कान्हड़देव की शुरवीरता का साक्षी है सराणा में स्थित सोमनाथ महादेव मंदिर जाने पीछे का रहस्य JALORENEWS

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  • เผยแพร่เมื่อ 18 ก.ย. 2024
  • कान्हड़देव की शुरवीरता का साक्षी है सराणा में स्थित सोमनाथ महादेव मंदिर जाने पीछे का रहस्य - JALORE NEWS
    जालोर ( 21 जुलाई 2024 ) वर्तमान समय में हिन्दू केलेंडर का महीना सावन चल रहा हैं जो कि भगवान भोलेनाथ का प्रिय महीना माना जाता हैं। मान्यता है कि जो भक्त सावन मास में सच्चे मन और विधि-विधान से भोलेनाथ की पूजा करते हैं उन सब पर देवाधिदेव महादेव जल्द प्रसन्न होते हैं। ऐसे में सभी इस महीने में अपने इष्ट भोलेनाथ के दर्शन को आतुर रहते हैं और इसके लिए शिव मंदिरों का रूख करते हैं। आज हम आपके लिए राजस्थान के जालोर में प्रसिद्द शिव मंदिरों की जानकारी लेकर आए हैं जो अपनी विशेषता के लिए जाने जाते हैं। इन मंदिरों में भक्तों का जमावड़ा हमेशा लगा रहता हैं, लेकिन सावन के दिनों में यह संख्या और बढ़ जाती हैं। अगर आप भी सावन के दिनों शिव मंदिरों के दर्शन करना चाहते हैं तो चले आइये यहां के मंदिर में दर्शन करने के लिए और यहां वीडियो शुरू करने से पहले अगर आप हमारे चैनल पर अभी नया जुड़े हुए हैं तो आप अभी चैनल को लाइक और शेयर करे देवें ।
    श्रावण माघ सोमवार को विशेष कवरेज, कल लगाया यहाँ पर मैला
    आहोर तहसील मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूरी पर स्थित सराणा गांव में ऐतिहासिक सोमनाथ मंदिर के कारण जिले समेत प्रदेशभर में जाना जाता है। गांव में स्थित ऐतिहासिक सोमनाथ महादेव मंदिर न केवल गुजरात के विख्यात सोमनाथ महादेव मंदिर के इतिहास ही उमडा पड़ता है। गांव के शंभूसिंह बताते हैं कि गाँव में सोमनाथ महादेव जी मंदिर न केवल गुजरात के को समेटे हुए हैं बल्कि जालोर के शासक वीर कान्हड़देव की शुर वीरता का भी साक्षी है। यहां दर्शनों के लिए वैसे तो वर्षभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। लेकिन महाशिवरात्रि एवं श्रावण मास में तो भक्तों का सैलाब ही उमड़ पड़ता हैं।
    दिल्ली के सुल्तान अल्लाउद्दीन खिलजी ने 1266 में जब गुजरात के सोलंकी साम्राज्य को परास्त करने के बाद गुजरात के सोमनाथ महादेव मंदिर को तोड़ा व लूट कर जब दिल्ली लौट रहा था तब जालोर के तत्कालीन जालोर शासक वीर कान्हादेव ने उसको सराणा के रण में पराजित किया था तथा शिवलिंग के एक भाग को सराणा में स्थापित करवाया। शिवलिंग के अन्य भागों को क्रमशः जालोर किले व नीचे बगीचे में स्थापित करवाया। मंदिर का जीर्णोद्धार तत्कालीन महंत बालकानंदगिरी महाराज के सान्निध्य में अस्सी के दशक में करवाया गया। वर्तमान में मंदिर की महंत साध्वी सोमवारगिरी है।
    सोमनाथ मंदिर के सामने स्थित है संत की समाधि
    सोमनाथ मंदिर के सामने हीरागिरी महाराज की समाधि स्थित है। जिसके बारे में बड़ी विचित्र मान्यता है कि महंत हीरागिरी महाराज ने सराणा तथा निकटवर्ती गांव वाला में एक ही दिन समाधि ली। मंदिर तथा समाधि पर भक्तों का आना-जाना लगा रहता है।
    संत की जीवित समाधि
    सोमनाथ मंदिर के सामने हीरागिरी महाराज की जीवित समाधि स्थित है। जिसके बारे में बड़ी विचित्र मान्यता है कि महंत हीरागिरी महाराज ने सराना तथा निकटवर्ती गांव बाला में एक ही दिन जीवित समाधि ली।
    The_secret_behind_visiting_Somnath_Mahadev_Temple_located_in_Sarana_is_a_testimony_to_the_bravery_of_Kanhaddev.
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