मन का खेल समझ लो, वर्ना भटकते ही रहोगे। Sant Kabir. व्याख्या श्री गुरुदास।

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  • เผยแพร่เมื่อ 3 ม.ค. 2025

ความคิดเห็น • 3

  • @manojkr88
    @manojkr88 8 หลายเดือนก่อน

    साहेब बंदगी
    अद्भुत ज्ञान

  • @jayatewari1272
    @jayatewari1272 8 หลายเดือนก่อน

    माया भी आनन्द में,
    जब मन मन्दिर बन जाय।
    तन परिवर्तन करता रहे,
    समझे कवि कबीर।
    देखिए कहने का अर्थ है यह सबकुछ कवि भी समझ गया।और सन्त कबीर भी लेकिन मनुष्य नहीं समझा।

  • @soniconstructionengineers2811
    @soniconstructionengineers2811 8 หลายเดือนก่อน

    Man ko marna pdega