|| मारो राज रसिक चितवत नहियां || श्री 5 पद्मावती पूरी धाम पन्ना ||श्रीजी के अंतरध्यान सावन वदी चौथ||

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  • เผยแพร่เมื่อ 6 ต.ค. 2024
  • सुन्दरसाथ जी ज़ब श्री जी अपनी सुर्ता परमधाम की और लगाते है तब धामी सुन्दरसाथ जी द्वारा 2 धामी सुन्दरसाथ जी मऊ सन्देश भेजा गया जैसे ही संदेश मिला महाराजा छत्रसाल जी को तुरंत पन्ना जी के लिए रवाना हो गए उस समय सावन का महीना चल रहा था केन नदी में जबरदस्त पानी का बहाव था नाविक ने मना कर दिया महाराज छत्रसाल से ऐसी भयानक नदी का भाव कभी नहीं देखा महाराज हम नदी में नाव नहीं उतार पाएंगे महाराज छत्रसाल जी को कोई सुध ही नहीं थी उन्होंने श्री प्राणनाथ प्यारे का जयकारा लगाते हुए अपना घोड़ा नदी में उतार दिया
    जैसे ही पन्ना धाम पहुंचे उन्होंने देखा पूर्ण ब्रह्म परमात्मा श्री राज जी अपने अंतर्ध्यान अवस्था में लीन थे सभी धामी सुंदर स्तंभ थे किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था महाराज छत्रसाल जैसे ही अंदर आए उन्होंने अपनी तलवार निकाली और अपने प्राण देने के लिए तब श्री राज अपने अंतर्ध्यान स्थिति से जागृत होते हुए उन्होंने महाराज छत्रसाल जी की तलवार पकड़ ली और बताया कि जो तुम नदी उतार कर आए हुए देखो निशान मैं कहीं नहीं जा रहा हूं मैं हमेशा तुम सभी सुंदर साथ के साथ और तुम्हारे साथ हूं और आगे की जागनी का कार्य महाराज छत्रसाल जी और धामी सुंदरसाथ जी को सौंपा गया यह प्रकरण महाराजा छत्रसाल जी द्वारा गाया गया प्रणाम जी
    श्री #छत्रसाल जी
    श्री #प्राणनाथ जी
    #पन्ना जी

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