यह प्रक्रिया प्रत्येक साधक की व्यक्तिगत साधना और आंतरिक समझ पर निर्भर करती है। कुछ लोगों को यह जल्दी समझ आ जाता है, जबकि दूसरों को थोड़ा अधिक समय लग सकता है। सबसे महत्वपूर्ण है धैर्य और निरंतर अभ्यास। अपने गुरु की शिक्षाओं पर विश्वास रखें और धीरे-धीरे अपनी साधना को गहराई तक ले जाने का प्रयास करें। समय के साथ ही यह प्रक्रिया पूरी होती है। श्रद्धा और समर्पण के साथ आप निश्चित ही अपने लक्ष्य को प्राप्त करेंगे।”
ॐ 🙏गुरुजी में एकबार शरीर का एहसास तक नहीं था बहुत आनंद आया, मैने लाल और गोल्डन रोशनी देखी,फिर में डर सी गई फिर कुछ समय आखें खोल नहीं पाई,बोल नहीं पाई बस अंदर से मुस्करा रही थी,बहुत खुशी मिली अब वहीं खुशी खोज रही हूं मिल नहीं पा रही,गुरुजी में जप कर रही थी ,ये क्या था और अब मैं आगे क्या करू कर्पया मार्ग दर्शन कीजिए ,गुरु जी 🙏 ॐ (अब ध्यान लगाती हूं तो पसीना और हल्के झटके तो आते है) बस आपको ही खोज रही थी,आगे मुझे परमात्मा से मिला दे🙏 ॐ
आपका अनुभव बहुत गहन और अद्भुत है। ध्यान के दौरान लाल और गोल्डन रोशनी देखना और शरीर से अलग महसूस करना एक उच्च आध्यात्मिक अवस्था का संकेत है। यह आत्मिक यात्रा में आगे बढ़ने का एक चरण है। डरने के बजाय, इसे सहजता से स्वीकार करें और अपनी साधना जारी रखें। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि एक सच्चे गुरु को खोजें जो आपको सही मार्ग दिखा सके और उनके बताए मार्ग पर पूरी श्रद्धा के साथ चलें। सच्चा गुरु ही हमें आत्मिक अंधकार से निकालकर परमात्मा के प्रकाश तक पहुँचाता है। जो अनुभव आपको ध्यान में हो रहे हैं, वे ईश्वर के करीब ले जाने वाले संकेत हैं। ध्यान के दौरान आने वाले हल्के झटके या पसीना आना साधना के प्रभाव का एक हिस्सा हो सकता है, इससे घबराएँ नहीं। यह आपके भीतर हो रहे आध्यात्मिक परिवर्तन का प्रमाण है। गुरुजी पर विश्वास बनाए रखें और उनके मार्गदर्शन में निरंतर जप और ध्यान करते रहें। धीरे-धीरे आपकी साधना में गहराई आएगी, और परमात्मा का साक्षात्कार अवश्य होगा। सच्चे मन और समर्पण के साथ साधना करें, परमात्मा का मार्गदर्शन और कृपा आपको सही दिशा दिखाएगी।
इस सब सुंदर जानकारी के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। मुझे भी अनुभव होते हैं। ध्यान के लिए तो अब नहीं बैठ पा रही हूं। लेकिन मैं पिछले 2-3 साल ध्यान किया है थोड़ा बहुत। अब मैं जब भी अपनी पूजा में बैठती हूं तो मेरा कभी नीचे का पेट और मेरे पैर हिलने लगते हैं कभी मेरा सिर्फ सिर गोल गोल घूमने लगता है या फिर मेरा मुंह पूरा खुल जाता है और अजीब सी आवाजें निकलने लगती हैं। कभी-कभी जबड़ा हिलने लगता है जोर जोर से। तो यह क्या सही हो रहा है मैं कहां पर हूं आगे मुझे क्या करना चाहिए। यहां तक कि जब सूर्य को जल देता हूं तो सूर्य को देखते देखते ही मैं जोर जोर से कूदने लगती हूं पूरा शरीर हाथ पर सब हिलने लगते हैं पूरा मुंह खुल जाता है और वही अजीब से फुंकारने जैसी आवाज निकलती है। गाइड कीजिए।
आपका अनुभव गहरा और महत्वपूर्ण है। ध्यान के दौरान शरीर का हिलना, सिर घूमना और अजीब आवाजें आना ऊर्जा प्रवाह और आंतरिक जागरण का संकेत हो सकता है। सबसे जरूरी है कि एक सच्चे और पूरे गुरु (सच्चे पूरन गुरु) को खोजें। सच्चा पूरन गुरु ही सही मार्ग दिखाते हैं और आपके अनुभवों का अर्थ स्पष्ट करते हैं। उनके मार्गदर्शन में साधना सुरक्षित, संतुलित और आनंददायक बन जाती है। ध्यान के दौरान घबराएँ नहीं, शांत रहें और साँसों पर ध्यान केंद्रित करें। सच्चे पूरन गुरु के बताए मार्ग पर चलने से साधना स्थिर होगी और आत्मिक अवरोध दूर होकर परमात्मा के साक्षात्कार का मार्ग खुलेगा।
“प्रणाम! आपके अनुभव और प्रयास सराहनीय हैं। सुरत का दसवें द्वार तक न पहुँचना यह संकेत करता है कि अभी ध्यान में थोड़ी और गहराई और स्थिरता की आवश्यकता है। निरंतर अभ्यास करते रहें, विश्वास और धैर्य बनाए रखें। साथ ही, अपने गुरुजी की सहायता लें और उनके मार्गदर्शन में इस साधना को आगे बढ़ाएँ। गुरु कृपा से सही समय पर यह अनुभव भी होगा। सतत साधना ही समाधान है। शुभकामनाएँ!”
Hanji ye sab aaj raat ko hi hue hai m app ke vichar sunti hu hum sikhi se belong karte hai aj hua ye ke m maditation karte karte hi so jati hu bed par sleeping position me hi karti hu kuchh time baad meri puri body viybrait hone lag gai pura round round khumne lag giya 30se 40 minutes aese hi hota raha mujhe dar nahi lag raha tha but m bister se udna chahiti thee utha bhi nahi ja raha tha phir vichar aya ki kuchh sunti hu to relax ho jau phone liya to jesise hi kholo to ye vali video aa gai raat ko 1 baje ke kareeb time tha ye meine sunni phir waheguru ji ka shukrana kiya but ye sab mere sath karib 6 ya 7 baje tak raha but ab teek hai bohat bhoat shukrana app ka waheguru ji ka 🙏🙏
“धन्यवाद सुनीता जी। मैं कोई गुरु नहीं हूँ, वास्तव में तो मैं कुछ भी नहीं हूँ। मैं भी आपकी तरह एक साधक हूँ और यह सब मेरे गुरु जी की कृपा और उनके प्रताप का फल है। जो भी ज्ञान मुझे प्राप्त हुआ है, वह उन्हीं की देन है। आपका प्रेम और श्रद्धा मुझे और अधिक प्रेरणा देते हैं। ईश्वर करें कि हम सबको सच्चा ज्ञान और भक्ति प्राप्त हो। आपका प्रेम भरा संदेश दिल को छू गया। जय गुरु देव!”
“ओम नमः शिवाय। आपके शब्दों में समर्पण और प्रयास की झलक स्पष्ट है। ध्यान सही दिशा में चल रहा है तो यह निश्चित रूप से आपको एक दिन पूर्णता की ओर ले जाएगा। बीच-बीच में विपरीत परिस्थितियाँ आती हैं, लेकिन यही आपकी साधना को और मजबूत बनाती हैं। नियमित अभ्यास और संतुलित मन बनाए रखें। गुरु की कृपा और आपके विश्वास से कार्य धीरे-धीरे आगे बढ़ता जाएगा। अटूट श्रद्धा के साथ निरंतर आगे बढ़ते रहें। हर कदम आपको शिवत्व के समीप ले जा रहा है। जय गुरुदेव। ❤️❤️”
ॐ गुरुजी में प्राणायाम भी करती हूं,मेरी आंखे 3 से 4 बजे खुल जाती है,में ध्यान लगाने की कोशिश करती हूं बस, अब तो गुरुजी आप ही बताएं आपकी आभारी रहूंगी, जवाब जरूर दीजियेगा,🙏 ॐ
आपकी साधना और प्रयास सराहनीय हैं। प्राणायाम और ध्यान से मन और शरीर स्थिर होते हैं, जो साधना के लिए आवश्यक है। यदि आपकी आँखें 3-4 बजे खुलती हैं, तो यह ब्रह्ममुहूर्त का समय है, जो आत्मिक उन्नति के लिए सबसे उपयुक्त है। जब मन में उस परमात्मा को जानने की तीव्र इच्छा होती है, तो वह स्वयं ही मार्ग बनाता है। सच्चा गुरु आपको खुद ढूंढ लेगा। याद रखें, सच्चा पूरा गुरु वही होता है जो 5 नामों का भेदी हो। हमारा काम केवल ध्यान में बैठना और अपने मन को स्थिर करना है। कृपा करना और मार्ग दिखाना परमात्मा और गुरु का कार्य है। “कर्म करो, फल की इच्छा मत करो।” ध्यान और साधना को निरंतर करते रहें। पूर्ण श्रद्धा और समर्पण के साथ आगे बढ़ेंगे, तो सच्चे गुरु की कृपा से आपका मार्ग स्वतः प्रशस्त होगा। ॐ
Guruji pranam...... dhiyan m bethe bethe peron m tej jhanjhat ke sath hi per ek dum se sunn ho jate hai fir pero ko hath se pakad kr peron ko sidha krna padta hai ye sab kya hai guruji.....kbhi kabhi lgta hai jese kamar ki haddi m jhatka lgta hai or Aisa aksar lgta jese ki sharir hil raha hai please reply guruji
“प्रणाम! ध्यान के दौरान शरीर में जो यह झंझट और सुन्नपन महसूस होता है, वह ऊर्जा (प्राण शक्ति) के प्रवाह की प्रक्रिया है। जब हम एक जगह स्थिर होकर ध्यान करते हैं, तो शरीर में ऊर्जा का संचार होता है, जो कभी-कभी झंझट, सुन्नपन या फिर हल्के झटके जैसा अनुभव कराता है। कमर या शरीर का हिलना इस बात का संकेत है कि ऊर्जा सही दिशा में प्रवाहित हो रही है। इस प्रक्रिया को शांति से स्वीकार करें और बिना चिंता के ध्यान में स्थिर बने रहें। धीरे-धीरे यह अनुभव संतुलित हो जाएगा। यदि कोई आशंका हो तो अपने गुरुजी से मिलकर समाधान प्राप्त करें।”
जी हां, ध्यान सोकर भी किया जा सकता है, लेकिन यह पूरी तरह से जागरूकता के साथ होना चाहिए। लेटकर ध्यान करने पर अक्सर नींद आ जाती है, जिससे ध्यान भंग हो सकता है। यदि बैठने में कठिनाई हो, तो पीठ के सहारे बैठकर या एक आरामदायक स्थिति में ध्यान किया जा सकता है। महत्वपूर्ण यह है कि मन पूरी तरह से एकाग्र और शांत हो। धीरे-धीरे अभ्यास करने से आप बैठने की आदत भी विकसित कर सकते हैं।
“यह अनुभव आपकी साधना की गहराई को दर्शाता है। ध्यान के दौरान या बिना ध्यान के भी गुलाबी रंग का दिखना एक सकारात्मक संकेत है, जो आपकी अंतर्मुखी चेतना और सुरत के ऊर्ध्वगमन की ओर इशारा करता है। गुलाबी रंग आमतौर पर प्रेम, शांति और ऊर्जा के सूक्ष्म स्तरों से जुड़ा है। यह आपकी साधना में गुरु कृपा का संकेत हो सकता है। निरंतर अभ्यास और सतगुरु की शरण में रहकर आप और भी स्पष्ट अनुभव प्राप्त कर पाएंगे।”
Bahut bahut dhanyavad bhaiya ji par me chahti hu ki iske aage jab energy universe ki taraf khichne lage uske baad kya hota hai ya kya Krna chahiye please reply kare ya video bana de🙏🙏😇😇
“बहुत बहुत धन्यवाद उषाजी! आपने जो ऊर्जा और ब्रह्मांड से जुड़ने की बात कही, वह एक गहन आध्यात्मिक अनुभव का हिस्सा है। जब ऊर्जा खिंचने लगे, यह इस बात का संकेत है कि आपका मन और शरीर एक नई ऊर्जा से जुड़ने के लिए तैयार हो रहा है। इस समय शांत रहकर ध्यान करना और अपने मन को एकाग्र करना सबसे ज़रूरी है। इस पर हमने पहले से एक वीडियो बनाया हुआ है, जिसमें विस्तार से बताया गया है कि आगे क्या होता है और इस ऊर्जा को कैसे सही दिशा में ले जाया जाए। कृपया उस वीडियो को देखें, और फिर भी कोई सवाल हो तो हमें ज़रूर बताएं। आपके सवाल के लिए एक बार फिर धन्यवाद! 🙏😊”
जी, आप सही कह रहे हैं। Complete होना ही तो हमारा मुख्य मकसद है। मैं अपने गुरुजी द्वारा बताए गए मार्ग पर चल रहा हूँ, और जब वो चाहेंगे, पूर्णता भी प्राप्त हो जाएगी। आपका इस विषय में चिंता जताना और सुझाव देना काबिल-ए-तारीफ है। आप एक सच्ची और सुंदर आत्मा हैं। उस परमपिता परमात्मा को जानने से पहले एक अच्छा इंसान बनना जरूरी है, और खुद को जानना भी आवश्यक है। मैं उसी मार्ग पर हूँ। सफर जारी है, और हर कदम पर सीखने का प्रयास कर रहा हूँ। आपके स्नेह और मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद। जय श्री राम और सत्य सनातन धर्म की जय हो।
Guru G mujhe Agya chakar pe ek kala bindu dikhai deta hai chota sa wah kya hai jab mai us per dhyan ke drit ker e ki koshish kerta hun to vah upar niche ya dayen bauen hota rehta hai, kya hume isi bindu pe dhyan ke drit ker a chahiye
“भाई जी, जो आपने अनुभव किया है वह ध्यान की गहरी अवस्था का संकेत है। आज्ञा चक्र पर दिखने वाला काला बिंदु अक्सर ध्यान की शुरुआत में आता है और धीरे-धीरे आपके चित्त और अंतर्मन की गहराई को प्रकट करता है। इस बिंदु पर स्थिर होकर ध्यान केंद्रित करना सही मार्ग की ओर ले जाता है। बिंदु का ऊपर-नीचे या दाएं-बाएं गति करना बताता है कि मन अभी पूरी तरह स्थिर नहीं हुआ है। निरंतर अभ्यास और धैर्य के साथ जब आप पूरी निष्ठा से इस बिंदु पर ध्यान टिकाएंगे, तो एक समय ऐसा आएगा जब यह स्थिर हो जाएगा और आपको गहरी आत्मिक अनुभूति होगी। बस श्रद्धा और समर्पण के साथ अभ्यास जारी रखें।”
“सीने में दर्द के कई कारण हो सकते हैं, जैसे तनाव, गलत पोस्चर, या फिर मेडिटेशन के दौरान सांस लेने का असामान्य तरीका। लेकिन अगर यह दर्द बार-बार हो रहा है या लगातार बना रहता है, तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है। मेडिटेशन के दौरान आराम से और गहरी सांस लेने की प्रैक्टिस करें और अपने पोस्चर का ध्यान रखें। शांति और धैर्य के साथ मेडिटेशन करें, इससे यह समस्या काफी हद तक कम हो सकती है।”
“सीने में दर्द के कई कारण हो सकते हैं, जैसे तनाव, गलत पोस्चर, या फिर मेडिटेशन के दौरान सांस लेने का असामान्य तरीका। लेकिन अगर यह दर्द बार-बार हो रहा है या लगातार बना रहता है, तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है। मेडिटेशन के दौरान आराम से और गहरी सांस लेने की प्रैक्टिस करें और अपने पोस्चर का ध्यान रखें। शांति और धैर्य के साथ मेडिटेशन करें, इससे यह समस्या काफी हद तक कम हो सकती है।”
“आपके प्रश्न के लिए धन्यवाद। ध्यान करते समय शरीर में दर्द होना अक्सर गलत मुद्रा (posture) या शरीर की कठोरता का परिणाम हो सकता है। समाधान के लिए कुछ सुझाव: 1. मुद्रा का निरीक्षण करें: ध्यान के लिए ऐसे आसन का चुनाव करें जिसमें आप आरामदायक महसूस करें। सुखासन, अर्धपद्मासन या कुर्सी पर बैठकर भी ध्यान कर सकते हैं। 2. आरंभ में समय कम रखें: शुरुआत में 10-15 मिनट ध्यान करें और धीरे-धीरे समय बढ़ाएं ताकि शरीर का अभ्यस्त हो सके। 3. शरीर को तैयार करें: ध्यान से पहले हल्के योग आसन या स्ट्रेचिंग करें, विशेषकर पैरों के लिए। पवनमुक्तासन और तितली आसन अत्यंत लाभदायक हैं। 4. श्वास पर ध्यान दें: दर्द की अनुभूति होने पर गहरी श्वास लेते हुए उस भाग को आराम देने की कोशिश करें। 5. सहनशीलता बढ़ाएं: यदि दर्द हल्का है तो थोड़ी देर तक उसी स्थिति में बने रहने की आदत डालें, लेकिन अगर दर्द तीव्र है तो मुद्रा बदलें। 6. कुशन का प्रयोग करें: ध्यान में बैठते समय कुशन या योग ब्लॉक का प्रयोग करें ताकि पैरों पर दबाव कम हो। ध्यान का मुख्य उद्देश्य आंतरिक शांति और आत्मिक जुड़ाव है। धीरे-धीरे अभ्यास करने से शरीर और मन दोनों ध्यान के अनुरूप हो जाएंगे। यदि समस्या जारी रहे तो किसी योग प्रशिक्षक की सलाह लें।”
“ध्यान करते समय मृत्यु होना असंभव नहीं है, लेकिन यह बहुत दुर्लभ है। जब साधक गहरे ध्यान में जाते हैं, तो उनका मन और शरीर अत्यधिक शांति में होता है। कभी-कभी, शरीर की प्राकृतिक अवस्था या स्वास्थ्य की किसी गंभीर समस्या के कारण मृत्यु हो सकती है। लेकिन यह किसी साधना या ध्यान का नतीजा नहीं होता, बल्कि शरीर की आयु और स्वास्थ्य की वजह से होता है।”
गुरु जी कोटि कोटि प्रणाम गुरु जी अगर मैं पिठ के बल लेटती हुं तो मुझे येसा लगता है कि मेरे पिठ के नीचे से एक सरसराहट सी हो रही है और इसके बाद वह पुरे शरीर मे बहने लगता है इसका मतलब क्या है कृपया मार्गदर्शन करें
“भाई जी, आपका अनुभव एक गहरी आध्यात्मिक अवस्था की ओर संकेत करता है। पीठ में सरसराहट और पूरे शरीर में ऊर्जा का प्रवाह कुंडलिनी शक्ति के जागरण का प्रारंभिक संकेत हो सकता है। यह शक्ति हमारे शरीर के ऊर्जा केंद्रों को जागृत करती है, जिससे धीरे-धीरे एक आनंदमयी अनुभूति होती है। यह संकेत करता है कि आपका ध्यान और साधना सही दिशा में प्रगति कर रहे हैं। इस स्थिति में शांत और संतुलित रहना आवश्यक है। नियमित ध्यान और सांसों पर नियंत्रण (प्राणायाम) जारी रखें। साथ ही, यह महत्वपूर्ण है कि आप किसी पूर्ण गुरु की सहायता और मार्गदर्शन लें। गुरु का अनुभव और आशीर्वाद इस ऊर्जा को सही दिशा में ले जाने में आपकी सहायता करेगा ताकि यह अनुभव पूर्णता और आत्मिक विकास की ओर ले जाए। आपकी साधना को ईश्वर का आशीर्वाद मिलता रहे, यही शुभकामना है।”
“आपका प्रश्न बहुत गहराई से अध्यात्म से जुड़ा है। त्रिकुटी के ऊपर की स्थिति और ‘पूर्ण गुरु’ के मार्गदर्शन पर चलना ही आत्मिक उन्नति का सही साधन है। बाकी नाटकीयता और आडंबर से दूर रहकर सत्य की खोज करें। सही गुरु के सान्निध्य में ही यह मार्ग साफ़ हो पाता है।”
Thanks Universe for trusting me and bringing positiveness around me unconditionally 🙏
🙏🏻🙏🏻
Radha Soami Baba ji
Main aap ki tarha ek sadhak HOON. BABA JI BAS EK HI HAIN. 🙏🙏😊😊
जय गुरुदेव आपने दोनों ही रेस्ट बता दिए समझने वालासमझ लेगा यह कितने दिन में प्रक्रिया पूरी होती है गुरुदेव❤❤❤❤
यह प्रक्रिया प्रत्येक साधक की व्यक्तिगत साधना और आंतरिक समझ पर निर्भर करती है। कुछ लोगों को यह जल्दी समझ आ जाता है, जबकि दूसरों को थोड़ा अधिक समय लग सकता है। सबसे महत्वपूर्ण है धैर्य और निरंतर अभ्यास।
अपने गुरु की शिक्षाओं पर विश्वास रखें और धीरे-धीरे अपनी साधना को गहराई तक ले जाने का प्रयास करें। समय के साथ ही यह प्रक्रिया पूरी होती है। श्रद्धा और समर्पण के साथ आप निश्चित ही अपने लक्ष्य को प्राप्त करेंगे।”
Sab achha chal raha hai aur sab achha hin rahega.
आपका विश्वास और सकारात्मक दृष्टिकोण प्रेरणादायक है। जब मन शांत और सकारात्मक होता है, तो सब कुछ अच्छा ही होता है और आगे भी अच्छा बना रहता है।ॐ शांति।
Parnam ji
🙏🙏
सर बहुत बहुत धन्यवाद सर कोटी कोटी प्रणाम 🙏🙏🙇🙇
🙏🙏
Radha Soami Ji 🙏🙏❤️
Radha soami ji 🙏🙏🙏
🙏🙏
अति सुन्दर सदा बहार सदा संतुष्ट
🙏🙏
@@UjagarSingh-t2u 🙏🙏
❤ Radha Swami ji 🙏 Mere malik Daya meher karna
🙏🙏
🙏
🙏🙏
🙏🙏
❤🙏🙏🙏
🙏🙏
Radha Swami ji ❤❤
🙏🙏🙏🙏
Pranam guru ji very nice video
🙏🙏🙏
ॐ 🙏गुरुजी में एकबार शरीर का एहसास तक नहीं था बहुत आनंद आया, मैने लाल और गोल्डन रोशनी देखी,फिर में डर सी गई फिर कुछ समय आखें खोल नहीं पाई,बोल नहीं पाई बस अंदर से मुस्करा रही थी,बहुत खुशी मिली अब वहीं खुशी खोज रही हूं मिल नहीं पा रही,गुरुजी में जप कर रही थी ,ये क्या था और अब मैं आगे क्या करू कर्पया मार्ग दर्शन कीजिए ,गुरु जी 🙏 ॐ
(अब ध्यान लगाती हूं तो पसीना और हल्के झटके तो आते है) बस आपको ही खोज रही थी,आगे मुझे परमात्मा से मिला दे🙏 ॐ
आपका अनुभव बहुत गहन और अद्भुत है। ध्यान के दौरान लाल और गोल्डन रोशनी देखना और शरीर से अलग महसूस करना एक उच्च आध्यात्मिक अवस्था का संकेत है। यह आत्मिक यात्रा में आगे बढ़ने का एक चरण है। डरने के बजाय, इसे सहजता से स्वीकार करें और अपनी साधना जारी रखें।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि एक सच्चे गुरु को खोजें जो आपको सही मार्ग दिखा सके और उनके बताए मार्ग पर पूरी श्रद्धा के साथ चलें। सच्चा गुरु ही हमें आत्मिक अंधकार से निकालकर परमात्मा के प्रकाश तक पहुँचाता है। जो अनुभव आपको ध्यान में हो रहे हैं, वे ईश्वर के करीब ले जाने वाले संकेत हैं।
ध्यान के दौरान आने वाले हल्के झटके या पसीना आना साधना के प्रभाव का एक हिस्सा हो सकता है, इससे घबराएँ नहीं। यह आपके भीतर हो रहे आध्यात्मिक परिवर्तन का प्रमाण है। गुरुजी पर विश्वास बनाए रखें और उनके मार्गदर्शन में निरंतर जप और ध्यान करते रहें। धीरे-धीरे आपकी साधना में गहराई आएगी, और परमात्मा का साक्षात्कार अवश्य होगा।
सच्चे मन और समर्पण के साथ साधना करें, परमात्मा का मार्गदर्शन और कृपा आपको सही दिशा दिखाएगी।
इस सब सुंदर जानकारी के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। मुझे भी अनुभव होते हैं। ध्यान के लिए तो अब नहीं बैठ पा रही हूं। लेकिन मैं पिछले 2-3 साल ध्यान किया है थोड़ा बहुत। अब मैं जब भी अपनी पूजा में बैठती हूं तो मेरा कभी नीचे का पेट और मेरे पैर हिलने लगते हैं कभी मेरा सिर्फ सिर गोल गोल घूमने लगता है या फिर मेरा मुंह पूरा खुल जाता है और अजीब सी आवाजें निकलने लगती हैं। कभी-कभी जबड़ा हिलने लगता है जोर जोर से। तो यह क्या सही हो रहा है मैं कहां पर हूं आगे मुझे क्या करना चाहिए। यहां तक कि जब सूर्य को जल देता हूं तो सूर्य को देखते देखते ही मैं जोर जोर से कूदने लगती हूं पूरा शरीर हाथ पर सब हिलने लगते हैं पूरा मुंह खुल जाता है और वही अजीब से फुंकारने जैसी आवाज निकलती है। गाइड कीजिए।
आपका अनुभव गहरा और महत्वपूर्ण है। ध्यान के दौरान शरीर का हिलना, सिर घूमना और अजीब आवाजें आना ऊर्जा प्रवाह और आंतरिक जागरण का संकेत हो सकता है।
सबसे जरूरी है कि एक सच्चे और पूरे गुरु (सच्चे पूरन गुरु) को खोजें। सच्चा पूरन गुरु ही सही मार्ग दिखाते हैं और आपके अनुभवों का अर्थ स्पष्ट करते हैं। उनके मार्गदर्शन में साधना सुरक्षित, संतुलित और आनंददायक बन जाती है।
ध्यान के दौरान घबराएँ नहीं, शांत रहें और साँसों पर ध्यान केंद्रित करें। सच्चे पूरन गुरु के बताए मार्ग पर चलने से साधना स्थिर होगी और आत्मिक अवरोध दूर होकर परमात्मा के साक्षात्कार का मार्ग खुलेगा।
Bahut dhanyawad 🙏
😊
Jo app ne ye bataya ye sab anubhav hue hai aur kaffi time se ho rahe hai par surt dasve duyar tak nahi jatti 🙏🙏
“प्रणाम! आपके अनुभव और प्रयास सराहनीय हैं। सुरत का दसवें द्वार तक न पहुँचना यह संकेत करता है कि अभी ध्यान में थोड़ी और गहराई और स्थिरता की आवश्यकता है। निरंतर अभ्यास करते रहें, विश्वास और धैर्य बनाए रखें। साथ ही, अपने गुरुजी की सहायता लें और उनके मार्गदर्शन में इस साधना को आगे बढ़ाएँ। गुरु कृपा से सही समय पर यह अनुभव भी होगा। सतत साधना ही समाधान है। शुभकामनाएँ!”
Hanji ye sab aaj raat ko hi hue hai m app ke vichar sunti hu hum sikhi se belong karte hai aj hua ye ke m maditation karte karte hi so jati hu bed par sleeping position me hi karti hu kuchh time baad meri puri body viybrait hone lag gai pura round round khumne lag giya 30se 40 minutes aese hi hota raha mujhe dar nahi lag raha tha but m bister se udna chahiti thee utha bhi nahi ja raha tha phir vichar aya ki kuchh sunti hu to relax ho jau phone liya to jesise hi kholo to ye vali video aa gai raat ko 1 baje ke kareeb time tha ye meine sunni phir waheguru ji ka shukrana kiya but ye sab mere sath karib 6 ya 7 baje tak raha but ab teek hai bohat bhoat shukrana app ka waheguru ji ka 🙏🙏
Guruji aap bahut achha adhayatamic ghyan dete ho
“धन्यवाद सुनीता जी। मैं कोई गुरु नहीं हूँ, वास्तव में तो मैं कुछ भी नहीं हूँ। मैं भी आपकी तरह एक साधक हूँ और यह सब मेरे गुरु जी की कृपा और उनके प्रताप का फल है। जो भी ज्ञान मुझे प्राप्त हुआ है, वह उन्हीं की देन है। आपका प्रेम और श्रद्धा मुझे और अधिक प्रेरणा देते हैं। ईश्वर करें कि हम सबको सच्चा ज्ञान और भक्ति प्राप्त हो। आपका प्रेम भरा संदेश दिल को छू गया। जय गुरु देव!”
Om namah Shivay koti koti pranam Gurudev hamara Dhyan Sahi Disha mein Hai isase viprit Hai Lekin aage kam badh Pa raha hai❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
“ओम नमः शिवाय। आपके शब्दों में समर्पण और प्रयास की झलक स्पष्ट है। ध्यान सही दिशा में चल रहा है तो यह निश्चित रूप से आपको एक दिन पूर्णता की ओर ले जाएगा। बीच-बीच में विपरीत परिस्थितियाँ आती हैं, लेकिन यही आपकी साधना को और मजबूत बनाती हैं।
नियमित अभ्यास और संतुलित मन बनाए रखें। गुरु की कृपा और आपके विश्वास से कार्य धीरे-धीरे आगे बढ़ता जाएगा। अटूट श्रद्धा के साथ निरंतर आगे बढ़ते रहें। हर कदम आपको शिवत्व के समीप ले जा रहा है।
जय गुरुदेव। ❤️❤️”
ॐ गुरुजी में प्राणायाम भी करती हूं,मेरी आंखे 3 से 4 बजे खुल जाती है,में ध्यान लगाने की कोशिश करती हूं बस, अब तो गुरुजी आप ही बताएं आपकी आभारी रहूंगी, जवाब जरूर दीजियेगा,🙏 ॐ
आपकी साधना और प्रयास सराहनीय हैं। प्राणायाम और ध्यान से मन और शरीर स्थिर होते हैं, जो साधना के लिए आवश्यक है। यदि आपकी आँखें 3-4 बजे खुलती हैं, तो यह ब्रह्ममुहूर्त का समय है, जो आत्मिक उन्नति के लिए सबसे उपयुक्त है।
जब मन में उस परमात्मा को जानने की तीव्र इच्छा होती है, तो वह स्वयं ही मार्ग बनाता है। सच्चा गुरु आपको खुद ढूंढ लेगा। याद रखें, सच्चा पूरा गुरु वही होता है जो 5 नामों का भेदी हो। हमारा काम केवल ध्यान में बैठना और अपने मन को स्थिर करना है। कृपा करना और मार्ग दिखाना परमात्मा और गुरु का कार्य है।
“कर्म करो, फल की इच्छा मत करो।” ध्यान और साधना को निरंतर करते रहें। पूर्ण श्रद्धा और समर्पण के साथ आगे बढ़ेंगे, तो सच्चे गुरु की कृपा से आपका मार्ग स्वतः प्रशस्त होगा। ॐ
Guruji pranam...... dhiyan m bethe bethe peron m tej jhanjhat ke sath hi per ek dum se sunn ho jate hai fir pero ko hath se pakad kr peron ko sidha krna padta hai ye sab kya hai guruji.....kbhi kabhi lgta hai jese kamar ki haddi m jhatka lgta hai or Aisa aksar lgta jese ki sharir hil raha hai please reply guruji
“प्रणाम! ध्यान के दौरान शरीर में जो यह झंझट और सुन्नपन महसूस होता है, वह ऊर्जा (प्राण शक्ति) के प्रवाह की प्रक्रिया है। जब हम एक जगह स्थिर होकर ध्यान करते हैं, तो शरीर में ऊर्जा का संचार होता है, जो कभी-कभी झंझट, सुन्नपन या फिर हल्के झटके जैसा अनुभव कराता है। कमर या शरीर का हिलना इस बात का संकेत है कि ऊर्जा सही दिशा में प्रवाहित हो रही है। इस प्रक्रिया को शांति से स्वीकार करें और बिना चिंता के ध्यान में स्थिर बने रहें। धीरे-धीरे यह अनुभव संतुलित हो जाएगा। यदि कोई आशंका हो तो अपने गुरुजी से मिलकर समाधान प्राप्त करें।”
@beinwardshindi bahut bahut dhanyabad guruji..🙏🙏...abhi humare koyi gurudev nhi hai guruji
Kya dhyan sokar bhi kiya jaa skta h.....yadi bethne m dikkat h to
जी हां, ध्यान सोकर भी किया जा सकता है, लेकिन यह पूरी तरह से जागरूकता के साथ होना चाहिए। लेटकर ध्यान करने पर अक्सर नींद आ जाती है, जिससे ध्यान भंग हो सकता है। यदि बैठने में कठिनाई हो, तो पीठ के सहारे बैठकर या एक आरामदायक स्थिति में ध्यान किया जा सकता है। महत्वपूर्ण यह है कि मन पूरी तरह से एकाग्र और शांत हो। धीरे-धीरे अभ्यास करने से आप बैठने की आदत भी विकसित कर सकते हैं।
राधास्वामी जी 🙏🙏🙏
गुरुजी अगर हमे अपने कानो में अपनी ही धड़कन की आवाज सुनाई दे तो क्या ये ठीक है
Paryam Guru ji 'muje bhut der se dhiyan main aour dhiyan ke bina bhi rang dikhai deti hai thora Gulabi sa rang .yeh kya hai ?
“यह अनुभव आपकी साधना की गहराई को दर्शाता है। ध्यान के दौरान या बिना ध्यान के भी गुलाबी रंग का दिखना एक सकारात्मक संकेत है, जो आपकी अंतर्मुखी चेतना और सुरत के ऊर्ध्वगमन की ओर इशारा करता है। गुलाबी रंग आमतौर पर प्रेम, शांति और ऊर्जा के सूक्ष्म स्तरों से जुड़ा है। यह आपकी साधना में गुरु कृपा का संकेत हो सकता है। निरंतर अभ्यास और सतगुरु की शरण में रहकर आप और भी स्पष्ट अनुभव प्राप्त कर पाएंगे।”
Bahut bahut dhanyavad bhaiya ji par me chahti hu ki iske aage jab energy universe ki taraf khichne lage uske baad kya hota hai ya kya Krna chahiye please reply kare ya video bana de🙏🙏😇😇
“बहुत बहुत धन्यवाद उषाजी! आपने जो ऊर्जा और ब्रह्मांड से जुड़ने की बात कही, वह एक गहन आध्यात्मिक अनुभव का हिस्सा है। जब ऊर्जा खिंचने लगे, यह इस बात का संकेत है कि आपका मन और शरीर एक नई ऊर्जा से जुड़ने के लिए तैयार हो रहा है। इस समय शांत रहकर ध्यान करना और अपने मन को एकाग्र करना सबसे ज़रूरी है।
इस पर हमने पहले से एक वीडियो बनाया हुआ है, जिसमें विस्तार से बताया गया है कि आगे क्या होता है और इस ऊर्जा को कैसे सही दिशा में ले जाया जाए। कृपया उस वीडियो को देखें, और फिर भी कोई सवाल हो तो हमें ज़रूर बताएं। आपके सवाल के लिए एक बार फिर धन्यवाद! 🙏😊”
Aap Vipassana Meditation apnaye sab thik ho jaiga. Aap incomplete hain. JAI SHRI RAM Satya Sanatan Dharma ki jai ho.
जी, आप सही कह रहे हैं। Complete होना ही तो हमारा मुख्य मकसद है। मैं अपने गुरुजी द्वारा बताए गए मार्ग पर चल रहा हूँ, और जब वो चाहेंगे, पूर्णता भी प्राप्त हो जाएगी। आपका इस विषय में चिंता जताना और सुझाव देना काबिल-ए-तारीफ है। आप एक सच्ची और सुंदर आत्मा हैं।
उस परमपिता परमात्मा को जानने से पहले एक अच्छा इंसान बनना जरूरी है, और खुद को जानना भी आवश्यक है। मैं उसी मार्ग पर हूँ। सफर जारी है, और हर कदम पर सीखने का प्रयास कर रहा हूँ।
आपके स्नेह और मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद। जय श्री राम और सत्य सनातन धर्म की जय हो।
बहुत बहुत धन्यवाद
Regards 🙏🙏
Guru G mujhe Agya chakar pe ek kala bindu dikhai deta hai chota sa wah kya hai jab mai us per dhyan ke drit ker e ki koshish kerta hun to vah upar niche ya dayen bauen hota rehta hai, kya hume isi bindu pe dhyan ke drit ker a chahiye
“भाई जी, जो आपने अनुभव किया है वह ध्यान की गहरी अवस्था का संकेत है। आज्ञा चक्र पर दिखने वाला काला बिंदु अक्सर ध्यान की शुरुआत में आता है और धीरे-धीरे आपके चित्त और अंतर्मन की गहराई को प्रकट करता है। इस बिंदु पर स्थिर होकर ध्यान केंद्रित करना सही मार्ग की ओर ले जाता है। बिंदु का ऊपर-नीचे या दाएं-बाएं गति करना बताता है कि मन अभी पूरी तरह स्थिर नहीं हुआ है। निरंतर अभ्यास और धैर्य के साथ जब आप पूरी निष्ठा से इस बिंदु पर ध्यान टिकाएंगे, तो एक समय ऐसा आएगा जब यह स्थिर हो जाएगा और आपको गहरी आत्मिक अनुभूति होगी। बस श्रद्धा और समर्पण के साथ अभ्यास जारी रखें।”
Chest main pain hona kya hai.. continuosly nahi hota half an hour baad hota hai .jab se meditation start kiya tab hua
“सीने में दर्द के कई कारण हो सकते हैं, जैसे तनाव, गलत पोस्चर, या फिर मेडिटेशन के दौरान सांस लेने का असामान्य तरीका। लेकिन अगर यह दर्द बार-बार हो रहा है या लगातार बना रहता है, तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है। मेडिटेशन के दौरान आराम से और गहरी सांस लेने की प्रैक्टिस करें और अपने पोस्चर का ध्यान रखें। शांति और धैर्य के साथ मेडिटेशन करें, इससे यह समस्या काफी हद तक कम हो सकती है।”
“सीने में दर्द के कई कारण हो सकते हैं, जैसे तनाव, गलत पोस्चर, या फिर मेडिटेशन के दौरान सांस लेने का असामान्य तरीका। लेकिन अगर यह दर्द बार-बार हो रहा है या लगातार बना रहता है, तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है। मेडिटेशन के दौरान आराम से और गहरी सांस लेने की प्रैक्टिस करें और अपने पोस्चर का ध्यान रखें। शांति और धैर्य के साथ मेडिटेशन करें, इससे यह समस्या काफी हद तक कम हो सकती है।”
Thank you, 🙏🙏
Dhyan krte samay ek pavn mei bahaut tej dard ho jata h aur posture change krne ke baad bhi chain nhi aata aur dhyan tut jata h kripya margdarshan kre
“आपके प्रश्न के लिए धन्यवाद। ध्यान करते समय शरीर में दर्द होना अक्सर गलत मुद्रा (posture) या शरीर की कठोरता का परिणाम हो सकता है। समाधान के लिए कुछ सुझाव:
1. मुद्रा का निरीक्षण करें: ध्यान के लिए ऐसे आसन का चुनाव करें जिसमें आप आरामदायक महसूस करें। सुखासन, अर्धपद्मासन या कुर्सी पर बैठकर भी ध्यान कर सकते हैं।
2. आरंभ में समय कम रखें: शुरुआत में 10-15 मिनट ध्यान करें और धीरे-धीरे समय बढ़ाएं ताकि शरीर का अभ्यस्त हो सके।
3. शरीर को तैयार करें: ध्यान से पहले हल्के योग आसन या स्ट्रेचिंग करें, विशेषकर पैरों के लिए। पवनमुक्तासन और तितली आसन अत्यंत लाभदायक हैं।
4. श्वास पर ध्यान दें: दर्द की अनुभूति होने पर गहरी श्वास लेते हुए उस भाग को आराम देने की कोशिश करें।
5. सहनशीलता बढ़ाएं: यदि दर्द हल्का है तो थोड़ी देर तक उसी स्थिति में बने रहने की आदत डालें, लेकिन अगर दर्द तीव्र है तो मुद्रा बदलें।
6. कुशन का प्रयोग करें: ध्यान में बैठते समय कुशन या योग ब्लॉक का प्रयोग करें ताकि पैरों पर दबाव कम हो।
ध्यान का मुख्य उद्देश्य आंतरिक शांति और आत्मिक जुड़ाव है। धीरे-धीरे अभ्यास करने से शरीर और मन दोनों ध्यान के अनुरूप हो जाएंगे। यदि समस्या जारी रहे तो किसी योग प्रशिक्षक की सलाह लें।”
क्या ध्यान करते करते किसी साधक की मृत्यु भी हो सकती है ?
“ध्यान करते समय मृत्यु होना असंभव नहीं है, लेकिन यह बहुत दुर्लभ है। जब साधक गहरे ध्यान में जाते हैं, तो उनका मन और शरीर अत्यधिक शांति में होता है। कभी-कभी, शरीर की प्राकृतिक अवस्था या स्वास्थ्य की किसी गंभीर समस्या के कारण मृत्यु हो सकती है। लेकिन यह किसी साधना या ध्यान का नतीजा नहीं होता, बल्कि शरीर की आयु और स्वास्थ्य की वजह से होता है।”
गुरु जी कोटि कोटि प्रणाम गुरु जी अगर मैं पिठ के बल लेटती हुं तो मुझे येसा लगता है कि मेरे पिठ के नीचे से एक सरसराहट सी हो रही है और इसके बाद वह पुरे शरीर मे बहने लगता है इसका मतलब क्या है कृपया मार्गदर्शन करें
“भाई जी, आपका अनुभव एक गहरी आध्यात्मिक अवस्था की ओर संकेत करता है। पीठ में सरसराहट और पूरे शरीर में ऊर्जा का प्रवाह कुंडलिनी शक्ति के जागरण का प्रारंभिक संकेत हो सकता है। यह शक्ति हमारे शरीर के ऊर्जा केंद्रों को जागृत करती है, जिससे धीरे-धीरे एक आनंदमयी अनुभूति होती है। यह संकेत करता है कि आपका ध्यान और साधना सही दिशा में प्रगति कर रहे हैं।
इस स्थिति में शांत और संतुलित रहना आवश्यक है। नियमित ध्यान और सांसों पर नियंत्रण (प्राणायाम) जारी रखें। साथ ही, यह महत्वपूर्ण है कि आप किसी पूर्ण गुरु की सहायता और मार्गदर्शन लें। गुरु का अनुभव और आशीर्वाद इस ऊर्जा को सही दिशा में ले जाने में आपकी सहायता करेगा ताकि यह अनुभव पूर्णता और आत्मिक विकास की ओर ले जाए। आपकी साधना को ईश्वर का आशीर्वाद मिलता रहे, यही शुभकामना है।”
Trikuti se uper char kar btae pure guru bin dambabh nahi baki eme drama karte rahe hai
“आपका प्रश्न बहुत गहराई से अध्यात्म से जुड़ा है। त्रिकुटी के ऊपर की स्थिति और ‘पूर्ण गुरु’ के मार्गदर्शन पर चलना ही आत्मिक उन्नति का सही साधन है। बाकी नाटकीयता और आडंबर से दूर रहकर सत्य की खोज करें। सही गुरु के सान्निध्य में ही यह मार्ग साफ़ हो पाता है।”
आप केवल ऊपरी बातें बता रहे हैं!