*हे प्रभु,मुझे कुछ नहीं चाहिए,सिर्फ को प्यारी आंखें ये कॉमेंट पढ़ रही हैं,उनके माता पिता को लंबा जीवन तथा संसार की सारी खुशियां दे देना🤗💐❤️* *ओम नमः शिवाय*
हे सूर्यदेव तुम उन्हें मेरा यह पैगाम दे देना, खुशियों से भरा दिन और मुस्कुराहट वाली शाम दे देना, जैसे ही जागें वो अपने मीठे ख्वाबों की नींद से, उन्हें मेरा प्यार भरा सलाम दे देना।। जय सुर्य देव भगवान 🙏🙏🙏🙏🙏
*एक राजा के पास कई हाथी थे,* *लेकिन एक हाथी बहुत शक्तिशाली था, बहुत आज्ञाकारी,समझदार व युद्ध-कौशल में निपुण था।* *बहुत से युद्धों में वह भेजा गया था और वह राजा को विजय दिलाकर वापस लौटा था* *इसलिए वह महाराज का सबसे प्रिय हाथी था।* *समय गुजरता गया ..* *और एक समय ऐसा भी आया, जब वह वृद्ध दिखने लगा।* *अब वह पहले की तरह कार्य नहीं कर पाता था।* *इसलिए अब राजा उसे युद्ध क्षेत्र में भी नहीं भेजते थे।* *एक दिन वह सरोवर में जल पीने के लिए गया, लेकिन वहीं कीचड़ में उसका पैर धँस गया और फिर धँसता ही चला गया।* *उस हाथी ने बहुत कोशिश की, लेकिन वह उस कीचड़ से स्वयं को नहीं निकाल पाया।* *उसकी चिंघाड़ने की आवाज से लोगों को यह पता चल गया कि वह हाथी संकट में है।* *हाथी के फँसने का समाचार राजा तक भी पहुँचा।* *राजा समेत सभी लोग हाथी के आसपास इक्कठा हो गए और विभिन्न प्रकार के शारीरिक प्रयत्न उसे निकालने के लिए करने लगे।* *लेकिन बहुत देर तक प्रयास करने के उपरांत कोई मार्ग नही निकला..* *तभी गौतम बुद्ध मार्गभ्रमण कर रहे थे। राजा और सारा मंत्रीमंडल तथागत गौतम बुद्ध के पास गये और अनुरोध किया कि आप हमे इस बिकट परिस्थिति मे मार्गदर्शन करे. गौतम बुद्ध ने सबके घटनास्थल का निरीक्षण किया और फिर राजा को सुझाव दिया कि सरोवर के चारों और युद्ध के नगाड़े बजाए जाएँ।* *सुनने वालो को विचित्र लगा कि भला नगाड़े बजाने से वह फँसा हुआ हाथी बाहर कैसे निकलेगा। जैसे ही युद्ध के नगाड़े बजने प्रारंभ हुए, वैसे ही उस मृतप्राय हाथी के हाव-भाव में परिवर्तन आने लगा।* *पहले तो वह धीरे-धीरे करके खड़ा हुआ और फिर सबको हतप्रभ करते हुए स्वयं ही कीचड़ से बाहर निकल आया।* *गौतम बुद्ध ने सबको स्पष्ट किया कि हाथी की शारीरिक क्षमता में कमी नहीं थी, आवश्यकता मात्र उसके अंदर उत्साह के संचार करने की थी।* *जीवन में उत्साह बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि मनुष्य सकारात्मक चिंतन बनाए रखे और निराशा को हावी न होने दे।* *कभी - कभी निरंतर मिलने वाली असफलताओं से व्यक्ति यह मान लेता है कि अब वह पहले की तरह कार्य नहीं कर सकता, लेकिन यह पूर्ण सच नहीं है.* *"सकारात्मक सोच ही आदमी को "आदमी" बनाती है....* *उसे अपनी मंजिल तक ले जाती है...।।* *आप हमेशा सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण , स्वस्थ एवं प्रसन्न रहें...* ☺️🌻😊🌼☺️🌻😊🌼☺️
Kisi Ka Bhi udya Achanak Nahin Hota Surya bhi Dheere Dheere nikalta hai aur Upar uthta hai jismein dhariya Hai Tapasya hai aur pure Sansar ko prakashit karta hai Jay Shri Hari Vaishno Ji
⛰️ *‘‘क्या पाण्डव सदा स्वर्ग में ही रहेंगे?’’* ⛰️ 📝धर्मदास जी ने बन्दी छोड़ कबीर परमेश्वर जी के चरण पकड़ कर कहा हे परमेश्वर! आप स्वयं सत्यपुरूष हो धर्मदास जी ने अति विनम्र होकर आधीन भाव से प्रश्न किया। प्रश्नः- हे बन्दी छोड़ कबीर परमेश्वर जी! क्या पाण्डव अब सदा स्वर्ग में ही रहेगें? उत्तरः- नहीं धर्मदास! जो पुण्य युधिष्ठर ने उनको प्रदान किए हैं। उन पुण्यों का तथा स्वयं किए यज्ञ आदि धार्मिक अनुष्ठानों का पुण्य जब स्वर्ग में समाप्त हो जाएगा तब सर्व पुनः नरक में डाले जाएँगे। युद्ध में किए पाप कर्म तथा उस जीवन में किए पाप कर्म तथा संचित पाप कर्मों के फल को भोगने के लिए नरक में अवश्य गिरना होगा। युधिष्ठर भी अपने आधे पुण्य दान करके पुण्यहीन हो गया है। वह भी शेष पुण्यों को स्वर्ग में समाप्त करके संचित पाप कर्मों के आधार से अवश्य नरक में डाला जाएगा भले ही पाप कर्म कम होने के कारण नरक समय थोड़ा ही भोगना पड़े परन्तु नरक में अवश्य जाना पड़ेगा। जैसे युधिष्ठर ने अश्वथामा मरने की झूठ बोली थी उसका भी पाप कर्मदण्ड भोगने के लिए नरक में कुछ समय के लिए उसी समय ही जाना पड़ा। इसी प्रकार पूर्व जन्मों के संचित पाप कर्मों का दण्ड नरक में भोगना पड़ेगा। पश्चात् पृथ्वी पर सर्व को अन्य प्राणियों की योनियों में भी जाना होगा। यह काल ब्रह्म का अटल विद्यान है। परन्तु हे धर्मदास! जो साधक पूर्ण परमात्मा की भक्ति पूर्ण गुरू से उपदेश प्राप्त करके आजीवन मर्यादा में रह कर करता है उसके सर्व पाप कर्म ऐसे नष्ट हो जाते है जैसे सुखे घास के बहुत बड़े ढेर को अग्नि की छोटी सी चिंगारी जला कर भस्म कर देती है। उसकी राख को हवा उड़ा कर इधर-उधर कर देती है ठीक इसी प्रकार पूर्ण परमात्मा की भक्ति का सत्यनाम मन्त्र रूपी अग्नि घास के ढेर रूपी पाप कर्मों को भस्म कर देता है। कबीर, जब ही सत्यनाम हृदय धरा, भयो पाप का नाश। मानो चिंगारी अग्नि की, पड़ी पुराने घास।। ‘‘क्या द्रोपदी भी नरक जाएगी तथा अन्य प्राणियों के शरीर धारण करेगी?’’ प्रश्न :- हे सद्गुरू! क्या द्रोपदी भी पुनः नरक व अन्य योनियों में जाएगी (धर्मदास जी ने परमेश्वर कबीर जी से प्रश्न किया)? उत्तर :- हाँ धर्मदास! द्रोपदी, दुर्गा का अंश है। अंश का अर्थ है कि दुर्गा के शब्द से शरीर धारण करने वाली आत्मा, द्रोपदी, दुर्गा से अन्य आत्मा है परन्तु जो कष्ट द्रोपदी को होता है उसका प्रभाव दुर्गा को भी होता है। जैसे किसी की बेटी दुःखी होती है तो माता अत्यधिक दुःखी होती है। इस प्रकार द्रोपदी अब दुर्गा लोक में विशेष स्थान पर है। पुण्य समाप्त होने पर फिर नरक तथा अन्य प्राणियों के शरीर अवश्य धारण करेगी। यही दशा कुन्ती वाली आत्मा की होगी। {पारख के अंग का सरलार्थ किया जा रहा है।} पारख के अंग की वाणी नं. 48 :- गरीब, गरुड़ बोध बेदी रची, राम कृष्ण हैरान। लंका परि धावा हुवा, जदि का कहूं बयान।।48। •••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••• आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। साधना चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं। online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
Jai Vishwakarma ji
Jaijagdiswer
Har har maha Dav ji ki jai🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹🌺🌺🌺🌺🌺🌿🌿🌿🌿🌿👏👏👏👏👏
Har har bhole namah shivaya Om namah shivaya❤
जय। जय। सुरज, नारायण। की जय हो 🌅🌅🌅🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹
.
@@RajuKumar-sl8nv tokum
@@RajuKumar-sl8nv kushwahaspkushah
Jai ho Shri Laxmi Narayan ji Maharaj Maharani🙏🙏🌹🌹🌙🙏🙈
🕉️ Namo Bhagwate Vasudevay Namaha 🕉️🕉️🙏
Jai shree Narayan 🙏🏻😍
Jai vishno bagwan ki jai
*हे प्रभु,मुझे कुछ नहीं चाहिए,सिर्फ को प्यारी आंखें ये कॉमेंट पढ़ रही हैं,उनके माता पिता को लंबा जीवन तथा संसार की सारी खुशियां दे देना🤗💐❤️*
*ओम नमः शिवाय*
Nmskar ji
C11
Jai Shri Shirdi wale Baba Hanuman ji Maharaj🙏🙏🙈🙈🌙🌹🌹
jay shree radhe krishna gobind gopal
Har har mahadev
Om namah shiva 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Har har mahadev prabhu raksha kriyea humsabko nirog rakhiyea
Jaisuryadev
Jai ho jagdishwar 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Jai maa sharde
Jai surya dev bhagwaan ki jai ho
अच्छा लगा 👌 जानकारी
Jai Surya Deva Nanoha
Jay ho 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏😊😊😊😊😊✍✍✍✍✍✍✍😊😊😊😊😊😊✍✍✍✍✍✍
Jai ho prabhu 🙏🙏🌹🌹🌙
Shri Vishnu Bhagwan Ki Jai ❤💙
Ooooo
gh123456
jai shri Krishna
Jsy bhagwan vishnu ki
Om namo bhagvati vasudevay. Om namo suryadevayah namha.
जय श्री कृष्णा
हे सूर्यदेव तुम उन्हें मेरा यह पैगाम दे देना,
खुशियों से भरा दिन और मुस्कुराहट वाली शाम दे देना,
जैसे ही जागें वो अपने मीठे ख्वाबों की नींद से,
उन्हें मेरा प्यार भरा सलाम दे देना।।
जय सुर्य देव भगवान 🙏🙏🙏🙏🙏
Om माहा लक्ष्मी नमो नमः
Ruin
🙏🙏🙏🙏🙏👍👍👍👍👍👍👍👍👍❤️❤️❤️❤️
*एक राजा के पास कई हाथी थे,*
*लेकिन एक हाथी बहुत शक्तिशाली था, बहुत आज्ञाकारी,समझदार व युद्ध-कौशल में निपुण था।*
*बहुत से युद्धों में वह भेजा गया था और वह राजा को विजय दिलाकर वापस लौटा था*
*इसलिए वह महाराज का सबसे प्रिय हाथी था।*
*समय गुजरता गया ..*
*और एक समय ऐसा भी आया, जब वह वृद्ध दिखने लगा।*
*अब वह पहले की तरह कार्य नहीं कर पाता था।*
*इसलिए अब राजा उसे युद्ध क्षेत्र में भी नहीं भेजते थे।*
*एक दिन वह सरोवर में जल पीने के लिए गया, लेकिन वहीं कीचड़ में उसका पैर धँस गया और फिर धँसता ही चला गया।*
*उस हाथी ने बहुत कोशिश की, लेकिन वह उस कीचड़ से स्वयं को नहीं निकाल पाया।*
*उसकी चिंघाड़ने की आवाज से लोगों को यह पता चल गया कि वह हाथी संकट में है।*
*हाथी के फँसने का समाचार राजा तक भी पहुँचा।*
*राजा समेत सभी लोग हाथी के आसपास इक्कठा हो गए और विभिन्न प्रकार के शारीरिक प्रयत्न उसे निकालने के लिए करने लगे।*
*लेकिन बहुत देर तक प्रयास करने के उपरांत कोई मार्ग नही निकला..*
*तभी गौतम बुद्ध मार्गभ्रमण कर रहे थे। राजा और सारा मंत्रीमंडल तथागत गौतम बुद्ध के पास गये और अनुरोध किया कि आप हमे इस बिकट परिस्थिति मे मार्गदर्शन करे. गौतम बुद्ध ने सबके घटनास्थल का निरीक्षण किया और फिर राजा को सुझाव दिया कि सरोवर के चारों और युद्ध के नगाड़े बजाए जाएँ।*
*सुनने वालो को विचित्र लगा कि भला नगाड़े बजाने से वह फँसा हुआ हाथी बाहर कैसे निकलेगा। जैसे ही युद्ध के नगाड़े बजने प्रारंभ हुए, वैसे ही उस मृतप्राय हाथी के हाव-भाव में परिवर्तन आने लगा।*
*पहले तो वह धीरे-धीरे करके खड़ा हुआ और फिर सबको हतप्रभ करते हुए स्वयं ही कीचड़ से बाहर निकल आया।*
*गौतम बुद्ध ने सबको स्पष्ट किया कि हाथी की शारीरिक क्षमता में कमी नहीं थी, आवश्यकता मात्र उसके अंदर उत्साह के संचार करने की थी।*
*जीवन में उत्साह बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि मनुष्य सकारात्मक चिंतन बनाए रखे और निराशा को हावी न होने दे।*
*कभी - कभी निरंतर मिलने वाली असफलताओं से व्यक्ति यह मान लेता है कि अब वह पहले की तरह कार्य नहीं कर सकता, लेकिन यह पूर्ण सच नहीं है.*
*"सकारात्मक सोच ही आदमी को "आदमी" बनाती है....*
*उसे अपनी मंजिल तक ले जाती है...।।*
*आप हमेशा सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण , स्वस्थ एवं प्रसन्न रहें...*
☺️🌻😊🌼☺️🌻😊🌼☺️
Bahut sundar
Ò
9979879ओई
Jay shree bhole baba
*जो भी प्यारी आंखें मेरा कॉमेंट पढ़ रही हैं ,भगवान उनके माता पिता को लंबी आयु प्रदान करे🤗😊❤️💐*
*जय श्री राम.......🇮🇳🚩*
Jay Bhagwan Vishnu
जय सूर्य देव जी
Om namo bhagvatey vasudeva namah 🙏🙏🙏🙏 🙏🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
Om luxmi narayan namah
0l0
@@hambale3085 y
@@hambale3085 ss4447
JaiShriHariVishnu
OMNumoNarayana
Jai surya devji or jai bishnu Bhagwan ji
Jay aditya namah🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
1:04 - Vidur (Virendra Razdan) here ?!!!!! ❤😍🤩🙏🕉🛕🐚🌿🪔🚩
जय हो श्री लक्ष्मी नारायण की
Wow
⅕
@@sanjayrathore8566
ഈ
Raju
Jai shri krisna namah
Vishnu bhagvan ,surya dev ki jai🙏
राधा कृष्ण
हरि ओउम् विष्णु 👏
Jai sri ram
Jai laxmi Narayan
Ohm nano basudevya 🙏🙏🙏
Acha ji
Love you
Jai Surya dev
Jay shree suryadeva
Jiy laxami narayn
Jai ho suryadew.Mata sangya
lo0
pl
Kisi Ka Bhi udya Achanak Nahin Hota Surya bhi Dheere Dheere nikalta hai aur Upar uthta hai jismein dhariya Hai Tapasya hai aur pure Sansar ko prakashit karta hai Jay Shri Hari Vaishno Ji
Gh
Jkl
@@festivecelebrations4422 चंचंणचचं
चंचंचंचंचंणंचढढ चडडी चढ़्ढघंघघंघंघंढ़्चचंणंणंणंणणणंणणण बसबाट णंणंणंणणं हम णंकखंटंपंपं
Rh4
Hari Om Hari 🙏🙏
जय श्री कृष्ण
Jail shri hari om hari om
Hari om narayan
ऊँ नमः विष्णु देवाय
Om jay Lakshmi narayana 🌷🌷🥀🥀🥀🌺🙏🙏🙏
वाओ कितना अच्छा वीडियो है
अच्छा वीडियो नहीं औ
E
Jise narad Ka role Kiya hai us par loard Vishnu role bahut Acha lagta
Dhanya ho aisa pita
जय श्री हरि विष्णु
जय सुर्य देव
नमो राघवाय🙏🙏
Jay shree ram jay 🌷🥀🥀🌺🙏🙏🙏
Ii
Iii
Iiikkk
Iiikkk
@@ratanskumar8527 8754333899yfdhjui
Babu Singh Thakur
RAMESHVAR
Radhe krisana
Bhajan
Thanks bh
व्व्क्ष्व्क्षेवेत्त्त्
Jay Aditya namah 🙏
O might
@@chhotelalsaura9251 ok
@@chhotelalsaura9251 lp
Jai Shri Vishnu Jai Shri Hari
सूर्य की पत्नी को घोडी मे इस लिए बदला कि सूर्य देव ज्यादा ही परेशान करते होंगे,
Mahesh Chandra Yadav
Jai Shri.hari.jai Shri Hari Jai Shri hari
सूर्य नमस्कार
Jai shree haree🙏🙏
Suman... Yadav
....
#Rupakelokgeet,,,
⛰️ *‘‘क्या पाण्डव सदा स्वर्ग में ही रहेंगे?’’* ⛰️
📝धर्मदास जी ने बन्दी छोड़ कबीर परमेश्वर जी के चरण पकड़ कर कहा हे परमेश्वर! आप स्वयं सत्यपुरूष हो धर्मदास जी ने अति विनम्र होकर आधीन भाव से प्रश्न किया।
प्रश्नः- हे बन्दी छोड़ कबीर परमेश्वर जी! क्या पाण्डव अब सदा स्वर्ग में ही रहेगें?
उत्तरः- नहीं धर्मदास! जो पुण्य युधिष्ठर ने उनको प्रदान किए हैं। उन पुण्यों का तथा स्वयं किए यज्ञ आदि धार्मिक अनुष्ठानों का पुण्य जब स्वर्ग में समाप्त हो जाएगा तब सर्व पुनः नरक में डाले जाएँगे। युद्ध में किए पाप कर्म तथा उस जीवन में किए पाप कर्म तथा संचित पाप कर्मों के फल को भोगने के लिए नरक में अवश्य गिरना होगा। युधिष्ठर भी अपने आधे पुण्य दान करके पुण्यहीन हो गया है। वह भी शेष पुण्यों को स्वर्ग में समाप्त करके संचित पाप कर्मों के आधार से अवश्य नरक में डाला जाएगा भले ही पाप कर्म कम होने के कारण नरक समय थोड़ा ही भोगना पड़े परन्तु नरक में अवश्य जाना पड़ेगा। जैसे युधिष्ठर ने अश्वथामा मरने की झूठ बोली थी उसका भी पाप कर्मदण्ड भोगने के लिए नरक में कुछ समय के लिए उसी समय ही जाना पड़ा।
इसी प्रकार पूर्व जन्मों के संचित पाप कर्मों का दण्ड नरक में भोगना पड़ेगा। पश्चात् पृथ्वी पर सर्व को अन्य प्राणियों की योनियों में भी जाना होगा। यह काल ब्रह्म का अटल विद्यान है।
परन्तु हे धर्मदास! जो साधक पूर्ण परमात्मा की भक्ति पूर्ण गुरू से उपदेश प्राप्त करके आजीवन मर्यादा में रह कर करता है उसके सर्व पाप कर्म ऐसे नष्ट हो जाते है जैसे सुखे घास के बहुत बड़े ढेर को अग्नि की छोटी सी चिंगारी जला कर भस्म कर देती है। उसकी राख को हवा उड़ा कर इधर-उधर कर देती है ठीक इसी प्रकार पूर्ण परमात्मा की भक्ति का सत्यनाम मन्त्र रूपी अग्नि घास के ढेर रूपी पाप कर्मों को भस्म कर देता है।
कबीर, जब ही सत्यनाम हृदय धरा, भयो पाप का नाश। मानो चिंगारी अग्नि की, पड़ी पुराने घास।।
‘‘क्या द्रोपदी भी नरक जाएगी तथा अन्य प्राणियों के शरीर धारण करेगी?’’
प्रश्न :- हे सद्गुरू! क्या द्रोपदी भी पुनः नरक व अन्य योनियों में जाएगी (धर्मदास जी ने परमेश्वर कबीर जी से प्रश्न किया)?
उत्तर :- हाँ धर्मदास! द्रोपदी, दुर्गा का अंश है। अंश का अर्थ है कि दुर्गा के शब्द से शरीर धारण करने वाली आत्मा, द्रोपदी, दुर्गा से अन्य आत्मा है परन्तु जो कष्ट द्रोपदी को होता है उसका प्रभाव दुर्गा को भी होता है। जैसे किसी की बेटी दुःखी होती है तो माता अत्यधिक दुःखी होती है। इस प्रकार द्रोपदी अब दुर्गा लोक में विशेष स्थान पर है। पुण्य समाप्त होने पर फिर नरक तथा अन्य प्राणियों के शरीर अवश्य धारण करेगी। यही दशा कुन्ती वाली आत्मा की होगी।
{पारख के अंग का सरलार्थ किया जा रहा है।}
पारख के अंग की वाणी नं. 48 :-
गरीब, गरुड़ बोध बेदी रची, राम कृष्ण हैरान। लंका परि धावा हुवा, जदि का कहूं बयान।।48।
••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। साधना चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
M
OM NAMO BHAGVATE VASUDEVYA NAMAH 🙏🙇
Jai shri Hari
रविन्द्रसिंह
जय श्री
Om namo bhagwate wasudeway 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Jay shree dev🙏
Om shree krishnay namo nm h
Jay shree vishnu bhagwan
Jai visnu ki jai
औऔऔऔऔौौऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔौऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔऔ💖औऔऔऔ
Jai shri haru
Super
Jai jai jai shree here
Nice
Aap ki Jay Ho Prithvi Mata Jay Ho
उफा उइवुयटीयू
उएगेउयग जसुवटीव्वगजरव्य्य
फरुओ
🙏i🙏🙏🙏
See
6
Hi
Laxmi narayan
Sree shlvay namastubhym 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
L
,l
Jai siya ram
Very good story about this suryedeve and Sandhya.I am always waiting like this stories.
Very good job you doing. !!
@NRJ KiNg Kushwaha 000
@NRJ KiNg Kushwaha mmmmmmmmm
.
@@hela1433 |
@DJ no voice teg fast mixing Kushwaha
1|
@@hela1433 was in A
Radhe Radhe Jai Shri krishna