Evening bulletin 24। इंदौर रथ महोत्सव की सफलता के पीछे समिति के अलावा किस खास व्यक्ति की मेहनत जाने।
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- เผยแพร่เมื่อ 1 ธ.ค. 2024
- Evening bulletin 24।
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इंदौर रथ महोत्सव की सफलता के पीछे धर्म प्रभावना समिति के अलावा किस खास व्यक्ति की मेहनत जाने ।
20 किलो मीटर आहार लेने गए मुनिश्री ।
75 वें जन्म दिवस पर शांतिनाथ विधान ।
मैं हूं रेखा जैन....आप देख रहे हैं.... श्रीफल जैन न्यूज का ईवनिंग बुलेटिन.... 15 नवंबर को...इंदौर में मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज के सानिध्य में... 5 किलोमीटर की भव्य रथ यात्रा निकाली गई... जिसने विश्व... रिकॉर्ड बनाया। इस सफल आयोजन... के पीछे कौन था, उस शख्स के बारे में... साथ ही एक ऐसे जैन मुनि जो आहर की मुद्रा लेकर 20 किलो मीटर दूर गए...आज के बुलेटिन में ....हम आपको बताएंगे...तो आइए...शुरुआत करते हैं...आज के बुलेटिन की...
लोकेशन इंदौर
स्टोरी रेखा संजय जैन, संपादक, श्रीफल जैन न्यूज
2.
यह तारीखें और मौतों की संख्या इस तथ्य को दर्शाती हैं कि इन सभी मौतों का कारण धार्मिक रथ महोत्सव के दौरान हाई टेंशन बिजली के तारों या अन्य बिजली के तारों से रथ के टकराने के कारण हुआ है। इसके अलावा भी ऐसी कई घटनाएं हुई हैं।
हमने इन घटनाओं को आपके सामने इस उद्देश्य से प्रस्तुत किया है कि इनसे कैसे बचा जाए।
3.
रथ यात्रा का विश्व रिकॉर्ड
श्रीफल जैन न्यूज धर्म प्रभावना समिति को धन्यवाद देती है कि 15 नवंबर को इंदौर में मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज के सानिध्य में 5 किलोमीटर की भव्य रथ यात्रा निकाली गई, जिसने विश्व रिकॉर्ड बनाया। इस रथ यात्रा में हजारों लोग शामिल हुए, जिसमें 108 रथ शामिल थे, और यह रथ यात्रा पूरी सफलता के साथ निकाली गई। यात्रा के मार्ग में कहीं भी कोई बाधा नहीं आई।
4.
सफल आयोजन के पीछे डी.के. जैन
इतने बड़े शहर में मुख्य मार्ग पर बिना किसी रुकावट के यह आयोजन कैसे सफल हुआ, इसके बारे में श्रीफल जैन न्यूज ने जानकारी ली। रथ यात्रा की सफलता के पीछे की कहानी कुछ अलग थी। रिटायर्ड डीएसपी डी.के. जैन ने अपनी टीम के साथ रथ यात्रा के दो दिन पहले, यानी 13 नवंबर को, रथ यात्रा के मार्ग का निरीक्षण किया और रथ की ऊंचाई और मार्ग के सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए लगभग 5 किलोमीटर का रिहर्सल किया। रिहर्सल विजय नगर से एल आई जी चौराहा, पाटनीपुरा, आस्था टाकीज, बम्होरी होते हुए विजय नगर चौराह तक किया गया। यह रिहर्सल सड़क के दोनों किनारों और बीच में रथ के साथ किया गया था।
5.
लें प्रेरणा
धार्मिक आयोजनों के आयोजकों को इस रिहर्सल से प्रेरणा लेनी चाहिए कि ऐसे भव्य आयोजनों से पहले इस तरह के प्रैक्टिकल रिहर्सल करना चाहिए, ताकि आयोजन में किसी प्रकार की कोई बाधा न आए।
6.
कौन हैं डी.के. जैन (रिटायर्ड डीएसपी)
डी.के. जैन का जन्म 21 जून 1956 को ग्राम तेंदूखेड़ा, जिला नरसिंहपुर में हुआ। उनके पिता का नाम डॉ. के.एल. जैन और माता का नाम जमुना बाई है। उनकी 11वीं कक्षा तक की पढ़ाई तेंदूखेड़ा में हुई, जबकि इसके बाद की पढ़ाई उन्होंने इंदौर से की। 1978 से 2015 तक उन्होंने पुलिस विभाग में अपनी सेवा दी और जिला पुलिस उपाधीक्षक पद से रिटायर्ड हुए। उनका विवाह 1982 में डोंगरगढ़ के पास डोंगरगांव की सुश्री माला जैन से हुआ था। उनका एक छोटा भाई है और उनकी दो संताने हैं-एक लड़का और एक लड़की।
7.
पत्नी बचीं गुरु कृपा से
पुलिस सेवा के दौरान कई घटनाएं और दुर्घटनाएं घटीं, लेकिन उनके जीवन की सबसे बड़ी घटना 2001 में घटी। उस समय उनकी पत्नी को एक सांप ने काट लिया था। अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने उन्हें मुर्दाघर भेज दिया। बाद में आचार्य श्री योगेन्द्र सागर महाराज से मार्गदर्शन प्राप्त कर, आठ घंटे बाद उनकी पत्नी को मुर्दाघर से बाहर निकाला गया और इलाज के बाद वह आज भी जीवित हैं। उनका मानना है कि यह सब गुरु कृपा से हुआ।
8.
700 से अधिक मिले पुरस्कार
पुलिस की नौकरी में 37 वर्षों के दौरान डी.के. जैन को 700 से अधिक पुरस्कार मिल चुके हैं। ये पुरस्कार उनकी हिम्मत, सूझबूझ, सहयोग, सहायता, और आयोजनों की सफलता के कारण उच्च अधिकारियों द्वारा प्रदान किए गए हैं।
9.
दूसरों की मदद करना उद्देश्य
उनका कहना है, "बचपन से मेरा एक ही उद्देश्य रहा है-दूसरों की मदद करना। चाहे जैसी भी स्थिति हो, मैं उनकी सहायता करने की कोशिश करता हूं। जिस दिन मैं ऐसा कर पाता हूं, मुझे अच्छी नींद आती है।"
वे यह भी मानते हैं कि कभी भी अवैध कार्यों में किसी का साथ नहीं देना चाहिए, केवल वैध कार्यों में ही सहयोग करना चाहिए।
स्लग - स्थिति जैसी भी हो, दूसरों की सहायता के लिए तत्पर रहते हैं डी.के. जैन
लोकेशन लोहारी(खरगोन)
रिपोर्टर पवन पाटोदी, अविनाश जैन
बात 21 नवंबर की है।
स्थान: लोहारी, खरगोन जिला, मध्य प्रदेश
यहां पर परम पूज्य मुनि श्री 108 सुवंध्य सागर जी महाराज आहार चर्या के लिए आकड़ी लेकर निकले (वृत्तपतिसंख्यान)। लोहारी गांव में विधि नहीं मिलने पर मुनि श्री अपनी आहार मुद्रा में 20 किलोमीटर दूर खरगोन पहुंच गए। वहां पर काफी समय तक घूमने के बाद, खरगोन नगर में धर्मप्रेमी अजीत, विद्या जैन, सोहील जी जैन (खरगोन), और दिलीप जैन (लोहारी) के घर विधि प्राप्त हुई, और मुनि श्री ने आहार चर्या की। इस पंचम काल में भी इतनी कठिन चर्या का पालन करने वाले साधु विराजमान हैं। यह सब दिगंबर साधु की त्याग और तपस्या का ही फल है। इसे देखकर जैन समाज शत-शत नमन करता है।
स्लग- कठिन चर्या का पालन करने वाले साधु आज भी विराजमान
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