण्डिकाया ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापविमोचनमन्त्रस्य वसिष्ठ-नारदसंवादसामवेदाधिपतिब्रह्माण ऋषयः सर्वैश्वर्यकारिणी श्रीदुर्गा देवता चरित्रत्रयं बीजं ह्री शक्तिः त्रिगुणात्मस्वरूपचण्डिकाशापविमुक्तौ मम संकल्पितकार्यसिद्ध्‌यर्थे जपे विनियोगः।
    ॐ (ह्रीं) रीं रेतःस्वरूपिण्यै मधुकैटभमर्दिन्यै
    ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद् विमुक्ता भव॥1॥
    ॐ श्रीं बुद्धिस्वरूपिण्यै महिषासुरसैन्यनाशिन्यै
    ब्रह्मवसिष्ठ विश्वामित्रशापाद् विमुक्ता भव॥2॥
    ॐ रं रक्तस्वरूपिण्यै महिषासुरमर्दिन्यै
    ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद् विमुक्ता भव॥3॥
    ॐ क्षुं धुधास्वरूपिण्यै देववन्दितायै
    ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद् विमुक्ता भव॥4॥
    ॐ छां छायास्वरूपिण्यै दूतसंवादिन्यै
    ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद् विमुक्ता भव॥5॥
    ॐ शं शक्तिस्वरूपिण्यै धूम्रलोचनघातिन्यै
    ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद् विमुक्ता भव॥6॥
    ॐ तृं तृषास्वरूपिण्यै चण्डमुण्डवधकारिण्यै
    ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्र शापाद् विमुक्ता भव॥7॥
    ॐ क्षां क्षान्तिस्वरूपिण्यै रक्तबीजवधकारिण्यै
    ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद् विमुक्ता भव॥8॥
    ॐ जां जातिस्वरूपिण्यै निशुम्भवधकारिण्यै
    ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद् विमुक्ता भव॥9॥
    ॐ लं लज्जास्वरूपिण्यै शुम्भवधकारिण्यै
    ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद् विमुक्ता भव॥10॥
    ॐ शां शान्तिस्वरूपिण्यै देवस्तुत्यै
    ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद् विमुक्ता भव॥11॥
    ॐ श्रं श्रद्धास्वरूपिण्यै सकलफलदात्र्यै
    ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद् विमुक्ता भव॥12॥
    ॐ कां कान्तिस्वरूपिण्यै राजवरप्रदायै
    ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद् विमुक्ता भव॥13॥
    ॐ मां मातृस्वरूपिण्यै अनर्गलमहिमसहितायै
    ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद् विमुक्ता भव॥14॥
    ॐ ह्रीं श्रीं दुं दुर्गायै सं सर्वैश्वर्यकारिण्यै
    ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद् विमुक्ता भव॥15॥
    ॐ ऐं ह्रीं क्लीं नमः शिवायै अभेद्यकवचस्वरूपिण्यै
    ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद् विमुक्ता भव॥16॥
    ॐ क्रीं काल्यै कालि ह्रीं फट् स्वाहायै ऋग्वेदस्वरूपिण्यै
    ब्रह्मवसिष्ठविश्वामित्रशापाद् विमुक्ता भव॥17॥
    ॐ ऐं ह्री क्लीं महाकालीमहालक्ष्मी-
    महासरस्वतीस्वरूपिण्यै त्रिगुणात्मिकायै दुर्गादेव्यै नमः॥18॥
    इत्येवं हि महामन्त्रान्‌ पठित्वा परमेश्वर।
    चण्डीपाठं दिवा रात्रौ कुर्यादेव न संशयः॥19॥
    एवं मन्त्रं न जानाति चण्डीपाठं करोति यः।
    आत्मानं चैव दातारं क्षीणं कुर्यान्न संशयः॥20॥
    इस प्रकार शापोद्धार करने के अनन्तर अन्तर्मातृका बहिर्मातृका आदि न्यास करें, फिर श्रीदेवी का ध्यान करके रहस्य में बताए अनुसार नौ कोष्ठों वाले यन्त्र में महालक्ष्मी आदि का पूजन करें, इसके बाद छ: अंगों सहित दुर्गासप्तशती का पाठ आरंभ किया जाता है।
    कवच, अर्गला, कीलक और तीनों रहस्य- ये ही सप्तशती के छ: अंग माने गए हैं। इनके क्रम में भी मतभेद हैं। चिदम्बरसंहिता में पहले अर्गला, फिर कीलक तथा अन्त में कवच पढ़ने का विधान है, किन्तु योगरत्नावली में पाठ का क्रम इससे भिन्न है। उसमें कवच को बीज, अर्गला को शक्ति तथा कीलक को कीलक संज्ञा दी गई है।
    जिस प्रकार सब मंत्रों में पहले बीज का, फिर शक्ति का तथा अन्त में कीलक का उच्चारण होता है, उसी प्रकार यहाँ भी पहले कवच रूप बीज का, फिर अर्गला रूपा शक्ति का तथा अन्त में कीलक रूप कीलक का क्रमशः पाठ होना चाहिए। यहाँ इसी क्रम का अनुसरण किया गया है।
    (इसके बाद देवी कवच का पाठ करना चाहिए।)

ความคิดเห็น • 18

  • @kishorechouhan1106
    @kishorechouhan1106 5 หลายเดือนก่อน +1

    Jai ho jai maa

  • @manjumehrotra67
    @manjumehrotra67 5 หลายเดือนก่อน +1

    Man mahagauri Manoj ka Sankat Dur karo aapke Charanon Mein sat sat Naman?

  • @manjumehrotra67
    @manjumehrotra67 5 หลายเดือนก่อน +1

    Jay man Sherawali Manoj ka Sankat Dur karna Jay Mata Di

  • @chiragbhosale1446
    @chiragbhosale1446 10 หลายเดือนก่อน +1

    Dhanyawad 🙏

  • @chiragbhosale1446
    @chiragbhosale1446 10 หลายเดือนก่อน +1

    Namaste guruji ji, ye sab mantra durga saptashati addhaye mein se hain na?

    • @BHAGVNVANI
      @BHAGVNVANI  10 หลายเดือนก่อน +1

      Ji ha

    • @chiragbhosale1446
      @chiragbhosale1446 10 หลายเดือนก่อน

      @@BHAGVNVANI Dhanyawad, Guru ji koi aadhay/paath/mantra hai kya business accha chalne ke liye?
      Hain toh kunsa hai aur kitne baar padhana hai results Milne ke liye, kripaya marga darshan karein 🙏 Jai ma ambe

  • @RashmiBagga111
    @RashmiBagga111 11 หลายเดือนก่อน +1

    🙏🙏🙏🙏🙏

  • @bhavanisankershrma4368
    @bhavanisankershrma4368 ปีที่แล้ว +1

    श्री सदगुरुदेव भगवान की जय हो 🙏🙏

  • @motivationguru668
    @motivationguru668 ปีที่แล้ว +2

    🙏

  • @vikkisharma7703
    @vikkisharma7703 11 หลายเดือนก่อน +1

    Es se abhi aalag h

  • @rks8931
    @rks8931 ปีที่แล้ว +1

    Pranam.shaapmichon me pahle mantraantra me do beej hai Hreem aur Reem .dono ka jaap karna hai

    • @BHAGVNVANI
      @BHAGVNVANI  ปีที่แล้ว

      Jay jay ambe
      Ji ha dono ka Jaap Karna he🌹

  • @neerajtiwari4892
    @neerajtiwari4892 ปีที่แล้ว

    जय जय अम्बे

  • @pampokes2855
    @pampokes2855 ปีที่แล้ว +1

    purv janam ke Devi dosh ya shap ka koi mantra hae?

    • @BHAGVNVANI
      @BHAGVNVANI  ปีที่แล้ว +1

      तंन्त्रोक्त देविसूक्तं का पाठ करिये ।

  • @geetamehta3298
    @geetamehta3298 ปีที่แล้ว +1

    Jai jai ambe 🙏🙏