कबीरा चिंता क्या करुं, चिंता से क्या होय !! मेरी चिंता हरी करे, चिंता मोय ना कोय !! चिंता खा गई जगत को, चिंता जग कि पिर !! जो चिंता को मेट दे, ताका नाम कबीर !! जय हो बन्दीछोड कि 🌺🙇♂️
🛸आदरणीय मलूकदास जी कहते हैं कि परमेश्वर कबीर जी मगहर से सशरीर सतलोक गए। जपो रे मन सतगुरु नाम कबीर। काँशी तज गुरु मगहर आये, दोनों दीन के पीर। कोई गाड़े कोई अग्नि जरावै, ढूंडा न पाया शरीर। चार दाग से सतगुरु न्यारा, अजरो अमर शरीर।
कबीर, एक राम दशरथ का बेटा, एक राम घट घट में बैठा एक राम का सकल पसारा,एक राम त्रिभुवन से न्यारा . तीन राम को सब कोई धयावे, चतुर्थ राम को मर्म न पावे। चौथा छाड़ि जो पंचम धयावे, कहे कबीर सो हम को पावे।।
बाबाजी अद्भुत व्यक्तित्व बहुआयामी व्यक्तित्व कला के धनी सच्चे राष्ट्रभक्त सनातन के असल पुजारी मानवता के धनी श्रृद्धा भाव निष्ठा भाव और सत्य के अनुयाई निर्भीक भारत माता का लाल जो झुकेगा नहीं निरन्तर बेधड़क चलते रहेंगे इनकी एक विशाल सेना के सेनानायक इनके ज्ञान अनुभव की जितनी भी प्रशंसा की जाय वह कम ही है इन्होंने बारीक से सब सम्प्रदायों को जाना समझा और सबका सार सबके सामने में रखने का अथक प्रयास किया हैहमको ऐसे महापुरुष के पद चिन्हों का अनुसरण करना ही चाहिए लोग तब चर्चा परिचर्चा करते हैं जब वे यहां से चले जाते हैं समय में जागना अति उत्तम रहेगा सबके हित में छुप रहना वहीं तक उचित है जब अपने और जन समाज के लिए अहितकर न हो जय हो मेरे भारत के सपूत की जिस मां ने ऐसे लाल को जन्म दिया जय श्रीराम जय श्रीकृष्णा
गीता अध्याय 15 श्लोक 17 में कहा है कि वास्तव में अविनाशी परमात्मा तो इन दोनों (क्षर पुरूष तथा अक्षर पुरूष) से दूसरा ही है वही तीनों लोकों में प्रवेश करके सर्व का धारण पोषण करता है वही वास्तव में परमात्मा कहा जाता है। गीता जी के अध्याय 18 के श्लोक 64 तथा अध्याय 15 के श्लोक 4 में स्पष्ट है कि स्वयं काल ब्रह्म कह रहा है कि हे अर्जुन! मेरा उपास्य देव (इष्ट) भी वही परमात्मा (पूर्ण ब्रह्म) ही है तथा मैं भी उसी की शरण हूँ तथा वही सनातन स्थान (सतलोक) ही मेरा परम धाम है। क्योंकि ब्रह्म भी वहीं (सतलोक) से निष्कासित है। गीता अध्याय 16 श्लोक 23 जो साधक शास्त्रविधि को त्यागकर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करता है वह न सिद्धि को प्राप्त होता है न उसे कोई सुख प्राप्त होता है, न उसकी गति यानि मुक्ति होती है अर्थात् शास्त्र के विपरित भक्ति करना व्यर्थ है। गीता अध्याय 07 श्लोक 12 में गीता ज्ञान दाता ब्रह्म कह रहा है कि तीनों देवताओं द्वारा जो भी उत्पति, स्थिति तथा संहार हो रहा है इसका निमित्त मैं ही हूँ। परन्तु मैं इनसे दूर हूँ। कारण है कि काल को शापवश एक लाख प्राणियों का आहार करना होता है। इसलिए मुख्य कारण अपने आप को कहा है तथा काल भगवान तीनों देवताओं से भिन्न ब्रह्म लोक में रहता है तथा इक्कीसवें ब्रह्मण्ड में रहता है। इसलिए कहा है कि मैं उनमें तथा वे मुझ में नहीं हैं। गीता अध्याय 15 श्लोक 1 गीता का ज्ञान सुनाने वाले प्रभु ने कहा कि ऊपर को पूर्ण परमात्मा आदि पुरुष परमेश्वर रूपी जड़ वाला नीचे को शाखा वाला अविनाशी विस्त्तारित, पीपल का वृक्ष रूप संसार है जिसके छोटे-छोटे हिस्से या टहनियाँ पत्ते कहे हैं उस संसार रूप वृक्ष को जो सर्वांगों सहित जानता है वह पूर्ण ज्ञानी अर्थात् तत्वदर्शी है। गीता अध्याय 15 के श्लोक 4 में कहा है कि उस तत्वदर्शी संत के मिल जाने के पश्चात् उस परमेश्वर के परम पद की खोज करनी चाहिए अर्थात् उस तत्वदर्शी संत के बताए अनुसार साधना करनी चाहिए जिससे पूर्ण मोक्ष(अनादि मोक्ष) प्राप्त होता है। गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि मैं भी उसी की शरण में हूँ। गीता अध्याय 15 श्लोक 1 में उस तत्वदर्शी संत की पहचान बताई है कि वह संसार रूपी वृक्ष के प्रत्येक भाग का ज्ञान कराएगा। उसी से पूछो। गीता अध्याय 8 श्लोक 20 से 22 में किसी अन्य पूर्ण परमात्मा के विषय में कहा है जो वास्तव में अविनाशी है। गीता अध्याय 8 के श्लोक 16 में स्पष्ट किया है कि ब्रह्मलोक में गए साधक भी लौटकर संसार में जन्म लेते हैं। युद्ध जैसे भयंकर कर्म भी करने पड़ेंगे। जिस कारण से काल ब्रह्म के पुजारियों को न तो शांति मिलेगी, न सनातन परम धाम। गीता अध्याय 8 श्लोक 5 तथा 7 में अपनी भक्ति करने को कहा है तथा युद्ध भी कर, निःसंदेह मुझे प्राप्त होगा, परंतु जन्म-मृत्यु दोनों की बनी रहेगी। अपनी भक्ति का मंत्र अध्याय 8 के श्लोक 13 में बताया है कि मुझ ब्रह्म की भक्ति का केवल एक ओम अक्षर है। इस नाम का जाप अंतिम श्वांस तक करने वाले को इससे मिलने वाली गति यानि ब्रह्मलोक प्राप्त होता है। गीता अध्याय 3 श्लोक 14 से 15 में भी स्पष्ट है कि ब्रह्म काल की उत्पति परम अक्षर पुरूष से हुई वही परम अक्षर ब्रह्म ही यज्ञों में पूज्य है। गीता ज्ञान दाता ने गीता अध्याय 2 श्लोक 12, अध्याय 4 श्लोक 5, अध्याय 10 श्लोक 2 में अपने को नाशवान यानि जन्म-मरण के चक्र में सदा रहने वाला बताया है। कहा है कि हे अर्जुन! तेरे और मेरे बहुत जन्म हो चुके हैं। तू नहीं जानता, मैं जानता हूँ।
@@satay9717 गीता अध्याय 15 और श्लोक 17 तो बता दिया. अब जरा इसी अध्याय का श्लोक 18 और 19 भी सुन लो. अध्याय 15 श्लोक 18- क्योंकि मैं नाशवान् जडवर्ग क्षेत्र से तो सर्वथा अतीत हूँ और अविनाशी जीवात्मा से भी उत्तम हूँ, इसलिये लोक में और वेद में भी पुरुषोत्तम नाम से प्रसिद्ध हूँ. गीता अध्याय 15 श्लोक 19- हे भारत ! जो ज्ञानी पुरुष मुझको इस प्रकार तत्त्व से पुरुषोत्तम जानता है, वह सर्वज्ञ पुरुष सब प्रकार से निरन्तर मुझ वासुदेव परमेश्वर को ही भजता है .
तेरे मन में राम, तन में राम तेरे मन में राम, तन में राम रोम रोम में राम रे ! राम सुमिर ले, ध्यान लगा ले, छोड़ जगत के काम रे !! बोलो राम, बोलो राम, बोलो राम राम राम ! बोलो राम, बोलो राम, बोलो राम राम राम ! 🙏🔥🌻जय जय श्री राम🙏🔥🌻
Joy Sri Sitaram Sitaram Sitaram Sitaram Sitaram Sitaram Sitaram Sitaram Sitaram Sitaram Sitaram Sitaram 🙏🙏❤️🙏🙏❤️🙏🙏❤️🙏🙏❤️🙏 Joy Sri Hanuman babaki joy 🙏❤️🙏🙏❤️
Jay shree sita ram.🙏💐❤️ Jay shree hanuman.❤️💐🙏 Jay goumata jai gopal bhakt Vatsal prabhu din dayal.🙏💐❤️ Om namah shivaya.❤️💐🙏 Jay shree kabirdasji maharaj ji.🙏💐❤️
सन 1791 में स्वयं भगवान स्वामीनारायण जी घनश्याम नाम मात्र 11साल की आयुमे काशीमे शास्त्रार्थ रचके इतिहास बनाया था और जीव ईश्वर माया ब्रह्म परब्रह्म ये पांच तत्व का ज्ञान उजागर किया। जय श्रीस्वामीनारायण
, आज इंसान पैसा कमाने के लिए अपने सनातन धर्म का विनाश कर रहे हैं कबीर दास जी रसखान सूरदास धन्ना जाट बाबा फरीद रविदास जी गुरु नानक जी और भी अनेक संत हुए हैं सभी ने हरिका राम का जप किया है आंखें बंद करने से सूरज नहीं छिप जाता कुछ लोगों ने आंखें बंद कर रखी है जो सच्चाई से काफी दूर है जिन्हें ज्ञान के बारे में कुछ भी पता नहीं जय श्री राम राम कबीर दास जी के मालिक हुवे उन्होंने सारा जीवन राम को ही अर्पण कर दिया
कबीरा चिंता क्या करुं, चिंता से क्या होय !!
मेरी चिंता हरी करे, चिंता मोय ना कोय !!
चिंता खा गई जगत को, चिंता जग कि पिर !!
जो चिंता को मेट दे, ताका नाम कबीर !!
जय हो बन्दीछोड कि 🌺🙇♂️
🙏🕉️
Vikash
Kabir is very great thinker
सत् साहेब
जय हो सद गुरु जी की
कबीर साहेब जी स्वयं सर्वशक्तिमान परमेश्वर हैं।
वे चारों युगों में सशरीर प्रकट होते हैं।
स्वयंभू परमेश्वर कबीर साहेब जी ने कहा है--
हम ही अलख अल्लाह हैं, कुतुब गोस और पीर।
हम ही हैं खालिक धनी, मेरा नाम कबीर।
Nice lain
😂😂😂😂😂
श्री राम जय राम जय जय राम🙏श्री राम जय राम जय जय राम🙏🌹
वाह वाह बाबा जी क्या कहानी कबीरदास की बताई ये कहानी सुनकर मैं तो धन्य हो गया आपको कोटि कोटि प्रणाम 🙏🙏🙏👏👏👏🌷🌷🌷
Nice ji
कबीर दास जी ही सत्य परेमेस्वर है
कियोकी इनका जन्म न तो भग से हुआ है और न ही इनका शरीर बिलक्षित हुआ
🛸आदरणीय मलूकदास जी कहते हैं कि परमेश्वर कबीर जी मगहर से सशरीर सतलोक गए।
जपो रे मन सतगुरु नाम कबीर।
काँशी तज गुरु मगहर आये, दोनों दीन के पीर।
कोई गाड़े कोई अग्नि जरावै, ढूंडा न पाया शरीर।
चार दाग से सतगुरु न्यारा, अजरो अमर शरीर।
पड़ी समझ या समझ पड़ी क्रांतिकारी समाज सुधारक भक्ति कालीन ज्ञान मार्ग शाखा के प्रवर्तक संत कबीर को नमन
ढाई आखर प्रेम के पढ़े सो पंडित
होय!
वंदेबोधमयं।नित्यं।गुरु शंकर रुपिनम।यमाश्रितोहि वक्रोपि चन्द्रः सर्वत्र वंद्ययते
कबीर साहब स्वयं ही परमात्मा हैं.... महाराज जी
कबीर, एक राम दशरथ का बेटा, एक राम घट घट में बैठा एक राम का सकल पसारा,एक राम त्रिभुवन से न्यारा . तीन राम को सब कोई धयावे, चतुर्थ राम को मर्म न पावे। चौथा छाड़ि जो पंचम धयावे, कहे कबीर सो हम को पावे।।
कवीर जी के चरणों मे कोटि कोटि प्रणाम
सत साहेब सत साहेब 🙏🙏🙏
परमात्मा राम से जो किया कार्य किया है तन मन धन से इसिलए तो।सन्त परमेश्वर की कृपादृष्टि हैम पर है जनहित से बड़ा कोई धर्म नही है
ऐसे महान सनंतन सन्त पिता परमेश्वर के।चरण कमलों में मेरा कोटि कोटि प्रणाम
बाबाजी अद्भुत व्यक्तित्व बहुआयामी व्यक्तित्व कला के धनी सच्चे राष्ट्रभक्त सनातन के असल पुजारी मानवता के धनी श्रृद्धा भाव निष्ठा भाव और सत्य के अनुयाई निर्भीक भारत माता का लाल जो झुकेगा नहीं निरन्तर बेधड़क चलते रहेंगे इनकी एक विशाल सेना के सेनानायक इनके ज्ञान अनुभव की जितनी भी प्रशंसा की जाय वह कम ही है इन्होंने बारीक से सब सम्प्रदायों को जाना समझा और सबका सार सबके सामने में रखने का अथक प्रयास किया हैहमको ऐसे महापुरुष के पद चिन्हों का अनुसरण करना ही चाहिए लोग तब चर्चा परिचर्चा करते हैं जब वे यहां से चले जाते हैं समय में जागना अति उत्तम रहेगा सबके हित में छुप रहना वहीं तक उचित है जब अपने और जन समाज के लिए अहितकर न हो जय हो मेरे भारत के सपूत की जिस मां ने ऐसे लाल को जन्म दिया जय श्रीराम जय श्रीकृष्णा
Sat sahib ji
कबीरदास जी सीधे सच्चे सरल हृदय महान बंद निराभिमानी उच्च
कोटि के थे! कबीरदास के पद सरल शब्दों में कठिन गुहृ बात को
कहते थे
परमपूज्यपाद संत परमेश्वर सद्गुरुदेव श्री श्री कबीर दास जी की चरण कामलोनमे कोटि कोटि प्रणाम
P
गीता अध्याय 15 श्लोक 17 में कहा है कि वास्तव में अविनाशी परमात्मा तो इन दोनों (क्षर पुरूष तथा अक्षर पुरूष) से दूसरा ही है वही तीनों लोकों में प्रवेश करके सर्व का धारण पोषण करता है वही वास्तव में परमात्मा कहा जाता है।
गीता जी के अध्याय 18 के श्लोक 64 तथा अध्याय 15 के श्लोक 4 में स्पष्ट है कि स्वयं काल ब्रह्म कह रहा है कि हे अर्जुन! मेरा उपास्य देव (इष्ट) भी वही परमात्मा (पूर्ण ब्रह्म) ही है तथा मैं भी उसी की शरण हूँ तथा वही सनातन स्थान (सतलोक) ही मेरा परम धाम है। क्योंकि ब्रह्म भी वहीं (सतलोक) से निष्कासित है।
गीता अध्याय 16 श्लोक 23
जो साधक शास्त्रविधि को त्यागकर अपनी इच्छा से
मनमाना आचरण करता है वह न सिद्धि को प्राप्त होता है न उसे कोई सुख प्राप्त होता है, न उसकी गति यानि मुक्ति होती है अर्थात् शास्त्र के विपरित भक्ति करना व्यर्थ है।
गीता अध्याय 07 श्लोक 12 में गीता ज्ञान दाता ब्रह्म कह रहा है कि तीनों देवताओं द्वारा जो भी उत्पति, स्थिति तथा संहार हो रहा है इसका निमित्त मैं ही हूँ।
परन्तु मैं इनसे दूर हूँ। कारण है कि काल को शापवश एक लाख प्राणियों का आहार करना होता है। इसलिए मुख्य कारण अपने आप को कहा है तथा काल भगवान तीनों देवताओं से भिन्न ब्रह्म
लोक में रहता है तथा इक्कीसवें ब्रह्मण्ड में रहता है। इसलिए कहा है कि मैं उनमें तथा वे मुझ में नहीं हैं।
गीता अध्याय 15 श्लोक 1
गीता का ज्ञान सुनाने वाले प्रभु ने कहा कि ऊपर को पूर्ण परमात्मा आदि पुरुष परमेश्वर रूपी जड़ वाला नीचे को शाखा वाला अविनाशी विस्त्तारित, पीपल का वृक्ष रूप संसार है जिसके
छोटे-छोटे हिस्से या टहनियाँ पत्ते कहे हैं उस संसार रूप वृक्ष को जो सर्वांगों सहित जानता है वह पूर्ण ज्ञानी अर्थात् तत्वदर्शी है।
गीता अध्याय 15 के श्लोक 4 में कहा है कि उस तत्वदर्शी संत के मिल जाने के पश्चात् उस परमेश्वर के परम पद की खोज करनी चाहिए अर्थात् उस तत्वदर्शी संत के बताए अनुसार साधना करनी चाहिए जिससे पूर्ण मोक्ष(अनादि मोक्ष) प्राप्त होता है। गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि मैं भी उसी की शरण में हूँ।
गीता अध्याय 15 श्लोक 1 में उस तत्वदर्शी संत की पहचान बताई है कि वह संसार रूपी वृक्ष के प्रत्येक भाग का ज्ञान कराएगा। उसी से पूछो।
गीता अध्याय 8 श्लोक 20 से 22 में किसी अन्य पूर्ण परमात्मा के विषय में कहा है जो वास्तव में अविनाशी है।
गीता अध्याय 8 के श्लोक 16 में स्पष्ट किया है कि ब्रह्मलोक में गए साधक भी लौटकर संसार में जन्म लेते हैं। युद्ध जैसे भयंकर कर्म भी करने पड़ेंगे। जिस कारण से काल ब्रह्म के पुजारियों को न तो शांति मिलेगी, न सनातन परम धाम।
गीता अध्याय 8 श्लोक 5 तथा 7 में अपनी भक्ति करने को कहा है तथा युद्ध भी कर, निःसंदेह मुझे प्राप्त होगा, परंतु जन्म-मृत्यु दोनों की बनी रहेगी। अपनी भक्ति का मंत्र अध्याय 8 के श्लोक 13 में बताया है कि मुझ ब्रह्म की भक्ति का केवल एक ओम अक्षर है। इस नाम का जाप अंतिम श्वांस तक करने वाले को इससे मिलने वाली गति यानि ब्रह्मलोक प्राप्त होता है।
गीता अध्याय 3 श्लोक 14 से 15 में भी स्पष्ट है कि ब्रह्म काल की उत्पति परम अक्षर पुरूष से हुई वही परम अक्षर ब्रह्म ही यज्ञों में पूज्य है।
गीता ज्ञान दाता ने गीता अध्याय 2 श्लोक 12, अध्याय 4 श्लोक 5, अध्याय 10 श्लोक 2 में अपने को नाशवान यानि जन्म-मरण के चक्र में सदा रहने वाला बताया है। कहा है कि हे अर्जुन! तेरे और मेरे बहुत जन्म हो चुके हैं। तू नहीं जानता, मैं जानता हूँ।
@@satay9717 गीता अध्याय 15 और श्लोक 17 तो बता दिया. अब जरा इसी अध्याय का श्लोक 18 और 19 भी सुन लो.
अध्याय 15 श्लोक 18- क्योंकि मैं नाशवान् जडवर्ग क्षेत्र से तो सर्वथा अतीत हूँ और अविनाशी जीवात्मा से भी उत्तम हूँ, इसलिये लोक में और वेद में भी पुरुषोत्तम नाम से प्रसिद्ध हूँ.
गीता अध्याय 15 श्लोक 19-
हे भारत ! जो ज्ञानी पुरुष मुझको इस प्रकार तत्त्व से पुरुषोत्तम जानता है, वह सर्वज्ञ पुरुष सब प्रकार से निरन्तर मुझ वासुदेव परमेश्वर को ही भजता है .
सत साहेब कबीर देव कबीर परमेश्वर भगवान की जय हो
🥳!! राम राम सीताराम सीताराम राधे राधे कृष्णा कृष्णा !!🙏
🌹🌹🌹!! राधे राधे कृष्णा कृष्णा !!💟💟💟
🌻🌻🌻!! जय माता दी !!🌼🌼🌼🍎🍎🍎
🙏🙏🙏!! राम - राम साहब !!🙏🙏🙏
आज पूरी दुनिया को कबीर की जरूरत है
Dhan Dhan Guru Kabir Saheb Ji 🙏🌸 Anant Shukrana Guru Kabir Saheb Ji 🙏🌸
Waah ji Maharaj, Ati sunder Katha Maharaj ji....
"Waah" Keval Parmatma Kabir Ji ke Liye use kra kro... jaab Nanak Ji ne Kabir Parmatma Ko Satylok mein Dekha Toh Pata chala yahi Parmatma hai... Tab kaha "वाहीगुरु"
_झांकी देख कबीर की , नानक किती 'वाही' ।_
_'वाही' सिखां के गल पडी , कौन छुड़ाए ताही ।।_
बहोतही प्रेरणादायी कथानक।
जीवन मे ऐसा ही होता है, लोगो में पांडित्य तो बहोत रहेता है लेकीन ईश्वर के प्रती व्याकुलता नही रहेती है।
🙏🌹🙏🌹🙏
पानी पीयावत क्या फिरो, घर घर सायर वारी।
तृष्णा वन्त जो होयगा पिवेगा झख मारी ।
जय कबीर जय कबीर
Jaiho Satya Kabir SATGURU SAHEBJI KI DAYA👏👏👏🙏🙏🙏🌹🌹🌹
Jai ho bhagwaan Shri Kabir Saheb ji ki
तेरे मन में राम, तन में राम
तेरे मन में राम, तन में राम
रोम रोम में राम रे !
राम सुमिर ले,
ध्यान लगा ले,
छोड़ जगत के काम रे !!
बोलो राम, बोलो राम, बोलो राम राम राम !
बोलो राम, बोलो राम, बोलो राम राम राम !
🙏🔥🌻जय जय श्री राम🙏🔥🌻
सर्वप्रथम कथावाचक प्रणाम
सत सत कबीर 🙏🙏
Sat sahib parmatma
कोई ध्यावे निराकार को कोई ध्यावे साकार
परमपूज्यपाद सन्तानसन्त निर्वानंदयक परमेश्वर श्री श्री।सदगुरुदेव कबीरदासजी के चरण कमलों में कोटि कोटि प्रणाम
Jai ho Kabir ji ki. Shakhi, sabad ramaini Kabir ji mahan rachna hai.
Kabir saheb is supreme god all shristy created by Kabir saheb jai ho Bandi chhod Kabir saheb ki jai ho
Jai jai Bhagat Kabir
Sprem sahev bandgi sahev
@@Vijaykumar.920 qq
jjjjjjjjjjjjjjjjjjj.
mmm................................
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Mashi kagaj chhuyo nahi
Kalam gaho nahi hanth
Sat shhib
यही है इबादत यही दीन इमा की काम आए दुनिया मे इंसा के इंसा
जय प्रभुजी जय सन्त शिरोमणि कबीर दास जी🙏🙏
Kabir Das ki jai. Unko Koti koti Pranam .
जय हो कबीर परमात्मा जी आप सब जानते हो,वो खुशी लोटा दो ,जी
SANT KABIRJI, SANT RAVIDASJI TATHA SANT GURUNANAK JI KO KOTI KOTI PRANAM
Jai Shri Kabir Dass Ji Maharaj ji
Joy Sri Sitaram Sitaram Sitaram Sitaram Sitaram Sitaram Sitaram Sitaram Sitaram Sitaram Sitaram Sitaram 🙏🙏❤️🙏🙏❤️🙏🙏❤️🙏🙏❤️🙏 Joy Sri Hanuman babaki joy 🙏❤️🙏🙏❤️
🙏🙏🙏🙏Jai Mahan Shree Kabir ji Hundred Million Bar Naman Charnsparch Nashmashatk 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Jai Hanuman
Kabir is Supreme God
@Harisingh; How many supreme gods do you have? Jai Hind.
Ram ram sitaram ji
परामपूज्यपाद सनातन सन्त परमपितापरमेश्वर श्री श्री भगवान कबीरदासजी के पद पंकज में कोटि कोटि प्रणाम
राम राम कबीर प्रभु 🌹🙏🌹
जय कबीर
Satguru Kabir Sahib Ji ki Jai 🌺🌼🌸📿💐🏵️🌻🌹
Purn parmatma kavir dev bhagwan ki jai ho
Saheb bandagi🙏🙏🙏🙏🙏
Yaise mahan samaj ke gyani ko koti koti naman jai kabira
साहेब बंदगी साहेब
Sat saheb ji
Sat Saheb sat
जय महाकाल
Jai Kabirdas maharaj ke jai.. 🙏🙏🙏🙏🙏
Jay shree sita ram.🙏💐❤️ Jay shree hanuman.❤️💐🙏 Jay goumata jai gopal bhakt Vatsal prabhu din dayal.🙏💐❤️ Om namah shivaya.❤️💐🙏 Jay shree kabirdasji maharaj ji.🙏💐❤️
प्रेरक प्रसंग।
सत साहिब जी
🙇🌷🙇🌷🙇🌷🙇🌷kabir shaib bandi xod ki jai ho sat shaib 🙇🌷🙇🌷🙇🌷🙇🌷🙇
सन 1791 में स्वयं भगवान स्वामीनारायण जी घनश्याम नाम मात्र 11साल की आयुमे काशीमे शास्त्रार्थ रचके इतिहास बनाया था और जीव ईश्वर माया ब्रह्म परब्रह्म ये पांच तत्व का ज्ञान उजागर किया। जय श्रीस्वामीनारायण
अति उत्तम सारगर्भित सत्य ज्ञान मय संदेश
Kamaal.. Dhamaal.. Jhakaas..
Adbhud... Bahot Khoobsurat vritant🙏🙏🙏🙏
Sahib Bandgi 🙏
Sahib Bandgi 🙏
Sahib Bandgi 🙏
कबीर साहब जी पूर्ण परमात्मा हैं।यह ज्ञान सिर्फ बिरला संत ही बता सकता है।
, आज इंसान पैसा कमाने के लिए अपने सनातन धर्म का विनाश कर रहे हैं कबीर दास जी रसखान सूरदास धन्ना जाट बाबा फरीद रविदास जी गुरु नानक जी और भी अनेक संत हुए हैं सभी ने हरिका राम का जप किया है आंखें बंद करने से सूरज नहीं छिप जाता कुछ लोगों ने आंखें बंद कर रखी है जो सच्चाई से काफी दूर है जिन्हें ज्ञान के बारे में कुछ भी पता नहीं जय श्री राम राम कबीर दास जी के मालिक हुवे उन्होंने सारा जीवन राम को ही अर्पण कर दिया
Om Jai Shri Radhe Krishna
ऊँ नमः शिवाय❤❤🙏🙏
Kabir is God God is Kabir Sahib bandgi 🙏🙏
Koti koti parnam Kabir Sahib Ji ko
बुद्ध पुरुषों महापुरुषों एवं ज्ञानियो कर्मवीरों।पुरुषार्थवानों का अपने शक्ति का ज्ञान का जन कल्याण के लिए ही होता है।न कि।उसका।दुरुपयोग के लिए
Satnam sat Saheb ji
Jai Gurudev...💐💐💐
Satguru kabirdas over all supreme power hai
सतनाम
धन धन प्रभु कबीर की जय।,🙇🙏
Jai Sri ram 🙏🙏🙏🙏
साहब बंदगी साहब
Sat saheb ji Jay ho bandichhod ki
Jay gurudev
Om namh shivay 🕉️🙏🇮🇳 Jay kabeer das
SABKO VISVAAS MAJABUT KARE UPARVAALE JIVIT ISVAR PRABHU YESHUPITAA SATGURUDEV
Dhan dhan bhagat kabir ji waheguru ji waheguru waheguru ji
ऊं श्री गुरुवे नमः
Sat sahib sant rampal ji maharaj
શ્રી રામ
कबीर, यह माया अटपटी, सब घट आन अड़ी।
किस-किस को समझाऊँ, या कूएै भांग पड़ी।।
सकल हंस को सप्रेम साहेब बंदगी साहेब
जै कबीर
काया बीर "कबीर" हैं रमो "राम" लो जान ! ये रहस्य कोई जानता बिरला "संत सुजान" !!
Sat saheb
Jai jai guru dev ji
Sat sahib ji Jammu se 🥰🙏
great maharaj ji
🙏Saheb bandagi 🙏
बहुत बहुत सुंदर व सरलता से समझाने के लिए बारंबार धन्यवाद व आभार 🙏🙏🎉
🚩🙏🌹🌺जय जय श्री राम जी🌺🌹🙏🚩