आप एक सच्चे साधक और योगी हो। भारतीय यौगिक ज्ञान विज्ञान आप जैसे सच्चे साधुओं के चलते ही बचा हुआ है, नहीं तो मठाधीश तो सांसारिक लोगों की तरह ही भोगों में लिप्त और पस्त हैं। पूर्णतया सत्य और प्रायोगिक व्याख्या💐 🙏🙏🙏
धन्यवाद ही करना है तो कल इसका दूसरा भाग देखकर करें क्योंकि अभी यह प्रस्तुति थोड़ा अधूरा है। कल इसका विशेष हेतु और महिमा आपसे साझा करेंगे तब जाकर कहीं यह पूर्ण हो पाएगा।
Friday Ko vhi vdo upload hoga... But usk pehle pran apan se sambandhit ek vishesh pranayam aur mudra v upload karna hai Jo ki Tuesday ko sajha karenge...
प्राण ओर-अंतरज्ञान का क्या लेना-देना है ऐ जुठ बकवास है पांच तत्व पांच कोषों से चेतन आत्मा अलग है तों फ़िर प्राण की साधना करने से केसे अंतरज्ञान मिलता है ऐ सब धांधलेबाजी है जब अन्नमयकोश प्राणमयकोष मनोमयकोष विज्ञानमयकोष आनंदमय कोष हम नहीं है तो फ़िर प्राण अपान की साधना करने से क्या होगा कुछ नहीं होता है जब इनसे भिन्न है अलग है तों ऐ केसे हों सकता है
उसी चेतन से ही तो सबको बल मिल रहा है। शरीर में पंचकोष हो या पंचतत्व वो सभी जिस बल से गतिशील अथवा क्रियाशील है वह बल ही चेतनरुप है जो होता तो है परन्तु दिखाई नही पड़ता मात्र अनुभव होता है और अनुभव भी किसी अन्य साधन से नहीं बल्कि प्रकृति अर्थात प्रपंच जो पंचभूतों के समायोजन से दिखाई दे रहा है। सो जब तक शरीर में चेतन आत्मा है सभी सक्रिय हैं और उसे निकलते ही शरीर तो होता है किन्तु पंचकोष सहित संपूर्ण शरीर और उसके किसी भी अंग प्रत्यंग में कोई गति अथवा क्रिया नहीं होता। कभी किताब आदि से बाहर निकल कर अनुभव करें जो पहले से बधा हुआ है उसे और न बांधें। जो भी हो जैसा भी हो आपने अपनी प्रतिक्रिया दी सो आपको धन्यवाद। खैर साधू को मान क्या अपमान क्या?
परमशांति.ओआरजी.भी देखें। बेहद का महापरिवर्तन हो रहा है। ढेर सारी आत्माओं को जीवन मुक्त अवस्था में लाना है। बेहद की परमशांति सोचो बोलो परमशांति मिल जाएगी। बेहद के बेहद की परम परम परम परम महाशांति है महाशांति है महाशांति है। टोटल मल्टीवर्स में पाज़ेटिव परिवर्तन शुरू हो गया है।
🙏 Jay 🙏 Gurudev 🙏🙏🙏🌹🌹
आप एक सच्चे साधक और योगी हो। भारतीय यौगिक ज्ञान विज्ञान आप जैसे सच्चे साधुओं के चलते ही बचा हुआ है, नहीं तो मठाधीश तो सांसारिक लोगों की तरह ही भोगों में लिप्त और पस्त हैं। पूर्णतया सत्य और प्रायोगिक व्याख्या💐 🙏🙏🙏
Yeh apki sajjanta hai...
❤❤❤
Guru dev aapke charno main koti koti dhanyavat pranam 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Subhashirvad 🙌
🌹🌹🌹🙏🙏🙏
इस विषय को खुलके बताने के लिए धन्यवाद l 🙏🏼🙏🏼🙏🏼💐💐💐
धन्यवाद ही करना है तो कल इसका दूसरा भाग देखकर करें क्योंकि अभी यह प्रस्तुति थोड़ा अधूरा है। कल इसका विशेष हेतु और महिमा आपसे साझा करेंगे तब जाकर कहीं यह पूर्ण हो पाएगा।
Bahut sundar.kriya
roop me kar ke dikhate to behatar hota kyonki padha aur suna to hamne bahut hai.
To fir aaj 9:45 am jo vdo upload hoga usme aap ki shikayat dur krne ka prayas karenge.
Jai shree Ram
Jay Shree Ram...🚩
बहुत सुंदर
जी धन्यवाद।
Jay guru dev 🙏
🙌
🚩
jay gurudev
Jay Ho..🚩
हरि ओम प्रभुजी
हरि ॐ 🚩
Aspen ki krurata kaise nasty
Friday vdo upload ho jayega...
Pls aapan ki krurta kaise Khatam kare k baare m batay pranam
Friday Ko vhi vdo upload hoga...
But usk pehle pran apan se sambandhit ek vishesh pranayam aur mudra v upload karna hai Jo ki Tuesday ko sajha karenge...
ध्यान करने से पहले सुष्मिता नारी को कैसे एक्टिवेट करें
इस प्रस्तुति से पहले वह vdo upload kiya ja chuka hai..
ध्यान मुद्रा से स्वर बदलने का तरीका। सर्च कर लें vdo मिल जाएगा।
However it’s Sushumna Nadi and not Sushmita Nari 😂
प्राण ओर-अंतरज्ञान का क्या लेना-देना है
ऐ जुठ बकवास है
पांच तत्व पांच कोषों से चेतन आत्मा अलग है तों फ़िर प्राण की साधना करने से केसे अंतरज्ञान मिलता है ऐ सब धांधलेबाजी है
जब अन्नमयकोश प्राणमयकोष मनोमयकोष विज्ञानमयकोष आनंदमय कोष हम नहीं है तो फ़िर प्राण अपान की साधना करने से क्या होगा कुछ नहीं होता है
जब इनसे भिन्न है अलग है तों ऐ केसे हों सकता है
उसी चेतन से ही तो सबको बल मिल रहा है।
शरीर में पंचकोष हो या पंचतत्व वो सभी जिस बल से गतिशील अथवा क्रियाशील है वह बल ही चेतनरुप है जो होता तो है परन्तु दिखाई नही पड़ता मात्र अनुभव होता है और अनुभव भी किसी अन्य साधन से नहीं बल्कि प्रकृति अर्थात प्रपंच जो पंचभूतों के समायोजन से दिखाई दे रहा है। सो जब तक शरीर में चेतन आत्मा है सभी सक्रिय हैं और उसे निकलते ही शरीर तो होता है किन्तु पंचकोष सहित संपूर्ण शरीर और उसके किसी भी अंग प्रत्यंग में कोई गति अथवा क्रिया नहीं होता।
कभी किताब आदि से बाहर निकल कर अनुभव करें जो पहले से बधा हुआ है उसे और न बांधें।
जो भी हो जैसा भी हो आपने अपनी प्रतिक्रिया दी सो आपको धन्यवाद।
खैर साधू को मान क्या अपमान क्या?
परमशांति.ओआरजी.भी देखें। बेहद का महापरिवर्तन हो रहा है। ढेर सारी आत्माओं को जीवन मुक्त अवस्था में लाना है। बेहद की परमशांति सोचो बोलो परमशांति मिल जाएगी। बेहद के बेहद की परम परम परम परम महाशांति है महाशांति है महाशांति है। टोटल मल्टीवर्स में पाज़ेटिव परिवर्तन शुरू हो गया है।
हरि ॐ तत् सत्।
Jay guru ji
Jay Ho...🚩
बहुत सुन्दर
धन्यवाद।