Ye dev teen lok nav khand ke hi malik keval aage satlok ke malik lord Kabir hai jaha se hum sabhi aatmai aai Hui hai ye satya gyan nakli dharmguruo ne daba diya tha aaj samne aaya hai
जिस स्थान पर परमात्मा का सत्संग होता है वहां के लोगों के भाग्य निराले होते हैं क्योंकि परम संत का सत्संग बड़ी सौभाग्य से प्राप्त होता है आज यह सौभाग्य धौलपुर जिले की संगत को प्राप्त हुआ
उनके सरण में आना पड़ेगा,और जो बताएंगे उसे मानना होगा, सारे सुख मिलेंगे, मुझे मिला है,जीता जागता प्रमाण हूं, डॉक्टर के पास जाते हो,उसका दिया हुआ दवा खायोगे तभी आराम होगा, जो सोचो, की पहले ठीक कर दे फिर,दवा खाऊंगा, ये तो फिर मूर्खता होगी जी,,,
भगवान की सरण में जाओ फिर,सबको समृद्धि करदेंगे, भोजन करोगे नही तो पेट कैसे भरेगा, बच्चों, जैसे बात मत कीजिए, डाक्टर की दी हुई दावा नही खायेंगे, तो बुखार कैसे ठीक होगा,
Bhai hame rampalwa k bhandare ki kheer nahi khani nahi to hum bhi inke bhakto ki tarah geeta me likhe kabi ko kabeer kahunga murkho ko kabi aur kabeer me fark nager nahi ata aise murkh hai rampal k bhakt jai shree krishna
कबीर जी एक शुद्ध भावना वाले संत थे और इसके साथ ही उनके ऊपर ईश्वरीय कृपा होने पर वो एक कवि बने।....... संत कबीर जी ने खुद अपने आपको राम का कुत्ता कहा है। "कबीर कुत्ता राम का, मुतिया मेरा नाऊँ। गलै राम की जेवड़ी, जित खैंचे तित जाऊँ॥"
Iam odia.vagbn hey Kahan .apan pehachanke bad vagban khud apse milenge .ye debate pagal banayega class2 boy and+2student comarission .Aim is one having various roots .
🕉🕉🕉 संत रामपाल जी की चालाकी देखिये कि लोगों के कष्ट तो हरवा रहे हैं हिन्दू देवी देवताओं से और उसका श्रेय दे रहे हैं कबीर साब को। सारनाम से पहले वे गणेश जी दुर्गा जी शिवजी आदि का आवाहन करवाते हैं और इन्हीं की कृपा से लोगों की इच्छाएं पूरी होती है या रोग आदि कष्ट दूर होते हैं। बिना इनका आवाहन किये केवल सारनाम पाठ से किसी का भी कष्ट दूर होना संभव नहीं है। ये राम की जगह कबीर को पूर्ण परमात्मा मानते हैं जबकि कबीरदस जी अपने को पूर्ण ब्रह्म श्रीराम का कुत्ता बताते थे। - "कबीर कुत्ता राम का मुतिया मेरा नाऊँ। गले राम की जेवडी, जित खैन्चे तित जाऊं। " अर्थात मैं तो बार बार मूतने के लिये जाने वाला राम जी का कुत्ता हूँ जिसकी जंजीर राम के हाथ में रहती है जिसे खींच कर वे मुझे जहां चाहे वहां मुतवा लेते हैं। इसलिये मुझे आप मुतिया के नाम से जान सकते हैं। अब बताइये कि ये मूर्ख लोग जो कबीर को पूर्ण परमात्मा कह कर राम को याने कृष्ण को तुच्छ समझ रहे हैं क्या इनकी अक्ल ठिकाने पर लग रही है ?
@@RamRakha-dk2gfकुत्ता का उदाहरण, दिया गया है, गुरु,और शिष्य का । जैसे मालिक के साथ नौकर को कैसे रहना चाहिए जी, अर्थ का अनर्थ मत करिए, एक मेरा प्रश्न, है, शब्द का अर्थ क्या है, उत्तर एक शब्द में देना है जी,
Bilkul nahi tum murkh ho tumhe kabir das ji ki vaani nahi samajh aayegi vo Raja dashrath wale ram ko nahi bol rahe vo janta ko samjha rahe hai Aapne ye to suna hi hoga Ki ek ram dashrath ka beta Ek ram ghat ghat me baitha ek ram ka sakal nyara ek ram in sab se pyara Sabse pyare ram ki baat kar rahe hai
मूर्ख, सुन - वही राम दशरथ का बेटा वही राम घट घट में लेटा। दशरथ का बेटा राम ही चारों राम है। वही निर्गुण निराकार है और वही सगुण साकार भी। क्या तुमको कोई शंका है ? एक ही राम सब आकाश पाताल एवम ब्रह्मांडों के बाहर व भीतर सब मनुष्यों देवताओं दानवों पशु पंक्षियों एवम मनुष्यों के बाहर भीतर समान रूप से स्थित है। वही कबीर के अंदर ,दशरथ पुत्र राम के अंदर ,शिव के अंदर , ईशु के अंदर , बुद्ध के अंदर तुम्हारे अंदर, मेंरे अंदर व अन्य सबके अंदर बाहर सब ओर व्याप्त है। अब उसको तुम कोई भी राम मान सकते हो। उसपर कोई फर्क नहीं पड़ता।जब तुम अपनी आत्मा कॊ पहिचान लोगे तो तुम देखोगे कि तुम ही सबके अंदर बाहर मौजूद हो। सम्पूर्ण ब्रह्मांडों में एक ही परमात्मा है उसीको कोई कबीर कहता है कोई अल्लाह कहता है कोई राम कोई शिव कोई कुछ कोई कुछ कहता है। सब वही है उसके शिवाय अन्य कोई नहीं है। इसलिये एक दूसरे के ईश्वरों में भेद करके भक्ति करना गलत भक्ति है। तुम्हारे हाथ पैर सिर व अन्य अंग सब तुम ही हो तो तुम अपने किस हाथ से नफरत करोगे और किसको अच्छा मानोगे किस आंख से नफरत करोगे और किस आंख कॊ अच्छा बताओगे ? ठीक ऐसे ही एक ही परमात्मा अनंत ब्रह्मांडों में व्याप्त है। हमारे हाथ पैर सिर आदि हमारे अंग हैं तो पृथ्वी सूर्य चाँद तारे व ग्रह आदि उसके अंग हैं। हम अपने शरीर कॊ चलाते हैं वह अपने शरीर कॊ चलाता है। समझ गये कि कुछ और समझाने की जरूरत है ?
बिल्कुल सही भाई कबीर केवल सन्त थे पर जब से रामपाल जी पैदा हुए तो कबीर परमात्मा हो गए कबीर जी स्वयं राम के भक्त थे कबीर की ये साखी भी यही कहती है- राम मोरे पिउ मैं राम की बहुरिया
सनातन हिंदू धर्म ही शाश्वत सत्य है आदि और अनादिकल से और सृष्टि के अंत तकऔर सृष्टि के प्रारंभ में भी यही प्रारंभ होगा ।जितने भी झूठ चल पड़े हैंवह सब धीरे -धीरे सच्चाई से टकराकरअपने आप सिमट जायेंगे!
@@HsrReollers, यदि कबीर साहेब भगवान नहींं है तो राम ,कृष्ण या अन्य और कोई भी भगवान नहीं है , राम, कृष्ण, या अन्य अवतार जो भी हुए मां के पेट से हुए है जबकि कबीर साहेब के माता पिता कोई आज तक पता नहीं लगा पाया, वे स्वयं कांशी के लहर तालाब पर कमल के फिर पर प्रकट हुए और अन्त समय में भी फुलों ही परिवर्तन कर गये, कबीर साहेब ने कीड़ी तक को नही मारा ना ही जीव हत्या करने को कहा, जितने भी अवतार हुए है सभी लड़ लड़ मरे है अनेक जीवों की हत्या की है, क्या आप अपनी औलाद की हत्या कर सकते है ?नही फिर भगवान के तो हम बच्चे है वो क्यों मारता है?मारने वाले को हत्यारा कहते है भगवान नहीं,
मेरा उपर कमेंट है जाकर पढ़ लो न कबीर कोई ईश्वर भगवान थे और न ही राम ब्रह्मा विष्णु महेश हनुमान दुर्गा काली गणेश सरस्वती लक्ष्मी गौरी पार्वती किरिशना ईश्वर भगवान देवी देवता नहीं थे इस दुनिया में कोई ईश्वर भगवान देवी देवता परमेश्वर परमपिता परमात्मा आत्मा खुदा अल्ला भूत प्रेत स्वर्ग नर्क जीसस सतयुग त्रेता द्वापर कलयुग नही होता सब काल्पनिक और गपोड़ लीला है
यह एक बुजुर्ग आदमी सत्य कह रहा है और आप सभी हो होकर चिल्ला रहे हैं इतने मूर्ख मत बनो परमात्मा किसे कहते हैं हम सभी को ज्ञान हैं परमात्मा अजर है अमर है अविनाशी है निरंकारी है निर्गुणी अग कर है अच्छा है निर्लेप है निरंतर है सर्व व्यापक अब इसमें कबीर साहब कहां आते हैं कबीर साहब का शरीर ऊपर से गिरा है यह बात हम नहीं मानते क्योंकि पांच तत्वों का शरीर हमेशा मां की गर्भ में ही बनता है गर्भ के सिवाय कोई शरीर बना नहीं और नहीं बनेगा यह ब्राह्मी की बातें हैं सब नहीं तो आज भी शेयर ऊपर से गिरना चाहिए ऐसी कोई ऊपर फैक्ट्री नहीं है तो शरीर गिरता है यह सब मन गणित बातें हैं उनके बने हुए शास्त्री भी झूठे हैं अजर है तो मरा क्यों अजर है तो शरीर कहां गया अविनाशी है तो शरीर का नाश क्यों हुआ निर्गुणी है तो दिखा क्यों निरंतर है तो कहां गया निर्लेप है तो लिफ्ट में क्यों आया अग कर है तो दिखा क्यों गम है तो नजर से क्यों दिखा आता है तथा में क्यों आया सर्व व्यापक है तो एक में क्यों आया फिर कबीर को परमात्मा मानो झूठ रामपाल रामपाल जेल की सलाखों के पीछे क्यों गया सब लोगों को गुमराह कर रहा है असली परमात्मा आपके के शरीर मैं प्रकट है जय गुरुदेव
Pahle to aap ye jaan lo ki parmatma ek jo sabka malik hai Dusra ye samjh lo ki parmatma jo sabko banata hai ek maa ko bhi vo kaise maa se janm le sakta hai Vo to duniya me sharir sahit prakat hota hai kuch din rahkar satya marg bata kar logo ko fir sharir sahit antardhyaan ho jaata hai Parmatma garib Bankar ke hi aata hai raja lekin aaj kal ke kalyugi logo ko keval paise wala hi bhagwan dikhta hai
यही विश्व में हर जीव निर्जिव सव भगवान है। सव नारा से या पानि से सृष्टि हो रहे हैं। जो जीव निर्जिव सवका मङ्गल करता है वह है भगवान। जय पावन पवित्र ज्ञान विज्ञान सत्य सनातन इंसानीयत धर्म की जय हो और असत्य अज्ञान अधर्म की विनाश हो। जय हिन्दु वन्दे मातरम् ॐ
कबीर अपभ्रंश है शुद्ध नाम कविर है कवि कहते आत्मा को और र कहते रमण करने वाले को यानी आत्माराम परमात्मा को इस दोहे में कबीर दास जी के लिए नहीं है परमात्मा के लिए है
ऊँ नमः शिवाय । भगवान शिव हि सत्य है सत्य हि शिव है भगवान शिव हि प्रमेशवर ईशवर सर्वेश्वर भगवान शिव हि तो है और इनकी निन्दा करने वाले कभी परमात्मा को प्राप्त नहीं होते ये हि सत्य है और संत गुरु किसी गुरुऔ कि निन्दा नहीं करते हर गुरु कि वाणी भगवान कि वाणी होती है हर गुरु का रुप भगवान का रुप होता है फिर हम कोन होते हैं जो हम गुरुऔ कि निन्दा करते हैं पेहचानो अपने आप को । कि में निन्दा करने वाला में कोन हूं जरा अन्तर में डुबकी लगाकर देख लो जवाब मिल जाएगा अपने अन्दर अहंकार को बड़ा कर रखा है इसलिए हम एक दुसरे गुरुओं कि निन्दा करते आ रहे है अहंकार हि भगवान का भोजन होता है भगवान ज्ञान से। भि परे होते हैं भगवान ज्ञानि को नहीं मिलते क्योकि ज्ञानी में उसी ज्ञान का अहंकार होता है इसलिए वाल्मीकि रिशी कहा के ज्ञानी थे उसे भगवान मिले। और भगवान के अवतार कि खबर हो गई अहंकार के घम्डं में जिवन नहीं जिना चाहिते ।
दुनिया में जन्म लेने वाले परमात्मा नहीं होते यह बात सत्य है । लेकिन व्यक्ति जब समर्थ गुरु के सानिध्य मे आत्म ज्ञान प्राप्त कर लेता है : अथवा स्व -आत्मा का बोध कर लेता है तो वह मानव शरीर का रूप होते हुए भी सगुण रूप मे ईश्वर के समान होता है । वहीं आत्म ज्ञानी व्यक्ति निर्गुण अथवा निराकार ईश्वर की पहचान करा देता है।
महाराज कबीर साहेब को इन कबीर पंथियों ने बदनाम कर दिया। उनको नीचे गिराने मे इन लोगों ने कसर नहीं छोड़ी। यह लोग मन घड़ित बातें करते हैं इनके साथ विचार करना महा मूर्ख ता है। इन लोगों ने संत मरियादा को ही बदनाम कर दिया। इनका काम है भगवान् राम को भगवान् कृष्ण को नीचा गिराना। परंतु उनकी महिमा में फर्क नहीं पड़ता यह लोग अपना ही जीवन खराब करते हैं
अपने वेद मे पढो परमात्मा का नाम क्या है । कुरान मे भी उस अल्लाका नाम क्या लिखा है। वो कैसी लिला करते है । गुरू ग्रंथ साहिब मे भी देख सकते है वह परमात्मा कोन है अगर परमात्मा एक है तो सब धर्म के सदग्रंथ मे एक ही स नाम आना चाहिए अगर एक ही नाम है तो वही सबका मालिक एक है वह कबीर ही भगवान है । प्रमाण चेक करो
परमात्मा को नाम से नहीं पुकारे जाता ।। परमात्मा को कबीर नाम से पुकारते अपनी मुर्खतापूर्ण वचन है, और मनघड़ंत कहानियों से श्री संत रामपाल जी महाराज को बढ़ावा देने में हमारी मुर्खतापूर्ण व्यवहार है ।। हम अंधेरे नगरी में गंडु राजा जैसी बात है ।। परमात्मा एक व्यक्ति विशेष से परे है । आप एक व्यक्ति विशेष को बढ़ावा दे रहे हैं।।।वे हमारी मूर्खता है।।
गरीबदास जी के प्रमाण से सिंध होता है कबीर ऐक संत हैं सत्पुरुष ने माया सिरजी होते तकत कबीर खवासा ओर कबीर साहेब खुद का प्रमाण से सिंध होता है साहेब सबका बाप है बेटा किसी का नहीं बेटा होकर उतरे वो साहेब नहीं कबीर साहेब कहते जन्म मरंण से न्यारा सो ही साहेब मेरा कबीर साहेब कहते कबीर कुत्ता राम का मोतीया मेरा नाम गल प्रेम की जेवड़ी जीत ले जावे उत जावे गरीब दास जी कहते पंथ पड़े सो बह गये हमारी बांट अ पंथ
कविर और कबीर शब्द में अंतर होता है कविर दास जी सन्त थे और भगवान के भक्त थे न कि उन्होंने कभी नहीं कहा कि मैं भगवान हूं हां उन्होंने यह कहा कि मुझ में भगवान है
@@RamSudarsan-yi7lj वेद का उच्चारण तो एक भैंसा भी करता है लेकिन पढ़कर समझना और समझकर पढ़ना और उसका सन्दर्भ समझना यह महत्त्वपूर्ण है जिनका काम खंडन मंडन करना है इस्लाम कि जीद की तरह चलना है वेदों में तो एकम सदविपरा बहुधा वदनती लिखा है
@@jagdishvaishnav6128 बस अभी तक एक ही जगह पढ़ पाए हो,जी,, कबीर जी ने कहा है,में ही अल्लह अलाख हूं ,कुतुब गोश और पीर, एक विषय को पढ़ कर टीचर मत बनिए सर,कबीर साहेब को भगवान के रूप में जानने के लिए, हमें,चारों धर्म की पुस्तक को पढ़ना होगा,संत रामपालजी महराज के अनुयाई, प्रमाण के साथ बताते हैं,चारों वेद में दिखा दिए है कबीर साहेब भगवान हैं, आप भी कोई प्रमाण दो,,
कविर,और कबीर का अर्थ एक ही होता, जिसका अर्थ ,कवि (सर्वज्ञ) लिखा,जबकि ये नही होना चाहिए, क्योंकि कवि सर्वज्ञ नही होता, सर्वज्ञ का अर्थ सब कुछ करने में सक्षम हो सर्व शक्तिमान हो, क्या भाई साहब पढ़ लिखकर अभी भी मूर्खों के चक्कर में पड़े हैं,
@@RamSudarsan-yi7lj ऐसा नहीं है भ्राता श्री जहां तक मैने पढा और समझा है एक शब्द के अनेक अर्थ है कही कही तो एक शब्द के सौ अर्थ और कही एक नाम के हजार नाम है जैसे कि विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र सन्त साहित्य में कबीर दास जी महाराज का हिंदी संस्कृत साहित्य और इनकी गुरु परम्परा और इनके गुरु श्री रामानन्दाचारय जी महाराज के साहित्य में कविरदेवाचारय शब्द है कवि शब्द का अर्थ आत्मा है और र का मतलब रमण करने वाले से यानी आत्माराम घट घट वासी परमपुरुष परमात्मा वाचक है
परमात्मा कुछ भी लीला कर सकता है जो परमात्मा का शरण में नहीं है उनका समझ से बाहर है। जो मिठाई खाता है उसका स्वाद कैसा, वही बता सकता है। जो खाया नहीं है उनको को कैसे पताचलेगा।
शरण पढ़े तो गुरू सभाले जान के बालक भोला रे कहे कबीर चरण चित लागो जैसे सुई में डोरा रे________& मानत न मन मोरा साधो मानत न मोरा रे_________ बार बार यह समझाऊ जग जीबन थोड़ा रे।_________
संत रामपाल जी महाराज ने बताया कि परमेश्वर कबीर है जोकि साकार है, राजा के समान दर्शनीय है, सिंहासन/तख्त पर बैठा है। - प्रमाण ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 82 मंत्र 1 - 2, सूक्त 86 मंत्र 26, 27, कुरान शरीफ़ सूरत फुरकान 25 आयत 59
ये दोनों पक्ष काल्पनिक बातों में उलझाए जा रहे हैं। जबकि ऐसा नहीं है । जनता को गुमराह कर रहे हैं। जनता अपने विवेक से काम लें। विना नारी के कोई पैदा नहीं होता। कोई प्रथ्वी से कोई कानसे कोई जांघ से कोई मुख से कोई दोना से कोई अपने से प्रकट होना ये १००%गलत है। जो भी जीव अगर पैदा हुआ तो सिर्फ गर्भ से। वाकी सब बकवास कर रहे हैं। पर जनता बुद्धि से काम लें। आस्था से नहीं।
🙏आदरणीय कितना सुंदर उदाहरण दिया है कि परमविराट सहशरीर आते हैं और सहशरीर (प्रगट और अंतर्ध्यांन) जाते हैं --- लेकिन कुछ पाखंडी ऐसे भगवान को भी किसी के गर्भ से पैदा कर/ करवा देते हैं😢🤔❓
परमात्मा भगवान सुनिश्चित है। मनुष्य देहे दिव्य ज्ञान, देखि सन्तोष्ट भगवान। जय पावन पवित्र ज्ञान विज्ञान सत्य सनातन इंसानीयत धर्म की जय हो और असत्य अज्ञान अधर्म की विनाश हो। जय हिन्दु वन्दे मातरम् ॐ
Are bhai ye aadambar wadi log jab apne mata aur pita ka shi kadar karna janta hi nahi hai to ye shala gobar ko parsad samjhne wale kabir sahabjee ki shabdon ko ya saty gyan bichar aur shi sant ko kaise manenge
कबीर जी अवतार नहीं लिए थे कोई विधवा ब्राम्हणी से जन्म लिए थे जो उन्हें लहरतारा तालाब में छोड़ आई उधर से एक जुलाहा जोड़ा गुज़र रहा था वो निस्संतान थे उन्होंने पालन पोषण किया ऐसे ही साईं बाबा को भगवान कहते हैं लोग जो कि गलत है वो तो मुस्लिम है
सत साहेब ... आज बचे है जो लोग। उन बलिदानी महापुरुषों के बल पर बचे है ये हिन्दू ।उनके लिए आप लोगो की तरफ से कोई श्रद्धांजलि नहीं 600साल पहले कितने हिन्दू मुसलमान बन गए तब कबीर साहेब क्या कर रहे थे । कृपया गंगा बहाए।किंतु खंड खंड होने न दे ।
Pandey ji kahne se nahi hota ,jab tum ऊंच नीच ,छुआ छूत का भेद रखोगे तो कोई हिंदू नहीं । न कोई तुम्हारे साथ जाएगा ।तुम अपने दो बेटों में भेद करके देख लो । वही तुम्हारा साथ छोड़ कर चले जायेंगे ।
कबीर दास ने भंडारा किया था लेकिन भंडारे कीपूर्ति भगवान श्री कृष्णा ने की थी क्योंकि भगवान श्री कृष्णा ने एक बंजारे का रूप धारण करके छप्पन भोग की मिठाइयां भगवान श्री कृष्ण ने लाकर के भंडारे की पूर्ति कीथी क्योंकि भगत की लज्जा जा रही थी भगत की लाज को बचाने के लिए भगवान बंजारा का रूप धारण करके बंजारा का रूप धारण करके भारत भर के मिठाइयां कविता के घर के लाए थे और भंडारा कीपूर्ति की थी
यह लोग परजीवी होते हैं। दूसरों की आस्था पर चोट करके जिंदा रहते हैं। इनका कोई धर्म नहीं। और ना ये धर्म पर चलते हैं । यह जिंदगी भर तर्क वितर्क करते रह जाते हैं। इसी में अपना पूरा जीवन व्यर्थ कर देते हैं। जब तक मन शांत नहीं होगा ईश्वर की प्राप्ति कैसे होगी। चित को शांत कर प्रभु शरण में चले जाओ। सब जान जाओगे ॐ हरि ॐ
@@vyasrajganga9004 अनपढ़ की तरह कैसे बोल दिए जी, ब्रम्हा जी श्री विष्णु जी शंकर जी, इनकी जन्म मृत्यु होती है,ये अविनाशी नही है,ये देवता किसी के प्रारब्ध को घटा बढ़ा नही सकते, देवी पुराण पढ़ो,123, प्रिस्ट में, गोरखपुर से प्रकाशित बुक में देखिए जी,
सत्यनाम पानी से पैदा नहीं श्वासां नहीं शरीर अन्न आहार करता नहीं उसका नाम कबीर । कक्का केवल नाम है बब्बा वीर शरीर रर्रा सबमें रम रहा उसका नाम कबीर । हिंदू कहूं तो मैं नहीं मुसलमान भी नाए। पांच तत्व का पूतला गैवी खेलै मांहि । इसका अर्थ यही है कि हे मानव तू अब तो संबल जा और अपनी चेतना को जगा न तो वह हिंदू है न ही मुसलमान , न वह नर है न नारी है । वह तो सर्व व्यापी है और मानव की हस्ती नहीं है कि वह सर्व व्यापी को समझ सके लेकिन वह चाहे तो जिस दयाल हो जाए उसे अपना पूर्ण स्वरूप दे सकता है । स्वरूप से तात्पर्य है कि स्व /अपना रूप और उसका पूर्ण यही है कि सभी जीवों पर दया करना फिर चाहे मानव हो या दानव क्योंकि सारा जगत उसी का है । अपने अपने कर्मो के हिसाब से ही फल भोगता है । सत्यनाम 🌍🙏🙏🌍
ईश्वर का एक नाम कवि हैं जो सब के हृदय में वास करते हैं। कबीर जैसे आदि सृष्टि से अब तक करोड़ों कवि हो गयें है। सब के अंदर से वाणी तो परमात्मा की ही है हा महापुरुषों में कबीर जी गिने जा सकते है। धन्यवाद।।
जय श्री राम हर हर महादेव भक्तों लालची चतुर लोगों का कुछ सालों में हो जायेगा खात्मा
@@लीलाधर-य2ट gobarbhakt sapne dekhna band kr dey 😹🤣
कर्ता करे न कर सके , शिव करे सो होय तीन लोक नौ खंड में , महाकाल से बड़ा न कोय। जय श्रीराम ❤️❤️
Ye dev teen lok nav khand ke hi malik keval aage satlok ke malik lord Kabir hai jaha se hum sabhi aatmai aai Hui hai ye satya gyan nakli dharmguruo ne daba diya tha aaj samne aaya hai
@@SKshorts544 kon. Kabir. Me. Jiske. Lok. Me. Rahta. Hun was. Use. Hi janta hu. Jai. Siya ram
@@SKshorts544 ऐसा कोई लोक तो सुना नही सतलोक एक दो साल पहले बना है क्या ये लोक कोई भीं जीवित प्राणी चला जाता है
Mahakal hi tujhe grahn karega
@@priyadasmanikpuri3805 सबको वही मारता है तो उसका क्या उखाड़ लोगे बताओ मानिकपुडी
कबीर महानसंत थे ।
भगवान् नहीं।
बाकी इनके ग्रंथ आजकल के है हैं
Right ❤❤
Ha bhai
કબીર સાહેબ ભગવાન છે, રહેંગે, અને સતલોક મેં બિરાજમાન છે, વો અવિનાશી પરમાત્મા છે, ઉસ કા નાશ કરે ને મેં કોઇ સમર્થ નથી,
दास कभी भगवान नहीं हो सकता कबीर दास सिर्फ एक सेवक थे
राम राम करो भाई राम राम
जय श्री राम जय हनुमान.संकट मोचन कृपा निधान।
ये तो बहुत बड़ा पाखंड चूरू हो गया जय सीया राम
सनातन, धर्म ही, पहला धर्म, है
@@nibaramkalbigoliya2214 सनातन का अर्थ क्या है मालूम है,क्या,
सनातन की बात करते हो,
@@nibaramkalbigoliya2214 जो सनातन सतयुग से चला आ रहा है जिससे सभी धर्म पंथ और गुरु निकले हैं यानी कि सभी का बाप है यह
@@vyasrajganga9004isliye ek kone me hai kisika koi saboot nahi 😂
समाज कल्याण हेतु संत पुरुषों जैसे नानक कबीर रसखान मीरा आदि।
मीरा एक संत है जिसका इतिहास उपलब्ध है और सब मुसलमानों का षड्यंत्र है।
कबीर साहब निराकार ब्रह्म के भक्त थे कबीर साहब महान संत थे
सभी भटके हुए हैं ।ईश्वर अजन्मा और अदृश्य है।
जिस स्थान पर परमात्मा का सत्संग होता है वहां के लोगों के भाग्य निराले होते हैं क्योंकि परम संत का सत्संग बड़ी सौभाग्य से प्राप्त होता है आज यह सौभाग्य धौलपुर जिले की संगत को प्राप्त हुआ
रामपाल भगवान है तो देश को सुखी ,समृद्ध बनादे, तो मनु, नाही तो पाखंड छोड दे !
Wait 😊
उनके सरण में आना पड़ेगा,और जो बताएंगे उसे मानना होगा,
सारे सुख मिलेंगे, मुझे मिला है,जीता जागता प्रमाण हूं,
डॉक्टर के पास जाते हो,उसका दिया हुआ दवा खायोगे तभी आराम होगा, जो सोचो, की पहले ठीक कर दे फिर,दवा खाऊंगा,
ये तो फिर मूर्खता होगी जी,,,
@@RamSudarsan-yi7lj good 👍
भगवान की सरण में जाओ फिर,सबको समृद्धि करदेंगे,
भोजन करोगे नही तो पेट कैसे भरेगा,
बच्चों, जैसे बात मत कीजिए,
डाक्टर की दी हुई दावा नही खायेंगे,
तो बुखार कैसे ठीक होगा,
Bhai hame rampalwa k bhandare ki kheer nahi khani nahi to hum bhi inke bhakto ki tarah geeta me likhe kabi ko kabeer kahunga murkho ko kabi aur kabeer me fark nager nahi ata aise murkh hai rampal k bhakt jai shree krishna
गरीब, अनन्त कोटि ब्रह्माण्ड का एक रति नहीं भार सतगुरू पुरूष कबीर है कुल के सिरजन हार ❤️🙏🙇🙏❤️
सत साहेब ❤
❤❤❤अटपट ज्ञान कबीर का झटपट लखा न जाय।।जो कोई झटपट लखि परै।।तो सब खटपट मिट जाय।।
संत कि बानी अटपटी जटपट समज ना आए जो जटपट समज आए तो खटपट मिट जाए
कबीर जी एक शुद्ध भावना वाले संत थे और इसके साथ ही उनके ऊपर ईश्वरीय कृपा होने पर वो एक कवि बने।.......
संत कबीर जी ने खुद अपने आपको राम का कुत्ता कहा है। "कबीर कुत्ता राम का, मुतिया मेरा नाऊँ। गलै राम की जेवड़ी, जित खैंचे तित जाऊँ॥"
Ram sun te hi aapko dhanush wale ram yaad aate hai par Kabir avinashi ram ki baat kr rahe hai
गुड मार्निंग ।।जब जागे तभी सबेरा चाम चाम चाम चाम कौन कहता था और मरा मरा मरा मरा कौन जिसे शास्त्रानुसार
Iam odia.vagbn hey Kahan .apan pehachanke bad vagban khud apse milenge .ye debate pagal banayega class2 boy and+2student comarission .Aim is one having various roots .
@@Soundsgood-lx6np avinashi ram kon he
Kabir he kya
To kya Kabir apne apko hi kutta kah Raha he
Kabir das ji raja ram ki baat nahi kar rahe hai
कबिरा खड़ा बाजार मे मांगे सबकी खैर
नहीं किसी से दोस्ती नही किसी से बैर
कबीर साहेब -
लख भर शूरा झूंझही , लख भर सांवत देह।
लख भर यति जहान में , तब सद्गुरु शरणा लेह।।
🕉🕉🕉
संत रामपाल जी की चालाकी देखिये कि लोगों के कष्ट तो हरवा रहे हैं हिन्दू देवी देवताओं से और उसका श्रेय दे रहे हैं कबीर साब को। सारनाम से पहले वे गणेश जी दुर्गा जी शिवजी आदि का आवाहन करवाते हैं और इन्हीं की कृपा से लोगों की इच्छाएं पूरी होती है या रोग आदि कष्ट दूर होते हैं। बिना इनका आवाहन किये केवल सारनाम पाठ से किसी का भी कष्ट दूर होना संभव नहीं है। ये राम की जगह कबीर को पूर्ण परमात्मा मानते हैं जबकि कबीरदस जी अपने को पूर्ण ब्रह्म श्रीराम का कुत्ता बताते थे। - "कबीर कुत्ता राम का मुतिया मेरा नाऊँ। गले राम की जेवडी, जित खैन्चे तित जाऊं। "
अर्थात मैं तो बार बार मूतने के लिये जाने वाला राम जी का कुत्ता हूँ जिसकी जंजीर राम के हाथ में रहती है जिसे खींच कर वे मुझे जहां चाहे वहां मुतवा लेते हैं। इसलिये मुझे आप मुतिया के नाम से जान सकते हैं। अब बताइये कि ये मूर्ख लोग जो कबीर को पूर्ण परमात्मा कह कर राम को याने कृष्ण को तुच्छ समझ रहे हैं क्या इनकी अक्ल ठिकाने पर लग रही है ?
@@RamRakha-dk2gfकुत्ता का उदाहरण, दिया गया है, गुरु,और शिष्य का । जैसे मालिक के साथ नौकर को कैसे रहना चाहिए जी, अर्थ का अनर्थ मत करिए,
एक मेरा प्रश्न, है,
शब्द का अर्थ क्या है, उत्तर एक शब्द में देना है जी,
Bilkul nahi tum murkh ho tumhe kabir das ji ki vaani nahi samajh aayegi vo Raja dashrath wale ram ko nahi bol rahe vo janta ko samjha rahe hai
Aapne ye to suna hi hoga
Ki ek ram dashrath ka beta
Ek ram ghat ghat me baitha ek ram ka sakal nyara ek ram in sab se pyara
Sabse pyare ram ki baat kar rahe hai
मूर्ख, सुन - वही राम दशरथ का बेटा वही राम घट घट में लेटा। दशरथ का बेटा राम ही चारों राम है। वही निर्गुण निराकार है और वही सगुण साकार भी। क्या तुमको कोई शंका है ? एक ही राम सब आकाश पाताल एवम ब्रह्मांडों के बाहर व भीतर सब मनुष्यों देवताओं दानवों पशु पंक्षियों एवम मनुष्यों के बाहर भीतर समान रूप से स्थित है। वही कबीर के अंदर ,दशरथ पुत्र राम के अंदर ,शिव के अंदर , ईशु के अंदर , बुद्ध के अंदर तुम्हारे अंदर, मेंरे अंदर व अन्य सबके अंदर बाहर सब ओर व्याप्त है। अब उसको तुम कोई भी राम मान सकते हो। उसपर कोई फर्क नहीं पड़ता।जब तुम अपनी आत्मा कॊ पहिचान लोगे तो तुम देखोगे कि तुम ही सबके अंदर बाहर मौजूद हो। सम्पूर्ण ब्रह्मांडों में एक ही परमात्मा है उसीको कोई कबीर कहता है कोई अल्लाह कहता है कोई राम कोई शिव कोई कुछ कोई कुछ कहता है। सब वही है उसके शिवाय अन्य कोई नहीं है। इसलिये एक दूसरे के ईश्वरों में भेद करके भक्ति करना गलत भक्ति है। तुम्हारे हाथ पैर सिर व अन्य अंग सब तुम ही हो तो तुम अपने किस हाथ से नफरत करोगे और किसको अच्छा मानोगे किस आंख से नफरत करोगे और किस आंख कॊ अच्छा बताओगे ? ठीक ऐसे ही एक ही परमात्मा अनंत ब्रह्मांडों में व्याप्त है। हमारे हाथ पैर सिर आदि हमारे अंग हैं तो पृथ्वी सूर्य चाँद तारे व ग्रह आदि उसके अंग हैं। हम अपने शरीर कॊ चलाते हैं वह अपने शरीर कॊ चलाता है। समझ गये कि कुछ और समझाने की जरूरत है ?
बिल्कुल सही भाई कबीर केवल सन्त थे पर जब से रामपाल जी पैदा हुए तो कबीर परमात्मा हो गए कबीर जी स्वयं राम के भक्त थे कबीर की ये साखी भी यही कहती है-
राम मोरे पिउ मैं राम की बहुरिया
रामपाल पाखंडी कबीर दास जी का ज्ञान लोगों को गलत तरीके से दे रहा है अधूरा दे रहा है
सनातन हिंदू धर्म ही शाश्वत सत्य है आदि और अनादिकल से और सृष्टि के अंत तकऔर सृष्टि के प्रारंभ में भी यही प्रारंभ होगा ।जितने भी झूठ चल पड़े हैंवह सब धीरे -धीरे सच्चाई से टकराकरअपने आप सिमट जायेंगे!
भ्रम है
जब कबीर पुथ्वीपर आये तो.मुस्लीमका राज आया . तुम बोलते भगवान है.
कबीर कबीर क्या पूकारे
खोज अपना शरीर
दस इन्द्रीया वश मे करे
ताको नाम कबीर
Sat saheb
इंद्री का जम कर रहें थें।खुब पैदा किये कमाल कमाली ओर भी।।
सही कहा आपने
Thanks
Mast jawab I like this
सत साहिब जी
संत समागम हरि कथा तुलसी दुर्लभ दोय।
सुत, दारा और लक्ष्मी पापी के घर भी होय ll
Tulsi durlabh doy
कबीर दास सन 1398 पैदा हुए थे सन 1500 मे देश की जनसंख्या 10 करोड़ थी। फिर कबीर दास जी के 65 लाख भक्त कैसे हो सकते है।
Sahi kaha
Eeske liye satsang suun naa padega
@@RavindraNeware-m5yham murkho jail me pde esi dhongi ki sat sang nhi sunte
Vesiya k sath gumta h usse lila bnadiya 😅😅
बकीर दास थे ही
FUCKकीर
जो पुरुष और स्त्री के मेल से जन्म लिया वो भगवान नही हो सकता 😮i like Jesus 💖
HA HA HALALA 😂 🤣 😆 THEN TALAQ HASAN
Krishan ji our ram ji j kaha se aye
Jo 4 kil pr tang Jaya wo bhagwan kaisa 😅😅😅😂
Jo 4 kil pr tang Jaya wo bhagwan kaisa 😅😅😅😂
Sat Sahib guru ji 🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉
Sat Sahib guru ji Maharaj Sant Ram pal ji ki jay ho 🌹❤️❤️🌺🏵️🌺🌺🌺🌺😊
कबीर समाज सुधारक थे परमात्मा ईश्वर नही थे
पाखंडियों ने कबीर को भी पाखंडी बना दिया है
@@HsrReollers, यदि कबीर साहेब भगवान नहींं है तो राम ,कृष्ण या अन्य और कोई भी भगवान नहीं है , राम, कृष्ण, या अन्य अवतार जो भी हुए मां के पेट से हुए है जबकि कबीर साहेब के माता पिता कोई आज तक पता नहीं लगा पाया, वे स्वयं कांशी के लहर तालाब पर कमल के फिर पर प्रकट हुए और अन्त समय में भी फुलों ही परिवर्तन कर गये,
कबीर साहेब ने कीड़ी तक को नही मारा ना ही जीव हत्या करने को कहा, जितने भी अवतार हुए है सभी लड़ लड़ मरे है अनेक जीवों की हत्या की है,
क्या आप अपनी औलाद की हत्या कर सकते है ?नही फिर भगवान के तो हम बच्चे है वो क्यों मारता है?मारने वाले को हत्यारा कहते है भगवान नहीं,
मेरा उपर कमेंट है जाकर पढ़ लो
न कबीर कोई ईश्वर भगवान थे और न ही राम ब्रह्मा विष्णु महेश हनुमान दुर्गा काली गणेश सरस्वती लक्ष्मी गौरी पार्वती किरिशना ईश्वर भगवान देवी देवता नहीं थे
इस दुनिया में कोई ईश्वर भगवान देवी देवता परमेश्वर परमपिता परमात्मा आत्मा खुदा अल्ला भूत प्रेत स्वर्ग नर्क जीसस सतयुग त्रेता द्वापर कलयुग नही होता सब काल्पनिक और गपोड़ लीला है
Jay shree Ram 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🙏
परमात्मा बुद्धि जानवर को देता है इंसानों को नहीं इंसान को बुद्धि इंसान देता है
@@KumarDilip-cl6br kahi nhi likha phuddu jaisi baatei
कबीर साहेब जी की जय हो❤
Bhagwan kahe bollta h re sant ko
परमात्मा केवल भगवान् शिव है
जय श्री कृष्णा जय माता जय कृष्णा
Pp@@jitentirole3797
@@satendrasinghsikarwar3964 kahi nhi likha 😹😹
कबिर्दास ज्ञान सची ज्ञान था पखंड धोगी को नहीं मानते थे
यह एक बुजुर्ग आदमी सत्य कह रहा है और आप सभी हो होकर चिल्ला रहे हैं इतने मूर्ख मत बनो परमात्मा किसे कहते हैं हम सभी को ज्ञान हैं परमात्मा अजर है अमर है अविनाशी है निरंकारी है निर्गुणी अग कर है अच्छा है निर्लेप है निरंतर है सर्व व्यापक अब इसमें कबीर साहब कहां आते हैं कबीर साहब का शरीर ऊपर से गिरा है यह बात हम नहीं मानते क्योंकि पांच तत्वों का शरीर हमेशा मां की गर्भ में ही बनता है गर्भ के सिवाय कोई शरीर बना नहीं और नहीं बनेगा यह ब्राह्मी की बातें हैं सब नहीं तो आज भी शेयर ऊपर से गिरना चाहिए ऐसी कोई ऊपर फैक्ट्री नहीं है तो शरीर गिरता है यह सब मन गणित बातें हैं उनके बने हुए शास्त्री भी झूठे हैं अजर है तो मरा क्यों अजर है तो शरीर कहां गया अविनाशी है तो शरीर का नाश क्यों हुआ निर्गुणी है तो दिखा क्यों निरंतर है तो कहां गया निर्लेप है तो लिफ्ट में क्यों आया अग कर है तो दिखा क्यों गम है तो नजर से क्यों दिखा आता है तथा में क्यों आया सर्व व्यापक है तो एक में क्यों आया फिर कबीर को परमात्मा मानो झूठ रामपाल रामपाल जेल की सलाखों के पीछे क्यों गया सब लोगों को गुमराह कर रहा है असली परमात्मा आपके के शरीर मैं प्रकट है जय गुरुदेव
Shi bola brother
Pahle to aap ye jaan lo ki parmatma ek jo sabka malik hai
Dusra ye samjh lo ki parmatma jo sabko banata hai ek maa ko bhi vo kaise maa se janm le sakta hai
Vo to duniya me sharir sahit prakat hota hai kuch din rahkar satya marg bata kar logo ko fir sharir sahit antardhyaan ho jaata hai
Parmatma garib Bankar ke hi aata hai raja lekin aaj kal ke kalyugi logo ko keval paise wala hi bhagwan dikhta hai
कोटि कोटि सिजदा करूं कोटि कोटि प्रणाम।
चरण कमल में राखियों मै बांदी जाम गुलाम। ।
यही विश्व में हर जीव निर्जिव सव भगवान है। सव नारा से या पानि से सृष्टि हो रहे हैं। जो जीव निर्जिव सवका मङ्गल करता है वह है भगवान। जय पावन पवित्र ज्ञान विज्ञान सत्य सनातन इंसानीयत धर्म की जय हो और असत्य अज्ञान अधर्म की विनाश हो। जय हिन्दु वन्दे मातरम् ॐ
सिया राम मय सब जग जानी करहु प्रणाम जोरी जुग पानी
चार दाग से सतगुरू न्यारा अजरो अमर शरीर
दास मलूक सलूक कहत हैं खोजो खसम कबीर
कबीर अपभ्रंश है शुद्ध नाम कविर है कवि कहते आत्मा को और र कहते रमण करने वाले को यानी आत्माराम परमात्मा को इस दोहे में कबीर दास जी के लिए नहीं है परमात्मा के लिए है
Sat yug me sat sukrit huye ,treta me munindra, dwapar me karunamay huye Kali yug me kabir
अच्छा डेबिट हैं
दोनोभी भाई अभ्यासू है
दोनोकोभी नमस्ते
ऊँ नमः शिवाय । भगवान शिव हि सत्य है सत्य हि शिव है भगवान शिव हि प्रमेशवर ईशवर सर्वेश्वर भगवान शिव हि तो है और इनकी निन्दा करने वाले कभी परमात्मा को प्राप्त नहीं होते ये हि सत्य है और संत गुरु किसी गुरुऔ कि निन्दा नहीं करते हर गुरु कि वाणी भगवान कि वाणी होती है हर गुरु का रुप भगवान का रुप होता है फिर हम कोन होते हैं जो हम गुरुऔ कि निन्दा करते हैं पेहचानो अपने आप को । कि में निन्दा करने वाला में कोन हूं जरा अन्तर में डुबकी लगाकर देख लो जवाब मिल जाएगा अपने अन्दर अहंकार को बड़ा कर रखा है इसलिए हम एक दुसरे गुरुओं कि निन्दा करते आ रहे है अहंकार हि भगवान का भोजन होता है
भगवान ज्ञान से। भि परे होते हैं भगवान ज्ञानि को नहीं मिलते क्योकि ज्ञानी में उसी ज्ञान का अहंकार होता है इसलिए
वाल्मीकि रिशी कहा के ज्ञानी थे उसे भगवान मिले। और भगवान के अवतार कि खबर हो गई
अहंकार के घम्डं में जिवन नहीं जिना चाहिते ।
कोई टिप्पणी नहीं है क्योंकि कबीर एक ब्राह्मण समाज के व्यक्ति हैं इनकी पूजा होनी चाहिए
Nice
दुनिया में जन्म लेने वाले को हम परमात्मा नहीं कहते हैं ।
th-cam.com/video/o7_MKk3q3l4/w-d-xo.htmlsi=eizFIC-G6rhwMGJz
दुनिया में जन्म लेने वाले परमात्मा नहीं होते यह बात सत्य है । लेकिन व्यक्ति जब समर्थ गुरु के सानिध्य मे आत्म ज्ञान प्राप्त कर लेता है : अथवा स्व -आत्मा का बोध कर लेता है तो वह मानव शरीर का रूप होते हुए भी सगुण रूप मे ईश्वर के समान होता है । वहीं आत्म ज्ञानी व्यक्ति निर्गुण अथवा निराकार ईश्वर की पहचान करा देता है।
33 करोड़ नहीं 33 प्राकार के देवता होते हैं जिसमें यक्ष किन्नर देव दिगपाल इत्यादि
महाराज कबीर साहेब को इन कबीर पंथियों ने बदनाम कर दिया। उनको नीचे गिराने मे इन लोगों ने कसर नहीं छोड़ी। यह लोग मन घड़ित बातें करते हैं इनके साथ विचार करना महा मूर्ख ता है। इन लोगों ने संत मरियादा को ही बदनाम कर दिया। इनका काम है भगवान् राम को भगवान् कृष्ण को नीचा गिराना। परंतु उनकी महिमा में फर्क नहीं पड़ता यह लोग अपना ही जीवन खराब करते हैं
अपने वेद मे पढो परमात्मा का नाम क्या है ।
कुरान मे भी उस अल्लाका नाम क्या लिखा है।
वो कैसी लिला करते है ।
गुरू ग्रंथ साहिब मे भी देख सकते है वह परमात्मा कोन है
अगर परमात्मा एक है तो सब धर्म के सदग्रंथ मे एक ही स नाम आना चाहिए
अगर एक ही नाम है तो वही सबका मालिक एक है
वह कबीर ही भगवान है ।
प्रमाण चेक करो
परमात्मा को नाम से नहीं पुकारे जाता ।।
परमात्मा को कबीर नाम से पुकारते अपनी मुर्खतापूर्ण वचन है, और मनघड़ंत कहानियों से श्री संत रामपाल जी महाराज को बढ़ावा देने में हमारी मुर्खतापूर्ण व्यवहार है ।। हम अंधेरे नगरी में गंडु राजा जैसी बात है ।। परमात्मा एक व्यक्ति विशेष से परे है । आप एक व्यक्ति विशेष को बढ़ावा दे रहे हैं।।।वे हमारी मूर्खता है।।
सत्य वचन कहने वाले या खोज ने वाले को हम परमात्मा कहें वहीं हमारी मुर्खता है ।।
आप वेद मानते हो ना!
तो वेदो मे परमात्मा का नाम लिखा है ।
औरे उसकी लिला का भी वर्णन लिखा है ।
मूर्खो कबीर भगवान नहीं, भगवान के वरोधी है। वह तर्कशील और विज्ञान वादी है। अंधविश्वास और पाखंड विरोधी है.
गरीबदास जी के प्रमाण से सिंध होता है कबीर ऐक संत हैं सत्पुरुष ने माया सिरजी होते तकत कबीर खवासा ओर कबीर साहेब खुद का प्रमाण से सिंध होता है साहेब सबका बाप है बेटा किसी का नहीं बेटा होकर उतरे वो साहेब नहीं कबीर साहेब कहते जन्म मरंण से न्यारा सो ही साहेब मेरा कबीर साहेब कहते कबीर कुत्ता राम का मोतीया मेरा नाम गल प्रेम की जेवड़ी जीत ले जावे उत जावे गरीब दास जी कहते पंथ पड़े सो बह गये हमारी बांट अ पंथ
Sant Rampal ji Maharaj right way of worship giving the whole world 🙏🙏
कविर और कबीर शब्द में अंतर होता है कविर दास जी सन्त थे और भगवान के भक्त थे न कि उन्होंने कभी नहीं कहा कि मैं भगवान हूं हां उन्होंने यह कहा कि मुझ में भगवान है
आपको कबीर सागर, और वेद, पढ़ने की जरूरत है,
@@RamSudarsan-yi7lj वेद का उच्चारण तो एक भैंसा भी करता है लेकिन पढ़कर समझना और समझकर पढ़ना और उसका सन्दर्भ समझना यह महत्त्वपूर्ण है जिनका काम खंडन मंडन करना है इस्लाम कि जीद की तरह चलना है वेदों में तो एकम सदविपरा बहुधा वदनती लिखा है
@@jagdishvaishnav6128 बस अभी तक एक ही जगह पढ़ पाए हो,जी,,
कबीर जी ने कहा है,में ही अल्लह अलाख हूं ,कुतुब गोश और पीर,
एक विषय को पढ़ कर टीचर मत बनिए सर,कबीर साहेब को भगवान के रूप में जानने के लिए, हमें,चारों धर्म की पुस्तक को पढ़ना होगा,संत रामपालजी महराज के अनुयाई, प्रमाण के साथ बताते हैं,चारों वेद में दिखा दिए है कबीर साहेब भगवान हैं, आप भी कोई प्रमाण दो,,
कविर,और कबीर का अर्थ एक ही होता,
जिसका अर्थ ,कवि (सर्वज्ञ) लिखा,जबकि ये नही होना चाहिए, क्योंकि कवि सर्वज्ञ नही होता, सर्वज्ञ का अर्थ सब कुछ करने में सक्षम हो सर्व शक्तिमान हो,
क्या भाई साहब पढ़ लिखकर अभी भी मूर्खों के चक्कर में पड़े हैं,
@@RamSudarsan-yi7lj ऐसा नहीं है भ्राता श्री जहां तक मैने पढा और समझा है एक शब्द के अनेक अर्थ है कही कही तो एक शब्द के सौ अर्थ और कही एक नाम के हजार नाम है जैसे कि विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र सन्त साहित्य में कबीर दास जी महाराज का हिंदी संस्कृत साहित्य और इनकी गुरु परम्परा और इनके गुरु श्री रामानन्दाचारय जी महाराज के साहित्य में कविरदेवाचारय शब्द है कवि शब्द का अर्थ आत्मा है और र का मतलब रमण करने वाले से यानी आत्माराम घट घट वासी परमपुरुष परमात्मा वाचक है
आप बिलकुल सही कहा है🙏 वो एक हिंदू संत है🙏 वो एक फुल पर आये और फुल बनकर ही पार हुवे ये सचाई है🙏🙏🙏🙏🙏
परमात्मा कुछ भी लीला कर सकता है जो परमात्मा का शरण में नहीं है उनका समझ से बाहर है। जो मिठाई खाता है उसका स्वाद कैसा, वही बता सकता है। जो खाया नहीं है उनको को कैसे पताचलेगा।
शरण पढ़े तो गुरू सभाले जान के बालक भोला रे
कहे कबीर चरण चित लागो जैसे सुई में डोरा रे________&
मानत न मन मोरा साधो मानत न मोरा रे_________
बार बार यह समझाऊ जग जीबन थोड़ा रे।_________
संत रामपाल जी महाराज ने बताया कि परमेश्वर कबीर है जोकि साकार है, राजा के समान दर्शनीय है, सिंहासन/तख्त पर बैठा है। - प्रमाण ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 82 मंत्र 1 - 2, सूक्त 86 मंत्र 26, 27, कुरान शरीफ़ सूरत फुरकान 25 आयत 59
Yo Rampalia Mulla hai kya re
अज्ञान का पिटारा खोला गया है दोनो तरफ से
सत भक्ति करने से मानव जीवन सफल हो जाता है परिवार में किसी प्रकार की बुराई नहीं रहती परमात्मा की कृपा से सदा बनी रहती है।
ब्रह्म एक है दूसरा नहीं है तब कबीर भगवान कैसेहो गए
ये दोनों पक्ष काल्पनिक बातों में उलझाए जा रहे हैं। जबकि ऐसा नहीं है । जनता को गुमराह कर रहे हैं। जनता अपने विवेक से काम लें। विना नारी के कोई पैदा नहीं होता। कोई प्रथ्वी से कोई कानसे कोई जांघ से कोई मुख से कोई दोना से कोई अपने से प्रकट होना ये १००%गलत है। जो भी जीव अगर पैदा हुआ तो सिर्फ गर्भ से। वाकी सब बकवास कर रहे हैं। पर जनता बुद्धि से काम लें। आस्था से नहीं।
🌹🙏🙏🙏🌹
🙏आदरणीय कितना सुंदर उदाहरण दिया है कि परमविराट सहशरीर आते हैं और सहशरीर (प्रगट और अंतर्ध्यांन) जाते हैं --- लेकिन कुछ पाखंडी ऐसे भगवान को भी किसी के गर्भ से पैदा कर/ करवा देते हैं😢🤔❓
परमात्मा भगवान सुनिश्चित है। मनुष्य देहे दिव्य ज्ञान, देखि सन्तोष्ट भगवान। जय पावन पवित्र ज्ञान विज्ञान सत्य सनातन इंसानीयत धर्म की जय हो और असत्य अज्ञान अधर्म की विनाश हो। जय हिन्दु वन्दे मातरम् ॐ
Are bhai ye aadambar wadi log jab apne mata aur pita ka shi kadar karna janta hi nahi hai to ye shala gobar ko parsad samjhne wale kabir sahabjee ki shabdon ko ya saty gyan bichar aur shi sant ko kaise manenge
संत कबीर को परमात्मा मानने वाले सतलोक कि जगह प्रेत लोक पहुंच जाए और बाद में पछताना का मोका भी नही मिलेगा
Vado me parman hai kabir sahib bhagban hai❤❤❤❤❤❤❤
Kis granth me likha ki kabeer bhagwan the
@@mohitrajpoot7852 जो दोगला होते हैं ओ येसे ही भोतै है जय हो राजपुतकोली समाज की
कबीर साहब एक कमल के फुल पर है🙏🙏🙏🙏🙏
कबीर जी अवतार नहीं लिए थे कोई विधवा ब्राम्हणी से जन्म लिए थे जो उन्हें लहरतारा तालाब में छोड़ आई उधर से एक जुलाहा जोड़ा गुज़र रहा था वो निस्संतान थे उन्होंने पालन पोषण किया ऐसे ही साईं बाबा को भगवान कहते हैं लोग जो कि गलत है वो तो मुस्लिम है
Sai itna dijiye jame kutum samay me bi bukha na rahu sadu na bukha jaye ❤
Aur yahi soach ke unke bhakt rampal ji khud k liye aalishan bangala, masaj center, swimming pool, AC wala bathroom,.. banwaya tha..
Shree Shree 1008 ka adhi kari saint rampal ji maharaj ji ki joi ho
Jay ho bandi chhod ki
कबीर साहेब की जय हो, सत् साहेब जी🙏🙏🙏🙏🙏 बिलकुल सही कहा है🙏 वो एक मालिक है🙏🙏🙏🙏🙏
संत कबीर जी के बारेमे बहुत सोच समजसे बयान देदो एक संत है कबीरजी
बेदो मे प्रमाण हे कबिर साहेब हि भगवान हे सत्साहेब कबिर मालिक।❤❤ ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
सत साहेब ...
आज बचे है जो लोग। उन बलिदानी महापुरुषों के बल पर बचे है ये हिन्दू ।उनके लिए आप लोगो की तरफ से कोई श्रद्धांजलि नहीं 600साल पहले कितने हिन्दू मुसलमान बन गए तब कबीर साहेब क्या कर रहे थे । कृपया गंगा बहाए।किंतु खंड खंड होने न दे ।
Pr jati or varne batne vala kon h ye bta brother
@@rajugarewal1889 Varan hamare VED Shashtro me varnit hai. Jati pati ek politics ka hissa h.
Pandey ji kahne se nahi hota ,jab tum ऊंच नीच ,छुआ छूत का भेद रखोगे तो कोई हिंदू नहीं । न कोई तुम्हारे साथ जाएगा ।तुम अपने दो बेटों में भेद करके देख लो । वही तुम्हारा साथ छोड़ कर चले जायेंगे ।
बेशक छोड़ कर जा सकता है लेकिन बाप नहीं बदलेगा ।।
Bandi chhod sat guru sant rampal ji maharaja ki jai ho 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
कबीर दास ने भंडारा किया था लेकिन भंडारे कीपूर्ति भगवान श्री कृष्णा ने की थी क्योंकि भगवान श्री कृष्णा ने एक बंजारे का रूप धारण करके छप्पन भोग की मिठाइयां भगवान श्री कृष्ण ने लाकर के भंडारे की पूर्ति कीथी क्योंकि भगत की लज्जा जा रही थी भगत की लाज को बचाने के लिए भगवान बंजारा का रूप धारण करके बंजारा का रूप धारण करके भारत भर के मिठाइयां कविता के घर के लाए थे और भंडारा कीपूर्ति की थी
Mohanlal bhai in kabir panti ko kuchh bato
Sat sahib ji 🙏🙏🙏
कबीर देश के समाज विभाजन कार थे
th-cam.com/video/o7_MKk3q3l4/w-d-xo.htmlsi=eizFIC-G6rhwMGJz
सबकी जैसी सोच वैसी बोली ह
Kabir parmatma ji ki jai ho 🙏 ❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Rampal ji.khud bhagvan or khud parmatma h ......
रामपाल पाखंडी 😂
श्री कृष्ण भगवान है और परमात्मा श्री कृष्णाकी जय❤❤❤
यह लोग परजीवी होते हैं। दूसरों की आस्था पर चोट करके जिंदा रहते हैं। इनका कोई धर्म नहीं। और ना ये धर्म पर चलते हैं ।
यह जिंदगी भर तर्क वितर्क करते रह जाते हैं। इसी में अपना पूरा जीवन व्यर्थ कर देते हैं।
जब तक मन शांत नहीं होगा ईश्वर की प्राप्ति कैसे होगी। चित को शांत कर प्रभु शरण में चले जाओ। सब जान जाओगे ॐ हरि ॐ
कबीर जी एक भगत थे परमात्म कब हूहे थे
Dhingi.rampal khud kehta h me parmatma hu 😅😅😅😅😅😅 ....
कबीर साहेब भगवान नही हैं भगवानों के भी भगवान हैं साहेब जी
कबीर संत था भगवान नहीं शिवा से बड़ा कोई नहीं
@@naguamliyar1161 kahi nhi likha yeh sab faltu chijen
इनको ये पता नहीं है कि, इनको समझना मुश्किल है🙏🙏 वो मालिक कबीर साहेब जी🙏 है🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
एक मानव को अपने कर्म करने चाहिए और मानवता का सेवा हि भगवान का सेवा है
🙏🌹🏳️Sat Saheb Ji 🙏🌹
शिष्य तो आतंकवादियों के भी बहुत होते हैं तो क्या वो भगवान हो आयेगा?
Sat saheb ji 💖💖
Bhagwan सब कुछ कर सकते हैं 🙏🙏🙏🙏🙏
🙏सत साहेब जी 🙏
मना की काका एकेला है । कबीर को बुला कोनसा भागवान है प्रमाण देगा
में दिल से उस मालिक कबीर साहेब जी के साथ हुं 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
इश्वर: परम: कृष्ण: सच्चिदाननदविग्रह:,अनादिरादिगोविंद:सर्वकारण कारणं
भगवान सिर्फ तीन है ब्रह्मा विष्णु महेश बाकी सब उनके दस है और देवी देवता है इनके सिवा दुनिया में कोई भगवान नहीं है
और इनसे ऊपर मां दुर्गा है।
@@ashugill89 जी बिल्कुल सही कहा आपने
@@vyasrajganga9004 अनपढ़ की तरह कैसे बोल दिए जी, ब्रम्हा जी श्री विष्णु जी शंकर जी, इनकी जन्म मृत्यु होती है,ये अविनाशी नही है,ये देवता किसी के प्रारब्ध को घटा बढ़ा नही सकते,
देवी पुराण पढ़ो,123, प्रिस्ट में,
गोरखपुर से प्रकाशित बुक में देखिए जी,
@@vyasrajganga9004bharat ki 4 deewaro bahar tridev to kiya 33 CR mese koi nahi 😂
Jai shree ram
अक्षर पुरुष एक पेड़ है निरंजन वाकी डार तीनों देवा शाखा हैं पात रुप संसार। सबका मालिक एक पुर्ण परमात्मा कबीर अविनाशी अंतर्यामी पापनाशक भगवान हैं।
वो एक मालिक है🙏🙏🙏🙏
Jai ho santrampal ji maharaj ki jai ho
जय सिया राम !
सच्चाई ही कबीर है श्रीमान
Kabir is the almighty complete Superem God
बिल्कुल सही कहा इस भाई साहब ने हमारे गुरु ग्रंथ साहिब जी में कबीर साहेब जी के बहुत शोक बहुत शब्द 500 से भी ऊपर हैं
कबीर तब भी विवादित थे आज भी हे
कबीर सत्य बोलते थे मिर्ची लग जाती थी
कबीरा जब हम पैदा हुवे जग हसे हम रोए
एसी करनी कर चलो हम हसे जग रोए
सत्यनाम
पानी से पैदा नहीं श्वासां नहीं शरीर अन्न आहार करता नहीं उसका नाम कबीर ।
कक्का केवल नाम है बब्बा वीर शरीर
रर्रा सबमें रम रहा उसका नाम कबीर ।
हिंदू कहूं तो मैं नहीं मुसलमान भी नाए।
पांच तत्व का पूतला गैवी खेलै मांहि ।
इसका अर्थ यही है कि हे मानव तू अब तो संबल जा और अपनी चेतना को जगा न तो वह हिंदू है न ही मुसलमान , न वह नर है न नारी है ।
वह तो सर्व व्यापी है और मानव की हस्ती नहीं है कि वह सर्व व्यापी को समझ सके लेकिन वह चाहे तो जिस दयाल हो जाए उसे अपना पूर्ण स्वरूप दे सकता है । स्वरूप से तात्पर्य है कि स्व /अपना रूप और उसका पूर्ण यही है कि सभी जीवों पर दया करना फिर चाहे मानव हो या दानव क्योंकि सारा जगत उसी का है ।
अपने अपने कर्मो के हिसाब से ही फल भोगता है ।
सत्यनाम
🌍🙏🙏🌍
600 sal pahle kabhi Parmatma the lekin usse pahle Kaun Parmatma tha yah kyon kon jabab dega
ईश्वर का एक नाम कवि हैं जो सब के हृदय में वास करते हैं। कबीर जैसे आदि सृष्टि से अब तक करोड़ों कवि हो गयें है। सब के अंदर से वाणी तो परमात्मा की ही है हा महापुरुषों में कबीर जी गिने जा सकते है। धन्यवाद।।