niti nirdeshak tatva MCQs in hindi|नीति निर्देशक तत्वdirective principles|Indian polity|ssc,cgl,upsc

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  • เผยแพร่เมื่อ 30 ก.ย. 2024
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    किसी भी स्वतंत्र राष्ट्र के निर्माण में मौलिक अधिकार तथा नीति निर्देश महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। राज्य के नीति निर्देशक तत्व (directive principles of state policy) जनतांत्रिक संवैधानिक विकास के नवीनतम तत्व हैं। सबसे पहले ये आयरलैंड (Ireland) के संविधान मे लागू किये गये थे। ये वे तत्व है जो संविधान के विकास के साथ ही विकसित हुए है। इन तत्वों का कार्य एक जनकल्याणकारी राज्य (वेलफेयर स्टेट) की स्थापना करना है।[1]
    भारतीय संविधान के अनुच्छेद 36 से 51 तक राज्य के नीति निर्देशक तत्व शामिल किए गये हैं। भारतीय संविधान के भाग 3 तथा 4 मिलकर संविधान की आत्मा तथा चेतना कहलाते है इन तत्वों में संविधान तथा सामाजिक न्याय के दर्शन का वास्तविक तत्व निहित हैं। निदेशक तत्व कार्यपालिका और विधायिका के वे तत्व हैं, जिनके अनुसार इन्हे अपने अधिकारों का प्रयोग करना होता है।
    अनु 37 के अनुसार ये तत्व किसी न्यायालय मे लागू नही करवाये जा सकते यह तत्व वैधानिक न होकर राजनैतिक स्वरूप रखते है तथा मात्र नैतिक अधिकार रखते है। वे न तो कोई वैधानिक बाध्यता ही राज्य पे लागू करते है न जनता हेतु अधिकार कर्तव्य। वे मात्र राज्य के लिये ऐसे सामान्य निर्देश है कि राज्य कुछ ऐसे कार्य करे जो राज्य की जनता के लिये लाभदायक हो। इन निर्देशों का पालन कार्यपालिका की नीति तथा विधायिका की विधियाँ से हो सकता है। इसमें अभी तक 4 बार संशोधन हो चुका है 42,44,86 और 97। DPSP के कार्यान्वयन के लिए उठाए गए कदम - 1- पंचवर्षीय योजनाओं का आगाज 2- कारखाना अधिनियम 3- न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 4- विशाखा गाइडलाइन 5- बैंको का राष्ट्रीयकरण 6- जमीदारी उन्मूलन( भूमि सुधार कानून) 7- हदबंदी कानून 8- निर्भया कोष 9- पिंक बस (लखनऊ से प्रयागराज)
    भारतीय संविधान के नीति-निर्देशक तत्त्वसंपादित करें
    अनुच्छेदविवरण36राज्य की परिभाषा का वर्णन किया गया है37इस भाग में अंतर्विष्‍ट तत्‍वों का लागू होना अनिवार्य है ये न्यायालय द्वारा अप्रवर्तनीय है।38राज्‍य लोक कल्‍याण की अभिवृद्धि के लिए सामाजिक व्‍यवस्‍था बनाएगा39राज्‍य द्वारा अनुसरणीय कुछ नीति तत्‍व39कसमान न्‍याय और नि:शुल्‍क विधिक सहायता40ग्राम पंचायतों का संगठन41कुछ दशाओं में काम, शिक्षा और लोक सहायता पाने का अधिकार42काम की न्‍यायसंगत और मानवोचित दशाओं का तथा प्रसूति सहायता का उपबंध43कर्मकारों के लिए निर्वाह मजदूरी आदि43कउद्योगों के प्रबंध में कार्मकारों का भाग लेना44सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून व्यवस्था।समान नागरिक संहिता45बालकों के लिए नि:शुल्‍क और अनिवार्य शिक्षा का उपबंध46अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा अन्‍य दुर्बल वर्गों के शिक्षा और अर्थ संबंधी हितों की अभिवृद्धि47पोषाहार स्‍तर और जीवन स्‍तर को ऊंचा करने तथा लोक स्‍वास्‍थ्‍य को सुधार करने का राज्‍य का कर्तव्‍य48कृषि और पशुपालन का संगठन48कपर्यावरण का संरक्षण और संवर्धन और वन तथा वन्‍य जीवों की रक्षा49राष्‍ट्रीय महत्‍व के संस्‍मारकों, स्‍थानों और वस्‍तुओं का संरक्षण देना50कार्यपालिका से न्‍यायपालिका का पृथक्‍करण51अंतरराष्‍ट्रीय शांति और सुरक्षा की अभिवृद्धि

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