भाद्राजुन का इतिहास ------- मूल स्थान "सुभद्राजुन"(अब भाद्राजुन) का इतिहास क़रीबन 5,000 वर्ष पुराना है। स्थानीय जानकारों व पौराणिक मान्यताओं के अनुसार "त्रेता युग" में महा-भारत काल के समय तत्कालीन महान योद्धा "अर्जुन" को भगवान कृष्ण की बहन "सुभद्रा" से प्रेम था। यह पांडवों के अज्ञातवास के आख़िरी दिन थे, ऐसे में कृष्ण चाहते थे की अर्जुन और सुभद्रा को किसी अनजान सुरक्षित स्थान पर शादी करनी थी। इसीलिए दोनो द्वारिका से घूमते-घूमते तीन रातों और दो दिन की यात्रा के बाद इस घाटी तक पहुंचे, उन दिनों इस घाटी में कोई निवासी नहीं था इसलिए यह रहने के लिए एकदम सुरक्षित था। यहीं पर एक पुरोहित की मदद से इस घाटी में सुभद्रा-अर्जुन ने विवाह किया। कुछ समय बाद, लोग इस घाटी में बसने लगे और फिर इस गांव को "सुभद्रार्जुन " के रूप में नामित किया गया और बाद में इसे भाद्राजून कहा गया। पुजारी को भेंट स्वरूप अर्जुन ने 'शंख शेल' (शंकर) दिया और सुभद्रा ने उन्हें 'नाक की बाली' भेंट की उसी से पुजारी के गांव को 'शंखवाली' नाम दिया गया जो आज भी मौजूद है। इसी पर्वत श्रृंखला में पहाड़ी के पीछे एक घाटी में सुभद्रा देवी का अति प्राचीन मंदिर भी स्थित है। वर्तमान में भाद्राजुन के राजा करनवीरसिंह जी 17 वी पीढ़ी है। प्रथम शासक वर्ष 1549 में जोधपुर महाराजा राव मालदेव के चौथे पुत्र ठाकुर रतन सिंह थे। भाद्राजुन, तत्कालीन जोधपुर राज्य के दस प्रमुख ठिकानों में से एक था। इसके अधीन 84 गांव थे, इसीलिए इस क्षेत्र को आज भी चोराई के नाम से जाना जाता है।
भाटी शब्द से भ्रम होता है। अतः उन्हे यादव शब्द का प्रयोग करना चाहिए। सभी यदुवंशियो को कुमार, सिंह, प्रसाद तथा गोत्र नाम की अपेक्षा अपने नाम के साथ यादव नाम ही लिखना चाहिए।
Jai Yaduvanshi..Jai shree krishna 🚩🥰
bhati rajput zndabad💪💪💪💪💪💪💪biggest clain of rajputs....🚩
Good knowledge of jaslmare
Jai yaduvansh
Great bhatti zindabad
Great leader bhatti sab
जय हो जैसाण जय आवङ माँ आवङ भादरीया राय जी
Jai bhawani
jasod bhati🙏
Right right right right right
Wah from sardaar mian Asif hayyat khan bhatti Punjab pakistan pindi bhattian hafizabad
भाद्राजुन का इतिहास
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मूल स्थान "सुभद्राजुन"(अब भाद्राजुन) का इतिहास क़रीबन 5,000 वर्ष पुराना है।
स्थानीय जानकारों व पौराणिक मान्यताओं के अनुसार "त्रेता युग" में महा-भारत काल के समय तत्कालीन महान योद्धा "अर्जुन" को भगवान कृष्ण की बहन "सुभद्रा" से प्रेम था। यह पांडवों के अज्ञातवास के आख़िरी दिन थे, ऐसे में कृष्ण चाहते थे की अर्जुन और सुभद्रा को किसी अनजान सुरक्षित स्थान पर शादी करनी थी।
इसीलिए दोनो द्वारिका से घूमते-घूमते तीन रातों और दो दिन की यात्रा के बाद इस घाटी तक पहुंचे, उन दिनों इस घाटी में कोई निवासी नहीं था इसलिए यह रहने के लिए एकदम सुरक्षित था।
यहीं पर एक पुरोहित की मदद से इस घाटी में सुभद्रा-अर्जुन ने विवाह किया।
कुछ समय बाद, लोग इस घाटी में बसने लगे और फिर इस गांव को "सुभद्रार्जुन " के रूप में नामित किया गया और बाद में इसे भाद्राजून कहा गया। पुजारी को भेंट स्वरूप अर्जुन ने 'शंख शेल' (शंकर) दिया और सुभद्रा ने उन्हें 'नाक की बाली' भेंट की उसी से पुजारी के गांव को 'शंखवाली' नाम दिया गया जो आज भी मौजूद है। इसी पर्वत श्रृंखला में पहाड़ी के पीछे एक घाटी में सुभद्रा देवी का अति प्राचीन मंदिर भी स्थित है।
वर्तमान में भाद्राजुन के राजा करनवीरसिंह जी 17 वी पीढ़ी है। प्रथम शासक वर्ष 1549 में जोधपुर महाराजा राव मालदेव के चौथे पुत्र ठाकुर रतन सिंह थे।
भाद्राजुन, तत्कालीन जोधपुर राज्य के दस प्रमुख ठिकानों में से एक था। इसके अधीन 84 गांव थे, इसीलिए इस क्षेत्र को आज भी चोराई के नाम से जाना जाता है।
जय मॉ भादरीया राय री
राजस्थान का जैसलमेर, पालीवाल का?
Please address for Jaisalmer
Aavaj tej nhi aati hai
यय
जैसलमेर के इतिहास में पालीवालों ब्राह्मणों का योगदान क्यों नहीं बताया गया जबकि यह महत्वपूर्ण भाग था
Bilkul sahi kaha guru🙏
सिवाना का इतिहास बताओ
Mujhay Bhathi Rajput k barey may malomat chahiya plz
तुम कहा के हो
Hlll
Aapka name hinglaj dan hai kya
Jai Yadav 👑
Hum sab ek Hai hum sab Hindu hai
hii
यादव जाट गुज्जर राजपूत एक ही परिवार है
Kon
Bro inki aavaj jyada tej nhi but video Bhut Acha hai..
RAJPUTO DESH M HAMESHA HAARE HI H
Mughal Spotted🤣
Tere baap ne history likhi h kya
Ap k pas Pakistan ki history hy to plz share karain
Sidhu Brar ki history men bhi Jaisal ka nam aata hai ous men jaisal ko Sidhu Brar ka Rao khandan ke bad ka Bajurg bitya hai kiya yeh such hai
Ji haan sidhu brar virk jatt jaisalmer ke bhati rajputo se hi aaye hain
lodhrva.lodhi.rajput.ki.rajdhani.nirpbhanu.sing.ki.hatya.devraj.bhai.ne.dhoke.se.kithi
भाटी शब्द से भ्रम होता है। अतः उन्हे यादव शब्द का प्रयोग करना चाहिए। सभी यदुवंशियो को कुमार, सिंह, प्रसाद तथा गोत्र नाम की अपेक्षा अपने नाम के साथ यादव नाम ही लिखना चाहिए।
तुम तो अहिर हो
हम अपनी गोत्र लििखते है तुम अगर गोत्र लिखो तो पहचान मै जाओगे कि अहिर हो यादव नही
baki to sab thik hai yaar par ye hasraj ne apni beti ki shadi akbar se karke bohot bada kalank lagwaya yaar :(
bada afsos hua jankar
Jat pat mat karo paglo
Jay bhati yadav
Bhai bhati Yadav nhi rajput hote h
Salim singh b atyachari tha salim mehta haveli iski gvah hh